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कोरोना वायरस से बचने के लिए प्रत्येक राशि के लिए एस्ट्रोलॉजिकल रेमेडी

कोरोना के बारे में काफी कुछ जानने के बाद में मेरा यह सुझाव है कि कुंडली के अंदर जो पहला भाव होता है वह हमारे आतंरिक सहनशीलता अथवा इंटरनल स्टैमिना को दर्शाता है। लग्न कुंडली के अंदर जो कुंडली का लग्न स्थान होता है वह हमारे शारीरिक सुख का होता है। यह हमारी इंटरनल स्टैमिना का प्रतिनिधित्व करता है। साथ ही, यह रोग प्रतिकारक शक्ति काे रिप्रेजेंट करता है। देखा जाए तो कोरोना के अंदर यही सबसे महत्वपूर्ण बात है अगर आपकी रोग प्रतिकारक शक्ति अच्छी है तो आप इस वायरस से मुकाबला करने के लिए सक्षम हो जाएंगे। मैं यहां पर लग्न के अनुसार कौन से मंत्र का जप करना चाहिए यह सलाह देना चाहूंगा-

मेष लग्न

मेष लग्न का अधिपति मंगल ग्रह होता है वर्त्तमान समय में गोचर के अंदर मंगल अभी धनु राशि से पसार हो रहे हैं। लग्न कुंडली से अगर देखा जाए तो वह कुंडली के नवम भाव से में स्थित हैं। यह अपने आप में अच्छी बात है तो 22 मार्च 2020 तक मेष लग्न के जातकों को कोई परेशानी नहीं है। 22 मार्च 2020 से लेकर 4 मई 2020 तक वह मकर राशि में स्थित होंगे।

वैसे शनि के साथ में चलेंगे लेकिन अपनी उच्च राशि में स्थित होंगे तो यह समय भी मेष लग्न वालों के लिए कुछ नकारात्मक नहीं है। 4 मई 2020 से लेकर 18 जून 2020 तक वह कुंभ राशि में स्थित होंगे। इस समय पर भी वह कुंडली के ग्यारहवें भाव में होंगे। इसलिए, यह भी उनके लिए कोई खतरे जनक स्थिति नहीं है। 18 जून 2020 से लेकर 16 अगस्त 2020 के बीच में वह कुंडली के 12 वें भाव में होंगे। इस समय अगर यह कोरोना का प्रहार चलता है तो नकारात्मक स्थिति हो सकती है।

इस समय पर आपकी रोग प्रतिकारक शक्ति कम होगी इस समय पर सावधानी बरतने की आवश्यकता पड़ेगी। मेष लग्न वाले जातक को कोरोना से बचने के लिए मंगल के मंत्र की उपासना करनी चाहिए। मंगल देव का एक छोटा सा मंत्र है ॐ अंगारकाय नमः इस मंत्र को हर दिन सुबह नहा धोकर तैयार हो जाये। तत्पश्चात पूर्व दिशा की ओर देखते हुए 108 बार मंत्र जप करें।

व्रुशभ लग्न

इस लग्न के जातक को 28 मार्च 2020 तक ध्यान रखने की आवश्यकता है। तब तक इनकी कुंडली के अंदर शुक्र लग्नेश होकर कुंडली के 12 वें भाव में होंगे। इस समय पर इनका इंटरनल स्टैमिना मतलब कि रोग प्रतिकारक शक्ति कम हो सकती है। 28 मार्च 2020 से लेकर 1 अगस्त 2020 तक शुक्र वृषभ राशि में होंगे। यहां पर अधिक चिंता करने वाला कोई विषय बनेगा।

इस समय पर लग्नेश लग्न स्थान से पसार होंगे तो ज्यादा चिंता करने का कोई विषय नहीं बनता है। वृषभ लग्न वाले को शुक्र के मंत्र की उपासना करनी चाहिए शुक्र देव का एक छोटा सा मंत्र है ओम शुम शुक्राय नमः। प्रतिदिन सुबह नहा धोकर तैयार हो जाये तत्पश्चात इस मंत्र को पूर्व दिशा की ओर अपना मुख रखकर 108 बार जप करें।

मिथुन लग्न

इस लग्न का अधिपति ग्रह बुध होता है वर्तमान गोचर के अंदर राहु वहां स्थित हो रहे हैं गुरु की स्थिति राहु के सामने से 30 मार्च 2020 के बाद में चली जाएगी। राहु बुध की राशि में प्रबल बनाने का काम करता है। परंतु बुध 7 अप्रैल 2020 से लेकर 25 अप्रैल 2020 के बीच में अपनी नीच राशि में होंगे।

मीन राशि से इस समय पर लग्नेश की स्थिति दुर्बल हो जाएगी तो मिथुन लग्न के जातक को इस समय सबसे ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता पड़ेगी। इस लग्न के जातक को बुध के मंत्र की उपासना करनी चाहिए। बुध देव का एक छोटा सा मंत्र है ॐ बूम बुधाय नमः। प्रतिदिन सुबह नहा कर तैयार हो जाये और इस मंत्र को पूर्व दिशा की ओर मुख कर के 108 बार जप करें।

कर्क लग्न

इस समय कर्क लग्न के जातक को सबसे ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता है क्योंकि कर्क लग्न का अधिपति ग्रह चंद्र होता है और वह तकरीबन सवा 2 दिनों में अपनी राशि को परिवर्तन करता है।

चंद्र एलर्जी का भी प्रतिनिधित्व करता है। तो ऐसी स्थिति के अंदर आपको सबसे ज्यादा ध्यान रखने की आवश्यकता पड़ेगी। कर्क लग्न वाले जातकों को चंद्र के मंत्र की उपासना करनी चाहिए। चंद्र देव का एक छोटा सा मंत्र है ओम सोम सोमाय नमः। प्रतिदिन सुबह नहा कर तैयार हो जाये और इस मंत्र को पूर्व दिशा की ओर मुख कर के 108 बार जप करें।

सिंह लग्न

सिंह लग्न का अधिपति ग्रह सूर्य होता है। वर्तमान गोचर के अंदर सूर्य मीन राशि से पसार हो रहे हैं जो कुंडली के आठवीं भाव में स्थित हो रहे हैं। सिंह लग्न वाले जातक को 14 अप्रैल 2020 तक ध्यान रखने की आवश्यकता है उसके बाद में 16 जुलाई 2020 से लेकर 16 अगस्त 2020 के बीच में कर्क राशि से पसार होंगे जो कुंडली के 12 वें भाव में होंगे। इस समय पर अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता पड़ेगी।

इस लग्न वाले जातकों को सूर्य के मंत्र की उपासना करनी चाहिए सूर्य नारायण देव का एक छोटा सा मंत्र है ॐ घृणि सूर्याय नमः। कोरोना रेमेडी के तौर पर प्रतिदिन सुबह नहा कर तैयार हो जाये और इस मंत्र को पूर्व दिशा की ओर मुख कर के 108 बार जप करें।

कन्या लग्न

कन्या लग्न का अधिपति ग्रह बुध होता है इस लग्न के जातक को सबसे ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता पड़ेगी क्योंकि अभी वर्तमान गोचर के अंदर बुध कुंडली के छठे भाव में होंगे और 7 अप्रैल 2020 से लेकर 25 अप्रैल 2020 के बीच में नीच राशि में होंगे। उसके बाद में 25 अप्रैल 2020 से लेकर 9 मई 2020 तक मेष राशि में होंगे जो कुंडली के आठवें भाव में होंगे।

9 मई 2020 बीत जाने के बाद में ज्यादा परेशानी नहीं है तो आप लोगों को 9 मई 2020 तक सबसे ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता पड़ेगी। कन्या लग्न वालों को बुध के मंत्र की उपासना करनी चाहिए बुध का एक छोटा सा मंत्र है ॐ बूम बुधाय नमः। प्रतिदिन सुबह नहा कर तैयार हो जाये और इस मंत्र को पूर्व दिशा की ओर मुख कर के 108 बार जप करें।

तुला लग्न

इस लग्न के जातक को देखा जाए तो लग्नेश शुक्र होकर कुंडली के आठवें भाव में होंगे। वैसे ज्योतिष के अंदर एक योग ऐसा है कि जब कोई भी ग्रह अपनी ही राशि में चलता है तो इतना ज्यादा नकारात्मक असर नहीं देता है फिर भी इस समय पर सावधानी बरतने की आवश्यकता रहेगी। 28 फरवरी 2020 से लेकर 1 अगस्त 2020 के बीच में कुंडली के आठवें घर से पसार होंगे तो आपको ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता रहेगी।

तुला लग्न वालों को शुक्र के मंत्र की उपासना करनी चाहिए शुक्र देव का एक छोटा सा मंत्र है ओम शुम शुक्राय नमः। प्रतिदिन सुबह नहा कर तैयार हो जाये और इस मंत्र को पूर्व दिशा की ओर मुख कर के 108 बार जप करें।

वृश्चिक लग्न

इस लग्न का अधिपति ग्रह मंगल होते हैं। 22 मार्च 2020 से लेकर 4 मई 2020 तक यह कुंडली के तीसरे भाव में होंगे। यह कोई चिंता का विषय नहीं है। 4 मई 2020 से लेकर 18 जून 2020 के बीच में कुंभ राशि में होंगे। इस दौरान खाने पीने की चीजों से सावधानी बरतने की आवश्यकता पड़ेगी। यह थोड़ा सा नाजुक समय होगा उसके बाद में चिंता करने वाला नहीं लगता है।

वृश्चिक लग्न का अधिपति ग्रह मंगल होता है तो आप मंगल के मंत्र की उपासना करिए मंगल देव का एक छोटा सा मंत्र है ॐ अंगारकाय नमः। प्रतिदिन सुबह नहा कर तैयार हो जाये और इस मंत्र को पूर्व दिशा की ओर मुख कर के 108 बार जप करें।

धनु लग्न

इस लग्न का अधिपति ग्रह गुरु है। इस लग्न वाले जातकों को भी सावधानी बरतने की आवश्यकता है। गुरु अभी राहु के सामने स्थित हो रहे हैं और उसके बाद में 30 मार्च 2020 से लेकर 30 जून 2020 के बीच में अपनी नीच राशि में होंगे। वैसे कुंडली के दूसरे भाव में होंगे और कुंडली के छठे भाव के ऊपर और आठवें भाव के ऊपर शासन करेंगे जो रोग के सामने रक्षा का काम करेगा। परंतु केतु धनु राशि में होंगे तो आप को सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

धनु लग्न वाले जातकों को केतु और गुरु दोनों के मंत्र की उपासना करनी चाहिए। गुरु का एक छोटा सा मंत्र है ओम ब्रिम बृहस्पतये नमः। और केतु देव का एक छोटा सा मंत्र है ओम क्लीम केतुए नमः। प्रतिदिन सुबह नहा कर तैयार हो जाये और इस मंत्र को पूर्व दिशा की ओर मुख कर के 108 बार जप करें।

मकर लग्न

मकर लग्न का अधिपति ग्रह शनि होते हैं और यह कुंडली के लग्नेश होकर लग्न स्थान में स्थित होंगे तो इस लग्न के जातकों के लिए समय ज्यादा परेशानी वाला नहीं है। मकर लग्न वालों को शनि देव के मंत्र की उपासना करनी चाहिए शनिदेव का एक छोटा सा मंत्र है ओम सम शनिश्चराय नमः। कोरोना रेमेडी के तौर पर प्रतिदिन सुबह नहा कर तैयार हो जाये और इस मंत्र को पूर्व दिशा की ओर मुख कर के 108 बार जप करें।

कुंभ लग्न

कुंभ लग्न वाले जातकों का अधिपति ग्रह शनि होता है और वह लग्नेश होकर कुंडली के 12 भाव में होंगे। इस लग्न वाले जातक को ध्यान रखने की आवश्यकता है वैसे शनि अपनी ही राशि में चल रहे हैं तो ज्यादा नकारात्मक फल नहीं देंगे फिर भी लग्नेश होकर वह व्यय स्थान में होंगे। तो ध्यान रखने की आवश्यकता पड़ेगी।

शनिदेव का एक छोटा सा मंत्र है ॐ शं शनिश्चराय नमः। कोरोना रेमेडी के तौर पर प्रतिदिन सुबह नहा कर तैयार हो जाये और इस मंत्र को पूर्व दिशा की ओर मुख कर के 108 बार जप करें।

मीन लग्न

मीन लग्न का अधिपति ग्रह गुरु है वैसे करंट ट्रांजिट के अंदर वह कुंडली के दसवें भाव पर और 11 भाव से पसार में होंगे। 30 मार्च 2020 से लेकर 30 जून 2020 के बीच में यह नीच राशि से पसार होंगे तो इस समय इनको ध्यान रखने की आवश्यकता पड़ेगी।

गुरु देव का एक छोटा सा मंत्र है ओम ब्रिम बृहस्पतये नमः। कोरोना रेमेडी के तौर पर प्रतिदिन सुबह नहा कर तैयार हो जाये और इस मंत्र को पूर्व दिशा की ओर मुख कर के 108 बार जप करें।

निष्कर्ष

इसके अलावा अगर आपकी लग्न कुंडली के अंदर लग्नेश अगर प्रबल स्थिति में है तो चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। अगर आपकी कुंडली के अंदर लग्नेश की स्थिति अच्छी नहीं है कुंडली के छठे भाव के अंदर आठवें भाव के अंदर या फिर कुंडली के बारहवें भाव में विराजमान है, जैसे की राहु या फिर केतु के साथ युति या प्रतियुति करके विराजमान हैं तो ऐसे जातक को सबसे ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता पड़ेगी।

मेरा स्वयं यह मानना है कि 22 मार्च 2020 से लेकर जो शनि और मंगल की युति होगी वह रिसर्च के लिए सबसे अच्छा समय माना जाएगा क्योंकि केतु गुरु की राशि में स्थित होंगे। गुरु और शनि का परिवर्तन योग हो रहा है और शनि और मंगल साथ में चलेंगे। 22 मार्च 2020 से लेकर 28 मार्च 2020 के आसपास मुझे ऐसा लगता है कि कोई ना कोई ऐसा रिसर्च मिल सकता है जिससे कोरोना का वैक्सिंग जैसा कुछ तैयार हो जाए।

सूर्य बुध और चंद्र हमारी पृथ्वी के ऊपर प्रकृति बनाए रखने का काम करते हैं। सूर्य 15 अप्रैल के आसपास अपनी उच्च राशि में होंगे। 25 अप्रैल के बाद में बुध भी सूर्य के साथ अच्छी स्थिती में होंगे तो ज्यादातर यह 25 अप्रैल 2020 के बाद में कोरोना आहिस्ता-आहिस्ता खत्म हो जाना चाहिए और इसका रास्ता 22 मार्च 2020 से लेकर 7 अप्रैल 2020 के बीच में मिल जाना चाहिए।

हो सकता है तो इस उपाय का पालन करने से आपको मदद मिल सकती है। इसे पूर्ण श्रद्धा से करने से काफी फर्क महसूस होगा।

आपका स्वास्थ्य अच्छा रहे ऐसी शुभ कामना के साथ धन्यवाद।

साथ ही आप पढ़ना पसंद कर सकते हैं मंगल गोचर 2020- प्रत्येक राशि पर प्रभाव एवं राशिफल

कोरोना वायरस और स्वस्थ्य सम्बन्धी समस्या के लिए ज्योतिषी राजा व्यास से परामर्श करें।

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