किसी भी व्यक्ति के जीवन में माता-पिता या बड़े बुजर्गों की छाया की एक अहम भूमिका होती है। परिवार के बड़े ही घर के छोटों का जीवन सजाते और बसाते है। यही बड़े- बुजुर्ग जब इस दुनिया को छोड़ के परमात्मा की दुनिया में जाते हैं तो फिर ये हमारे जीवन में पितृ देवों के रूप में बसते हैं। ये प्रसन्न हैं तो इनके आशीर्वाद से हम हर सफलता प्राप्त करते जाते हैं। मगर यदि ये हमसे अप्रसन्न हो जाते हैं तो हर सफलता को असफलता में बदलने में कुछ भी समय नहीं लगता है। पितरो के अप्रसन्न या रुष्ट होने को ही पितृ दोष कहा जाता है।
पितृ देवों का रुष्ट या नाराज होने का कारण क्या होता है या वे आपसे प्रसन्न क्यों नहीं होते हैं। इसका सीधा और स्पष्ट जवाब यही है कि जब कोई माता-पिता, दादा-दादी या कोई भी आपका बड़ा जो अपने बच्चों से बहुत स्नेह रखते है और उन्हें बहुत ही दुलार के साथ पालते-पोषते हैं। तो वे अपने बच्चों से भी यही अपेक्षा रखते है कि उनके वे सब उनके दिखाए रास्ते पर चले या कोई अच्छा कार्य करे लेकिन बच्चे उनकी उमीदों पर खरे नहीं उतारते तब पितृ देव रुष्ट हो जाते हैं।
इसके अलावा अगर किसी के मरने के पश्चात् उचित समय पर उस व्यक्ति की अन्त्येष्ट क्रिया या अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है। अथवा उस व्यक्ति के जीते जी कोई इच्छा अधूरी रह गयी हो जिसे वह व्यक्ति चाहता हो कि उसके बच्चे पूरा करें और आप उस कार्य को पूर्ण ना कर पाए हो। आप अपने पितृ देव के नाम का दान-पुण्य समय-समय पर नहीं करते है तब भी पितृ आपसे नाराज हो जाते हैं।
यदि आपके घर की खुशियों में कोई कमी आ जाती है। जैसे की किसी प्रियजन की आकस्मिक मृत्यु हो जाती है। घर में शादी है तो कोई अड़चन आ जाती है। कोई भी बना हुआ काम अचानक ही बिगड़ जाता है। मानसिक तनाव, रुपयों की कमी आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। तो समझ ले कि आपके पितृ देव आपसे नाराज हैं।
यदि आपके घर के बच्चे आपका कहा नहीं सुन रहे है या वे गलत संगत की ओर जा रहे हैं। ये भी हो सकता है की वे अपनी पढ़ाई लिखाई में ध्यान नहीं दे रहे हो। तब भी यह इसी दोष का कारण हो सकता है।
यदि आप अपने घर में किसी ब्राह्मण को आमंत्रित करते है और उनकी पूरी तरह से आवभगत भी करते हैं। लेकिन जब आप उनके सामने खाने के लिए भोजन परोसते हैं तो अगर वे उस भोजन को पूरा नहीं खा पाते हो अर्थात झूठा छोड़ देते हो। वे भोजन के लिए मना ही कर दे या कह दे कि आप उस भोजन को उन्हें बांध कर दे दें तो भी यह सब घटनाये इसी दोष की ओर ही इशारा करती हैं। सबसे महत्वपूर्ण और अहम् कारण यही है जिससे आप खुद को अवगत करवा सकते हैं कि पितृ दोष का ग्रहण आपके ऊपर मंडरा रहा है।
अगर आपके घर के पूजा स्थल में कोई भी दिया, अगरबत्ती या धूपबत्ती नहीं जलती है। घर का कोई भी सदस्य पूजा-पाठ नहीं करता है। तब भी आपके पितृ देवो की आपसे नाराजगी की पूरी-पूरी संभावना है। वैसे भी शास्त्रों में कहा गया है कि जिस घर में भगवान कि पूजा नहीं होती है वहां किसी भी देवता का वास नहीं होता है।
यदि घर की कोई भी नारी, किसी भी तरह से खुश नहीं है चाहे वह माता हो, पत्नी हो, पुत्री हो, बहु हो या कोई विधवा हो, तो भी पितृ देव आपसे अप्रसन्न हो सकते हैं।
1. ऊं सर्व पितृ देवताभ्यो नमः ।
2. ऊं प्रथम पितृ नारायणाय नमः ।
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