माता बगलामुखी जिन्हें पीताम्बरा माता भी कहा जाता है, दस महाविद्याओ (ज्ञान और विज्ञान) में आठवीं महाविद्या मानी जाती हैं। यह देवी किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव वाले कार्यों को रोकने में उनके प्रभाव को समाप्त करने में पूर्ण सक्षम होती हैं। माता बगलामुखी ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियों का समागम हैं। यह पूरे ब्रह्मांड की शक्ति रखती हैं। इसके अलावा, दुनिया की सभी शक्तियों के साथ, कोई भी इन्हे पराजित नहीं कर सकता।
शत्रु को पराजित करने में, शत्रुओ का नाश करने में, कोर्ट कचहरी के मामलो में, सम्मोहन में, आकर्षण में, उच्चाटन के लिए, गुप्त शत्रु बाधा, राजनीती में स्थायित्व हेतु, सर्वत्र विजय प्राप्ति हेतु, न्यायालय बिध्न बाधा, कर्ज से मुक्ति के लिए, मोहन आदि बड़ी से बड़ी और छोटी से छोटी समस्याओ के समाधान के लिए बगलामुखी अनुष्ठान किया जाता है।
माता बगलामुखी की साधना उपासना करने से विरोधी हमारे सामने टिक नहीं पाते हैं। साथ ही, विजय के रास्ते खुलते चले जाते हैं। इनकी उपासना से जीवन खुशमय और खुशहाल हो जाता है। यदि किसी व्यक्ति को अपने जीवन में लम्बे समय से कोई कष्ट या चिंता हैं तो वह बगलामुखी माता अनुष्ठान से लाभ प्राप्त कर सकता है। जो भी व्यक्ति माता बगलामुखी की साधना करता है वो सभी दुखो से दूर हो जाता है और सर्व शक्ति संपन्न हो जाता है।
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माता बगलामुखी की आराधना से मान, पद और प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। प्रत्येक व्यक्ति की माता की आराधना से अलग-अलग निवेदन होता है, यथा, अलग-अलग कार्य की पूर्ति हेतु अलग-अलग मंत्र का उपयोग किया जाता है। साथ ही, समस्या के अनुसार ही मंत्रो की संख्या का प्रयोग किया जाता है।
बगलामुखी माता को पीला रंग विशेष प्रिय है। हिन्दू ग्रंथों में भी वह पीले रंग की साड़ी धारण करती हैं। इसके अलावा, पीले फूल, पीला वस्त्र उन्हें सर्वाधिक प्रिय है। माता का सिंहासन सोने का होता है, इनके तीन नेत्र और चार भुजाये हैं। स्वर्ण मुकुट और स्वर्ण आभूषणों से वह हमेशा सुसज्जित रहती हैं। साथ ही, माता का रंग गोरा है। मुख पर स्वर्ण कांटी हमेशा विदमान रहती है और उनके मुख पर सर्वदा मनमोहक मुस्कान विराजती है।
महान भारतीय महाकाव्यों के अनुसार, एक बार सतयुग में एक ब्रह्मांडीय तूफ़ान आया जो कि अत्यंत विनाश करने वाला था। इसके आने से स्रष्टि का विनाश होने लगा और सब तरफ हाहाकार मच गया। बचाव का कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा था और लगातार तूफ़ान विनाश की ओर प्रगतिसर था। इस स्थिति को देखकर भगवान् विष्णु को चिंता सताने लगी की विनाश पर पूर्ण विराम कैसे लगाया जाये। इस भयंकर विनाशकारी स्थिति को रोकने का कोई रास्ता ना पाकर भगवान् विष्णु भोले नाथ का स्मरण करने लगे।
इस पर भगवन शिव ने विष्णु जी को बताया की देवी शक्ति के अलावा कोई भी इस महाविनाश को नही रोक सकता। यथा, आप देवी शक्ति की आराधना उपासना करें। तत्पश्चात, भगवान् विष्णु जी ने शक्ति की आराधना शुरू की। हरिद्रा सरोवर के किनारे बह्वान विष्णु जी ने कठोर तप किया। अंततः, भगवन विष्णु की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर देवी शक्ति प्रकट हुई। उनकी साधना से महात्रिपुरसुन्दरी प्रसन्न हुई। हरिद्रा सरोवर में जलक्रीडा करती हुई महापीताम्बरा देवी के ह्रदय से दिव्या तेज उत्पन्न हुआ जिससे कारण महाविनाशकारी तूफ़ान शांत हुआ।
इसलिए, यह कहना गलत नहीं है कि देवी बगलामुखी अपने जीवन में ज्ञान, शक्ति और भव्यता को बढ़ाने और सभी बाधाओं को दूर करने की शक्ति और सामर्थ्य रखती हैं।
माँ बगलामुखी की साधना से जीवन में सभी कष्टों का निवारण हो जाता है। साधारणत प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कुछ ना कुछ परशानियाँ और समस्याए चलती रहती है जिनके चलते वह बहुत परेशान हो जाते हैं। एक के बाद एक समस्याए चलती रहती हैं जिनसे पार लगना असंभव सा नज़र आता है। परन्तु, जो भी जातक माँ बगलामुखी की उपासना आराधना करता है उनको सभी कष्टों का निवारण स्वत ही होता जाता है। उनको पता ही नहीं चलता की कब परेशानी आई और कब चली गयी।
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