हम अपने जीवन में जाने या अनजाने निरंतर ही उपाय Remedies करते रहते हैं। उपाय हमे कष्टों को सहने की शक्ति मिलती है और हम सकारात्मकता की ओर अग्रसर हो जाते है। यदि हम सुबह उठकर अपने माता पिता के चरण छूते हैं उनका आशीर्वाद लेते हैं तो यह भी एक उपाय ही है। ऐसा करने से हमारे दिन भर के कार्यो में सफलता मिलती है।
इसी तरह, हम जीवन में आगे बढ़ने के मार्ग प्रशस्त हो जाते है। जो निश्चित है उसे कोई बदल नही सकता परन्तु उपाय करने से ग्रहों के दुष्प्रभावो में कमी आ जाती है। हम पूजन पाठ, जप, तप, ध्यान, योग, संकल्प, विकल्प आदि के माध्यम से ग्रहों के प्रभावों को कम या ज्यादा कर सकते है, परन्तु घटना को टाला नहीं जा सकता है।
मान लीजिये हम कही जा रहे है और रास्ते में हमें दिखाई देता है की आगे बारिश हो रही है तो हम बारिश को तो रोक नही सकते परन्तु हम बारिश से बचने के लिए छाते का इस्तेमाल कर सकते है ये भी एक उपाय ही है।
हमे कुंडली में दिखाई देता है की आगे आने वाले में हमारे साथ कोई बड़ी दुर्घटना होने वाली है जैसे की बस या ट्रक आदि से एक्सीडेंट। तो हम उस होने वाली को टाल नही सकते क्यूंकि ये हमारे बस में ही नहीं है ये तो ईश्वर द्वारा निश्चित है।
परन्तु, अगर हमे कुंडली या किसी अन्य ज्योतिषीय विद्या के माध्यम से ये ज्ञात हो जाता है की किस ग्रह, नक्षत्र या कुंडली में स्थित किसी दुर्योग के द्वारा ऐसा होने वाला है तो हम उन ग्रहों से सम्बंधित उपाय कर सकते है जैसे की पूजन अनुष्ठान, दान, जप आदि। ऐसा करने से हमरा मन प्रबल हो जाता है साथ ही सकारात्मक उर्जा हमारे मन और शारीर में निरंतर बनी रहती है।
जैसे की कुछ लोगो को निर्णय लेने में परेशानी होती है उनको लगता है की वो हमेशा दोराहे पर खड़े है सामने बहुत अच्छा अवसर है जिससे उनका जीवन प्रगति की और अग्रसर हो और ऊँचाइयों को छू सके। ऐसे लोगो की कुंडली में अक्सर चन्द्रमा पीड़ित होता है तो ऐसे लोगो को चन्द्र की कुंडली में स्थिति के अनुसार उपाय करने चाहिए।
यदि घर में भूत प्रेत का साया हो तथा किसी भी तरह कम नही हो रहे हों तो सोमवार प्रात: 4 बजे उठ कर शिवलिंग पर जाकर पहले जल चढ़ाना चाहिए फिर ११ बेलपत्र, ११ फल तथा ११ फूल चढ़ाकर अपने सामने एक 5 मुखी रुद्राक्ष रखकर वहीँ बैठकर शिवाष्टक स्त्रोत के ११ पाठ करने चाहिए तत्पश्चात यह रुद्राक्ष गले में धारण कर लेना चाहिए। यह उपाय करोड़ों में एक है यह उपाय वर्ष में सिर्फ एक बार करने से ही अतुलित खुशियाँ प्राप्त होती हैं।
पारद शिव लिंग का दूध से अभिषेक कर पूजा उपासना करें। यह क्रिया श्रावण मास के प्रथम सोमवार से शुरू करें और नियमित रूप से करते रहें, असाध्य से असाय रोगों से मुक्ति मिलेगी।
शनिवार एवं मंगलवार को नियमित रूप से हनुमान जी के चरणों के सिंदूर का तिलक करें, सिर दर्द से मुक्ति मिलेगी।
पीलिया एक खतरनाक बीमारी है। इससे मुक्ति और बचाव के लिए गुरुवार को सूर्योदय या सूर्यास्त के समय पुनर्नवा की जड़ गले में धारण करें।
लकड़ी की डिब्बी में पीला सिंदूर रखकर उसमें गोमती चक्र रखें, घर में धन का आगमन होगा और जीवन सफल होगा।
किसी उच्च अधिकारी से कार्य करवाना हो या कोर्ट कचहरी में कार्य हेतु जाना हो तो गुंजा की जड़ जेब में रखकर जाएं, सफलता मिलेगी।
यदि जातक विभिन्न ग्रहों के दुष्प्रभाव से पीड़ित रहता है तो भी नौकरी में परेशानी आती है। इसके निराकरण लिए घर पर नवग्रह हवन या मंदिर में नवग्रह अभिषेक करवाना चाहिए। इसके प्रभाव से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। नवग्रह हवन व अभिषेक से राहु-केतु के दोषों से भी मुक्ति मिलती है।
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