ज्योतिष के अनुसार शुक्र को ग्रहों में मंत्रणा का मालिक मानते हैं। बृहस्पति और शुक्र दोनों गुरु माने जाते हैं। शुक्र को दैत्य गुरु और बृहस्पति को देव गुरु माना जाता है। गुरु तत्व की जो भूमिका और गुण है वह शुक्र के अंदर पाया जाता है। जिस कारण से शुक्र को बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके अलावा आपके जीवन में जितना भी सुख है उसका कारक शुक्र ग्रह ही है। कहते हैं कि ठंढे ग्लास का पानी पीने से लेकर पलंग पर सोने तक का सुख कैसा भी सुख हो बिना शुक्र के नहीं मिल सकता है।
पुराणों अनुसार शुक्र दानवों के गुरु हैं। इनके पिता का नाम कवि और इनकी पत्नी का नाम शतप्रभा है। दैत्य गुरु शुक्र दैत्यों की रक्षा करने हेतु सदैव तत्पर रहते हैं। ये बृहस्पति की तरह ही शास्त्रों के ज्ञाता, तपस्वी और कवि हैं। इन्हें सुंदरता का प्रतीक माना गया है।
शुक्र ग्रह को सीधे पृथ्वी से देखा जा सकता है इसलिए इसका सीधा-सीधा प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है, जिस जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह नीच भाव का हो यानि कमजोर, तो ऐसे में शुक्र ग्रह से शुभ फल प्राप्त नहीं हो पाते और जातक जीवन भर स्त्री सुख और धन के लिए संघर्ष करता रहता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी 9 ग्रहों में शुक्र ग्रह को एक शुभ ग्रह माना गया है। शुक्र ग्रह को भौतिक सुख, संपन्नता, कला शोहरत, भोग विलासिता, सौन्दर्य, काम वासना और ऐश्वर्य आदि का कारक माना जाता है। इस ग्रह को वृष और तुला राशि का स्वामी माना जाता है। कन्या राशि शुक्र ग्रह की नीच राशि और मीन की उच्च राशि होती है।
भरणी, पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा जैसे नक्षत्रों के स्वामी शुक्र ग्रह हैं। अगर मित्र ग्रह की बात करें तो बुध और शनि इनके मित्र ग्रह है जबकि सूर्य और चंद्रमा शत्रु माने जाते हैं। शुक्र एक राशि में करीब 23 दिनों तक रहता है।
जिन जातकों की कुंडली में दैत्य गुरू बलवान होता है उनका वैवाहिक जीवन हमेशा सुखी बना रहता है। इसके अलावा कुंडली में शुक्र के मजबूत होने पर व्यक्ति को तमाम तरह के ऐशोआराम और भौतिक सुखों का आनंद प्राप्त होता है।
वहीं जिन जातकों की कुडली में शुक्र ग्रह कमजोर होता है उनके वैवाहिक जीवन में कई तरह की परेशानियां आती हैं। ऐसे जातकों को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक एवं सामाजिक कष्टों का सामना करना पड़ता है।
कुंडली में मजबूत शुक्र होने पर व्यक्ति कला और साहित्य के क्षेत्र में काम करता है। कुंडली में शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए हर रोज इस शुक्र मंत्र का जप करें। ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः
सुंदर शरीर वाला पुरुष या स्त्री में आत्मविश्वास भरपूर रहता है। स्त्रियां स्वत: ही आकर्षित होने लगती हैं। व्यक्ति धनवान और साधन-सम्पन्न होता है। कवि चरित्र, कामुक प्रवृत्ति यदि शनि मंद कार्य करे तो शुक्र साथ छोड़ देता है। इस ग्रह का बल हो तो ऐसा व्यक्ति ऐशो-आराम में अपना जीवन बिताता है। फिल्म या साहित्य में रुचि रहती है।
शुक्र के साथ राहु का होना अर्थात स्त्री तथा दौलत का असर खत्म। यदि शनि मंदा अर्थात नीच का हो तब भी शुक्र का बुरा असर होता है। इसके अलावा भी ऐसी कई स्थितियां हैं जिससे शुक्र को मंदा माना गया है। अंगूठे में दर्द का रहना या बिना रोग के ही अंगूठा बेकार हो जाता है। त्वचा में विकार। गुप्त रोग। पत्नी से अनावश्यक कलह।
(1) लक्ष्मी माता की उपासना करें।
(2) सफेद वस्त्र दान करें।
(3) भोजन का कुछ हिस्सा गाय, कौवे और कुत्ते को दें।
(4) शुक्रवार का व्रत रखें और उस दिन खटाई न खाएं।
(5) दो मोती लेकर एक पानी में बहा दें और एक जिंदगीभर अपने पास रखें।
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