हिंदू धर्म में किसी भी देवता से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है, भगवान गणेश ज्ञान के देवता हैं, और उनकी पूजा करने से किसी भी बाधा को आसानी से दूर करने में मदद मिलती है। बड़ी संख्या में भगवान गणेश को गणपति बप्पा के नाम से जाना जाता है। वह कला और विज्ञान के संरक्षक हैं और माना जाता है कि वे हिंदू धर्म के सबसे अधिक पूजे जाने वाले देवता हैं। अन्य देवताओं से जुड़े किसी भी अनुष्ठान को शुरू करने से पहले भगवान गणेश का सम्मान किया जाता है, क्योंकि गणेश के प्रति उनकी मां पार्वती का अपूर्व प्रेम देखकर भगवान शिव ने उन्हें भगवान गणेश को यह आशीर्वाद दिया था।
हिंदू धर्म के अनुसार, श्री गणेश हर अच्छी और सकारात्मक चीज की शुरुआत का संकेत देते हैं। एक बार माता पार्वती अकेली थीं और चाहती थीं कि कोई उनके घर के प्रवेश द्वार पर पहरा दे। तब उन्होंने अपनी शक्तियों की मदद से अपने हाथों से भगवान गणेश की रचना की। वह घर के बाहर पहरेदारी दे रहे थे और मां पार्वती घर के अंदर थी। उसी समय भगवान शिव वहां लौट आए। तब उनकी मुलाकात पहली बार भगवान गणेश से हुई। भगवान शिव ने घर के अंदर प्रवेश करना चाहा लेकिन मां पार्वती के आदेश अनुसार भगवान गणेश ने उन्हें अंदर जाने की अनुमति नहीं दी। दरअसल, भगवान गणेश तब तक भगवान शिव से परिचित नहीं थे। भगवान शिव को बार-बार समझाने पर भी जब भगवान गणेश ने उन्हें घर के अंदर प्रवेश करने नहीं दिया तो भगवान शिव क्रोधित हो उठे। क्रोधवश उन्होंने भगवान गणेश की गर्दन धड़ से अलग कर दी। जब यह खबर देवी पार्वती के पास पहुंची, तो वह क्रोधित हो उठीं और उन्होंने आक्रामक स्वर में बोलीं कि यदि उनके पुत्र को वापिस नहीं लौटाया गया तो वह समूची दुनिया नष्ट कर देंगी। लेकिन, चूंकि कटे हुए सिर का उपयोग गणेश को जीवित करने के लिए नहीं किया जा सकता था, इसलिए भगवान गणेश को जीवित करने के लिए एक हाथी के सिर का उपयोग किया गया था। तभी से भगवान गणेश को गजानंद नाम से भी सम्मानित किया जाने लगा।
भगवान गणेश महादेव और देवी पार्वती के पुत्र और भगवान कार्तिकेय, देवी लक्ष्मी और देवी सरस्वती के भाई हैं। भगवान गणेश हिंदू धर्म, बुद्धि, सिद्धि और रिद्धि के तीन गुणों का भी अवतार हैं, जिसका अर्थ है ज्ञान, आध्यात्मिकता और समृद्धि। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश स्वयं बुद्धि के अवतार हैं और अन्य दो व्यक्तित्व, सिद्धि और रिद्धि को देवी माना जाता है। इन दो देवियों को भगवान गणेश की पत्नी के रूप में जाना जाता है।
कई हिंदू शास्त्रों- मुदगला पुराण और शिव पुराण में भगवान गणेश के वैवाहिक स्थिति के बारे अनुमान लगाया गया है। भगवान शिव पर केंद्रित शिव पुराण के अनुसार, यह उल्लेख किया गया है कि भगवान गणेश की दो पत्नियां हैं, रिद्धि और सिद्धि। इनके माध्यम से उनके दो पुत्र हैं। देवी रिद्धि से शुभ और देवी सिद्धि से लाभ प्राप्त हुए।
अन्य देवताओं को समर्पित किसी भी मंत्र की तरह, गणेश मंत्रों (ganesh mantras) का बहुत महत्व है और गणेश मंत्रों के जाप के दौरान बोले गए प्रत्येक शब्द में अपार शक्ति होती है। पूर्ण विश्वास और भक्ति के साथ मंत्रों का जाप करने से यह माना जाता है कि जिंदगी के हर पहलू के लिए व्यक्ति को आशीर्वाद प्राप्त होता है। गणेश मंत्र बहुत उपयोगी है, क्योंकि यह हर बाधा को दूर करने में मदद करता है और सकारात्मक परिणाम लाता है।
हर सफल परिणाम के पीछे भगवान गणेश पूर्ण शक्ति के रूप में मौजूद हैं। उन्हें व्यापक स्तर पर गणपति के रूप में भी जाना जाता है। "गण" का अर्थ समूह है और ब्रह्मांड ऊर्जा और परमाणुओं के समूह से बना है। यदि इन सभी समूहों को रोकने और इन विभिन्न समूहों के सह-अस्तित्व को बनाए रखने वाला कोई ना हो, तो समूचे विश्व में अराजकता और विनाश फैल जाएगा। भगवान गणेश बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वह इन सभी समूहों के प्रभारी हैं और इन समूहों के भीतर शांति बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं। सर्वोच्च स्वामी होने के नाते, भगवान गणेश ब्रह्मांड में व्यवस्था लाते हैं।
विभिन्न तरीकों से भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है, समय के साथ-साथ पूजा करने की विधि में बदलाव होते रहते हैं। गणेश जी की हर छवि के हर चित्रण के पीछे एक कहानी है और हर कहानी का गहरा अर्थ है। भगवान गणेश की अलग-अलग रूपों में पूजा की जाती है, जैसे कि एक छोटे लड़का के रूप में अपने भाई और परिवार के साथ खेल रहे हैं, अपने पिता या माता की गोद में नृत्य अवस्था में बैठे हैं, आशीर्वाद देने की स्थिति में अपने हाथ उठे हुए हैं, या वीरतापूर्वक राक्षसों को मार गिराना।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
अर्थ- हे गणेश भगवान, आपका आभामंडल करोड़ों सूर्य के प्रकाश के समान है। मैं आपको नमन करता हूं। कृपया मेरे समस्त कार्य को सदा के लिए विघ्नमुक्त कर दें।
वक्रतुंड गणेश मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | गणेश चतुर्थी के दिन, सुबह-सुबह |
इस मंत्र का जाप करने की संख्या | 108 बार |
वक्रतुंड गणेश मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | भगवान गणेश की मूर्ति के सामने, उत्तर या पूर्व दिशा की ओर |
भय को नष्ट करने के लिए गणेश मंत्र बहुत फायदेमंद है। हालांकि डर लगना या भयभीत होना, मनुष्य के लिए सामान्य अनुभूति है। यह सामान्य भाव है। लेकिन डर के भय में रहना सही नहीं है। अगर समय रहते इसे नष्ट न किया जाए, तो हम अपने डर की वजह से जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे बल्कि हमारा डर हमें अपने वश में कर लेगा, जो कि किसी के लिए भी सही नहीं है। इसलिए अपने डर को जीतने की कोशिश करनी चाहिए। भक्ति के साथ गणेश मंत्र का नियमित जप सभी प्रकार के भय को हराने में बहुत मदद कर सकता है, चाहे वह प्राकृतिक हो या अलौकिक। गणेश मंत्रों के निरंतर जाप करने से श्रद्धालु के चारों ओर एक प्रकार का बल क्षेत्र निर्मित होता है, जो उन्हें हर उस चीज से बचाता है जिससे वह डरते हैं। गणेश गायत्री मंत्र (ganesh gayatri mantra) नियमित जप के लिए एक बहुत अच्छा मंत्र है क्योंकि यह सकारात्मकता लाता है।
ऊँ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात्॥
अर्थ- हम भगवान गणपति, जिनके हाथी के दांत हैं और जो सर्वव्यापी है, उनको नमन करते हैं। हम भगवान गणेश जी से प्रार्थना करते हैं कि हमें अधिक बुद्धि प्रदान करें और हमारे जीवन को ज्ञान से रोशन कर दें। हम आपके सामने नतमस्तक होते हैं।
गणेश गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | बुधवार, गणेश चतुर्थी |
इस मंत्र का जाप करने की संख्या | 108 बार |
गणेश गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | भगवान गणेश की मूर्ति के सामने, उत्तर या पूर्व दिशा की ओर |
भगवान गणेश की उपस्थिति कई तरह से भिन्न होती है, लेकिन लोकप्रिय मान्यता के अनुसार, भगवान गणेश को एक रहस्यमय रूप में देखा जा सकता है। भगवान गणेश की शारीरिक संरचना के अनुसार उनके सिर हाथी के मुख जैसा है, जिसमें एक सूंड है जो कि मानव शरीर पर आराम कर रहा है। उनका उदर बाहर की ओर निकला हुआ है, और उनकी चार भुजाएं हैं। उनकी प्रत्येक भुजाओं के अलग-अलग कार्य हैं। ऊपरी हाथों में एक फंदा (पाशा) और कुल्हाड़ी होती है। नीचे के हाथों की भी अलग-अलग भूमिकाएं होती हैं। एक हाथ से अभय मुद्रा बना रहे हैं, तो दूसरे हाथ में मोदक से भरी कटोरी है। भगवान गणेश को उनके वाहन मुशक राज या चूहे के स्वामी के साथ दिखाया गया है।
ॐ गं गणपतये नमः |
अर्थ- सर्वशक्तिमान गणपति को अपने पूरे अस्तित्व के साथ नमन करना और यह कहते हुए अनुग्रह करना कि हे प्रभु आपके गुणों को मैं अपने व्यक्तित्व का हिस्सा बना सकूं, मुझे इसका अशीर्वाद दो।
गणेश मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | सुबह-सुबह, पूजा शुरू करने से पहले |
इस मंत्र का जाप करने की संख्या | 108 बार |
गणेश मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | भगवान गणेश की मूर्ति के सामने, उत्तर या पूर्व दिशा की ओर |
आस्तिक हों या अविश्वासी, सबने मंत्रों के महत्व को हजारों वर्षों से स्वीकार किया है। मंत्र हिंदू धर्म के हर अनुष्ठान में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हर हिंदू घर, मंदिरों में मंत्रों का जाप करते हुए मंदिर में घंटियां बजाई जाती हैं, धूप जलाई जाती है और फूल चढ़ाए जाते हैं, जिसकी मीठी-मीठी गंध चौरतरफा फैलती है। मंत्रों का भावपूर्ण जप सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है और देवी-देवताओं के पति उनके मन में आदर-श्रद्धाभाव को जागृत करता है। मंत्रों का पाठ करते हुए जिस शांति की अनुभूति होती है, वह बेजोड़ है। दुनिया भर के लोग मंत्र के जरिए निकलने वाली शक्ति को स्वीकार करने लगे हैं।
ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट ||
अर्थ- 'ऋणहर्ता' भगवान गणेश का दूसरा नाम है। इस शब्द का शाब्दिक अर्थ है 'धन का दाता'। इसे और सरल शब्दों में समझें तो ऋणहर्ता का मतलब है जो हमारे ऋण को हर ले और हमें ऋणमुक्त कर दे। भगवान गणेश वह भगवान हैं जो हमें ऋणमुक्त होने का आशीर्वाद देते हैं।
ऋणहर्ता मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | सुबह-सुबह स्नान के बाद |
इस मंत्र का जाप करने की संख्या | 108 बार या 125000 बार |
ऋणहर्ता मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कर्ज से जूझ रहा व्यक्ति या कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | भगवान गणेश की मूर्ति के सामने, पश्चिम दिशा की ओर |
भगवान गणेश का आह्वान करने वाले अधिकांश मंत्रों को सिद्धि मंत्र कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि वह ज्ञान और बुद्धि का साकार रूप हैं। सिद्धि मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को शांति की अनुभूति होती है। जब नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और आत्मा को परम संतुष्टि देने की बात आती है तो सिद्धि मंत्र बहुत फायदेमंद होते हैं। प्रत्येक गणेश मंत्र अत्यंत शक्तिशाली और ऊर्जा से भरपूर है। किसी भी दिन भगवान गणेश की पूजा करने से किसी को कोई नुकसान नहीं होता है बल्कि यह फायदा ही पहुंचाती है। लेकिन गणेश चतुर्थी और गणेश जयंती के दिन अगर भगवान गणेश की पूजा की जाए, तो यह अविश्वसनीय रूप से फायदेमंद हो सकती है।
ॐ नमो सिद्धि विनायकाय सर्व कार्य कर्त्रे सर्व विघ्न प्रशमनाय
सर्व राज्य वश्यकरणाय सर्वजन सर्वस्त्री पुरुष आकर्षणाय श्रीं ॐ स्वाहा ॥
अर्थ- हे बुद्धि और सुख के स्वामी, केवल आप ही हर चीज को संभव बनाते हैं। आप सभी बाधाओं को दूर करने वाले हैं और आपने ब्रह्मांड में हर प्राणी को मंत्रमुग्ध कर दिया है, आप सभी महिलाओं और पुरुषों के भगवान हैं, एवमस्तु।
सिद्धि विनायक मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | सुबह-सुबह स्नान के बाद |
इस मंत्र का जाप करने की संख्या | 108 बार या 125000 बार |
सिद्धि विनायक मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी या जो नया व्यवसाय शुरू कर रहा है |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | उत्तर या पूर्व, भगवान गणेश की मूर्ति |
गणेश चतुर्थी एक वार्षिक उत्सव है जो भारत के कई हिस्सों में आयोजित किया जाता है। विशेष रूप से महाराष्ट्र और तेलंगाना गणेश चतुर्थी पूरे दस दिनों तक मनाया जाता है। इस उत्सव का गणेश चतुर्थी की शुरुआत के पहले दिन से आरंभ किया जाता है और पखवाड़े के चौदहवें दिन (अनंत चतुर्दशी) के अंत में समाप्त होता है। इसका शुभ समय विशेष रूप से अगस्त के अंत या सितंबर की शुरुआत में होता है। पारंपरिक रूप से हिंदू कैलेंडर में भाद्रपद के महीने में पहले पखवाड़े (शुक्ल चतुर्थी) के चौथे दिन यह उत्सव आयोजित किया जाता है।
यह एक बहुत ही खास अवसर है, क्योंकि इस शुभ समय के दौरान, भगवान गणेश की पूजा करना बेहद फायदेमंद हो सकता है और पूजा करने वाले को बहुत अच्छा भाग्य और सफलता मिल सकती है। लोग इस त्योहार को अपने घर और यहां तक कि अपने कार्यालयों में भी मनाते हैं। बंगाल में दुर्गा पूजा की तरह, गणेश चतुर्थी भी मनाई जाती है। पंडालों में भगवान गणेश की असाधारण मूर्तियों को प्रदर्शित किया जाता है और घरों में भगवान गणेश की एक उचित आकार की मूर्ति की पूजा की जाती है। गणेश चतुर्थी के अंतिम दिन में भगवान गणेश की मूर्ति को इस उम्मीद के साथ पानी में विसर्जित कर दिया जाता है कि अगले साल भी इसे बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाया जाएगा।
ऊँ ह्रीं ग्रीं ह्रीं।
अर्थ- इसका अर्थ है सर्वोच्च स्वामी।
शक्तिविनायक मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | सुबह-सुबह स्नान के बाद |
इस मंत्र का जाप करने की संख्या | 108 बार |
शक्ति विनायक मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | भगवान गणेश की मूर्ति के सामने या उत्तर या पूर्व दिशा की ओर। |
गणेश जयंती के नाम से भी जाने वाला माघ शुक्ल चतुर्थी को भगवान गणेश की जयंती के रूप में मनाया जाता है। भगवान गणे ज्ञान और बुद्धि के देवता हैं। गणेश चतुर्थी के समान, यह त्यौहार भी समान रूप से हर साल माघ (जनवरी / फरवरी) के महीने में शुक्ल पक्ष चतुर्थी के दिन (उज्ज्वल पखवाड़े का चौथा दिन या शुक्ल पक्ष) के दौरान ज्यादातर महाराष्ट्र और गोवा के आसपास भव्य तरीके से मनाया जाता है। हल्दी और सिंदूर से भगवान गणेश की प्रतिष्ठित शंक्वाकार आकृति बनाई जाती है और मंत्रों के अनुसार पूजा की जाती है।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥
ऊँ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
अर्थ- गणेश मूल मंत्र सबसे संक्षिप्त और शक्तिशाली गणेश मंतों में से एक है। यह मंत्र भगवान गणपति (गणेश) के अद्वितीय और दिव्य रूप और उनकी शक्तियों का जश्न मनाता है। गणेश मूल (जड़) मंत्र, 'ओम' के मंत्र से शुरू होकर सकारात्मकता, पवित्रता, ऊर्जा और किसी के जीवन में भगवान गणपति की उपस्थिति का आह्वान करता है।
गणेश मूल मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | सुबह-सुबह, गणेश चतुर्थी, पूजा और यज्ञ के दौरान |
इस मंत्र का जाप करने की संख्या | 108 बार |
गणेश मूल मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | भगवान गणेश की मूर्ति के सामने या उत्तर या पूर्व दिशा की ओर |
भगवान गणेश ज्ञान और बुद्धि के देवता हैं। उनकी पूजा करने से सफलता और तृप्ति मिलती है और उनके आशीर्वाद को जगाने के लिए उन्हें समर्पित कई मंत्र हैं। इन गणेश मंत्रों को सिद्धि मंत्र के रूप में भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है कि इसमें पूर्णता है। भगवान गणेश हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय देवता हैं और उनकी पूजा करने से समृद्धि अवश्य प्राप्त होगी। भगवान गणेश को अलग-अलग नामों से भी पुकारा जाता है और प्रत्येक नाम के प्रत्येक शब्द का एक विशिष्ट अर्थ होता है।
ॐ गणाध्यक्षाय नमः।
अर्थ- गणध्याक्षय - गण का अर्थ है 'समूह' और 'अध्यक्ष' का अर्थ है 'वह जो समूह का नेता हो’। गणध्याक्ष को मेरा नमन।
ॐ गजाननाय नमः।
अर्थ- यहां गजानन का अर्थ है हाथी का सिर ढोने वाला। संस्कृत में गज का अर्थ हाथी होता है। इस मंत्र का अर्थ है कि यदि भगवान जीवित रहने और अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए हाथी का सिर उठा सकते हैं, तो हमें भी अपने अहंकार को त्यागकर कर्तव्यपरायण जीवन जीना चाहिए।
ॐ विघ्ननाशाय नमः।
अर्थ- गणपति की पूजा जीवन से विघ्नों को दूर करने के लिए भी की जाती है। यहाँ विघ्न का अर्थ है बाधाएँ और नाशनाय का अर्थ है बाधाओं को दूर करने वाला।
ॐ लम्बोदराय नमः।
अर्थ- भगवान गणेश अपने भोजन से प्यार करने के लिए जाने जाते हैं। उनका पेट बहुत बड़ा और गोल है। इस प्रकार 'लंबोदर' उन्हें एक बड़े पेट वाले भगवान के रूप में संदर्भित करता है।
ॐ सुमुखाय नमः।
अर्थ- सुमुख का अर्थ है 'मनभावन चेहरे वाला'। भगवान गणेश ने अपना सुंदर मुख खो दिया और उन्हें आजीवन हाथी का मुख लगाकर रखना पड़ा। इसके बावजूद भगवान गणेश का मन और स्वभाव इतना प्यारा और आत्मा शुद्ध होने के कारण उनकी पवित्रता उनक हाथी मुख में भी झलकती रही। इसलिए वह सुंदर और शांत दिखते हैं। उन मुख सबको प्रिय है।
ॐ गजकर्णिकाय नमः।
अर्थ- गज का अर्थ हाथी और कर्णिकाय का अर्थ कान होता है। गज के हाथी जैसे भगवान गणपति आपको नमन।
ॐ विकटाय नमः।
अर्थ- यहाँ 'विकट' का अर्थ है कठिन।
ॐ विनायकाय नमः।
अर्थ- सतयुग में भगवन गणेश का नाम 'विनायक' है। विनायक का अर्थ है 'नियंत्रण में सब कुछ' और इसका अर्थ 'समस्याओं को हल करने वाला भगवान' भी है।
नामावली गणेश मंत्र का जाप करने का सबसे अच्छा समय | सुबह-सुबह |
इन मंत्रों का जाप करने की संख्या | 108 बार |
नामावली गणेश मंत्र का जाप कौन कर सकता है | कोई भी |
किस ओर मुख करके इन मंत्रों का जाप करें | भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर के सामने |
सफलता मंत्र
देवी चंद्रघंटा मंत्र
साबर मंत्र
साईं मंत्र
काली मंत्र
बटुक भैरव मंत्र
काल भैरव मंत्र
शक्ति मंत्र
पार्वती मंत्र
बीज मंत्र
ऊँ मंत्र
दुर्गा मंत्र
कात्यायनी मंत्र
तुलसी मंत्र
महा मृत्युंजय मंत्र
शिव मंत्र
कुबेर मंत्र
रुद्र मंत्र
राम मंत्र
संतान गोपाल मंत्र
गायत्री मंत्र
हनुमान मंत्र
लक्ष्मी मंत्र
बगलामुखी मंत्र
नवग्रह: मंत्र
सरस्वती मंत्र
सूर्य मंत्र
वास्तु मंत्र
मंगल मंत्र
चन्द्र मंत्र
बुद्ध मंत्र
बृहस्पति मंत्र
शुक्र मंत्र
शनि मंत्र
राहु मंत्र
केतु मंत्र
गर्भावस्था मंत्र
गृह शांति मंत्र
गणेश मंत्र
राशि मंत्र
कृष्ण मंत्र
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