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मोर पंख के लाभ, और इससे दूर होने वाले दोष

मयूर, मोर, पिकॉक कितने खूबसूरत नाम है इस सुंदर से पक्षी के। जितना खूबसूरत यह दिखता है उतने ही खूबसूरत फायदे इसके पंखों के भी हैं। हमारे देवी -दवताओं को भी यह अत्यंत प्रिय हैं। मां सरस्वती, श्रीकृष्ण, मां लक्ष्मी, इन्द्र देव, कार्तिकेय, श्री गणेश सभी को मोर पंख किसी न किसी रूप में प्रिय हैं। पौराणिक काल में महर्षियों द्वारा इसी मोरपंख की कलम बनाकर बड़े-बड़े ग्रंथ लिखे गए हैं।मोर के विषय में माना जाता है कि यह पक्षी किसी भी स्थान को बुरी शक्तियों और प्रतिकूल चीजों के प्रभाव से बचाकर रखता है। यही वजह है कि अधिकांश लोग अपने घरों में मोर के खूबसूरत पंखों को लगाते हैं।

मोर पंख के ये है चमत्कारी लाभ

यदि आप दो मोरपंखी अपने पूजा-स्थल में रखेंगे तो पति-पत्नी का आपसी मनमुटाव दूर हो जाएगा। इसी प्रकार यदि पंचतत्वों का घर में सही इस्तेमाल नहीं हो रहा है व ऊर्जा का नकारात्मक प्रभाव अपने घर में महसूस करते हैं तो 5 मोरपंख पूजा स्थान में रखें, जल्दी ही उसका सुखद परिणाम भी देखेंगे।

अगर आपके घर का मुख्य द्वार पूर्व, उत्तर या ईशान दिशा में नहीं है व मुख्य द्वार पर अन्य किसी प्रकार का वास्तुदोष आ रहा है, जैसे वेध दोष आदि, तो आप अपने द्वार/चौखट के ऊपर एक बैठी हुई मुद्रा में गणेश जी लगाएं व उनके ऊपर तीन मोरपंखी लगाएं तो इससे आपके मुख्य द्वार के वास्तुदोष में भी कमी आयेगी।

मोरपंखी को जोड़कर 7 या 9 पंखों का एक गोल पंखा आप बाजार से लेकर अपने पूजा स्थान में शुक्ल पक्ष में रख दें व एक सप्ताह बाद उसको उठाकर अपने बेडरूम में अपने बेड के पीछे की दीवार पर सजावट के रूप में लगा दें। आप देखेंगे कि जल्दी ही पत्नी-बच्चे सभी से पारिवारिक तालमेल बहुत अच्छा हो जाएगा व जिन्दगी खुशहाल बनेगी।

बीमारी से निजात

यदि बीमारी पीछा नहीं छोड़ती, घर में किसी न किसी की दवाई आती रहती है तो गुरुवार को एक मोरपंखी अपनी मेडिकल फाइल में रख दें, इसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेगा।

यदि घर काफी बड़ा है व संयुक्त परिवार में रहते हैं तो एक बड़ा गोल वाला पंखा, जिसमें 11 या 15 या और ज्यादा मोरपंख हों, उसे अपने घर के ड्राइंग रूम में या डाईइंनग रूम में लगा सकते हैं, शीघ्र ही आपको संयुक्त परिवार में आपस में अच्छा सामंजस्य देखने को मिलेगा और आपस में अच्छे मधुर रिश्ते देखने को मिलेंगे।

जहां मोरपंख लगा हो, वहां कीड़े-मकोड़े, छिपकली, कॉकरोच तंग नहीं करते, जो घर में साफ-सफाई व अच्छी ऊर्जा के लिए अति आवश्यक है। यदि धन की समस्या आ रही है तो घर के आग्नेय कोण में अर्थात दक्षिण-पूर्व दिशा में अपनी कमर से ऊपर कंधे की ऊंचाई पर दो मोरपंखी शुक्ल पक्ष में लगायें, जल्दी ही धन प्राप्ति के नये अवसर प्राप्त होने लगेंगे।

यदि घर में कोई नवजात शिशु या छोटा बच्चा है, जो रात को चौंक जाता है, डरकर रोना शुरू कर देता है तो उसके सिरहाने के नीचे एक मोरपंखी तुरन्त रख दें, बच्चा चौंकना व डरना बंद कर देगा। ध्यान रखें, कभी भी टूटा हुआ यानी खंडित मोरपंख उपयोग में न लायें, वरना सही परिणाम नहीं मिल पायेंगे।

मयूर पंख से होते हैं हर ग्रह के दोष दूर

हिन्दू धर्म में मोर के पंखों का विशेष महत्व है। मोर के पंखों में सभी देवी-देवताओं और सभी नौ ग्रहों का वास होता है। ऐसा क्यों होता है, हमारे धर्म ग्रंथों में इससे संबंधित कथा है। भगवान शिव ने मां पार्वती को पक्षी शास्त्र में वर्णित मोर के महत्व के बारे में बताया है। प्राचीन काल में संध्या नाम का एक असुर हुआ था। वह बहुत शक्तिशाली और तपस्वी असुर था। गुरु शुकाचार्य के कारण संध्या देवताओं का शत्रु बन गया था।

संध्या असुर ने कठोर तप कर शिवजी और ब्रह्मा को प्रसन्न कर लिया था। ब्रह्माजी और शिवजी प्रसन्न हो गए तो असुर ने कई शक्तियां वरदान के रूप में प्राप्त की। शक्तियों के कारण संध्या बहुत शक्तिशाली हो गया था। शक्तिशाली संध्या भगवान विष्णु के भक्तों का सताने लगा था। असुर ने स्वर्ग पर भी आधिपत्य कर लिया था, देवताओं को बंदी बना लिया था। जब किसी भी तरह देवता संध्या को जीत नहीं पा रहे थे, तब उन्होंने एक योजना बनाई। योजना के अनुसार सभी देवता और सभी नौ ग्रह एक मोर के पंखों में विराजित हो गए। अब वह मोर बहुत शक्तिशाली हो गया था। मोर ने विशाल रूप धारण किया और संध्या असुर का वध कर दिया। तभी से मोर को भी पूजनीय और पवित्र माना जाने लगा।

ज्योतिष में मोर पंख का महत्व

ज्योतिष शास्त्र में भी मोर के पंखों का विशेष महत्व बताया गया है। यदि विधिपूर्वक मोर पंख को स्थापित किया जाए तो घर के वास्तु दोष दूर होते हैं और कुंडली के सभी नौ ग्रहों के दोष भी शांत होते हैं।

यहां जानिए सभी नौ ग्रहों के दोष दूर करने के लिए मोर पंख के उपाय

उपाय

यदि आप कुंडली में स्थित ग्रहों के बुरे प्रभाव दूर करना चाहते हैं या आपको मंगल शनि या राहु केतु बार-बार परेशान करते हों तो मोर पंख को 21 बार मंत्र सहित पानी के छीटे दीजिए। इसके बाद मोर पंख को घर में किसी श्रेष्ठ स्थान पर स्थापित कीजिए। यहां जानिए किस ग्रह के लिए कौन सा मंत्र जपना चाहिए…

(1)- सूर्य के लिए उपाय

रविवार के दिन नौ मोर पंख ले कर आएं और पंख के नीचे मैरून रंग का धागा बांध लेँ। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ नौ सुपारियां रखें गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।

ऊँ सूर्याय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:

– दो नारियल सूर्य भगवान को अर्पित करें।

(2)- चंद्र के लिए उपाय

सोमवार को आठ मोर पंख ले कर आएं, पंख के नीचे सफेद रंग का धागा बांध लेँ। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ आठ सुपारियां भी रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।

ऊँ सोमाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:

– पांच पान के पत्ते चंद्रमा को अर्पित करें। बर्फी का प्रसाद चढ़ाएं ।

(3)- मंगल के लिए उपाय

मंगलवार को सात मोर पंख ले कर आएं, पंख के नीचे लाल रंग का धागा बांध लेँ। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ सात सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें…

ऊँ भू पुत्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:

– दो पीपल के पत्तों पर चावल रख कर मंगल देव को अर्पित करें। बूंदी का प्रसाद चढ़ाएं।

(4)- बुध के लिए उपाय

बुधवार को छ: मोर पंख ले कर आएं। पंख के नीचे हरे रंग का धागा बांध लेँ। एक थाली में पंखों के साथ छ: सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।

ऊँ बुधाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:

– जामुन बुद्ध ग्रह को अर्पित करें। केले के पत्ते पर रखकर मीठी रोटी का प्रसाद चढ़ाएं।

(5)- गुरु के लिए उपाय

गुरुवार को पांच मोर पंख ले कर आएं। पंख के नीचे पीले रंग का धागा बांध लेँ। एक थाली में पंखों के साथ पांच सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।

ऊँ ब्रहस्पते नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:

– ग्यारह केले बृहस्पति देवता को अर्पित करें। – बेसन का प्रसाद बना कर चढ़ाएं।

(6)- शुक्र के लिए उपाय

शुक्रवार को चार मोर पंख ले कर आएं। पंख के नीचे गुलाबी रंग का धागा बांध लेँ। एक थाली में पंखों के साथ चार सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।

ऊँ शुक्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:

– तीन मीठे पान शुक्र देवता को अर्पित करें। – गुड़-चने का प्रसाद बना कर चढ़ाएं।

(7)- शनि के लिए उपाय

शनिवार को तीन मोर पंख ले कर आएं। पंख के नीचे काले रंग का धागा बांध लेँ। एक थाली में पंखों के साथ तीन सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें !

ऊँ शनैश्वराय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:

– तीन मिटटी के दिये तेल सहित शनि देवता को अर्पित करें। – गुलाब जामुन या प्रसाद बना कर चढ़ाएं ।

(8)- राहु के लिए उपाय

शनिवार को सूर्य उदय से पूर्व दो मोर पंख ले कर आएं। पंख के नीचे भूरे रंग का धागा बांध लेँ। एक थाली में पंखों के साथ दो सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें !

ऊँ राहवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:

– चौमुखा दिया जला कर राहु को अर्पित करें। – कोई भी मीठा प्रसाद बना कर चढ़ाएं।

(9)- केतु के लिए उपाय

शनिवार को सूर्य अस्त होने के बाद एक मोर पंख ले कर आएं। पंख के नीचे स्लेटी रंग का धागा बांध लेँ। एक थाली में पंख के साथ एक सुपारी रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।

ऊँ केतवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:

– पानी के दो कलश भर कर राहु को अर्पित करें। – फलों का प्रसाद चढ़ाएं।

घर का द्वार यदि वास्तु के विरुद्ध हो तो द्वार पर तीन मोर पंख स्थापित करें।

यह भी पढ़ें- कुंडली में है प्रेत दोष- प्रभाव, पहचान और उपाय

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