ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब ग्रह अपनी स्थिती में परिवर्तन करते हैं, तो उसे "गोचर" कहा जाता है। जब ग्रह एक भाव से दूसरे भाव में या एक राशि से दूसरी राशि में जाते हैं, तो यह कुछ प्रभाव दिखाता है, जो व्यक्ति की जन्म कुंडली के अनुसार अच्छा या बुरा हो सकता है। प्रत्येक ग्रह की सूर्य के चारों ओर अपनी गति होती है और गोचर का समय एक ग्रह से दूसरे ग्रह में भिन्न होता है। गोचर की अवधि के दौरान ग्रह अस्त या वक्री हो सकते हैं। आमतौर पर राहु, केतु ग्रहों के गोचर को चंद्र ग्रहण कहा जाता है, बृहस्पति और शनि ग्रह का लंबे समय तक चलने वाला प्रभाव होता है। चंद्रमा और बुध जैसे ग्रहों का गोचर, निकट के ग्रह त्वरित परिवर्तन लाते हैं। ग्रहों के गोचर और उनके प्रभावों का अध्ययन हमेशा किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली के संदर्भ में किया जाता है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि ग्रह गोचर ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सभी नवग्रह हमारे जीवन को विशिष्ट तरीकों से प्रभावित करते हैं। साथ ही चंद्रमा, सूर्य, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु कुछ ऐसे ग्रह होते हैं, जिन्हें वैदिक ज्योतिष में प्रमुख माना जाता है। वहीं एक राशि से दूसरी राशि में उनकी गतिविधियों का हमारे लिए कुछ महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है। हमारे जीवन में होने वाली सभी घटनाओं के लिए इन ग्रहों की चाल को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, यह हमारे जीवन में बड़े से लेकर छोटे बदलाव लाते हैं। साथ ही ये हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करने में भी सक्षम होते हैं।
उदाहरण के लिए चंद्रमा मन का कारक है। इसी तरह सूर्य को एक शाही ग्रह के रूप में माना जाता है और हमारी कुंडली में सरकारी नौकरी और सेवाओं की संभावनाओं के लिए जिम्मेदार होता है। शुक्र ग्रह प्रेम और विवाह के कारक के रूप में जाना जाता है और इसी तरह बुध ग्रह हमारी बौद्धिक क्षमताओं का प्रतीक है। बृहस्पति ग्रह प्रमुख रूप से स्वास्थ्य को दर्शाता है और शनि हमारे "कर्म" या कार्यों को हिसाब रखता है और उनके अनुसार परिणाम उत्पन्न करता है। इसलिए हमारे लिए उनकी गोचर तिथि और समय को जानना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि उन परिवर्तनों पर नज़र रख सकें, जो शायद हमारे भविष्य में देखने को मिल सकते हैं।
आपको ज्ञात होगा कि प्रत्येक ग्रह एक ही गति से नहीं चलता है। कुछ धीरे-धीरे चलते हैं और कुछ ग्रह काफी तेज गति से चलते हैं। उदाहरण के लिए शनि ग्रह बहुत धीमी गति से चलता है। जबकि बुध ग्रह बहुत तेज गति से गोचर करता है। किसी व्यक्ति द्वारा बुध ग्रह की गतिविधियों पर नज़र रखना असंभव होता है। लेकिन वे हमारे लिए और हमारे जीवन में हो रहे परिवर्तनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, ताकि आपके लिए चीजों को और अधिक आसान बनाया जा सके।
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ग्रह गोचर 2023 | गोचर में लगने वाला समय |
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सूर्य ग्रह | एक महीना |
मंगल ग्रह | 45 दिन |
बुध ग्रह | 21 दिन |
बृहस्पति ग्रह | 12.5 महीने |
शुक्र ग्रह | 26 दिन |
शनि ग्रह | 2.5 वर्ष |
राहु और केतु | 19 महीने |
चंद्र ग्रह | 2.25 दिन |
आज आप विभिन्न ज्योतिष वेबसाइटों से ग्रहों के गोचर के बारे में जान सकते हैं। लंबी महादशा एक व्यापक समय सीमा निर्धारित करती है, जिसमें अंतरदशा परिणाम और उनके समय को कम कर देती है। दशाओं के दौरान ग्रहों का गोचर अपेक्षित परिणाम की संभावना को और भी कम कर देता है। और सभी ग्रह गोचर में समय का काफी अंतर होता है।
राशि चक्र में प्रत्येक ग्रह का अपना समय होता है। कुछ लंबे समय तक गोचर करते हैं, जबकि कुछ थोड़े समय के लिए वक्री रहते हैं। तेज गति से चलने वाले ग्रह "आंतरिक ग्रह" हैं और इसमें सूर्य, चंद्रमा, बुध, मंगल और शुक्र ग्रह शामिल हैं। और वे ग्रह जिनका गोचर लंबा है और जो आपको लंबे समय तक उनके प्रभाव का अनुभव कराते हैं, वे "बाहरी ग्रह" हैं, इनमें बृहस्पति, शनि, राहु और केतु ग्रह शामिल हैं।
अपने प्राकृतिक गोचर के दौरान किसी विशेष ग्रह की एक राशि में स्थिति के कुछ अलग प्रभाव हो सकते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि वे आपकी कुंडली में बहुत अधिक महत्व नहीं रखते हैं। हालांकि, ऐसा होता नहीं है। ज्योतिष भविष्यवाणियां करते समय किसी भी ग्रह गोचर की अनदेखी नीं करते हैं, क्योंकि कुछ गोचर आपकी जन्म कुंडली के अन्य कारकों की तुलना में आप पर अधिक प्रभाव डाल सकते हैं। ग्रहों के सभी गोचर न केवल महत्वपूर्ण हैं, बल्कि आपके जीवन को सबसे अप्रत्याशित तरीके से बदल सकते हैं। इसलिए सभी ग्रहों के गोचर पर नजर रखना काफी महत्वपूर्ण होता है। अपने जीवन पर इसके प्रभाव और अन्य विवरणों को जानने के लिए आपको इस लेख को पूरा पढ़ना होगा, ताकि आप साल 2023 के ग्रह गोचर (grah gochar 2023) के बारे में जान सकें।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य को 'ग्रहों का राजा' माना जाता है और यह व्यक्ति की आत्मा, स्वयं, व्यक्तित्व, अहंकार और अद्वितीय विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करता है। जन्म कुंडली में सूर्य की स्थिति यह तय करती है कि व्यक्ति अपने जीवन में कितना प्रभावशाली या शक्तिशाली होता है। साथ ही सूर्य को एक शक्तिशाली ग्रह माना जाता है, जो व्यक्ति के पिता, अन्य पुरुष प्रभावकों, स्वास्थ्य, बाहरी रूप और व्यवहार संबंधी लक्षणों को नियंत्रित करता है। सूर्य ग्रह चुनौतियों का सामना करने की शक्ति भी देता है और व्यक्ति के व्यक्तित्व और गुणों को बढ़ाता है।
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वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह को क्रूर और ऊर्जावान ग्रह के रूप में जाना जाता है। यह वह ग्रह है, जो जातक के दिमाग और बुद्धि को तेज करता है। इसके प्रभाव से मनुष्य अपनी जीवन यात्रा में साहसी कार्य करता है, क्योंकि मंगल साहस का कारक है। पौराणिक ग्रंथों में, मंगल ग्रह को भूमि पुत्र कहा गया है, इसलिए मंगल को भौम भी कहा जाता है।
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वैदिक ज्योतिष के अनुसार नई ग्रह प्रणाली में बुध ग्रह को राजकुमार का दर्जा दिया गया है और यह विशेष रूप से बुद्धि, विवेक, वाणी, व्यापार और संचार का कारक ग्रह है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति मजबूत हो, तो उसे व्यापार में लाभ मिलता है और उसकी तर्क शक्ति बहुत मजबूत होती है। ऐसे व्यक्ति की रुचि ज्ञान प्राप्त करने की ओर होती है और व्यक्ति की अपने भविष्य के बारे में दूरगामी सोच होती है।
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वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति को अधिक शुभ ग्रह माना गया है। बृहस्पति को देव गुरु भी कहा जाता है और यह ज्ञान, कर्म, धन, पुत्र और विवाह का कारक है। बृहस्पति के प्रभाव से जातक का मन धर्म और आध्यात्मिक कार्यों में अधिक लगा रहता है। यदि आपकी कुंडली में गुरु शुभ है, तो कठिन परिस्थितियों में भी आपको सहयोग मिलता है।
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ज्योतिष के नौ ग्रहों में से एक शुक्र ग्रह भी है, जिसे भाग्य का कारक माना जाता है। शुक्र ग्रह के स्वामी स्वयं देवी लक्ष्मी हैं। शुक्र को स्त्री ग्रह माना जाता है। कुंडली के अन्य ग्रहों की तरह शुक्र भी जातक की कुंडली पर अपना अपना प्रभाव दिखाता है।
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न्याय और कर्म के देवता शनि को सभी ग्रहों में विशेष माना जाता है। सभी के साथ न्याय करना उनकी मुख्य जिम्मेदारी है। यह वात-श्लेष्म प्रकृति, काला रंग और वायु तत्व का स्वामी है। शनि को शारीरिक बल, उदारता, विपत्ति, योग साधना, संप्रभुता, ऐश्वर्य, मोक्ष, यश, नौकरी, मूर्च्छा आदि का कारक ग्रह माना गया है।
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वैदिक ज्योतिष में राहु को क्रूर ग्रह माना गया है। राहु भले ही खगोलीय रूप से ग्रह न हो। लेकिन ज्योतिष में राहु का बहुत महत्व है। राहु ग्रह एक हानिकारक ग्रह माना जाता है, क्योंकि इस ग्रह की दशा जातक के लिए शुभ नहीं होती। जब भी राहु गोचर करता है, तो इसके कारण बाकी राशियों पर नकारात्मक और सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
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राहु के साथ केतु का भी नाम रखा गया है, क्योंकि दोनों एक दूसरे के विपरीत बिंदुओं पर समान गति से चलते हैं। राहु-केतु के गोचर का जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। ये ग्रह एक साथ राशि बदलते हैं और हमेशा टेढ़े-मेढ़े चलते हैं।
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वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा सबसे तेज गति वाला ग्रह माना जाता है और चंद्रमा ढाई दिन में राशि बदलता है। इसलिए यह ग्रह प्रत्येक राशि पर अपने गोचर के अनुसार प्रभाव डालता है। हालांकि, यह प्रभाव अल्पकालिक है। कभी-कभी दो ग्रह एक ही राशि में आकर योग का निर्माण करते हैं। कुछ योग शुभ होते हैं, तो कुछ अशुभ। ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का स्वामी माना गया है। चंद्रमा के प्रभाव से जातक का मन बेचैन या स्थिर हो जाता है। मुश्किलें हर काम में आती हैं। चंद्र परिवर्तन सभी राशियों को प्रभावित करता है।
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साल 2023 में कौन सा ग्रह गोचर सबसे महत्वपूर्ण है?
साल 2023 में शनि का गोचर सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस गोचर का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में 2.5 साल तक रहता है, जो सबसे लंबी अवधि होती है।
ग्रहों के गोचर की अवधि क्या होती है?
ग्रह की अवधि जितनी लंबी होती है, आपकी जन्म कुंडली में उसका प्रभाव उतना ही अधिक होता है। ग्रहों के चरण चाहे प्रत्यक्ष या वक्री हों, कुछ दिनों (चंद्रमा के लिए) 2 से 2.5 वर्ष (शनि के लिए) तक कहीं भी रह सकते हैं।
साल 2023 में कौन सा ग्रह प्रेम के लिए अनुकूल है?
किसी व्यक्ति के लिए यदि 2023 में बृहस्पति का गोचर पहले और सातवें भाव में होता है, तो यह व्यक्तिगत प्रगति के साथ-साथ सभी रिश्तों के प्रति उनके दृष्टिकोण को उत्साह और वृद्धि प्रदान करेगा। आप अपने जीवन में सहायक व्यक्तियों को अधिक स्वेच्छा से स्वीकार करेंगे, जो कठिन समय में बढ़ने में आपकी सहायता करते हैं, जिसमें अक्सर प्रेम संबंध शामिल होते हैं।
वर्ष 2023 में बृहस्पति के लिए कौन सा भाव शुभ है?
साल 2023 में बृहस्पति का गोचर 1, 5वें, 8वें, 9वें या 12वें भाव में होने पर अच्छे परिणाम देगा। हालांकि, 6 वां, 7 वां और 10 वां भाव इसके लिए अशुभ भाव हैं। इसके अलावा, जब किसी व्यक्ति की कुंडली के दशम भाव में शुक्र या बुध स्थित हो, तो बृहस्पति अशुभ परिणाम दे सकता है।
साल 2023 में कौन से ग्रह गोचर धन वृद्धि से जुड़े हैं?
बृहस्पति और शुक्र का दूसरे और आठवें भाव में गोचर आमतौर पर धन से संबंध रखता है। अष्टम भाव में शुक्र ग्रह बिक्री के लिए अनुकूल अवधि का प्रतीक है। और काम से जुड़ी योजना को क्रियान्वित करने के लिए समय उत्तम रहेगा।
वर्ष 2023 मंगल का गोचर किस भाव में प्रभावी रहेगा?
सप्तम भाव में मंगल ग्रह साहस, शक्ति, ऊर्जा और पराक्रम का ग्रह है और सप्तम भाव आपके साथी का भाव है। इसलिए जब मंगल का गोचर इस भाव में होता है, तो यह जातक में अधिक ऊर्जा और आक्रामकता लाता है। हालांकि, यह विवाह में देरी और प्रतिबंध का कारण बन सकता है।
साल 2023 शनि गोचर के लिए शुभ भाव कौन सा है?
साल 2023 में शनि का गोचर दूसरे, तीसरे और सातवें से बारहवें भाव में शुभ रहेगा, जबकि शनि को पहले, चौथे, पांचवें और छठे भाव में अशुभ माना जाता है। साथ ही सूर्य, चंद्रमा और मंगल शत्रु ग्रह हैं और शुक्र, बुध और राहु मित्र ग्रह हैं और बृहस्पति और केतु इसके लिए तटस्थ हैं।
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