ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को विशेष स्थान प्राप्त है। बृहस्पति को गुरू का स्थान प्राप्त है। ज्योतिष में गुरू बृहस्पति को शिक्षा का कारक माना जाता है। खोगोलीय दृष्टि से देखा जाए तो बृहस्पति सूर्य से पाँचवाँ और हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। बृहस्पति ग्रह हीलियम व हाइड्रोजन से बना हुआ है। इसके साथ ही बृहस्पति के 79 प्राकृतिक उपग्रह हैं।
भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार बृहस्पति को अंगिरा ऋषि एवं सुरुप का पुत्र माना जाता है। ऋषि अंगिरस दिव्य तेज से लबरेज थे एवं भगवान ब्रह्मा के पुत्र हैं। गुरू को भगवान ब्रह्मा का प्रत्यक्ष वंशज माना जाता है। बृहस्पति ने प्रभास तीर्थ के तट भगवान शिव की अखण्ड तपस्या कर देवगुरू की पदवी पार्इ। तभी भगवाण शिव ने प्रसन्न होकर इन्हें नवग्रह में एक स्थान भी दिया। ऋषि भारद्वाज के अनुसार भारद्वाज गोत्र के सभी ब्राह्मण इनके वंशज हैं।
फलदीपिका ,बृहज्जातक ,सर्वार्थ चिंतामणि ,जातका भरणम् इत्यादि ग्रंथों के अनुसार बृहस्पति , गौर वर्ण के , विशाल देह के ,कफ प्रधान ,उत्तम बुद्धि व गंभीर वाणी से युक्त,कपिल वर्ण के केश वाले ,बड़े पेट वाले , उदार ,पीत नेत्रों वाले हैं |
वैदिक ज्योतिष के नौ ग्रहों में बृहस्पति को ही ‘गुरु’ की उपाधी मिली है। हिंदू ज्योतिष में गुरू को धनु और मीन राशि का स्वामी माना गया है। बात गुरू के नीच व उच्च राशि की करें तो कर्क इनकी उच्च राशि है जबकि मकर इनकी नीच राशि मानी जाती है। जैसा कि पहले ही बता चुकें हैं ज्योतिष में गुरु को ज्ञान का कारक माना जाता है इसके साथ ही ये संतान, धार्मिक कार्य, धन, दान और पुण्य आदि के भी कारक हैं। ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को 27 नक्षत्रों में तीन पुनर्वसु, विशाखा, और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र का स्वामीत्व प्राप्त है। जातक के शिक्षा तथा विकास हेतु कुंडली में बृहस्पति का स्थान देखा जाता है।
(1) ऐसे लोग आम तौर पर धर्म , कानून या कोष (बैंक) के कार्यों में देखे जाते हैं।
(2)व्यक्ति विद्वान और ज्ञानी होता है,अपार मान सम्मान पाता है।
(3) व्यक्ति के ऊपर दैवीय कृपा होती है और व्यक्ति जीवन में तमाम समस्याओं से बच जाता है।
(4) अगर बृहस्पति केंद्र में हो और पाप प्रभावों से मुक्त हो तो व्यक्ति की सारी समस्याएँ गायब हो जाती हैं।
(5) कभी कभी ये बृहस्पति अहंकारी और भोजन प्रिय भी बना देता है।
(1) व्यक्ति का पाचन तंत्र कमजोर होता है,कैंसर और लीवर की सारी गंभीर समस्याएँ बृहस्पति ही देता है
(2) संतान पक्ष की समस्याएँ भी परेशान करती हैं।
(3) व्यक्ति सामान्यतः निम्न कर्म की ओर झुकाव रखता है और बड़ों का सम्मान नहीं करता।
(4) बृहस्पति के कमजोर होने से व्यक्ति के संस्कार कमजोर होते हैं।
(5) विद्या और धन प्राप्ति में बाधा के साथ साथ व्यक्ति को बड़ों का सहयोग पाने में मुश्किलें आती हैं।
(1) पीपल के पेड़ में जल चढ़ाइए।
(2) सत्य बोलिये।
(3) आचरण को शुद्ध रखिये।
(4) पिता, दादा और गुरु का आदर करिए।
(5) ॐ बृं बृहस्पते नम: मंत्र जाप नियमित करिये।
(6) किसी गरीब ब्राह्मण को पीले कपड़े, हल्दी, केसर, केले, पीले रंग की दाल आदि का दान करें।
(7) गाय को केले खिलाएं।
(8) गुरूवार को पीले रंग के कपड़े पहनें।
(9) यदि आप किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए जाते हैं तो अपने साथ हमेशा पीले रंग का धागा या पीले रंग की वस्तु रखें।
(10) यदि आप गुरू कमजोर अवस्था में है तो आप संदेही चरित्र या बुरी लत के शिकार लोगों के साथ दोस्ती न करें।
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