अपना एक घर खरीदना सबसे अच्छी भावनाओं में से एक है। आप में से कई लोग इस साल अपने नए घर के निर्माण की योजना बना रहे होंगे और हम आपको इसके लिए शुभकामनाएं भी देते हैं। वहीं भूमि पूजन मुहूर्त के अनुसार अपने घर का निर्माण कार्य प्रारंभ करना भी बेहद आवश्यक होता है। बता दें कि भूमि पूजन घर के निर्माण से पहले भगवान को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है और निर्माण कार्य शुरू करने से पहले उनका आशीर्वाद लेना बेहद जरूरी होता है। जानें भूमि पूजन मुहूर्त 2023 के अनुसार कब कर सकते हैं आप अपने नए घर का निर्माण।
भारत में कई परिवार वास्तु शास्त्र और भूमि पूजन के अनुष्ठान करने को बहुत महत्त्व देते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार भूमि पूजन एक महत्त्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है, जो घर के निर्माण से पहले देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने और सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करने के लिए करते है।
भूमि पूजन और गृह निर्माण कार्य शुरू करने के लिए शुभ तिथियों का चयन करते समय, यह जांचना चाहिए कि क्या वह महीना शुभ है, जिसमें शुभ मुहूर्त, तिथि और नक्षत्र शामिल होते हैं। आपके लिए चीजों को सरल बनाने के लिए हम साल 2023 में भूमि पूजन करने के लिए शुभ मुहूर्त की सूची लेकर आए हैं, जिनके बारे में आप इस लेख में जान सकते हैं।
साल 2023 में जनवरी महीने में भूमि पूजन करने के लिए कोई शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं है।
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दिनांक | मुहूर्त |
10 फरवरी 2023, शुक्रवार | सुबह 09:15 से दोपहर 12:15 तक |
दिनांक | मुहूर्त |
मार्च 9 2023, गुरुवार | सुबह 07:28 से दोपहर 12:24 तक |
मार्च 10 2023, शुक्रवार | सुबह 07:24 से रात 10:25 तक |
हिंदू कैलेंडर के आधार पर अप्रैल से लेकर अगस्त तक के महीनों में कोई शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं हैं।
दिनांक | मुहूर्त |
2 सितंबर 2023, शनिवार | सुबह 07:40 से दोपहर 12:16 तक |
25 सितंबर 2023, सोमवार | सुबह 06:42 से रात 08:26 तक |
27 सितंबर, 2023, बुधवार | सुबह 07:39 से रात 10:38 |
हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस महीने में भूमि पूजन करने के लिए कोई शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं है।
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दिनांक | मुहूर्त |
23 नवंबर 2023, गुरुवार | सुबह 07:21 से रात 09:12 तक |
24 नवंबर 2023, शुक्रवार | सुबह 07:22 से रात 09:08 तक |
दिनांक | मुहूर्त |
29 दिसंबर 2023, शुक्रवार | सुबह 08:55 से दोपहर 12:05 तक |
यहां भूमि पूजा करने के लिए आवश्यक वस्तुओं की सूची दी गई है। हालांकि, विभिन्न परंपराओं के अनुसार इसमें कुछ अंतर हो सकता है। लेकिन अधिकांश भूमि पूजा के लिए इन्हीं चीजों का उपयोग किया जाता हैं:
पूजा करने के लिए आपको हल्दी, अगरबत्ती, कुमकुम, कपूर, फल, 9 प्रकार के रत्न (नवरत्न), पुष्प, सूखे खजूर, 5 धातु (पंच लोहा, हरे नीबू, 9 प्रकार के बीज (नव धन्यम), चिराग, आधा मीटर सफेद कपड़ा, 5 ईंटें, कलश, 10 पंचपत्र, देवता का चित्र/मूर्ति, पान के पत्ते और मेवा, आम के पत्ते, मिश्री, हवन सामग्री, पूजा थाली, लोटा, आसन के लिए तख्ते की आवश्यकता होगी।
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शुभ मुहूर्त तथा सही विधि द्वारा भूमि पूजन करने से जातक को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक कैलेंडर तथा क्षेत्र के आधार पर भूमि पूजन विधि अलग- अलग हो सकती है। लेकिन लगभग हर जगह भूमि पूजन करने के लिए यही विधि अपनाई जाती हैं:
यदि आप किसी कारण की वजह से प्लॉट खरीदने के बाद निर्माण शुरू करने में असमर्थ हैं, तो भूखंड के मध्य भाग को अवश्य साफ करना चाहिए। साथ ही एक ढलान का निर्माण करें, जो उत्तर या पूर्व दिशा की ओर बढ़े। यदि घर की महिला गर्भवती है, तो आपको घर का निर्माण शुरू करने से बचना चाहिए।
अशुभ तिथि | प्रभाव |
चैत्र | यह तिथि मार्च से अप्रैल तक होती है। इस समय से आपको बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि इस तिथि में किया गया भूमि पूजन घर के मालिक के लिए मुश्किलें लेकर आता है। |
ज्येष्ठ | यह तिथि जून के महीने में होती है और इस समय ग्रह अनुकूल स्थिति में नहीं होते। |
आषाढ़ | यह जुलाई का महीना है और जुलाई के महीने में शिलान्यास करने से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि इससे व्यापार में नुकसान हो सकता है। |
श्रावण | यह अगस्त का माह होता है और यह समय भूमि पूजन करने के लिए अनुकूल नहीं होता, क्योंकि यह जातक के लिए वित्तीय नुकसान ला सकता है। |
भाद्रपद | अपने नए घर की नींव खोदने के लिए सितंबर माह से बचना चाहिए, क्योंकि इससे घर में झगड़े और तनाव की समस्या हो सकती हैं। |
अश्विन | वास्तु के अनुसार अपने नए घर की नींव अक्टूबर महीने में नहीं रखनी चाहिए। |
माघ | 18 जनवरी से शुरू होकर 16 फरवरी को समाप्त होने वाले इस महीने में अगर घर की नींव रखी जाता है, तो जातक को विशेष लाभ नहीं होता है। |
भूमि पूजन या भूमि की पूजा धरती माता का आशीर्वाद लेने और प्रकृति के पांच तत्वों अर्थात् जल, पृथ्वी, आकाश, वायु व अग्नि को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। अगर जातक पूरे विधि- विधान के साथ भूमि पूजन करता है, तो उसे इस पूजा का लाभ भी मिलता है। साथ ही इस पूजा से जातक के नए घर में सकारात्मक ऊर्जा और शांति, खुशियां आदि बनी रहती है। यही कारण है कि हिंदू धर्म में किसी भी मांगलिक कार्य को करने के लिए शुभ मुहूर्त तथा देवी- देवताओं का आशीर्वाद लिया जाता है ताकि जातक का वह काम सफल रहें और उसके जीवन में कोई भी बाधा न आएं। इसलिए सभी शुभ काम को शुभ मुहूर्त के दौरान किया जाता है ताकि जातक को उस काम में कोई परेशानी न हो।
गृह निर्माण या भूमि पूजन विधि परिवार के मुखिया को अपनी पत्नी के साथ करना चाहिए। साथ ही पूजा एक पुजारी की उपस्थिति में की जानी चाहिए और पूजा को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए उनके बताए गए मार्गदर्शन का अनुसरण करें।
भूमि पूजन निर्माण स्थल के उत्तर- पूर्व कोने में कर सकते है, क्योंकि यह पूजनीय स्थान माना जाता है। साथ ही इस स्थल की खुदाई हमेशा उत्तर- पूर्व कोने से की जाती है, क्योंकि खुदाई की वजह से उत्तर- पूर्व नीचा और दक्षिण- पूर्व तुलनात्मक रूप से ऊंचा हो जाता है, जो वास्तु के अनुसार जातक को अच्छे परिणाम देता है।
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बहुत से मंत्रों का जाप देवताओं के आशीर्वाद और अच्छी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए किये जाते हैं। “ॐ वसुंधराया विद माहे भूताधात्राया धीमा ही तनु भूमि प्रचोदयात्” ये एक प्रसिद्ध मंत्र है, जो भूमि पूजन के दौरान जप करना चाहिए। साथ ही इस मंत्र का मतलब है कि भूमि देवी का मंत्र जाप करना सर्वोपरि है, आप हमें आशीर्वाद दे और हमारी अच्छी किस्मत बनाए। आप इस दौरान अन्य मंत्र का भी जाप कर सकते हैं, जैसे की गणेश मंत्र और गायत्री मंत्र, यह मंत्र बाधाएं और नकारात्मक ऊर्जा दूर करते हैं। साथ ही यह मंत्र जातक के जीवन में खुशियां लाते हैं।
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होलाष्टक के 8 दिन किसी भी तरह के मांगलिक शुभ कार्य नहीं करने चाहिए, क्योंकि यह समय शुभ नहीं होता है। इस दौरान शादी, भूमि पूजन, गृह प्रवेश आदि जैसे शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। साथ ही इस दिन कोई भी नया व्यवसाय या नया काम शुरू करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह समय मांगलिक कार्यो के लिए शुभ नहीं होता है और अगर कोई जातक इस दौरान शुभ काम करता है, तो उसे भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। यही कारण है कि जातक को होली के समय मांगलिक कार्यों को करने से बचना चाहिए ताकि जातक शुभ मुहूर्त में मांगलिक काम करके लाभ प्राप्त कर सकें।
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