चाणक्य, चन्द्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में महामंत्री थे और इनकी तीक्ष्ण बुद्धि और तार्किक शक्ति के लिए इनको जाना जाता था। आज भी राजनीति, अर्थशास्त्र, नीतिशास्त्र और अर्थनीति पर लिखे इनके ग्रंथों का अध्ययन किया जाता है। इनको कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता था, वे तक्षशिला के रहने वाले थे यह जगह अब रावलपिंडी (पाकिस्तान) के पास है।
चन्द्रगुप्त के शासन काल के दौरान ये प्रसिद्ध विद्वानों में शामिल थे। अपनी विद्वता का परिचय देते हुए इन्होंने अपनी रचना नीतिशास्त्र में कुछ ऐसी बातें बताई हैं जो आज के दौर में भी प्रासंगिक हैं। आज अपने इस लेख में हम आपको उन चीजों के बारे में बताएंगे जिनका अपमान करना चाणक्य सही नहीं मानते थे।
चाणक्य नीति के अनुसार व्यक्ति को कभी भी अन्न का अपमान नहीं करना चाहिए। यही नहीं कौटिल्य के अनुसार अत्यधिक अन्न का उपभोग करना भी गलत है। जो भी व्यक्ति अन्न का अनादर करता है उसे जीवन में दुख, निर्धनता का सामना करना पड़ता है।
कौटिल्य चाणक्य नीति में कहते हैं कि धन को कमाने में मेहनत करनी पड़ती है इसलिए हमें इसको व्यय करने में भी सावधानी बरतनी चाहिए। जो आय-व्यय में संतुलन नहीं बना सकता वह जीवन में कई कष्टों का सामना करता है, इसलिए धन का अनादर करने से भी हमेशा व्यक्ति को बचना चाहिए।
चाणक्य कहते हैं कि किसी भी तरह की औषधि का सेवन करने से पहले उसके बारे में जानकारी अवश्य ले लेनी चाहिए। यदि हम सही औषधि का सेवन करते हैं तो निश्चित ही हमारा स्वास्थ्य सही होगा वहीं अगर गलत औषधि का सेवन हमारे द्वारा हो जाए तो व्यक्ति के प्राण भी संकट में पड़ सकते हैं। इसलिए औषधियों का ज्ञान और सही तरीके से उनका सेवन करना जरुरी है।
यदि आप किसी भी तरह का धार्मिक कार्य कर रहे हैं तो चाणक्य नीति के अनुसार उसमें बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। यदि धार्मिक कार्य को करते दौरान किसी भी तरह की कोई गलती हो जाती है तो इससे भारी नुक्सान उठाना पड़ सकता है। यही नहीं धार्मिक कार्यों में अगर किसी तरह की गलती हो जाए तो सामाजिक रूप से भी व्यक्ति को दिक्कतें हो सकती हैं।
हमारे प्राचीन ग्रंथों में गुरू को भगवान से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है। चाणक्य भी इसी बात को कहते हैं, चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को हमेशा अपने गुरू के आदेश का पालन करना चाहिए। जो भी व्यक्ति अपने गुरू का निरादर करता है उसके जीवन में कभी सुख नहीं मिलता और हमेशा उसे कष्टों का सामना करना पड़ता है।
आज के दौर में भी आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई शिक्षाएं प्रासंगिक हैं इन शिक्षाओं को यदि व्यक्ति आज भी पालन करे तो की मुश्किल परिस्थितियों से अपने आपको बचा सकता है। इन शिक्षाओं का मूल उद्देश्य व्यक्ति के जीवन को सरल और सुरक्षित बनाना है। इन शिक्षाओं के साथ ही चाणक्य ने स्वधर्म का पालन करने की, सामाजिक दायित्वों को पूरा करने की, जनता के कल्याण के लिए कार्य करने की, स्त्रियों का आदर करने की भी शिक्षाएं दी हैं।
उनके सम्यक ज्ञान,सही नीति और प्रखर बुद्धि ने ही उन्हें उस दौर का सबसे विद्वान व्यक्ति बनाया था। यह उनकी प्रतिष्ठि ही है कि आज भी कई राजनेताओं जो अपनी बुद्धि से सत्ता पर काबिज हैं उन लोगों को भी चाणक्य कहा जाता है।
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