Astrology information

सावन में शिव भक्ति क्यों है इतनी खास? जाने यहाँ

सावन का महीना शुरू हो चुका है और इसे बहुत ही पवित्र महीना माना जाता है। इस माह में भगवान शिव की पूजा का विशेष फल मिलता है। इस महीने में सभी लोग शुद्धता और अच्छे आचरण के साथ रहने लगते हैं, अपनी बुरी आदतों को छोड़ भगवान की भक्ति में लीन हो जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि इस महीने में शिव भक्ति को इतना महत्व क्यों दिया जाता है और इसे सर्वोत्तम माह की श्रेणी में क्यों रखा गया है।

इसी सवाल का जवाब देने के लिए हम आपके लिए यह लेख लेकर आए हैं। सावन के महीने और शिव-भक्ति के महत्व को समझने लिए आपको कुछ पौराणिक कथाएँ जाननी होंगी। तो पढ़ें ये पाँच पौराणिक कथाएँ और जानिए आखिर क्यों है सावन माह इतना खास –

भगवान शिव से जुड़ी कथा

जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था तो उस समय यही सावन का महीना था। मंथन के दौरान हलाहल नाम का विष निकला था जिसे भगवान शिव ने पी लिया और उसे कंठ में ही रोक लिया। इससे उनका गला नीले रंग का दिखने लगा तथा वे नीलकंठ कहलाए।

ऐसे उन्होंने विषपान कर पूरे संसार की रक्षा की। विष के कारण उन्हें जलन का अनुभव न हो इस वजह से सभी देवताओं ने उन पर जल और ठंडी वस्तुएँ अर्पित कीं। तभी से यह माना जाता है कि सावन के महीने में शिवलिंग पर जल अर्पित करने से शिव जी प्रसन्न होकर मनोकामनाएँ पूरी करते हैं।

पौराणिक शास्त्रों का मत

हमारे पौराणिक ग्रन्थों और शास्त्रों में यह वर्णन आता है कि आषाढ़ माह की देवशयनी एकादशी से लेकर कार्तिक माह की देवोत्थान एकादशी तक चार महीने के लिए विष्णु भगवान योगनिद्रा में रहते हैं। इस समय सृष्टि के संचालन का कार्य भगवान शिव ही संभालते हैं। इसीलिए सावन के महीने में विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा की जाती है।

यह भी है मान्यता

सावन के महीने को लेकर एक और मान्यता यह भी है कि इसी महीने में शिव जी अपनी ससुराल गए तो वहाँ उनका बहुत खुशी से स्वागत किया गया। यह माना जाता है कि तभी से हर साल शिव जी धरती पर अपनी ससुराल आते हैं। धरती पर रहने वाले मनुष्यों के लिए यह समय बहुत ही उत्तम होता है जब हम शिव जी को अर्घ्य अर्पित कर, उनकी सेवा – पूजा कर कृपा प्राप्त कर सकते हैं। सावन के महीने में भगवान शिव के पूजने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

मार्कण्डेय ऋषि से जुड़ी कथा

सावन के महीने से संबंधित एक और पौराणिक कथा भी प्रचलित है। मार्कण्डेय ऋषि ने सावन के ही महीने में लंबी आयु की प्राप्ति के लिए भगवान शिव की घोर तपस्या की। इस तपस्या से शिव जी ने इन्हें ऐसी मंत्र शक्तियाँ प्रदान की कि यमराज जो स्वयं मृत्यु के देवता हैं वे भी मार्कण्डेय ऋषि के सामने नतमस्तक हो गए।

शिवपुराण में वर्णित बात

सावन में भगवान शिव का जलाभिषेक क्यों करना चाहिए, इसका महत्व “शिवपुराण” में भी पढ़ सकते हैं। शिवपुराण जैसे महान ग्रंथ में यह वर्णन दिया है शिव भगवान स्वयं ही जल रूप हैं। इसीलिए जल से उनकी पूजा करना या उनको जल अर्पित करना उत्तम रहता है।

इन पांचों कथाओं को पढ़कर आपको ज्ञात हो गया होगा कि इस महीने को हिन्दू संस्कृति में इतना महत्वपूर्ण क्यों मानते हैं और सावन में शिव-भक्ति का क्यों इतना महत्व क्यों है। सावन में पुण्य कमाने के लिए आपको भी प्रतिदिन मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल अवश्य अर्पित करना चाहिए। आप भी इस सावन का लाभ उठाते हुए भगवान शिव की पूजा कर उन्हें प्रसन्न करें और अपने जीवन को सुखद बनाएँ।

यह भी पढ़ें- सावन में शिवलिंग स्थापना- सुखद जीवन के लिए शिवलिंग अपने घर लाएं

 4,189 

Share

Recent Posts

  • English
  • Vedic
  • Zodiac Signs

6 Zodiac Signs With Unmatched Adventurous Spirits

1 week ago
  • English
  • Vedic
  • Zodiac Signs

4 Zodiac Signs That Are Masters of Communication

1 week ago
  • English
  • Zodiac Signs

3 Zodiac Signs That Are Unusually Independent

1 week ago
  • English
  • Vedic
  • Zodiac Signs

5 Zodiac Signs Who Are Fiercely Loyal Friends

1 week ago
  • English
  • Vedic
  • Zodiac Signs

7 Zodiac Signs Known for Their Magnetic Charisma

1 week ago