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हैप्पी बर्थडे संजय दत्त- होरोस्कोप से जानें कैसा रहेगा आने वाला समय

भारत के जाने-माने अभिनेता संजय दत्त ने बॉलीवुड में अपने अभिनय के दम पर एक अलग पहचान बनाई है। इनका जन्म 29 जुलाई 1959 को मुंबई में हुआ था। इनके माता-पिता सुनील दत्त और नर्गिस भी हिंदी सिनेमा के जबरदस्त कलाकार थे। संजय दत्त ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1981 से की। उनकी पहली फिल्म रॉकी थी और इसके बाद उन्होंने हिंदी सिनेमा की कई बड़ी फिल्मों में काम किया और अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया। संजय दत्त अब तक 180 से भी ज्यादा हिंदी फिल्मों में काम कर चुके हैं। उनकी सबसे चर्चित फिल्मों में वास्तव, मुन्ना भाई एमबीबीएस शामिल हैं। उनके जीवन में कई तरह के रंग है और इसलिए उनके जीवन पर आधारित एक फिल्म (संजू) का निर्माण भी हो चुका है।

भले ही संजू बाबा ने अपने अभिनय से लोगों का मनोरंजन किया हो और लोगों ने उनकी प्रशंसा की हो लेकिन उनके जीवन में एक ऐसा दौरा (1993) भी आया जब उनपर आतंकवादियों का साथ देना का आरोप लगा। इसके लिए उनको टाडा के तहत गिरफ्तार भी किया गया और लगभग 18 महीने उन्होंने जेल में गुजारे। इसके बाद 1994 में उनको जमानत मिली। अदालत ने वर्ष 2013 में पांच साल की सश्रम जेल की सजा सुनाई। 25 फरवरी 2016 को संजय दत्त को उनके अच्छे व्यवहार के कारण सजा पूरी होने से पहले ही रिहाई मिल गई। शुरुआती दौर में ही बॉलीवुड में अपनी ख्याति बनाने के बाद संजय की एक गलती ने उन्हें जिंदगी भर परेशान किया। 

संजय दत्त की कुंडली का अध्ययन

आज अपने इस लेख में हम संजय दत्त की कुंडली का अध्ययन करेंगे। तो आईए सबसे पहले नजर डालते हैं उनकी कुंडली पर।

संजय दत्त की लग्न कुंडली
संजय दत्त नवमांश कुंडली

ग्रहों की स्थिति

संजू बाबा की कुंडली का लग्न वृश्चिक राशि का है जिसका स्वामी ग्रह मंगल कर्म भाव में विराजमान है, मंगल षष्ठम भाव का भी स्वामी है। द्वितीय भाव में शनि देव धनु राशि में विराजमान हैं और द्वितीय भाव और पंचम भाव का स्वामी गुरु द्वादश भाव में विराजमान है। तृतीय और चतुर्थ भाव का स्वामी शनि द्वितीय भाव में स्थित है। सातवें और बारहवें भाव का स्वामी ग्रह शुक्र कर्म भाव में मंगल के साथ युति बना रहा है। अष्टम और एकादश भाव का स्वामी बुध नवम भाव में विराजमान है। नवम भाव का स्वामी चंद्रमा विवाह भाव में है। और कर्म भाव का स्वामी सूर्य नवम भाव में विराजमान है। राहु-केतु की स्थिति एकादश और पंचम भाव में हे। यह तो हई ग्रहों की स्थिति, आईए अब जानते हैं कुंडली से संजय दत्त के जीवन के बारे में क्या पता चलता है। 

लग्नेश की शुक्र के साथ युति

मंगल को नेतृत्व और पराक्रम का ग्रह माना जाता है वहीं शुक्र आकर्षण और सौंदर्य का कारक माना जाता है। इन दोनों ग्रहों की युति ने संजय दत्त को एक आकर्षक व्यक्तित्व दिया। उनके व्यक्तित्व ने नजाने कितनी कन्याओं को आकर्षित किया। इसके साथ ही मंगल ने उनको कला के क्षेत्र में भी आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। मंगल ने उनको पर्दे पर एक सशक्त व्यक्तित्व प्रदान किया जो आज तक भी बरकरार है। 

शुक्र की विशेष भूमिका

जैसा कि हम बता चुके हैं शुक्र सौंदर्य, आकर्षण का कारक होता है इसलिए यह गुण तो संजय दत्त में थे ही लेकिन शुक्र संजू बाबा की कुंडली में दशम भाव में विराजमान है इसका भी उनके जीवन पर असर दिखता है। नवम और दशम भाव से पितृ सुख के बारे में जानकारी मिलती है। इस भाव से पता चलता है कि आपके पिता किस क्षेत्र में होंगे या उनका व्यवसाय क्या होगा और आपके जीवन पर उनका क्या असर होगा। शुक्र के पितृ भाव में होने से साफ पता चलता है कि इनके पिता ने कला के क्षेत्र में आगे बढ़ने में संजू की बहुत मदद की। यही नहीं जब संजय दत्त नशे की लत से परेशान थे तब भी सुनील दत्त ने उनका हौसला बढ़ाया। 

हालांकि कर्म भाव में शुक्र मंगल के होने से विवाह और प्रेम जीवन में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। संजय दत्त को भी प्रेम संबंधों में कई उतार चढ़ाव देखने पड़े। 

गुरु की शुक्र की राशि में स्थिति

देव गुरू बृहस्पति को कुंडली में बहुत अहम माना जाता है। संजय दत्त की कुंडली में गुरु की स्थिति अच्छी नहीं है गुरु अपने शत्रु शक्र की राशि में विराजमान हैं और इसके साथ ही द्वादश भाव में है। यह ग्रह स्थिति बंधन योग का निर्माण कर रही है। इस ग्रह स्थिति ने संजू बाबा को जीवन में कई बार विपरीत परिस्थितियों में डाला है। गलत संगति में पड़कर उन्हें नशे की लत भी लगी।  

चंद्रमा की कमजोर स्थिति

संजय दत्त की कुंडली में चंद्रमा कमजोर स्थिति में है। चंद्रमा को मन का कारक ग्रह माना जाता है यह व्यक्ति की भावनाओं को नियंत्रित करता है। लेकिन संजय की कुंडली में यह कमजोर है इसलिए भवानात्मक रूप से संजय दत्त कमजोर रहे होंगे। भावनाओं में बहकर उन्होंने अपना नुकसान किया। कमजोर चंद्रमा व्यक्ति को गलत संगति में पड़े से बचा नहीं पाता। 

माता के भाव पर शनि दृष्टि

शनि तृतीय दृष्टि से माता के भाव को देख रहा है। यह दर्शाता है कि माता के साथ उनके संबंध अच्छे तो थे लेकिन उनकी वजह से माता को परेशानियों का सामना भी करना पड़ा। शनि की दृष्टि ही माता की असमय मृत्यु का कारण हो सकती है। 

गुरु की दशा का सकारात्मक प्रभाव

1998 के बाद जब संजू बाबा की गुरू की दशा शुरु हुई जो 2014 तक चली। इस दौरान उनके जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आए। उन्होंने बुरी संगति और नशे से दूरी बनाना शुरु किया। यह वो समय था जब संजू बाबा अपनी अंदुरूनी ताकत को पहचानने की कोशिश की और कई अच्छे प्रॉजेक्ट पर काम किया। 

संजय दत्त की कुंडली- वर्तमान दशा

इस समय संजय दत्त शनि की महादशा से गुजर रहे हैं। शनि को कर्मफल दाता ग्रह कहा जाता है इसलिए संजय दत्त ने अतीत में जो गलतियां की हैं उनके लिए कुछ भुगतान इस दौरान करना पड़ सकता है। अतीत के कर्मों को लेकर उनपर सवाल उठाए जा सकते हैं। हालांकि सिनेमा जगत में उनको नई ऊंचाईयां प्राप्त हो सकती हैं।

कुल मिलाकर कहा जाए तो आने वाल समय संजय दत्त के बीते हुए कल से बेहतर रहेगा। उनको अपने पार्टनर का भी अच्छा सहयोग प्राप्त होगा। मन में कुछ उदास पुराने दिनों को याद करके आ सकती है लेकिन यह भी चंद पलों के लिए होगी। 

यह भी पढ़ें- समलैंगिकता (LGBT) का कारण क्या है? जानें इसकी ज्योतिषीय वजहें

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