नामकरण संस्कार को हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व दिया जाता है। आधुनिक युग में माता-पिता लापरवाही से अपने बच्चे का नाम एक सामान्य दिन पर रख देते हैं। लेकिन हमारे धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार नामकरण समारोह के दौरान परिवार के बुजुर्ग सदस्यों की देखरेख में एक नवजात शिशु का नाम रखा जाना चाहिए। नाम मनुष्य के अस्तित्व को वैधता प्रदान करता है। इस लेख के माध्यम से हम नामकरण संस्कार के महत्व की व्याख्या करेंगे और इस समारोह को आयोजित करने के लिए विशेष समय के बारे में भी जानकारी प्रदान करेंगे। एक विशेष मुहूर्त के अनुसार समारोह का संचालन करना शुभ माना जाता है। जिस तरह मुहूर्त का पालन करके अन्य शुभ कार्यों का स्मरण किया जाता है, उसी प्रकार इस समारोह को भी उसी के अनुसार संपन्न किया जाना चाहिए। नामकरण संस्कार को न केवल धार्मिक आधार पर महत्वपूर्ण माना जाता है, बल्कि इसका सर्वोच्च ज्योतिषीय महत्व भी है।
नामकरण संस्कार नवजात शिशु के साथ-साथ उसके माता-पिता के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। इसलिए शुभ मुहूर्त में इसे करना बहुत महत्वपूर्ण है। यहां सवाल उठता है कि आखिर आपको अपने बच्चे का नाम विशेष रूप से मुहूर्त में क्यों रखना चाहिए? इसके अतिरिक्त सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि नवजात शिशु का नामकरण क्यों किया जाना चाहिए? अगर आप इन सभी सवालों के जवाब जानना चाहते हैं, तो इस लेख को आगे पढ़ें। यहां आपको आपके सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे। यहां हम इस संबंध में विस्तार से चर्चा करेंगे।
शिशु नामकरण समारोह हिंदू पांडुलिपियों में वर्णित सोलह महत्वपूर्ण संस्कारों में से एक है। यह एक बच्चे का पहला और सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है और अगर परिवार और बच्चे के माता-पिता द्वारा पूर्ण विश्वास के साथ किया जाता है, तो यह जीवन में अच्छे परिणाम देने के लिए जाना जाता है। इस प्रकार, धार्मिक मान्यताओं के आधार पर आपको इस तथ्य का ध्यान रखना चाहिए कि आपके बच्चे का नाम पंडित की देखरेख में एक शुभ दिन में रखा जाता है। इससे नवजात शिशु को आजीवन लाभ पहुंचाता है।
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हिंदू संस्कृति के अनुसार आप अपने बच्चे के लिए जो नाम रखते हैं, उसमें विशेष ऊर्जा होती है, जो उसे उपयुक्त ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ प्रतिध्वनित करने की अनुमति देती है। यह भौतिकवादी और आध्यात्मिक तरीके से बच्चे के व्यापक विकास में सहायता करता है। हिंदू धर्म में जन्म से ही किसी के जीवन में कई तरह के अनुष्ठान होते हैं। उन महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक शिशु का घर पर नामकरण समारोह शामिल है। यह औपचारिक कार्यक्रम है, जिसमें एक बच्चे का नाम रखा जाता है। साथ ही परिवार और समाज द्वारा शिशु का स्वागत किया जाता है और उसे एक पहचान दी जाती है।
पारंपरिक नामकरण संस्कार बच्चे को बड़े होने पर समाज में अच्छी शक्ति प्राप्त करने में मदद करता है। लेकिन आयोजित होने वाले प्रत्येक समारोह के लिए सही मुहूर्त की तलाश करना बहुत महत्वपूर्ण है। इस लेख में हम आपके बेटे या बेटी के नामकरण समारोह 2023 (namkaran shubh muhurat 2023) की तारीखों और समय के सभी विवरण प्रदान करेंगे। यदि आप नाम रखने की सही प्रक्रिया के बारे में अनिश्चित हैं, तो किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी या आप हमारे एस्टोटॉक के ज्योतिषियों से भी संपर्क कर सकते हैं। वह आपके बच्चे की कुंडली का विश्लेषण करेंगे और नामकरण दिवस समारोह का फैसला करेंगे।
दिन | समय | नक्षत्र |
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1 जनवरी 2023, रविवार | 1 जनवरी सुबह 7 बजकर 18 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक | अश्विनी |
4 जनवरी 2023, बुधवार | 4 जनवरी सुबह 7 बजकर 18 मिनट से 5 जनवरी रात 9 बजकर 26 मिनट तक | रोहिणी |
8 जनवरी 2023, रविवार | 8 जनवरी सुबह 7 बजकर 19 मिनट से 9 जनवरी सुबह 6 बजकर 5 मिनट तक | पुष्य |
13 जनवरी 2023, शुक्रवार | 13 जनवरी दोपहर 4 बजकर 35 मिनट से 14 जनवरी शाम 7 बजकर 19 मिनट तक | हस्त |
18 जनवरी 2023, बुधवार | सुबह 7 बजकर 18 मिनट से शाम 5 बजकर 22 मिनट तक | अनुराधा |
22 जनवरी 2023 रविवार, | 22 जनवरी सुबह 7 बजकर 17 मिनट से 24 जनवरी सुबह 12 बजकर 26 मिनट तक | श्रवण |
25 जनवरी 2023, बुधवार | 25 जनवरी रात 8 बजकर 5 मिनट से 28 जनवरी सुबह 7 बजकर 15 मिनट तक | उत्तरा भाद्रपद |
30 जनवरी 2023, सोमवार | 30 जनवरी रात 10 बजकर 15 मिनट से 31 जनवरी सुबह 7 बजकर 14 मिनट तक | रोहिणी |
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दिन | समय | नक्षत्र |
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1 फरवरी 2023, बुधवार | 1 फरवरी सुबह 7 बजकर 13 मिनट से 2 फरवरी सुबह 3 बजकर 23 मिनट तक | मृगाशिरा |
5 फरवरी 2023, रविवार | सुबह 7 बजकर 11 मिनट से दोपहर 12 बजकर 13 मिनट तक | पुष्य |
9 फरवरी 2023, गुरुवार | 9 फरवरी रात 10 बजकर 27 मिनट से 11 फरवरी सुबह 12 बजकर 18 मिनट तक | हस्त |
14 फरवरी 2023, मंगलवार | सुबह 2 बजकर 35 मिनट से सुबह 7 बजकर 4 मिनट तक | अनुराधा |
17 फरवरी 2023, शुक्रवार | 17 फरवरी रात 8 बजकर 28 मिनट से 18 फरवरी सुबह 7 बजकर 1 मिनट तक | उत्तरा अषाढ़ा |
19 फरवरी 2023, रविवार | 19 फरवरी सुबह 7 बजे से 20 फरवरी सुबह 11 बजकर 46 मिनट तक | श्रवण |
22 फरवरी 2023, बुधवार | 22 फरवरी सुबह 6 बजकर 57 मिनट से 25 फरवरी सुबह 3 बजकर 26 मिनट तक | उत्तरा भाद्रपद |
27 फरवरी 2023, सोमवार | 27 फरवरी सुबह 5 बजकर 18 मिनट से 28 फरवरी सुबह 6 बजकर 51 मिनट तक | रोहिणी |
दिन | समय | नक्षत्र |
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1 मार्च 2023, बुधवार | सुबह 6 बजकर 50 मिनट से 9 बजकर 52 मिनट तक | मृगाशिरा |
3 मार्च 2023, शुक्रवार | 3 मार्च दोपहर 3 बजकर 43 मिनट से 4 मार्च सुबह 6 बजकर 47 मिनट तक | पुष्य |
9 मार्च 2023, गुरुवार | 9 मार्च सुबह 4 बजकर 20 मिनट से 10 मार्च सुबह 5 बजकर 57 मिनट तक | हस्त |
13 मार्च 2023, सोमवार | 13 मार्च सुबह 8 बजकर 21 मिनट से 14 मार्च सुबह 6 बजकर 36 मिनट तक | अनुराधा |
17 मार्च 2023, शुक्रवार | 17 मार्च सुबह 4 बजकर 47 मिनट से 18 मार्च सुबह 6 बजकर 31 मिनट तक | उत्तरा अषाढ़ा |
19 मार्च 2023, रविवार | सुबह 6 बजकर 30 मिनट से रात 10 बजकर 4 मिनट तक | धनिष्ठा |
22 मार्च 2023, बुधवार | 22 मार्च सुबह 6 बजकर 27 मिनट से 24 मार्च दोपहर 1 बजकर 22 मिनट तक | उत्तरा भाद्रपद |
26 मार्च 2023, रविवार | 26 मार्च दोपहर 2 बजकर 1 मिनट से 28 मार्च सुबह 6 बजकर 20 मिनट तक | रोहिणी |
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दिन | समय | नक्षत्र |
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1 अप्रैल 2023, शनिवार | सुबह 12 बजे से सुबह 1 बजकर 57 मिनट तक | पुष्य |
5 अप्रैल 2023, बुधवार | 5 अप्रैल सुबह 11 बजकर 23 मिनट से 6 अप्रैल दोपहर 12 बजकर 41 मिनट तक | हस्त |
9 अप्रैल 2023, रविवार | 9 अप्रैल दोपहर 2 बजे से 10 अप्रैल दोपहर 1 बजकर 39 मिनट तक | अनुराधा |
13 अप्रैल 2023, गुरुवार | 13 अप्रैल सुबह 10 बजकर 43 मिनट से 15 अप्रैल सुबह 6 बजे तक | उत्तरा आषाढ़ा |
18 अप्रैल 2023, मंगलवार | सुबह 2 बजकर 28 मिनट से सुबह 5 बजकर 56 मिनट तक | उत्तरा भाद्रपद |
19 अप्रैल 2023, बुधवार | 19 अप्रैल सुबह 5 बजकर 55 मिनट से 20 अप्रैल रात 11 बजकर 10 मिनट तक | रेवती |
23 अप्रैल 2023, रविवार | 23 अप्रैल सुबह 5 बजकर 52 मिनट से 25 अप्रैल सुबह 2 बजकर 7 मिनट तक | रोहिणी |
28 अप्रैल 2023, शुक्रवार | सुबह 12 बजे से सुबह 9 बजकर 53 मिनट तक | पुष्य |
दिन | समय | नक्षत्र |
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3 मई 2023, बुधवार | सुबह 5 बजकर 43 मिनट से रात 8 बजकर 56 मिनट तक | हस्त |
7 मई 2023, रविवार | सुबह 5 बजकर 40 मिनट से रात 8 बजकर 21 मिनट तक | अनुराधा |
10 मई 2023, बुधवार | 10 मई दोपहर 4 बजकर 12 मिनट से 13 मई सुबह 5 बजकर 35 मिनट तक | उत्तरा आषाढ़ा |
15 मई 2023, सोमवार | 15 मई सुबह 9 बजकर 8 मिनट से 16 मई सुबह 5 बजकर 34 मिनट तक | उत्तरा भाद्रपद |
17 मई 2023, बुधवार | 17 मई सुबह 5 बजकर 33 मिनट से 18 मई सुबह 7 बजकर 22 मिनट तक | रेवती |
21 मई 2023, रविवार | 21 मई सुबह 5 बजकर 31 मिनट से 22 मई सुबह 10 बजकर 37 मिनट तक | रोहिणी |
24 मई 2023, बुधवार | 24 मई दोपहर 3 बजकर 6 मिनट से 25 मई दोपहर 3 बजकर 6 मिनट तक | पुष्य |
30 मई 2023, मंगलवार | सुबह 4 बजकर 29 मिनट से सुबह 5 बजकर 28 मिनट तक | हस्त |
31 मई 2023, बुधवार | सुबह 5 बजकर 28 मिनट से सुबह 6 बजे तक | हस्त |
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दिन | समय | नक्षत्र |
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7 जून 2023, बुधवार | 7 जून सुबह 5 बजकर 26 मिनट से 9 जून शाम 5 बजकर 9 मिनट तक | उत्तरा अषाढ़ा |
11 जून 2023, रविवार | 11 जून दोपहर 2 बजकर 32 मिनट से 13 जून सुबह 5 बजकर 26 मिनट तक | उत्तरा भाद्रपद |
14 जून 2023, बुधवार | सुबह 5 बजकर 26 मिनट से दोपहर 1 बजकर 40 मिनट तक | अश्विनी |
16 जून 2023, शुक्रवार | 16 जून दोपहर 3 बजकर 07 मिनट से 17 जून सुबह 5 बजकर 27 मिनट तक | रोहिणी |
18 जून 2023, रविवार | सुबह 5 बजकर 27 मिनट से शाम 6 बजकर 06 मिनट तक | मृगाशिरा |
21 जून 2023, बुधवार | सुबह 5 बजकर 27 मिनट से रात 10 बजकर 36 मिनट तक | पुष्य |
26 जून 2023, सोमवार | 26 जून दोपहर 12 बजकर 44 मिनट से 27 जून सुबह 5 बजकर 29 मिनट तक | हस्त |
30 जून 2023, शुक्रवार | 30 जून दोपहर 4 बजकर 10 मिनट से 1 जुलाई सुबह 5 बजकर 30 मिनट तक | अनुराधा |
दिन | समय | नक्षत्र |
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5 जुलाई 2023, बुधवार | 5 जुलाई सुबह 5 बजकर 32 मिनट से 7 जुलाई सुबह 12 बजकर 25 मिनट तक | उत्तरा आषाढ़ा |
9 जुलाई 2023, रविवार | 9 जुलाई सुबह 5 बजकर 34 मिनट से 11 जुलाई सुबह 5 बजकर 35 मिनट तक | उत्तरा भाद्रपद |
13 जुलाई 2023, गुरुवार | 13 जुलाई रात 8 बजकर 52 मिनट से 15 जुलाई सुबह 5 बजकर 37 मिनट तक | रोहिणी |
18 जुलाई 2023, मंगलवार | सुबह 5 बजकर 11 मिनट से सुबह 5 बजकर 38 मिनट तक | पुष्य |
19 जुलाई 2023, बुधवार | सुबह 5 बजकर 39 मिनट से सुबह 7 बजकर 58 मिनट तक | पुष्य |
23 जुलाई 2023, रविवार | 23 जुलाई शाम 7 बजकर 47 मिनट से 24 जुलाई रात10 बजकर 12 मिनट तक | हस्त |
28 जुलाई 2023, शुक्रवार | 28 जुलाई मध्यरात्रि 1 बजकर 28 मिनट से 29 जुलाई मध्यरात्रि 12 बजकर 55 मिनट तक | अनुराधा |
31 जुलाई 2023, सोमवार | 31 जुलाई शाम 6 बजकर 58 मिनट से 1 अगस्त सुबह 5 बजकर 46 मिनट तक | उत्तरा आषाढ़ा |
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दिन | समय | नक्षत्र |
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2 अगस्त 2023, बुधवार | 2 अगस्त सुबह 5 बजकर 46 मिनट से 3 अगस्त सुबह 9 बजकर 56 मिनट तक | श्रवण |
5 अगस्त 2023, शनिवार | सुबह 4 बजकर44 मिनट से सुबह 5 बजकर 48 मिनट तक | उत्तरा भाद्रपद |
6 अगस्त 2023, रविवार | 6 अगस्त सुबह 5 बजकर 49 मिनट से 8 अगस्त मध्यरात्रि 1 बजकर16 मिनट तक | रेवती |
10 अगस्त 2023, गुरुवार | 10 अगस्त मध्यरात्रि 2 बजकर 30 मिनट से 12 अगस्त सुबह 5 बजकर 52 मिनट तक | रोहिणी |
14 अगस्त 2023, सोमवार | 14 अगस्त सुबह 11 बजकर 07 मिनट से 15 अगस्त सुबह 5 बजकर 53 मिनट तक | पुष्य |
20 अगस्त 2023, रविवार | 20 अगस्त सुबह 5 बजकर 56 मिनट से 21 अगस्त प्रात:काल 4 बजकर 22 मिनट तक | हस्त |
24 अगस्त 2023, गुरुवार | 24 अगस्त सुबह 9 बजकर 04 मिनट से 25 अगस्त सुबह 9 बजकर14 मिनट तक | अनुराधा |
28 अगस्त 2023, सोमवार | 28 अगस्त सुबह 5 बजकर15 मिनट से 29 अगस्त सुबह 6 बजकर 1 मिनट तक | उत्तरा आषाढ़ा |
30 अगस्त 2023, बुधवार | सुबह 6 बजकर 01 मिनट से रात 8 बजकर 46 मिनट तक | धनिष्ठा |
दिन | समय | नक्षत्र |
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1 सितंबर 2023, शुक्रवार | 1 सितंबर दोपहर 2 बजकर 56 मिनट से 2 सितंबर सुबह 6 बजकर 03 मिनट तक | उत्तरा भाद्रपद |
3 सितंबर 2023, रविवार | 3 सितंबर सुबह 6 बजकर 03 मिनट से 4 सितंबर सुबह 9 बजकर 26 मिनट तक | रेवती |
6 सितंबर 2023, बुधवार | 6 सितंबर सुबह 9 बजकर 20 मिनट से 8 सितंबर 12 बजकर 09 मिनट तक | रोहिणी |
10 सितंबर 2023, रविवार | 10 सितंबर शाम 5 बजकर 06 मिनट से 11 सितंबर रात 8 बजकर 01 मिनट तक | पुष्य |
17 सितंबर 2023, रविवार | सुबह 6 बजकर 10 मिनट से सुबह 10 बजकर 02 मिनट तक | हस्त |
20 सितंबर 2023, बुधवार | 20 सितंबर दोपहर 2 बजकर 58 मिनट से 21 सितंबर दोपहर 3 बजकर 35 मिनट तक | अनुराधा |
24 सितंबर 2023, रविवार | 24 सितंबर दोपहर 1 बजकर 41 मिनट से 26 सितंबर सुबह 6 बजकर 14 मिनट तक | उत्तरा आषाढ़ा |
27 सितंबर 2023, बुधवार | सुबह 6 बजकर 15 मिनट से 27 सितंबर सुबह 7 बजकर 10 मिनट तक | धनिष्ठा |
29 सितंबर 2023, शुक्रवार | 29 सितंबर मध्यरात्रि 1 बजकर48 मिनट से 30 सितंबर सुबह 6 बजकर 17 मिनट तक | उत्तरा भाद्रपद |
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दिन | समय | नक्षत्र |
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1 अक्टूबर 2023, रविवार | सुबह 6 बजकर 17 मिनट से शाम 7 बजकर 27 मिनट तक | अश्विनी |
4 अक्टूबर 2023, बुधवार | 4 अक्टूबर सुबह 6 बजकर19 मिनट से 5 अक्टूबर शाम 7 बजकर 40 मिनट तक | रोहिणी |
8 अक्टूबर 2023, रविवार | 8 अक्टूबर सुबह 6 बजकर 21 मिनट से 9 अक्टूबर मध्यरात्रि 2 बजकर45 मिनट तक | पुष्य |
13 अक्टूबर 2023, शुक्रवार | 13 अक्टूबर दोपहर 2 बजकर 11 मिनट से 14 अक्टूबर सुबह 6 बजकर 24 मिनट तक | हस्त |
18 अक्टूबर 2023, बुधवार | सुबह 6 बजकर 27 मिनट से रात 9 बजे तक | अनुराधा |
22 अक्टूबर 2023, रविवार | 22 अक्टूबर सुबह 6 बजकर 29 मिनट से 24 अक्टूबर सुबह 6 बजकर 31 मिनट तक | उत्तरा अषाढ़ा |
26 अक्टूबर 2023, गुरुवार | 26 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 27 मिनट से 28 अक्टूबर सुबह 6 बजकर 33 मिनट तक | उत्तरा भाद्रपद |
31 अक्टूबर 2023, मंगलवार | सुबह 4 बजकर 01 मिनट से सुबह 6 बजकर 35 मिनट तक | रोहिणी |
दिन | समय | नक्षत्र |
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1 नवंबर 2023, बुधवार | 1 नवंबर सुबह 6 बजकर 36 मिनट से 2 नवंबर प्रात:काल 4 बजकर 36 मिनट तक | मृगशिरा |
5 नवंबर 2023, रविवार | सुबह 6 बजकर 39 मिनट से सुबह 10 बजकर 29 मिनट तक | पुष्य |
9 नवंबर 2023, गुरुवार | 9 नवंबर रात 9 बजकर 57 मिनट से 11 नवंबर मध्यरात्रि 12 बजकर 08 मिनट तक | हस्त |
14 नवंबर 2023, मंगलवार | सुबह 3 बजकर 23 मिनट से सुबह 6 बजकर 46 मिनट तक | अनुराधा |
18 नवंबर 2023, शनिवार | मध्यरात्रि 1 बजकर 17 मिनट से सुबह 6 बजकर 49 मिनट तक | उत्तरा आषाढ़ा |
19 नवंबर 2023, रविवार | 19 नवंबर सुबह 6 बजकर 50 मिनट से 20 नवंबर रात 9 बजकर 26 मिनट ्र तक | श्रवण |
22 नवंबर 2023, बुधवार | 22 नवंबर शाम 6 बजकर 37 मिनट से 25 नवंबर सुबह 6 बजकर 55 मिनट तक | उत्तरा भाद्रपद |
27 नवंबर 2023, सोमवार | 27 नवंबर दोपहर 1 बजकर 35 मिनट से 28 नवंबर सुबह 6 बजकर 57 मिनट तक | रोहिणी |
29 नवंबर 2023, बुधवार | सुबह 6 बजकर 58 मिनट से दोपहर 1 बजकर 59 मिनट तक | मृगशिरा |
दिन | समय | नक्षत्र |
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1 दिसंबर 2023, शुक्रवार | 1 दिसंबर दोपहर 4 बजकर 40 मिनट से 2 दिसंबर सुबह 7 बजे तक | पुष्य |
7 दिसंबर 2023, गुरुवार | 7 दिसंबर सुबह 6 बजकर 28 मिनट से 8 दिसंबर सुबह 8 बजकर 54 मिनट तक | हस्त |
11 दिसंबर 2023, सोमवार | 11 दिसंबर दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से 12 दिसंबर सुबह 7 बजकर 08 मिनट तक | अनुराधा |
15 दिसंबर 2023, शुक्रवार | 15 दिसंबर सुबह 8 बजकर 10 मिनट से 16 दिसंबर सुबह 7 बजकर 10 मिनट तक | उत्तरा आषाढ़ा |
17 दिसंबर 2023, रविवार | 17 दिसंबर सुबह 7 बजकर 11 मिनट से 18 दिसंबर मध्यरात्रि 2 बजकर 54 मिनट तक | धनिष्ठा |
20 दिसंबर 2023, बुधवार | 20 दिसंबर सुबह 7 बजकर 13 मिनट से 22 दिसंबर रात 9 बजकर 36 मिनट तक | उत्तरा भाद्रपद |
24 दिसंबर 2023, रविवार | 24 दिसंबर रात 9 बजकर 19 मिनट से 26 दिसंबर सुबह 7 बजकर 15 मिनट तक | रोहिणी |
29 दिसंबर 2023, शुक्रवार | 29 दिसंबर मध्यरात्रि 1 बजकर 04 मिनट से 30 दिसंबर मध्यरात्रि 3 बजकर 09 मिनट तक | पुष्य |
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प्रत्येक संस्कार समारोह के लिए शुभ मुहूर्त (shubh muhurat) खोजने के लिए ज्योतिषियों या प्रसिद्ध विद्वानों से संपर्क किया जाता है। इसलिए आमतौर पर सामान्य लोग नामकरण समारोह आयोजित करने हेतु उचित मुहूर्त प्राप्त करने के लिए विशेष ज्योतिषी को बुलाते हैं। ज्योतिषी पंचांग की सहायता से शुभ तिथि और समय का चुनाव करता है। आधुनिक युग में उचित मुहूर्त खोजने के लिए इंटरनेट की मदद भी ली जा सकती है। कई वेबसाइट और एप्लिकेशन हैं, जो किसी ज्योतिषी की सहायता के बिना किसी भी शुभ अवसर के लिए मुहूर्त खोजने में मदद करते हैं। आप भी चाहें तो इनकी मदद लेकर नामकरण के लिए शुभ मुहूर्त निकलवा सकते हैं। यह लोगों के लिए सहज और आसान है। दरअसल, महज नामकरण संस्कार के लिए शुभ मुहूत निकालने हेतु किसी पंडित/ज्योतिषी के पास जाने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन इस समारोह को करने के लिए प्रमुख ज्योतिषियों की सहायता की आवश्यकता होती है। शुभ मुहूर्त का आकलन तकनीक और इंटरनेट की सहायता से भी किया जा सकता है। हालांकि, अधिक सटीक परिणाम प्राप्त करने के लिए ज्योतिषी से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।
हिंदू धर्म में वर्णित सभी सोलह संस्कारों में से नामकरण संस्कार काफी महत्वपूर्ण है। नाम व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह समाज में उसके अस्तित्व को निर्धारित करता है। यही कारण है कि नामकरण संस्कार अपने आप में महत्वपूर्ण है। एक बच्चे के संबंधित माता-पिता और रिश्तेदार उसके पैदा होने के बाद उसे एक निश्चित नाम से पुकारना शुरू कर देते हैं। लेकिन हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों के अनुसार बच्चे का नामकरण संस्कार तब किया जाना चाहिए जब बच्चा ग्यारह या बारह दिन का हो जाए, इसके लिए आपको आवश्यक संस्कारों और अनुष्ठानों का पालन करना चाहिए।
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इस संस्कार समारोह के दौरान एक ज्योतिषी बच्चे की जन्म कुंडली पर ध्यान देता है और नक्षत्रों का विश्लेषण करने के बाद उसका नाम रखता है। इस समारोह का सफल स्मरणोत्सव बच्चे को आंतरिक और बाहरी रूप से आशीर्वाद देता है। यह आयोजित किया जाना चाहिए, क्योंकि नामकरण समारोह के सफल स्मरणोत्सव के बाद बच्चे का मानसिक और शारीरिक विकास बेहतर तरीके से होता है। इस संस्कार से बच्चे की जीवन प्रत्याशा भी बढ़ती है। यह समारोह विशेष रूप से बच्चे को एक अलग पहचान देता है, जो उसके भविष्य के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
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नामकरण संस्कार के लिए कौन सी तिथि और दिन शुभ हैं?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल 2023 के नामकरण समारोह के लिए सबसे अच्छी तिथि नवमी, एकादशी, षष्ठी और चतुर्दशी है। दिनों की बात करें, तो नामकरण संस्कार करने के लिए सबसे अच्छे दिन सोमवार, बुधवार और शुक्रवार हैं। गुरुवार को भी यह काम किया जा सकते हैं।
नामकरण संस्कार का महत्व क्या होता है?
जिन लोगों से आप जीवन में मिलेंगे, वे आपको उसी नाम से पहचानेंगे! इस प्रकार, नवजात शिशु के जीवन में शिशु नामकरण संस्कार का अत्यधिक महत्व होता है।
साल 2023 में किस माह में नामकरण संस्कार करना चाहिए?
जनवरी, फरवरी, मार्च, अप्रैल, मई, जून, जुलाई, अगस्त, सितबंर, अक्टूबर, नवबंर, दिसबंर माह में आप नामकरण संस्कार कर सकते हैं।
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