किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए शुभ मुहूर्त (shubh muhurat) काफी महत्वपूर्ण होता है। खासकर हिंदू धर्म में लोग किसी भी शुभ कार्य को शुभ मुहूर्त में ही करना अच्छा मानते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यदि शुभ मुहूर्त के दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य किया जाए, तो इसके परिणाम काफी फलदायी होते हैं। यही कारण है कि सदियों से शुभ मुहूर्त की गणना और नए कार्य शुरू करने की परंपरा चली आ रही है। यदि हम वैदिक ज्योतिष के अनुसार बात करें, तो शुभ मुहूर्त वह विशेष समय होता है, जिसके दौरान सौर मंडल में ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति किसी विशिष्ट कार्य को करने के लिए शुभ होती है। यही कारण है कि लोगों का मानना है कि इस शुभ मुहूर्त (shubh muhurta) का पालन करने से बिना किसी बाधा और समस्याओं का सामना किए अधिक फलदायी और सफल परिणाम प्राप्त करने में मदद मिलती है।
शुभ मुहूर्त के महत्व पर विशेष रूप से सनातन धर्म में काफी जोर दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि यदि कोई कार्य शुभ समय पर शुरू या समाप्त किया जाता है, तो इससे करने वाले व्यक्ति को काफी लाभ होता है। साथ ही शुभ समय में किया गया काम हमें जिंदगी में आगे बढ़ने और सफल होने में मदद करता है। यही कारण है कि आधुनिक युग में भी ज्यादातर हिंदू लोग किसी शुभ को करने के लिए शुभ मुहूर्त का इंतजार करते हैं। शुभ मुहूर्त जानने के लिए जानकार ज्योतिषियों और पंडितों की मदद ली जाती है। कुछ लोग सोचते हैं कि यह शुभ मुहूर्त 2023 अवधि क्या है? शुभ मुहूर्त को ज्योतिष द्वारा उस दिन के भाग्यशाली घंटे के रूप में परिभाषित किया जाता है, जब जातक को सौर मंडल में ग्रहों के नक्षत्रों के संरेखण प्राप्त होता है। इन सभी कारकों से व्यक्ति केवल तभी नए, अच्छे शुभ कार्य शुरू करने का निर्णय लेता है, जब उसे ऐसा करने का शुभ क्षण पता होता है, जो कि ग्रहों और नक्षत्रों की गति और स्थान की गणना करके निर्धारित की जाती है। कुछ नया शुरू करने की बात आती है, तो शुभ समय का इंतजार किया जाता है। शुभ मुहूर्त, हिंदू धर्म में दिन की शुभता को खोजने के तरीकों में से एक है। हर कार्य के लिए शुभ मुहूर्त का इंतजार किया जाता है। फिर चाहे आपकी शादी हो या आपके बच्चे का मुंडन हो, शुभ मुहूर्त का पालन करते हुए इस तरह के अनुष्ठान करने से आपको परमात्मा से आशीर्वाद प्राप्त होता है और इस प्रकार किसी भी स्थिति को आनंदमय बनाया जाता है।
इस लेख में हम विवाह मुहूर्त 2023, नामकरण मुहूर्त, मुंडन मुहूर्त, कार और बाइक खरीदने का शुभ मुहूर्त, सोना खरीदने का शुभ समय आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।
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किसी भी नए कार्य को करने के लिए किसी शुभ मुहूर्त का चुनाव करना इतना महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है? दरअसल, हम चाहते हैं कि हम जो भी कर रहे हैं, उसमें सफल हो सकें। ये काम करियर से जुड़े हुए, अपने व्यवसाय की शुरुआत करना, विवाह संबंध में बंधना, घर के छोटे-बड़े समारोह जैसे नामकरण, अन्नप्राशन आदि जैसे अनुष्ठान या आयोजन हो सकते हैं। इससे जातक आश्वस्त होता है कि शुभ मुहूर्त में किया गया उक्त कार्य उसे सफलता और समृद्धि अवश्य दिलवाएगा। इसलिए हम कार्य को शुभ मुहूर्त के दौरान करते हैं, जिसकी गणना ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति के अनुसार की जाती है। यही वजह है कि शुभ मुहूर्त काफी महत्वपूर्ण होता है। शुभ मुहूर्त देखने की यह परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि कोई भी कार्य यदि किसी शुभ मुहूर्त में किया जाए, तो उसमें अपार सफलता मिलने की संभावना रहती है और साथ ही वह कार्य बिना किसी रुकावट और परेशानी के पूरा हो जाता है। सरल शब्दों में कहें, तो जब सभी ग्रह और नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं, तो ऐसे समय को किसी भी वांछित कार्य को शुरू करने के लिए शुभ माना जाता है और इसे "शुभ मुहूर्त" कहा जाता है।
हालांकि, आज की आधुनिक पीढ़ी कई बार इन शुभ मुहूर्तों को नहीं मानती है, जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें अपने कार्य में मन वांछित सफलता प्राप्त नहीं होती है, जिसकी वे कामना करते हैं। यहां तक कि उनकी सफलता दर कम हो जाती है और वृद्धि में भी कमी आती है। ज्योतिष विशेषज्ञों की मानें तो ऐसा होने का एक प्रमुख कारण है कि शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखे बिना ही कार्य प्रारंभ करना। शुभ मुहूर्त की गणना और चयन या शास्त्रों में इसके महत्व के बारे में हमें बहुत कुछ पढ़ने को मिलता है। अब प्रश्न यह उठता है कि शुभ मुहूर्त का चयन करने से पहले एक आम व्यक्ति के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि जिस मुहूर्त को वे संकुचित कर रहे हैं, वह शुभ है या अशुभ? तो आइए जानते हैं कि शुभ मुहूर्त की गणना कैसे की जाती है और 2023 में शुभ मुहूर्त (shubh muhurat 2023) की गणना करते समय किन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए।
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हिंदू धर्म में शुभ मुहूर्त की बात करें, तो अब तक कुल 30 मुहूर्तों की पहचान की जा चुकी है। पहला मुहूर्त सुबह छह बजे से ही शुरू हो जाता है। इसे रुद्र मुहूर्त कहा जाता है और यह अशुभ मुहूर्त की श्रेणी में आता है। इसके बाद पहले मुहूर्त के 48 मिनट बाद दूसरा मुहूर्त शुरू होता है। इस मुहूर्त का नाम आहि मुहूर्त है और यह भी अशुभ मुहूर्त की श्रेणी में आता है। यहां हम आपको सभी शुभ मुहूर्तों के साथ-साथ उनकी विशेषताओं के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं। साथ ही आप यह भी जान लें कि ये मुहूर्त करीब 48-48 मिनट तक चलते हैं।
मुहूर्त | शुभ या अशुभ |
---|---|
रुद्र | अशुभ |
आहि | अशुभ |
मित्र | शुभ |
पितृ | अशुभ |
वसु | शुभ |
वाराह | शुभ |
विश्वेदेवा | शुभ |
विधि | शुभ (सोमवार और शुक्रवार के दिन को छोड़कर) |
सतमुखी | शुभ |
पुरुहुत | अशुभ |
वाहिनी | अशुभ |
नक्तनकरा | अशुभ |
वरुण | शुभ |
अर्यमा | शुभ |
भग | अशुभ |
गिरीश | अशुभ |
अजपाद | अशुभ |
अहिर-बुध्न्य | शुभ |
पुष्य | शुभ |
अश्विनी | शुभ |
यम | अशुभ |
अग्नि | शुभ |
विधातृ | शुभ |
कण्ड | शुभ |
अदिति | शुभ |
जीव/अमृत | अति शुभ |
विष्णु | शुभ |
युमिगद्युति | शुभ |
ब्रह्म | अति शुभ |
समुद्रम | शुभ |
जब हम शुभ मुहूर्त खोजने की कोशिश करते हैं, तो मुख्य रूप से पांच चीजों पर विचार किया जाता है। ये 5 चीजें पंचांग तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण होता हैं। इन्हीं के आधार पर साल 2023 में शुभ मुहूर्त (shubh muhurat 2023) की गणना की जाती है।
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पंचांग तिथि, हिंदू पंचांग के तत्वों में से एक है। वहीं शुभ मुहूर्त जानने के लिए तिथि को जानना बहुत जरूरी है। एक तिथि चंद्रमा के दो चरणों की अवधि है, जो पृथ्वी से देखे जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक महीने में 30 तिथियां होती हैं। इनमें से 15 शुक्ल पक्ष में और शेष 15 कृष्ण पक्ष में आते हैं। तिथि एक सूर्योदय से शुरू होकर दूसरे सूर्योदय तक चलती है। हालांकि, कभी-कभी दो तिथियां एक ही दिन पड़ सकती हैं। इनमें से जिस तिथि में सूर्योदय नहीं होता, उसे क्षय तिथि तथा दो सूर्योदय तक रहने वाली तिथि को वृष तिथि कहते हैं।
कृष्ण पक्ष तिथियां - प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या
शुक्ल पक्ष तिथियां - प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा
हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक सप्ताह में 7 वार होते हैं। ये हैं- सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार। ज्योतिष में सभी वारों की अपनी-अपनी विशेषताएं होती हैं। प्रत्येक वार एक या दो चीज़ों का समर्थन करता है। उदाहरण के अनुसार मुसलमान शुक्रवार को सबसे शुभ वारों में से एक मानते हैं। इसी तरह कुछ वार विवाह के लिए अच्छे हैं और कुछ वार मुंडन आदि के लिए शुभ माने जाते हैं। ज्योतिष में मंगलवार, रविवार और गुरुवार को काफी अच्छा दिन माना जाता है।
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नक्षत्र वह है, जो हमें आकाश में दिखाई देते हैं। चन्द्रमा जिस भी नक्षत्र में से किसी निश्चित समय में गुजरता है, वह उस दिन का नक्षत्र बन जाता है। ऋषियों के समय में वे राशियों के बारे में नक्षत्र से जानकारी प्राप्त करते थे। हालांकि, अधिक स्पष्टता के लिए उन्होंने 12 राशियों को 27 नक्षत्रों में विभाजित किया। प्रत्येक नक्षत्र लगभग एक दिन का होता है और इसकी अपनी विशेषताएं होती हैं। जबकि कुछ नक्षत्र किसी विशेष कार्य के लिए अच्छे होते हैं। इस प्रकार साल 2023 में शुभ मुहूर्त (shubh muhurat 2023) का पता लगाते समय आपको केवल एक मुहूर्त का पालन करना चाहिए, जो अच्छे नक्षत्र पर पड़ता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अश्विनी, भरणी, कृतिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, अश्लेषा, माघ, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र हैं।
किसी विशेष दिन का योग रात के आकाश में सूर्य और चंद्रमा की स्थिति से तय होता है। ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 योग हैं, जिनके आधार पर शुभ मुहूर्त 2023 का पता लगाया जा सकता है। 27 योगों में से नौ अत्यंत अशुभ योग हैं, जबकि शेष सभी योग शुभ माने जाते हैं। अशुभ योगों में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाना चाहिए।
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ज्योतिष में शुभ योग - प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, सुकर्मा, धृति, वृद्धि, ध्रुव, हर्षण, सिद्धि, वरियान, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इंद्र।
ज्योतिष में अशुभ योग - विष्कुंभ, अतिगण्ड, शूल, गण्ड, व्याघात, वज्र, व्यातीपात, परिघ, वैधृति
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तिथि का आधे भाग को करण कहा जाता है। जब चन्द्रमा 6 अंश पूर्ण कर लेता है, तब एक करण पूरा होता है। एक तिथि में दो करण होते हैं-। ये हैं पूर्वार्ध और उत्तरार्ध। ज्योतिष में कुल 11 करण हैं जिनमें से चार स्थिर प्रकृति के हैं और अन्य सात करण परिवर्तनशील प्रकृति के हैं। जब शुभ मुहूर्त 2023 (shubh muhurat 2023) खोजने की बात आती है, तो करण स्पष्ट रूप से सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक होते हैं।
नामः किमस्तुघ्न, शकुनि, नाग, चतुष्पद, बव, बालव, कौलव, गर, तैतिल, वणिज, विष्टी/भद्रा
स्थिर करण - किमस्तुघ्न, शकुनि, नाग, चतुष्पद
चर करण - बव, बालव, कौलव, गर, तैतिल, वणिज, विष्टी/भद्रा
साल 2023 में सौभाग्य प्राप्त करने के लिए आप क्या कदम उठा सकते हैं? सनातन धर्म का काफी पुराना इतिहास है और शुभ मुहूर्त में काम करने की पुरानी परंपरा भी है। ऐसा माना जाता है कि शुभ मुहूर्त 2023 के दौरान एक परियोजना शुरू करने से सफलता मिलेगी, परियोजना को सुचारू रूप से पूरा किया जाएगा और व्यक्ति को अपने पूरे जीवन के लिए उस अनुकूल परियोजना के अनुकूल परिणाम प्राप्त होते हैं।
आइए जानते हैं कौन से कार्य शुभ मुहूर्त जातक को करने चाहिए।
अभिजीत मुहूर्त का क्या अर्थ है?
ज्योतिष के अनुसार अभिजीत मुहूर्त सूर्योदय से सूर्यास्त तक सभी पंद्रह मुहूर्तों में से आठवां और सबसे शुभ मुहूर्त होता है। यह मुहूर्त स्वयं निर्मित है और अंतरिक्ष के मूल में स्थित होता है।
शुभ मूहुर्त के अुसार काम क्यों किया जाता है?
शुभ मूहुर्त के अनुसार काम करने से जातक को शुभ फल प्राप्त होते हैं और उसके जीवन की कई परेशानियां भी खत्म हो जाती हैं। साथ ही शुभ मूहुर्त में किया गया काम जातक को सफलता की ओर ले जाता है।
ब्रह्म मुहूर्त का क्या अर्थ होता है?
ब्रह्म मुहूर्त एक चरण होता है, जो सूर्योदय से 1 घंटे 36 मिनट पहले शुरू हो जाता है और यह 48 मिनट बाद समाप्त हो जाता है।
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