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Mahavir Jayanti 2023: इस तरह मनाएं महावीर जयंती 2023, पाएं प्रभु का आशीर्वाद

महावीर जयंती जैन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है, जो हर साल मार्च या अप्रैल में मनाई जाती है। यह त्यौहार भगवान महावीर के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है जो कि भारतीय इतिहास में एक महान धर्मगुरु थे। महावीर स्वामी को समस्त जैन समुदाय में श्रद्धा के साथ याद किया जाता है और इस अवसर पर जैन मंदिरों में पूजा अर्चना, शोभायात्रा, सम्मेलन, संत समागम, आदि कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। समाज में दान-दक्षिणा भी दी जाती है और धार्मिक ग्रंथों के पाठ और व्याख्यानों का आयोजन किया जाता है। महावीर जयंती 2023 अप्रैल में काफी धूम-धाम से मनाई जाएगी।

जैन समुदाय का सबसे बड़ा त्यौहार महावीर जयंती होता है, क्योंकि इस दिन भगवान महावीर का जन्म हुआ था। बता दें कि वे जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान थे। जैन धर्म के अनुसार जो व्यक्ति भावनाओं और इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर सकता हैं, वही तीर्थंकर कहलाता है। भगवान महावीर ने अपने राज-पाट का त्याग कर के संन्यास मार्ग अपना लिया था। राज परिवार में जन्म लेने के बावजूद भी महावीर स्वामी को उस जीवन में कोई रस नहीं था। 30 साल की उम्र में उन्होंने खुद को समस्त संसार से दूर कर लिया और आत्म कल्याण के रास्ते पर निकल पड़े थे। बता दें कि महावीर जयंती का पर्व जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा जन कल्याण के उपलक्ष्य में भी मनाया जाता है।

महावीर जयंती 2023ः शुभ तिथि व मुहूर्त

महावीर जयंती 202304 अप्रैल 2023, मंगलवार
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ03 अप्रैल 2023 को 06ः24 से
त्रयोदशी तिथि समापन04 अप्रैल 2023 को 08ः05 तक

महावीर जयंती का अर्थ होता है भगवान महावीर के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाने वाला पवित्र और धार्मिक उत्सव। यह त्यौहार जैन धर्म के लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस उत्सव के दौरान, भगवान महावीर के जीवन और उनके उपदेशों को याद किया जाता है, जो इस धर्म के अनुयायियों के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में पहचाने जाते हैं। यह दिन जैन समुदाय के लोगों की उत्सुकता और उनकी भक्ति का पर्व होता है। 

महावीर जयंती 2023 जैन धर्म के लिए बहुत महत्वपूर्ण पर्व है। यह त्यौहार भगवान महावीर के जन्मदिन के रूप में धूम-धाम से मनाया जाता है, जो इस धर्म के संस्थापक माने जाते थे। इस दिन लोग भगवान महावीर के जीवन और उनके उपदेशों को याद करते है। बता दें कि महावीर जी ने अहिंसा और दया के मूल्यों को उजागर करने का संदेश दिया था और इन सभी मूल्यों को अपने जीवन में अपनाया था। इसलिए इस त्यौहार के उपलक्ष पर, भगवान महावीर की याद में लोग दान−दक्षिणा, समाज सेवा और जैन धर्म से सम्बंधित कार्यक्रम में हिस्सा लेते हैं। साथ ही इस दिन जैन मंदिरों में पूजा-अर्चना और धार्मिक ग्रंथों के पाठ का भी आयोजन किया जाता है।

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कैसे मनाएं महावीर जयंती 2023?

भगवान महावीर जयंती के दिन जैन मंदिरों को सजाया जाता है और सजावट के साथ मंदिर में ध्वज भी लगाया जाता है। साथ ही मंदिर मे पूजा-आराधना की जाती है। इसके साथ ही सोने और चांदी के कलश से भगवान महावीर का अभिषेक किया जाता है। इतना ही नहीं सभी जैन अनुयायियों द्वारा अहिंसा की शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं। महावीर जी के जन्मदिन की बधाइयां दी जाती है। भगवान महावीर को भोग लगाने के बाद दान आदि किया जाता है। साथ ही इस दिन सार्वजनिक अवकाश भी होता है।  

जैनी भाई बंधुओं के लिए यह सबसे शुभ दिनों में से एक होता है। महावीर जयंती पर समारोह, दुनिया भर के समुदायों के बीच अलग-अलग तरह से होते हैं। आमतौर पर महावीर जी की मूर्ति को जुलूस या रथ यात्रा पर ले जाया जाता है और भक्त भगवान महावीर के योगदान की प्रशंसा में “भजन” का जाप करते हैं। इसके बाद मूर्ति का औपचारिक स्नान या अभिषेक किया जाता है और भक्त धर्मार्थ कार्यों में भाग लेते हैं। वे उन मंदिरों में जाते हैं, जो भगवान महावीर को समर्पित हैं और वहां प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया जाता हैं। साथ ही जैन समुदाय के पुजारी जैन धर्म को परिभाषित करने वाले पुण्य के मार्ग का प्रचार करने के लिए व्याख्यान देते हैं।

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खान-पान का परहेज

किसी अन्य त्यौहार की तरह, महावीर जयंती उत्सव में भी भोजन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जैन लोग सात्विक आहार का पालन करते हैं और प्याज और लहसुन से परहेज करते हैं। उनका केंद्रीय विचार प्राकृतिक उत्पादों से बने ताजा भोजन का उपभोग करना होता है, जिससे जीवित प्राणियों को कम से कम नुकसान हो। साथ ही जैन लोग अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं में सूर्यास्त से पहले भोजन करते है, मुख्य रूप से अंधेरे में बाहर आने वाले जीवों को बचाना और ताजा, स्वस्थ भोजन करना शामिल होता है। जड़ वाली सब्जियों और कंदों से दूर रहने के अलावा, जैन लोग अपने आहार में मशरूम और अन्य खाद्य कवक के साथ-साथ खाद्य खमीर का भी सेवन नहीं करते हैं। उनका मानना है कि इन चीजों को खाने का मतलब उन पर पल रहे परजीवियों को मारना होता है। यही कारण है कि वह सात्विक भोजन को सेवन करते है।

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भगवान महावीर के महत्वपूर्ण पंचशील सिद्धांत

महावीर जी के द्वारा अच्छे और सच्चे जीवन के लिए महत्वपूर्ण पंचशील सिद्धांत का निर्माण किया गया, जो यहां बताए गए है:

  • सत्य: भगवान महावीर के अनुसार मनुष्य को हमेशा सत्य बोलना चाहिए और अपने जीवन में सत्य को जरूर शामिल करें।
  • अहिंसा: महावीर जी ने हमेशा अहिंसा का संदेश दिया है, उनके अनुसार मनुष्य को जीवन में हमेशा अहिंसा के मार्ग पर ही चलना चाहिए।
  • अपरिग्रह: भगवान महावीर कहते है कि मनुष्य को किसी भी प्रकार की वस्तु से लगाव नहीं करना चाहिए और समय आने पर त्याग करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए, चाहे वह चीज सजीव हो या निर्जीव।
  • ब्रह्मचर्य: महावीर जी कहते है कि एक ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले मनुष्य को विलासिता से ही दूर रहना चाहिए और अगर कोई विवाहित है, तो अपने साथी के प्रति वफादार होना चाहिए ।
  • क्षमा: मनुष्य को जीवन में सभी लोगों को माफ कर देना चाहिए। सभी जीवों से मित्रता का भाव रखें और किसी से कोई बैर की भावना नहीं रखनी चाहिए।

भगवान महावीर का जीवन परिचय

महावीर जी का जन्म राजा सिद्धार्थ और माता त्रिशला की तीसरी संतान के रूप में हुआ था। जन्म के समय उनका नाम वर्धमान था। उनका जन्मस्थान बिहार के वैशाली जिले में हुआ था।

वे जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ (पार्श्वनाथ महावीर से 250 वर्ष पूर्व हुए थे) के अनुयायी थे। ऐसा कहा जाता है कि भगवान महावीर जब शिशु अवस्था में थे, तब इन्द्रों और देवों ने उन्हें सुमेरु पर्वत पर ले जाकर उनका जन्मकल्याणक मनाया था। महावीर स्वामी का बचपन राजमहल में ही बीता था और जब वे युवावस्था में पहुंचे तो यशोदा नामक राजकन्या से उनका विवाह हुआ। इनकी एक पुत्री हुई, जिसका नाम प्रियदर्शना रखा गया था और 28 साल की उम्र में उनके माता-पिता का देहांत हो गया था। 

अपने बड़े भाई नंदीवर्धन के बहुत कहने पर महावीर जी 2 वर्षों तक घर पर ही रहें। लेकिन महावीर जी ने आत्मज्ञान की तलाश करने के लिए 30 साल की उम्र में अपना घर छोड़ दिया और वो वन चले गए। वन में जाकर उन्होंने दीक्षा ग्रहण की और बारह सालों तक काफी कठोर तपस्या की। तप करने के बाद ही महावीर जी को ‘कैवल्य ज्ञान’ की प्राप्ति हुई और वो तीर्थंकर कहलाए।

भगवान महावीर की तपस्या

महावीर जी ने अपने इस समय के दौरान मे तप, संयम और साम्य भाव की उपासना की और पंच महाव्रत धर्म चलाया था। वे सभी लोगों को अहिंसा का पाठ पढ़ाते थे। अहिंसा के प्रतीक महावीर जी जीवन के मायाजाल से परे थे। त्याग और तपस्या को ही उन्होंने महत्व दिया था। हिंसा, जातियों का भेदभाव जिस युग में बढ़ गया था, उसी युग में महावीर जी ने जन्म लिया था। उन्होंने दुनिया को सत्य की राह पर चलने का ज्ञान दिया था। महावीर जी ने धर्म, सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह, क्षमा पर सबसे अधिक जोर दिया था। साथ ही त्याग और संयम, प्रेम और करुणा, शील और सदाचार ही उनके प्रवचनों का सार था

देश के कोने-कोने में भगवान महावीर ने भ्रमण किया और लोगों को अपने पवित्र ज्ञान का उपदेश दिया था। चतुर्विध संघ की स्थापना भी भगवान महावीर ने ही की थी।

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जैन समुदाय के 24 तीर्थंकर के नाम

जैन धर्म में वर्णित 24 तीर्थंकरो के नाम यहां दिए गए हैः

  1. ऋषभदेव
  2. अजितनाथ
  3. सम्भवनाथ
  4. अभिनंदन जी
  5. सुमतिनाथ जी
  6. पद्मप्रभु जी
  7. सुपार्श्वनाथ जी
  8. चंदाप्रभु जी
  9. पुष्पदंत जी
  10. शीतलनाथ जी
  11. श्रेयांसनाथ
  12. वासुपूज्य जी
  13. विमलनाथ जी
  14. अनंतनाथ जी
  15. धर्मनाथ जी
  16. शांतिनाथ जी
  17. कुंथुनाथ जी
  18. अरनाथ जी
  19. मल्लिनाथ जी
  20. मुनिसुव्रत जी
  21. नमिनाथ जी
  22. अरिष्टनेमि जी
  23. पार्श्वनाथ जी
  24. वर्धमान महावीर

महावीर जंयती 2023 पर किए जानें वाले विशेष कार्यक्रम

जैन समुदाय के लोग ऐसी कई गतिविधियों में भाग लेते हैं, जो उन्हें अपने परिजनों से जुड़ने का और भगवान महावीर को याद करने का मौका देते हैं।

  • शोभायात्राः महावीर जयंती की सबसे लोकप्रिय गतिविधियों में से एक है भगवान महावीर की प्रतिमा की शोभायात्रा निकाला। इस गतिविधि के दौरान जैन भिक्षु एक रथ पर महावीर जी की प्रतिमा को लेकर हर जगह घुमाते हैं। इस यात्रा के समय, लोग एकत्रित होकर भगवान महावीर के लिए विशेष प्रार्थनाओं या भजनों का गान करते हैं।
  • प्रतिमाओं की सफाई: लोग अक्सर महावीर जी की प्रतिमाओं को जल और सुगन्धित तेलों से धोते हैं, क्योंकि यह महावीर की शुद्धता का प्रतीक होता है।
  • मंदिरों में जानाः महावीर जयंती के दौरान, दुनिया भर के लोग भारत के जैन मंदिरों में दर्शन करते हैं। मंदिरों में जाने के अलावा, लोग महावीर और जैन समुदाय से संबंधित पुरातन स्थानों पर भी जाते हैं। गोमतेश्वर, दिलवाड़ा, रणकपुर, सोनागिरि और शिखरजी कुछ सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक हैं, जहां महावीर जयंती पर भक्तों का तांता लग जाता हैं।
  • दान करनाः अपनी विनम्र जीवनशैली को दर्शाने के लिए, कई जैन समुदाय के लोग महावीर जयंती के दिन मंदिरों में धन, भोजन और कपड़े दान देते हैं। वहीं संन्यासी अक्सर अपनी आवश्यक चीजों को रखकर बाकी चीजें जरूरतमंदों को दान कर देते हैं।

महावीर जंयती 2023 पर इन चीजों का रखें विशेष ध्यान

महावीर जयंती एक पावन पर्व होता है और इस अवसर पर आप निम्नलिखित चीजें कर सकते हैं और कुछ चीजें नहीं करनी चाहिए:

क्या करें:

  • भगवान महावीर की पूजा करें और उनके उपदेशों को ध्यान से सुनें।
  • जैन मंदिरों में जाकर दान-दक्षिणा दें।
  • समाज सेवा के लिए योजनाएं आयोजित करें, जैसे शिक्षा या आरोग्य संबंधित कार्यक्रमों में शामिल हों।
  • अहिंसा के मूल्यों को समझने और उनको अपनाने के बारे में सोचें और उन्हें अपने जीवन में अपनाएं।
  • दुर्भावनाओं को छोड़कर सभी लोगों के प्रति दया और सम्मान रखें।

क्या न करें:

  • शराब या तंबाकू जैसी वस्तुओं का सेवन न करें।
  • अपने धर्म के बारे में अन्य लोगों पर दबाव न डालें।
  • अन्य लोगों को नुकसान पहुंचाने वाले कार्यों में शामिल न हों।

इन सावधानियों का पालन करते हुए आप महावीर जयंती का सम्मान कर सकते हैं और उसके महत्व को समझ सकते हैं।

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