ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 12 राशियों में विभक्त संसार के सभी मनुष्यों में राशिनुसार कुछ विशेष गुण विद्यमान होते हैं। जिससे वो अपने कार्य छेत्र में सफलता प्रदान करते हैं। लेकिन प्रत्येक राशि के व्यक्तियों में कोई न कोई डर भी निवास करता है। यही डर उनकी जीवन में विफलता का कारण बनता है। आईए अब जानते हैं अलग-अलग राशि और उनके डर के बारे में।
मेष राशि के लोगों में गुस्से की अधिकता होती हैं। ये लोग किसी बात पर जल्दी ही आवेश में आ जाते हैं। इस तरह के व्यव्हार के कारण इनका किसी के साथ झगड़ा होने की संभावना बनी रहती हैं। गुस्सैल स्वभाव के विपरीत इनका ह्रदय जल्दी ही पिघलता भी हैं। ये अपने चाहने वालों से कभी अलग नहीं होना चाहते हैं। अलग होने की वजह सिर्फ इनका जल्दी आक्रोशित होना ही हो सकता हैं। ये जितनी जल्दी बहस के लिए तैयार होते हैं उतनी ही देरी इन्हें गलती स्वीकारने में लगती हैं।
वृष राशि के लोगों का व्यव्हार जिद्दी होता हैं। किसी भी बात पर बहस करना इनके लिए आम बात हैं। इनके ऐंसे ही स्वभाव के कारण लोग इनके आसपास रहने में सहज महसूस नहीं करते हैं। इन्हें भी इसी बात का डर मन में रहता हैं की अपने इस जिद्दी स्वभाव के कारण अपने प्रियजनों से दूर न होना पड़े।
मिथुन राशि के लोग व्यक्तिगत तौर पर अपने को परम्परावादी रूप से प्रदर्शित करते हैं। ये लोगों अपनी जिंदगी को अपने तरीके से जीना ही पसंद करते हैं। ये चाहते हैं की इनके आसपास के लोग भी इनके जैसे ही आचरण करें। अकेलेपन रहने का डर इनके मन में सदैव बना रहता हैं।
कर्क राशि के लोग अपने चेहरे पर ख़ुशी का एक मुखौटा लगाए रहते हैं। इन्हें डर रहता हैं कि इनके अपने पिरय इनसे नाराज न हो जाय। इन्हें अपनी आलोचना का डर भी होता हैं। इसलिए विचारों को साझा करने में हिचकते हैं। आसपास के लोगों में शामिल होने के लिए ये अपने में निरंतर बदलाव करते रहते हैं।
सिंह राशि के लोग अपनी छवि को एक मजबूत व्यक्तित्व के रूप में प्रदिर्शित करते हैं। ये अपने जीवन में नारियल के फल की तरह व्यव्हार करते हैं। बाहर से बहुत ही सख्त नजर आते हैं लेकिन ह्रदय से बहुत ही सवेंदनशील होते हैं. इस प्रक्रिया में ये खुद के लिए ही उलझने उत्पन्न करते हैं. इनको डर रहता हैं कि ये लोगों के बीच अपने को सम्मिलित कर सकेंगे या नहीं।
कन्या राशि के लोग अपने हर काम को बखूबी पूरा करने के लिए हर बात पर ध्यान देते हैं। लेकिन यही चीज इनके खिलाफ भी चली जाती हैं। ये हर चीज के प्रति सकारात्मक भाव नहीं रख पाते हैं। अत्यधिक तुलनात्मक रवैया कार्यों को सम्पूर्णता की ओर ले जाने में बाधा उत्पन्न करता रहता हैं।
तुला राशि के लोग अपने ही प्रति आलोचनात्मक दृष्टिकोण रखते हैं। ये खुद में ही उलझे रहते हैं, जिस वजह से आसपास के लोगों से संपर्क टूटता हैं। ये खुद में इतना न डूब जाय इसलिए ये अकेलेपन से बचने की कोशिश करते हैं।
वृश्चिक राशि के लोग का डर इनका भावनात्मक पहलू होता हैं। इनको महसूस होता हैं कि इनके आसपास के लोग इन्हें अकेला छोड़ के चले जायेंगे। इस कारण ये अपने भावनात्मक पहलू को दूसरों से छिपा कर रखते हैं।
धनु राशि के लोग बहुत ही सामाजिक होते हैं। लेकिन इनमे आत्मविश्वास की कमी होती हैं। इनका खुद पर भरोसा आवश्यकता से कम ही होता हैं। इस राशि के लोगों का आकर्षण अलग ही होता हैं और लोग इन्हें पसंद भी करते हैं। लेकिन इन्हें डर होता हैं कि इनके लिए प्यार की कमी हैं।
मकर राशि के लोगों का काम के प्रति विशेष लगाव होता हैं। इनको अपने लक्षित कार्यों को किसी भी हाल में पूर्ण करना होता हैं। कार्य में व्यस्त होने और समय की कमी की वजह से ये लोगों से जुड़ने में असफल रहते हैं।यही वजह हैं कि ये अक्सर अकेले रह जाते हैं।
कुंभ राशि के लोग आमतौर पर लोगों से संपर्क में विशेष रुचिकर नहीं होते हैं। इन्होंने अपने लिए एक दायरा बनाया होता हैं, जिससे आगे ये नहीं बढ़ते हैं। चाहे फिर ये किसी रिश्ते से ही क्यों न बंधे हुए हो। इस राशि के लोगों को अंदर से जानना बहुत ही मुश्किल हो जाता हैं।
मीन राशि के लोग भावुक और अंतर्मन प्रकार के होते हैं। ये अपने को दबा हुआ महसूस करते हैं। किसी से सहायता लेने में संकोच करते हैं। बाहरी दुनिया में चाहे सब सही नजर आता हो लेकिन इनके मन में अनेकों उलझनें एक समय में चलती रहती हैं।
हमारे इस लेख को पढकर आप जान गये होंगे कि अलग-अलग राशि और उनके डर किन चीजों या बातों को लेकर होते हैं।
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