भगवान शिव को इस दुनिया के पुन: निर्माता के रूप में जाना जाता है। साथ ही, उन्हें त्रिमूर्ति में सबसे मजबूत माना जाता है। भगवान रुद्र विभिन्न नामों से जाने जाते हैं। भगवन रुद्र का नाम भले ही बेहद उग्र और आक्रामक स्वभाव का लगता है, लेकिन वह अत्यंत दयालु देवता हैं। जो भक्त विभिन्न रुद्र मंत्रों का जाप करते हैं, भगवान रुद्र उनकी हर जरूरतों को पूरा करने के लिए पहचाने जाते हैं।
रुद्र मंत्र (rudra mantra) को रुद्र कवच मंत्र के रूप में भी जाना जाता है। इन सभी मंत्रों में चमत्कारी शक्तियां होती हैं। जो जातक इन मंत्रों का जाप करता है, नकारात्मक ऊर्जा उससे दूर रहती है। इस मंत्र के जाप के दौरान उपासक को भगवान रुद्र को फूल और शुद्ध जल अर्पित करना चाहिए। आप चाहें तो नियमित रूप से रुद्र मंत्र का जाप कर सकते हैं। हालांकि इन मंत्रों को वैदिक नियमों के अनुसार ही जाप किया जाना चाहिए।
यजुर्वेद के अनुसार, चमकम और श्री रुद्रम भगवान शिव या महादेव को समर्पित वैदिक स्तोत्र हैं। महादेव के अन्य नाम चमकम और श्री रुद्रम के परिवर्तनशील गुणों की इन मंत्रों के जरिए पूजा-याचना की जाती है। एक एकादश रुद्रम श्री रुद्रम के ग्यारह मंत्रों से बनता है, जिसके बाद चमकम के एकल मंत्र का जप किया जाता है।
नियमित रूप से श्री रुद्रम के जप को रूपम के नाम से जाना जाता है और इसमें एक बार नमकम का पाठ होता है, इसके बाद चमकम-एकदसा रुद्रम का जाप होता है। इसके अलावा, जब आप एकादश रुद्रम के 11 बार 121 बार जाप करते हैं, तो वह लघु रुद्र होता है। लघु रुद्रम की 11 माला जब 1331 बार जप की जाती है तो वह महा रुद्रम होता है। अंत में यदि 14611 बार जाप किया जाए तो यह अति रुद्रम होता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, मंत्र को बार-बार दोहराने से ही रुद्र मंत्र (rudra mantra) के कंपन और ऊर्जा को समझा जा सकता था। इसके अलावा, यदि आप इस मंत्र के सही उच्चारण के लिए किसी गुरु की मदद लेते हैं, तो आप सहजता से रुद्र मंत्र पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम हो सकेंगे। रुद्र मंत्र का जाप कई बीमारियों से छुटकारा पाने में मदद करता है। ध्यान रखें कि इस मंत्र का उचित उच्चारण के साथ जप करना चाहिए। इससे जीवन में आई बाधाओं और प्रतिकूलता को दूर किया जा सकता है। इस मंत्र के अच्छे प्रभाव जीवन में धन और सफलता प्राप्त करने में मदद करते हैं। साथ ही इस मंत्र का नियमित उच्चारण करने से शांति-समृद्धि से भरे संतोषजनक जीवन का आनंद लिया जा सकता है।
रुद्र मंत्र (rudra mantra) को विशेष रूप से भगवान शिव और देवी माँ शक्ति के प्रति भक्ति दिखाने के लिए बनाया गया है। इसका नियमित रूप से जाप करने से पहले आपको कुछ बुनियादी बातों का पता होना चाहिए। इसमें सबसे पहले है, रुद्र मंत्र का सही उच्चारण के साथ जाप करना चाहिए। यदि आपको रुद्र मंत्र के जाप के दौरान कोई गलती दिखाई देती है, तो आपको उसे तुरंत सुधारना चाहिए। ऐसा न किए जाने के कारण अर्थात गलत मंत्र का उच्चारण करने के कारण जातक के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
इनके अलावा, लोगों को रुद्र मंत्र (rudra mantra) के जाप की दो महत्वपूर्ण विधियों को याद रखना चाहिए। पहला है, सकाम और दूसरा है, निष्काम। यदि आप निष्काम विधि के अनुसार रुद्र मंत्र का जाप करना चाहते हैं, तो आपको इसे बिना किसी विशेष उद्देश्य या इच्छा के करना चाहिए।
सामान्य तौर पर, जातक के मन को शांत करने के लिए रुद्र मंत्र का जाप किया जाता है। यह मंत्र स्वयं को भगवान शिव के चरणों में समर्पित करने के लिए है। यह उन लोगों के धन, नाम और प्रसिद्धि को बढ़ाने में मदद करता है, जो नियमित तौर पर इसका जप करते हैं। ऐसे लोगों के जीवन से परेशानियां भी दूर रहती हैं। यदि आप वैदिक ज्योतिष के अनुसार नियमित रूप से इस मंत्र का पाठ करते हैं, तो आपको अपने जीवन से जुड़े कई अनसुलझे प्रश्नों के उत्तर प्राप्त होंगे। इसके साथ ही यह मंत्र विभिन्न बीमारियों और तनाव से संबंधित समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
|| ॐ नमो भगवते रुद्राय ||
अर्थ- मैं पवित्र रुद्र को नमन करता हूँ।
रुद्र मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | सुबह |
इस मंत्र का जाप करने की संख्या | 108, 121, 1331, 14611 बार |
रुद्र मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | पूर्व दिशा की ओर |
रुद्र गायत्री मंत्र का पाठ आमतौर पर उन लोगों द्वारा किया जाता है, जो अपने जीवन पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं और मन की शांति चाहते हैं। यह जातक को ज्ञान का भंडार बनने और हृदय को ज्ञान से भरने में मदद करता है। रुद्र गायत्री मंत्र सबसे शक्तिशाली रुद्र मंत्रों में से एक है। यह लोगों को स्थिर मानसिकता और जीवन में आगे बढ़ने के लिए सही दिशा प्रदान करता है। इसके अलावा, यह आपको नकारात्मकताओं से मुक्त जीवन जीने में मदद करता है। यही नहीं, यह मंत्र आपको कठिन परिस्थितियों में भी सकारात्मक बनाए रखता है।
|| ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात् ||
अर्थ- मैं सर्वशक्तिमान, आदर्श पुरुष महादेव को नमन करता हूं। मुझे बुद्धि दो और ज्ञान से प्रबुद्ध करो।
रुद्र गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | सुबह |
इस मंत्र का जाप करने की संख्या | 108 बार |
रुद्र गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | पूर्व दिशा की ओर |
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