ज्योतिष के अनुसार कुल 9 ग्रह होते है, जो किसी न किसी रूप में व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव डालते है|अगर ग्रहो की चाल सही न हो, तो ऐसी परिस्थिति में वो व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से भी प्रभावित कर सकते है|
वर्तमान के परिपेक्ष में देखे तो विश्व के कई देश कोरोना वायरस की चपेट में है| भारत में भी इसके कई मामले देखने को मिल गए है| लेकिन, इसकी शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई थी और चीन के ही ज्यादातर इलाको में इसका प्रकोप भी है|
इस लेख में हम ज्योतिषीय दृष्टि कोण के अनुसार, विश्लेषण करेंगे की कोरोना वायरस के फैलने के पीछे मुख्यतः क्या कारण थे? भारत में इसका प्रभाव कैसा होगा और साथ में हम कुछ ज्योतिषीय उपाय भी बताएँगे जिससे हम इसके प्रकोप से खुद को सुरक्षित रख सकते है|
कोरोना वायरस और ग्रहो की युति
कोरोना वायरस लगभग पूरे विश्व में फैला हुआ है| ग्रहण काल से ही कुछ अंदेशा था क्योंकि, यह कहीं न कहीं राहु और केतु से जुड़ा हुआ है|
गुरु जीव कारक ग्रह है और वह काफी समय से राहु से दृष्ट है और केतु के साथ है वह भी सप्तम दृष्टि से| यह बात अलग है कि राहु को तीसरी दृष्टि दी गई है फिर भी इसकी सप्तम दृष्टि सबसे ज्यादा प्रभावी होती है यह प्राय अनुभव किया जाता रहा है|
राहु इस समय अपनी उच्च राशि में गोचर कर रहा है| अतः उनके नकारात्मक और सकारात्मक फल ज्यादा प्रभावी होना स्वाभाविक है|
वर्तमान राहु गोचर को देखा जाए तो, जब से राहु आद्रा नक्षत्र में गोचर रत हुए हैं तब से यह बीमारी ज्यादा प्रभाव में आई है| क्योंकि, यह नक्षत्र स्वयं राहु का नक्षत्र हैl अतः इस नक्षत्र में राहु ज्यादा ही प्रभावी होता है| हिंदू मान्यता के अनुसार आद्रा नक्षत्र का संबंध गुरु की दूसरी पत्नी तराका के साथ है जिसे ब्रह्मा से अखंडनीयता का वरदान प्राप्त है| तराका को कथा में एक असुर बताया गया है|
राहु मिथुन राशि में है जो काल पुरुष की कुंडली का तृतीय भाव है, जो छोटी यात्रा और जनसंपर्क का भाव कहा गया है| करोना के फैलने का कारण यही है|
राहु की सप्तम दृष्टि नवम भाव यानी धनु पर है, जिसका संबंध धर्म और लंबी यात्रा और सामूहिक समारोह का भी है| अतः यह महामारी लोगों को इससे रोक रही है। राहु का आद्रा नक्षत्र में गोचर 22 अप्रैल तक है| अतः तब तक सतर्क रहने की आवश्यकता है। सतर्क रहें और स्वस्थ रहें|
इसके राहु के अलावा इसे केतु से भी जोड़ कर देखा जा सकता है क्योंकि, केतु एक वायरस है जो जहरीले जानवर से उत्पन्न होता है| “WORMS” या “disease caused by worms” का कारक केतु है|
अभी वर्तमान में केतु, गुरु के ऊपर गोचर कर रहा है जो जीव कारक है| गुरु जिसके कारण प्रत्येक जीव जो मनुष्य है वह डरा हुआ है|
केतु सिर्फ रोग देता है, इसे फैलाने का काम राहु और अरुण का है| केतु और अरुण दोनों एक दूसरे से त्रिकोण भाव में बैठे हुए हैं|
अरुण, केतु के नक्षत्र में गोचर कर रहा है और यह 11 मई तक केतु के नक्षत्र में रहेगा| यह वायरस चमगादड़ से आया है, चमगादड़ बुध है और, उसी से बना है यह वायरस यानी केतु का बिगड़ा रूप| यानी अरुण + बुध +केतु+ राहु=corona virus
क्या होगा भारत पर प्रभाव?
भारत की जन्म कुंडली के आधार पर, आइये समझते है की भारत के निवासियों को कोरोना वायरस कितना प्रभावित करेगा ?
जन्म तिथि: 15 अगस्त 1947 समय: 12:00 बजे जन्म स्थान: दिल्ली
भारत की कुंडली, वृषभ लग्न और कर्क राशि बनती है| भारत देश का जो कुटुम है, जो परिवार है भारत वासियों का उस पर राहु का भ्रमण चल रहा है और जो जनता का भाव है उस पर अष्टमेश गुरु की दृष्टि है| इसलिए यह परेशानी 30 मार्च तक रहेगी लेकिन रोग भाव का स्वामी शुक्र है|वह खर्च भाव में है इसलिए भारत वासियों को डरने की आवश्यकता नहीं है| क्योंकि, रोग जो है वह निरस्त हो रहे है|
*कोरोना वायरस मानव समाज के इतिहास की सबसे बड़ी विभीषिका साबित होती अगर, इसका केंद्र चीन के बजाय भारत में होता।
कब होगी स्थिति सामान्य?
11 मई को अरुण ग्रह, शुक्र के नक्षत्र में गोचर करेगा|
22 अप्रैल से विश्व भर में स्थिति सामान्य होती हुई दिखाई देती है लेकिन पूर्णतया 11 मई को समाप्त हो जाएगी|
कोरोना वायरस: ज्योतिषीय उपाय
वैदिक ज्योतिष का स्थान ज्योतिष शास्त्र में उच्चतम इसीलिए है, क्यूंकि इसमें हर समस्या से निजात पाने के लिए कुछ ज्योतिषीय समाधान भी दिए गए है| आइये जानते है कोरोना वायरस जैसे महामारी के क्या समाधान बताये गए है:
नीलकंठ महादेव का ध्यान करें| क्यूंकि जो विष फैल रहा है वही उससे से मुक्ति दिला सकता है| ओम नमः शिवाय का जाप करें|
जीव कारक गुरु को प्रबल करें| हल्दी का उपयोग करें और दूध में हल्दी का सेवन करें|
चीटियों और मछलियों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाएं|