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Chaitra Navratri 2023 Day 6: चैत्र नवरात्रि 2023 का छठा दिन, करें मां कात्यायनी की पूजा मिलेगा कार्यक्षेत्र में विशेष लाभ

  • नवरात्रि 2023 का दिनः छठा दिन
  • माता का नामः मां कात्यायनी
  • पांचवे दिन पहने जाने वाले रंग के वस्त्रः लाल रंग
  • माता का पसंदीदा पुष्पः लाल गुलाब

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा का विधान बताया गया है। देवी कात्यायनी को युद्ध की देवी, महिषासुर मर्दनी और पार्वती का स्वरुप भी कहा जाता है। वैसे तो देवी के सभी रूप बहुत मनमोहक होते हैं, लेकिन माता का कात्यायनी रूप करुणामयी बताया गया है। जो भी भक्त सच्चे मन से माता कात्यायनी की पूजा करता है, माता उस जातक की सभी मनोकामना को अवश्य पूरा करती हैं। माता कात्यायनी अमोघ फलदायिनी मानी जाती हैं और शिक्षा प्राप्ति के क्षेत्र में प्रयास करने वाले भक्तों को माता की अवश्य उपासना करनी चाहिए। चलिए जानते है माता की सही पूजा विधि, भोग और उन्हें प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के छठे दिन जप किए जानें वालें मंत्र।

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चैत्र नवरात्रि का छठा दिनः मां कात्यायनी की पूजा का शुभ मुहूर्त

नवरात्रि के छठे दिन यानी षष्ठी तिथि को मां कात्यायनी का पूजन किया जाएगा। साथ ही चैत्र नवरात्रि 2023 षष्ठी तिथि को कात्यायनी माता की पूजा 27 मार्च 2023, सोमवार को की जायेगी। पूजा करते समय मुहूर्त और सही पूजा विधि का पता होना बेहद आवश्यक होता है ताकि जातक को माता की पूजा करने से उचित फल की प्राप्ति हो सकें।

मां कात्यायनी की पूजा करने की विधि

माना जाता है कि जातक को माता कात्यायनी का पूजन करने से आत्मिक शांति और आध्यात्मिक बल की प्राप्ति होती है। इसके लिए जातक को माता कात्यायनी की पंचोपचार विधि से पूजा करनी चाहिए, तभी जातक को अपने प्रयासों में सफलता मिल सकती है। चैत्र नवरात्रि 2023 के छठे दिन इस पूजा विधि से करें माता का पूजनः

  • नवरात्रि के छठे दिन आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए।
  • सबसे पहले माता कात्यायनी की पूजा से पहले कलश देवता अर्थात भगवान गणेश का विधिवत तरीके से पूजन जरूर करें।
  • इसके बाद आपको भगवान गणेश को फूल, अक्षत, रोली, चंदन, अर्पित कर उन्हें दूध, दही, शर्करा, घृत व मधु से स्नान कराएं और देवी को अर्पित किये जाने वाले प्रसाद को सबसे पहले भगवान गणेश को भोग लगाएं।
  • प्रसाद के पश्चात आचमन और फिर पान, सुपारी भेंट करें।
  • इसके बाद कलश का पूजन करने के बाद नवग्रह, दशदिक्पाल, नगर देवता, ग्राम देवता की पूजा भी करनी चाहिए
  • इन सबकी पूजा-अर्चना करने के पश्चात ही मां कात्यायनी का पूजन शुरू करना चाहिए।
  • इनकी पूजा के लिए सबसे पहले अपने हाथ में एक फूल लेकर माता कात्यायनी का ध्यान करें।
  • इसके बाद माता का पंचोपचार पूजन करके उन्हें लाल फूल, अक्षत, कुमकुम और सिंदूर अर्पित करना चाहिए।
  • आगे, उनके समक्ष घी अथवा कपूर जलाकर माता कात्यायनी की आरती करें।
  • अंत में, मां के मंत्रों का उच्चारण करते हुए उनसे अपनी भूल-चूक के लिए क्षमा प्रार्थना जरूर करें।

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मां कात्यायनी की पूजा करने के लाभ

नवरात्रि के छठे दिन देवी की पूजा करने और इस दिन व्रत रखने से यदि किसी जातक के विवाह में कोई परेशानी आ रही हो, तो वह दूर हो जाती है और देवी के आशीर्वाद से उसे सुयोग वर या वधू की प्राप्ति होती है। कात्यायनी देवी का व्रत करने से जातक को कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है और कार्य में आ रही सभी परेशानी भी दूर होती है। इसके अलावा, एक मान्यता यह भी है कि मां दुर्गा के छठे रूप यानी कात्यायनी देवी की पूजा करने से राहु ग्रह की वजह से हो समस्याएं व कालसर्प जैसे बड़े-बड़े दोष भी दूर होते हैं।

साथ ही जो भी जातक माता की सच्चे मन से पूजा करता है, उसे त्वचा रोग, मस्तिष्क से जुड़ी परेशानियां इत्यादि जैसे बड़े रोग नहीं होते हैं। माना जाता है कि देवी की पूजा से कैंसर जैसे बड़े रोग भी दूर रहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं और देवी की पूजा से बृहस्पति के बुरे प्रभाव भी कम हो जाते हैं।

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देवी कात्यायनी की पूजा से जुड़े चमत्कारी मंत्र

मंत्रः

ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥

प्रार्थना मंत्रः

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।

कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥

स्तुतिः

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

ध्यान मंत्रः

वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥

स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।

वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥

पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।

मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।

कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥

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स्त्रोतः

कञ्चनाभां वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां।

स्मेरमुखी शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोऽस्तुते॥

पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।

सिंहस्थिताम् पद्महस्तां कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥

परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।

परमशक्ति, परमभक्ति, कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥

विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।

विश्वाचिन्ता, विश्वातीता कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥

कां बीजा, कां जपानन्दकां बीज जप तोषिते।

कां कां बीज जपदासक्ताकां कां सन्तुता॥

कांकारहर्षिणीकां धनदाधनमासना।

कां बीज जपकारिणीकां बीज तप मानसा॥

कां कारिणी कां मन्त्रपूजिताकां बीज धारिणी।

कां कीं कूंकै क: ठ: छ: स्वाहारूपिणी॥

कवच मंत्रः

कात्यायनौमुख पातु कां स्वाहास्वरूपिणी।

ललाटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी॥

कल्याणी हृदयम् पातु जया भगमालिनी॥

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मां कात्यायनी के नाम के पीछे की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक महर्षि कात्यायन थे, जिनकी कोई पुत्री नहीं थी। एक दिन उन्होंने माता भगवती को अपनी पुत्री के रूप में प्राप्त करने की कामना के साथ घोर तपस्या की थी। उनकी घोर तपस्या से माता जगदम्बा प्रसन्न हुई और उन्होंने महर्षि कात्यायन के यहां एक पुत्री के रुप में जन्म लिया, जिन्हें मां कात्यायनी के नाम से जाना जाता है। वहीं महर्षि कात्यायन के यहां पुत्री के रूप में जन्म लेने वाली माता कात्यायनी बहुत गुणवती कन्या थी। उनके जैसी गुणवान, रूपवती तथा ज्ञानवान कन्या पूरे संसार में कोई नहीं थी।

कहा जाता है कि नवरात्रि के दिनों में जो भी जातक माता की पूजा श्रृद्धा भक्ति से करता है उसका मन सदैव आज्ञा चक्र में स्थित रहता है। योग साधना में आज्ञा चक्र की महत्वपूर्ण मान्यता होती है। कात्यायनी माता असुरों, दानवों तथा पापियों का नाश करने वाली देवी हैं। माता की सवारी सिंह है और यह चार भुजाओं वाली देवी हैं, जिसके कारण इन्हें चतुर्भुज देवी के नाम से भी जाना जाता है।

नवरात्रि पर राशि अनुसार इन मंत्रों का जप करना रहेगा शुभ फलदायी

मेष राशि

इस राशि के जातकों को ‘ॐ ह्रीं उमा देव्यै नम:’ या ‘ॐ ऐं सरस्वत्यै नम:’ या फिर ‘ॐ महायोगायै नम:’ मंत्रों का जप करना चाहिए, इससे आपके जीवन में सुख-सौभाग्य आएगा।

वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों को ‘ॐ क्रां क्रीं क्रूं कालिका देव्यै नम:’ या ‘ॐ कारक्यै नम:’ मंत्रों का जप करना चाहिए, क्योंकि यह मंत्र समृद्धि और भाग्य लेकर लाते है।

मिथुन राशि

इस राशि के जातकों के लिए ‘ॐ दुं दुर्गायै नम:’ या फिर ‘ॐ घोराये नम:’ मंत्रों का जप करना विशेष फलदाई रहेगा।

कर्क राशि

इस राशि के जातकों के लिए ‘ॐ ललिता देव्यै नम:’ या ‘ॐ हस्त्नीयै नम:’ मंत्रों का जप सभी मनोकामना की पूर्ति करेगा। 

सिंह राशि

इस राशि के जातकों को ‘ॐ ऐं महासरस्वती देव्यै नम:’ या ‘ॐ त्रिपुरांतकायै नम:’ मंत्रों का जप करना चाहिए, इससे आपके जीवन में  सुख-सौभाग्य और समृद्धि आएगी।

कन्या राशि

कन्या राशि के लोगों को ‘ॐ शूल धारिणी देव्यै नम:’ या ‘ॐ विश्वरुपायै नम:’ मंत्रों का जप करना चाहिए, क्योंकि यह आपके लिए शुभ रहेगा। छठे नवरात्रि के दिन पूजा करते समय इन मंत्रों का अवश्य जप करें।

तुला राशि

तुला राशि के लोगों को ‘ॐ ह्रीं महालक्ष्म्यै नम:’ या ‘ॐ रोद्रवेतायै नम:’ मंत्रों का जप करना चाहिए, यह आपके जीवन में सुख-सौभाग्य लेकर आएंगे।

वृश्चिक राशि

इस राशि के जातक ‘ॐ शक्तिरूपायै नम:’ या ‘ॐ क्लीं कामाख्यै नम:’ मंत्रों का जप जरूर करें, इससे आपको मां का आशीर्वाद और सुख समृद्धि प्राप्त होगी।

धनु राशि

इस राशि के जातकों को ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ या ‘ॐ गजाननाय नम:’ मंत्रों का जप करना चाहिए, इससे आपके जीवन में सुख-सौभाग्य और जीवन के हर मोर्चे पर सफलता प्राप्त होगी।

मकर राशि

इस राशि के जातक के जीवन में ‘ॐ पां पार्वती देव्यै नम:’ या ‘ॐ सिंहमुख्यै नम:’ मंत्रों का जप सुख लेकर आएगा।

कुंभ राशि

इस राशि के लोगों को इस दिन की पूजा में यह ‘ॐ पां पार्वती देव्यै नम:’ मंत्र का जप करना चाहिए, इससे जातक को देवी की प्रसन्नता और सुख-समृद्धि प्राप्त होगी।

मीन राशि

इस राशि के लोगों के लिए ‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं दुर्गा देव्यै नम:’ मंत्र का जप करना विशेष फलदायी रहेगा।

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