हिंदू धर्म में रक्षाबंधन का त्यौहार बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, जो हर साल श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस त्यौहार में बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई अपनी बहनों को वचन देते हैं कि वे हमेशा उनकी सुरक्षा के लिए तैयार रहेंगे। धार्मिक दृष्टिकोण से, रक्षाबंधन हिंदू संस्कृति में बहनों के प्रति भाई की जिम्मेदारियों और संबंधों का प्रतीक हैं। यह त्यौहार बंधुत्व, प्रेम और सम्मान का प्रतीक माना जाता हैं। वहीं इस बार रक्षाबंधन 2023 में 30 अगस्त को बुधवार के दिन मनाया जाएगा। जिस तरह एक राखी अपने धागे में कई मोतियों को एक साथ बांधे रखती है, ठीक उसी प्रकार यह त्यौहार भाई-बहन को एक साथ जोड़े रखता है।
रक्षाबंधन 2023 | 30 अगस्त 2023, बुधवार |
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ | 30 अगस्त 2023 12ः28 |
पूर्णिमा तिथि समाप्त | 31 अगस्त 2023 08ः35 |
रक्षाबंधन भद्रा अंत समय | 30 अगस्त 2023 22ः31 |
भद्रा पूंछ | 19ः00 से 20ः01 |
भद्रा मुख | 20ः01 से 21ः41 |
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भारतीय संस्कृति में रक्षाबंधन एक प्रमुख पर्व है, जो हिंदुओं द्वारा धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन सभी बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं। कहा जाता है कि एक बार देवी लक्ष्मी ने अपने भाई बलि को राखी बांधी थी और बलि ने उन्हें उपहार दिया था। इससे प्रेरित होकर देवी लक्ष्मी ने देवताओं के लिए भी रक्षाबंधन का उत्सव शुरू किया। इस उत्सव के माध्यम से, लोग अपने परिवार के सदस्यों के साथ अपने संबंधों को और भी मजबूत बनाते हैं।
यह पर्व धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह त्यौहार परिवार के सदस्यों के बीच सम्बंधों को मजबूत करता है। इससे न केवल परिवार के सदस्यों के बीच अधिक मित्रता बढ़ती है, बल्कि इससे समाज के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश जाता है। रक्षाबंधन का त्यौहार भाई-बहन के अनुभावों के मध्य आपसी समझदारी और भाई-बहन के प्यार को स्थायी बनाने के लिए शुभ दिन है।
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हिंदू धर्म में रक्षाबंधन एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जिसमें बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं। इस साल आप अपने भाई की कलाई पर इस विधि से राखी सकती हैं:
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हिंदू धर्म में भद्रा काल को बेहद अशुभ माना जाता है, क्योंकि इस दौरान शुभ या मांगलिक काम नहीं किए जाते हैं। साथ ही रक्षाबंधन का त्यौहार इस साल 30 अगस्त 2023 को धूम-धाम से मनाया जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के जानकार बताते हैं कि भद्रा काल के समय राखी बांधना बेहद अशुभ माना जाता है, क्योंकि यह एक अशुभ समय होता है, जिसमें कोई शुभ काम नहीं करना चाहिए।
माना जाता है कि भद्रा काल में बहन को अपने भाई की कलाई पर राखी भूलकर भी नहीं बांधनी चाहिए वरना भाई के जीवन में संकट आने की संभावना बनी रहती है। माना जाता है कि रावण की बहन ने उसे भद्रा काल में राखी बांधी थी और उसी वर्ष भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर किया था, यही कारण है कि भद्रा काल में राखी बांधना बेहद अशुभ होता है।
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यह त्यौहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है और इस दिन बहनें उपवास रखकर अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है। कहा जाता है कि इस व्रत के माध्यम से जातक को अधिकांश बुराइयों से दूर रहने की प्रेरणा मिलती है। साथ ही यह व्रत रखने से व्यक्ति अपने मन को शुद्ध रखता है और निरंतर ईश्वर के ध्यान में रहता है। इस तरह रक्षाबंधन पर व्रत रखने से इंसान को मानसिक और आध्यात्मिक विकास में मदद मिलती है।
रक्षाबंधन पर व्रत रखने की परंपरा बहुत पुरानी है और इसे धार्मिक एवं सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं और उनकी सुख, समृद्धि और सफलता की कामना करती हैं और भाई भी अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन देते हैं।
इसके अलावा, यह व्रत धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है और लोग इसे उन देवी-देवताओं के नाम से रखते हैं, जो उनके घरों की रक्षा करते हैं। इस व्रत से लोग स्वस्थ रहते हैं और जातक को धन समृद्धि भी मिलती है।
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प्राचीन कथा के अनुसार एक दिन द्रौपदी ने भगवान कृष्ण के हाथ पर चोट लगने के बाद अपनी साड़ी से कुछ कपड़ा फाड़कर उन्हें बांधा था। इसके बाद द्रौपदी की इस उदारता के लिए भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें वचन दिया था कि वे द्रौपदी की हमेशा सुरक्षा करेंगे। यही कारण है कि दुःशासन द्वारा चीरहरण की कोशिश के समय भगवान श्री कृष्ण ने आकर द्रौपदी की रक्षा की थी।
एक कथा के अनुसार ऐतिहासिक जनश्रुति में मदद हासिल करने के लिए चित्तौड़ की महारानी कर्णावती ने मुग़ल सम्राट हुमाँयू को राखी भेजी थी। जिसके बाद हुमाँयू ने उस राखी का सम्मान किया और अपनी बहन की रक्षा के लिए गुजरात के सम्राट से भिड़ गया।
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यह पर्व सभी राशियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसे भाई और बहन दोनों बड़ी धूम धाम से मानते हैं। लेकिन अगर राशि के आधार पर शुभ रंग की राखी बांधी जाती है, तो जातक को इसका विशेष फल मिलता हैं।
यहां राशि अनुसार शुभ रंग की राखी की एक सूची है:
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रक्षाबंधन एक पवित्र त्यौहार है, जो भाई और बहन के बीच सम्बंधों को मजबूत करता है। इस दिन भाई-बहन एक दूसरे के लिए तोहफे लेते हैं और एक दूसरे के साथ प्यार और आदर व्यक्त करते हैं। रक्षाबंधन पर यहां कुछ उपाय दिए गए हैं, जो कर सकते हैं:
रक्षाबंधन 2023 पर आप अपने घर पर पूजा और हवन कर सकते है। आप इस पूजा के माध्यम से भगवान से अपने भाई और बहन की सुरक्षा का अनुरोध कर सकते हैं। साथ ही घर में पूजा या हवन करना अच्छा होता है, क्योंकि इससे जातक के घर में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती हैं।
रक्षाबंधन के दिन सूर्य देव की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। सूर्य की पूजा के लिए आप सूर्य उपासना मंत्र का जाप कर सकते हैं और सूर्य के उपासना विधि का अनुसरण कर सकते हैं।
रक्षाबंधन के दिन गणेश जी की पूजा करना बहुत फलदायी होता है। अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने से पहले गणेश जी की पूजा करें और उन्हें मिठाई और फल अर्पित करें।
रक्षाबंधन के दिन शिव जी की पूजा करना भी बहुत फलदायी होता है। शिव जी की पूजा के लिए आप शिव तांडव स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं और शिवलिंग को दूध, जल और बिल्वपत्र से स्नान करा सकते हैं।
रक्षाबंधन के दिन देवी महालक्ष्मी की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। आप महालक्ष्मी मंत्र का जाप कर सकते हैं और उन्हें मिठाई भोग अर्पित कर सकते हैं।
रक्षाबंधन 2023 पर आप धन प्राप्ति के उपाय भी कर सकते हैं। आप रक्षाबंधन के दिन नशीली चीजों का सेवन न करें। इसके अलावा, आप रक्षाबंधन के दिन शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी पूजा कर सकते हैं और धन प्राप्ति के उपाय कर सकते हैं। इसके लिए आप लक्ष्मी मंत्र का जाप करे और अपनी इच्छा के अनुसार चांदी, सोना या लोटरी के टिकट खरीद सकते हैं।
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