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भारत-चीन सीमा विवाद पर ज्योतिषीय दृष्टि- जानें कब सुधरेगी स्थिति

भारत-चीन के बीच चल रहा सीमा विवाद कोई नई कहानी नहीं है। यह कहानी बहुत लंबे टाइम से चली आ रही है वक्त के साथ-साथ इसमें नए अध्याय जुड़े जा रहे हैं। एक समय ऐसा भी था जब हिंदी चीनी भाई-भाई का नारा खूब चला लेकिन इस नारे को चलाने वाले यह भूल गए कि आधुनिक दौर में भाई-भाई का सबसे बड़ा दुश्मन है। वर्तमान समय में एक बार फिर भारत चीन के बीच सीमा विवाद जारी है और ऐसे में जनता में सवालों की एक लंबी लिस्ट है।

क्या भारत चीन के बीच जंग होगी? चीन भारत के हिस्से पर कब्जा कर लेगा? क्या भारत की सेना में इतना दम है कि वह चीन की सीमा को पस्त कर सके? इसी तरह के कई सवाल आज भारत की जनता के मस्तिष्क में है इन्हीं सवालों पर आज हम इस लेख में चर्चा करेंगे राजनीति के साथ-साथ हम ज्योतिषीय कारणों पर भी नजर डालेंगे।

आर्ट आफ वार

जिस तरह भारत में चाणक्य नीति को राजनीति का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है उसी तरह चीन में लगभग 500 साल पहले एक फौजी जनरल सुन जु ने आर्ट ऑफ वॉर नाम की किताब लिखी थी। इस किताब में बताया गया था कि किस तरह दुश्मन को परास्त किया जाए। जो सबसे मुख्य बात इस पुस्तक में थी वह यह थी कि ‘बिना लड़े ही दुश्मन को पस्त कर दो’ यानि कि उसे इस तरह से परेशान करो कि वह बिना लड़ाई के ही आपके सामने घुटने टेक दे। 

चीन भी शायद इसी रणनीति के साथ आगे बढ़ रहा है चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग बिना किसी देश का नाम लिए हुए कहते हैं कि सेना लड़ाई के लिए तैयार रहे। हालांकि चीन के रणनीतिकारों ने शायद चाणक्य नीति नहीं पढ़ी जिसमें चाणक्य कहते हैं कि दुश्मन का समूल विनाश कर दो ताकि दोबारा कभी वापस न पाए। भारत पहले अपनी रक्षात्मक सैन्यनीति के लिए जाना जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं है भारत ने चीन के मंसूबों को देखते हुए आक्रामक रूख अपना लिया है और तीन प्राथमिक थियेटर कमांड बनाने की तैयारी शुरु कर दी है। भारत का मंतव्य साफ है कि अगर चीन इस बार भारत से उलझता है तो उसके साथ कुछ ऐसा किया जाए जिससे वे भविष्य में भारत की जमीन की तरफ आंख उठाने से भी डरे। 

क्या है चीन की रणनीति

राजनीतिक जानकारों की मानें तो चीन ने भारतीय सीमाओं पर जानबूझकर सैनिक गतिविधियां बढ़ाई हैं। इसका सबसे बड़ा कारण तो यह है कि कोरोना वायरस महामारी का सारा दोष उसके ऊपर मढ़ा जा रहा था। दुनिया के साथ-साथ चीन की जनता भी अपने शासकों के प्रति शक करने पर मजबूर थी। ऐसे कई वीडियोज् और खबरें विश्व मीडिया में छाई जिन्होंने चीन के भद्दे चेहरे को दिखाया।

चीन के पास दुनिया से लड़ने के लिए भले ही हथियार हों लेकिन अपने देश के नागरिकों को संतुष्ट करने के लिए या उनको चुप करने के लिए कोई हथियार चाहिए था। भारत भी लगातार चीन को कोरोनावायरस को लेकर घेर रहा था ऐसे में चीन ने सुरक्षात्मक रवैया अपनाने की बजाय आक्रामक रवैया अपनाया और भारतीय सीमाओं पर गश्त बढ़ा दी। इसके साथ ही एक कारण यह भी है कि बढ़ती जनसंख्या के कारण चीन अपनी सीमाओं का विस्तार करना चाहता है और पूरी दुनिया में अपना दबदबा बनाना चाहता है।

विवाद कब से शुरु हुआ

वर्तमान में जो सीमा विवाद उभरकर आया है वह अप्रैल माह से शुरु हुआ। भारत और चीन के बीच जो लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल है उसके आस पास चीन के सैनिक और ट्रकों में इजाफा हुआ। मई में चीनी सैनिकों की गतिविधि और बढ़ी। मामला इतना गंभीर होता चला गया कि सेनाध्यक्ष जनरल नरावणे को वास्तविक स्थिति का पता करने उस इलाके का दौरा करना पड़ा। इसके बाद स्थिति में और गंभीरता आई जब जिनपिंग ने अपनी सेना को तैयार रहने का आदेश दे दिया। इसके बाद दिल्ली में भारत के सनाध्यक्षों के बीच मीटिंग भी हुई। देखते ही देखते यह मामला अंतराष्ट्रीय मुद्दा बन गया और अमेरिका ने इस मुद्दे में मध्यस्थता करने की बात भी कह डाली। 

क्या कहते हैं जानकार

इस मामले पर अपनी बात रखते हुए एक रक्षा जानकार ने यह कहा कि, चीन की बौखलाहट की वजह सड़कों का निर्माण हो सकता है। बता दें कि भारत ने बीते समय में इस इलाके में सड़कों का निर्माण किया है। उन्होंने आगे कहा कि गलवान घाटी अब हॉटस्पाट बन चुकी है क्योंकि भारत ने यहां शियोक नदी से लेकर दौलत बेग ओल्डी तक सड़क निर्माण कर दिया है। यह उस क्षेत्र का दुर्गम स्थानों में से एक है। 

पूर्व सेनाध्यक्ष वीपी मालिक का मानना है कि चीन की रणनीति को समझाते हुए कहा है कि चीन रेंगते हुए आगे बढ़ना चाहता है और जिन इलाकों को लेकर विवाद है उसे अपने कब्जे में लेना चाहता है। 

हालांकि भारत अब चीन की हर गतिविधि पर पैनी नजर बनाए हुए है और चीन की किसी भी गलत हरकत का चीन मुंहतोड़ जवाब दे सकता है। 

ज्योतिषीय दृष्टि

वर्तमान में भारत की चंद्रमा-शनि-सूर्य की दशा चल रही है जोकि नवंबर तक रहेगी। जिसके कारण भारत को कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। शनि भारत की कुंडली में बाधकेश है और बाधकेश की अंतर्दशा के कारण भारत की परेशानियां और बढ़ेंगी। चूंकि शनि भारत की कुंडली में तृतीय भाव में है और यह भाव पड़ोसी देशों के बारे में भी जानकारी देता है इसलिए पड़ोसियों से भारत को दिक्कतें आ सकती हैं। जोकि आ भी रही हैं सिर्फ चीन ही नहीं नेपाल भी इस समय भारत की सीमाओं पर उपद्रव कर रहा है और पाकिस्तान तो हमेशा से ही भारतीय सीमाओं पर आतंकी गतिविधियां करता रहता है। 

भारत की कुंडली

कुंडली में षष्ठेष (शुक्र) भी बाधकेश यानि शनि के साथ विराजमान है इसलिए स्थिति और भी चिंताजनक नजर आ रही है। बाधकेश की अंतर्दशा होना और षष्ठेष का उसके साथ होना यह दर्शाता है कि सरकार को भी कई फैसलों को लेकर परेशानियां आ सकती हैं। 

संवाद स्थापित करने में दिक्कतें

चंद्रमा और शनि की दशा होने की वजह से भारत को दूसरे देशों के साथ संवाद स्थापित करने में भी दिक्कतें आएंगी जो कि वर्तमान में हो भी रहा है। भारत जिस तरह से अपनी बातों को अन्य देशों को समझाना चाहता है उस तरह से शायद बात को समझा न जाए।

चंद्रमा-शनि-सूर्य की वर्तमान दशा में आत्मा का कारक ग्रह सूर्य और मन का कारक ग्रह चंद्रमा दोनों ही शनि से प्रभावित हैं, जिसके कारण जनता को भी इस दौरान परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। कारोना वायरस के प्रकोप ने यह स्थिति साफ भी कर दी है। इसके साथ ही सरकार का कारक ग्रह सूर्य भी शनि से प्रभावित है इसलिए सरकार कई बार असमंजस की स्थिति में पड़ सकती है। 

कब सुधरेगी स्थिति

नवंबर के बाद जब चंद्रमा-शनि-चंद्रमा की दशा शुरु होगी तब भी भारत को थोड़ी बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा लेकिन इसके बाद जब जनवरी 2021 में चंद्रमा-शनि-मंगल की दशा आएगी तो स्थितियां सुधरेंगी। मंगल भारत की कुंडली में मजबूत स्थिति में है इसलिए इस दौरान भारत को कई देशों का समर्थन प्राप्त हो सकता है खासकर जिन देशों में ठंड अधिक होती है क्योंकि शनि ठंडे प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में यूरोपीय देश, अमेरिका और रूस भारत को अपना समर्थन दे सकते हैं और भारत चीन-पाकिस्तान से से चल रहे विवादों को इस दौरान निपटा सकता है।

ज्योतिषीय दृष्टि से भारत की कुंडली का आकलन करने से यह पता चलता है कि वर्तमान में भारत सरकार को चीन के साथ-साथ अन्य पड़ोसियों के साथ बी दिक्कतें आ सकती हैं। हालांकि यह स्थिति जनवरी 2021 में सुधरेगी और भारत को कई देशों का समर्थन प्राप्त होगा। तब तक भारत को हर कदम बहुत सावधानी के साथ रखना होगा।    

यह भी पढ़ें- स्वामी विवेकानंद की कुंडली- जानें स्वामी जी के जीवन के रहस्य

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