ऋतु परिवर्तन के साथ – साथ रोगों के प्रकोप का बढ़ना एक आम बात है। जैसे ही ग्रीष्म ऋतु से वर्षा ऋतु फ़िर उसके बाद शरद ऋतु की ओर अग्रसर होते है, अनेक लोग सर्दी – जुखाम व फ्लू जैसी बीमारियों से जूझने लगते है। हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता हमें इन रोगों से मुक्त करने के प्रयास में अनवरत लगी रहती है फिर भी यह उचित है कि हम इन रोगों से बचने तथा शीघ्र उपचार के लिए कुछ अन्य तरीके भी अपनाएं। हालाँकि आधुनिक युग में उपलब्ध दवाएँ बहुत प्रभावकारी होती हैं, पर ऐसा नहीं है कि इनका कोई और विकल्प नहीं।
इन रोगों से मुक्त होने के लिए आजकल लोग योग को अपने जीवन में अपनाकर अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा रहे हैं। योग एक प्राचीन व अनन्य तकनीक है जो हमारे तन को स्वस्थ व शक्तिशाली बनाने तथा मन को स्थिर व केन्द्रित करने में सहायक है। आज हम योग के माध्यम से सर्दी – जुखाम को सही करने का सरलतम उपाय बताएंगे।
इन 6 प्रमुख योग को करने के पश्चात आप सर्दी – जुखाम जैसी बीमारी से बिना दवाइयों के छुटकारा पा सकते है।
और तो और आप इन प्रणायामो से अपने रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते है।
6 प्रमुख योग निम्नवत है –
इस प्राणायाम करने के लिए ध्यान के आसन में बैठें। बांई नासिका से श्वास धीरे-धीरे भीतर खींचे।
श्वास यथाशक्ति रोकने के पश्चात दांए स्वर से श्वास छोड़ दें। पुनः दांई नासिका से श्वास खींचे।
यथाशक्ति श्वास रोकने के बाद स्वर से श्वास धीरे-धीरे निकाल दें। जिस स्वर से श्वास छोड़ें उसी स्वर से पुनः श्वास लें और यथाशक्ति भीतर रोककर रखें।
क्रिया सावधानी पूर्वक करें, जल्दबाजी ना करें।
इसे करने से शरीर की सम्पूर्ण नस और नाड़िया शुद्ध होती हैं।
शरीर तेजस्वी एवं फुर्तीला बनता है। भूख बढ़ती है और रक्त शुद्ध होता है।
भूख बढ़ती है और रक्त शुद्ध होता है।
नथुनों को क्रमश: बदल कर साँस लेने से सर्दी से अवरुद्ध नासिका द्वार खुल जाते है जिससे फेफड़ों को अधिक मात्रा में आक्सीजन प्राप्त होती है।
यह प्राणायाम तनाव से मुक्ति व शरीर को विश्रान्ति प्रदान करने भी सहायक है।
सर्दी से छुटकारा पाने के लिए इसके 7-8 चक्र का दिन में 2-3 बार अभ्यास करे।
टांगो को ऊपर की ओर उठाते हुए किये गए इस आसन का श्वसन तन्त्र के रोगों के उपचार में महत्वपूर्ण प्रभाव होता है।
इससे सिर दर्द व कमर दर्द से मुक्ति मिलती है।
यह आसन सर्दी व जुकाम से ग्रस्त रोगी के मनोबल में वृद्धि करता है।
इस आसन में रहते हुए लम्बी और गहरी साँसों के अभ्यास से सभी प्रकार के श्वसन सम्बन्धी रोगों व सर्दी – जुकाम से छुटकारा मिलता है।
इस आसन से गर्दन व कन्धों का तनाव दूर होता है जिससे झुके हुए कन्धे अपने स्वाभाविक स्वरुप में आ जाते है।
खड़े होकर आगे की तरफ झुकने से रक्त का प्रवाह हमारे सिर की तरफ बढ़ता है।
यह क्रिया सायनस(नाक – गले) को साफ़ करती है।
इस प्राणायाम से हमारे नाड़ी तंत्र को बल मिलता है तथा शरीर तनाव-मुक्त होता है।
इस प्राणायाम में साँस को नथुनों पर दबाब बनाते हुए जोर से छोड़ते है।
इसके अभ्यास से हमारी श्वसन नलिका में उपस्थित अवरोध खुल जाते है जिससे साँसों का आवागमन आसान हो जाता है।
इसके अतिरिक्त इस प्राणायाम से हमारा नाड़ीतंत्र सशक्त होता है, रक्त प्रवाह बढ़ता है तथा मन प्रसन्नरहता है।
इस प्राणायाम के 2-3 चक्रों का अभ्यास दिन में दो बार करने से सर्दी में राहत मिलती है तथा शरीर उर्जावान बनता है।
शवासन व्यक्ति को गहन ध्यानव विश्राम की स्थिति में ले जाकर शरीर में शक्ति व स्फूर्ति का संचार करता है।
इसके अभ्यास से शरीर तनाव से मुक्तं होता है।
इसे भी योग आसनों के अभ्यास के बाद अंत में करना चाहिए।
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