Astrology information

जानें स्त्री की कुंड़ली में कैसे बनता है व्यभिचारी योग

आपको बता दें कि ज्योतिष शास्त्र में जातक की कुंडली में बनने वाले योग काफी महत्वपूर्ण होते हैं। क्योंकि उन्हीं के आधार पर जातक के जीवन में की गतिविधियों का अध्ययन किया जाता हैं। वहीं  कुछ योग जातक की कुंडली में शुभ परिणाम देते हैं, जिससे व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है। लेकिन अशुभ योग जब किसी जातक की कुंडली में बनते हैं, तो उस जातक को विपरीत परिणाम प्राप्त होते हैं। साथ ही उसे अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में असफलता का सामना करना पड़ता है। इसीलिए जातक की कुंडली उसके अतीत से लेकर आने वाले भविष्य की भविष्यवाणी में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। साथ ही कभी-कभी व्यक्ति की कुंडली में कुछ ऐसे योग बनते हैं, जिससे जातक चरित्रहीन हो जाता है। आपको बता दें कि स्त्री की कुंडली में व्यभिचारी योग काफी हानिकारक साबित होता है।

यह भी पढ़ें- अगर आप भी लेते है गलत निर्णय, तो जानें ज्योतिष कारण

इस योग के कारण स्त्री गलत कार्य में लिप्त हो जाती है। और यह योग महिलाओं के लिए बिल्कुल भी शुभ नहीं माना जाता है। साथ ही यह योग बहुत घातक होता है। क्योंकि व्यभिचारी योग सारे अनर्थों की जड़ माना जाता है। वहीं इस योग के कारण परिवार की मर्यादा और यश का सर्वनाश हो जाता है। साथ ही इस योग से भरे-पूरे परिवार का सफाया भी हो जाता है। इसलिए अगर किसी स्त्री की कुंडली में यह योग होता है, तो उस महिला को विवाह नही करना चाहिए। चलिए जानते है कि स्त्री की कुंडली में व्यभिचारी योग कैसे बनता है और इसके उपाय-

क्या होता है व्यभिचारी योग?

आपको बता दें कि जब कोई पुरुष या महिला अपनी कामवासना के कारण खुद को दूसरे व्यक्ति को समर्पण कर देता है। और वह अपने साथी के साथ धोखा करता है, तो वह व्यभिचारी योग कहलाता है। साथ ही इस योग के कारण जातक को समाज में अपने मान-प्रतिष्ठा के खराब होने का भी कोई डर नहीं रहता। साथ ही व्यक्ति इस योग के कारण परिवार,बच्चे,पति किसी पर भी ध्यान नहीं देते हैं। 

यह भी पढ़ें-नपुंसक योग: कैसे बनता है जातक की कुंडली में नपुंसक योग

बता दें कि इस योग का कारण मंगल व शुक्र ग्रह को माना जाता है। इन दोनों ग्रहों के कारण यह योग किसी जातक की कुंडली में बनता है। साथ ही इस योग के कारण महिलाएं अपने साथी को धोखा देकर अवैध संबंध बनाती है। इसके लिए वह शर्मसार भी नहीं होती हैं। और यह सब मंगल और शुक्र की दशा के कारण होता है।

कैसे बनता है कुंडली में व्यभिचारी योग

  • आपको बता दें कि इस योग के बनने में मंगल और शुक्र ग्रह काफी अहम भूमिका निभाते हैं।
  • जब किसी स्त्री की जन्म कुंडली के सातवें भाव में राहु और सूर्य का संबंध बनता है, तो व्यभिचारी योग बनता है।
  • अगर किसी महिला की कुंडली में शुक्र ग्रह मेष, सिंह, धनु, वृश्चिक में हो या वह नीच के भाव में मौजूद हो और मंगल, राहु, केतु या शनि के साथ योग करें, तो उस महिला में अत्यधिक यौन-कामना की इच्छा जागृत हो जाती है।
  • साथ ही इसके कारण स्त्री वैवाहिक संबंध की मार्यादा को तोड़कर अवैध संबंध बनाती है।
  • इसी के साथ जब किसी महिला की कुंडली में चंद्रमा सातवें स्थान पर होता है और शुक्र ग्रह दसवें भाव में हो, तो महिला की कुंड़ली में व्यभिचारी योग बनता है। और इसके कारण औरतों का चरित्र हनन भी होता है।
  • जब किसी महिला की जन्मपत्रिका में वृषभ राशि या तुला राशि के दसवें भाव में होती है और उस दसवीं राशि में बुध, शुक्र और शनि ग्रह का संबंध से व्यभिचारी योग बनता है।

व्यभिचारी योग

  • साथी ही यह योग काफी घातक माना जाता है, जिसके बनने से महिलाओं के जीवन में बेहद परेशानियां उत्पन्न होती हैं।
  • अगर किसी स्त्री की कुंडली के सप्तम भाव में कर्क राशि में सूर्य व मंगल होता है, तो महिला व्यभिचारिणी होती है।
  • साथ ही इस योग के कारण महिलाएं खुद के परिवार को नष्ट कर लेती है।
  • वहीं चंद्र, मंगल और शुक्र में से कोई दो ग्रह यदि सप्तम भाव में होते है, तो लड़की चरित्रहीन हो जाती है।
  • साथ ही अगर शनि व शुक्र एक दूसरे से नवांश में हो और एक दूसरे को देख रहे हो, तो उपरोक्त फल मिलता है।
  • साथ ही अगर मंगल व शनि एक दूसरे के नवांश में होते है, तो महिला गलत कामों से धन कमाने लगती है।
  • आपको बता दें कि अगर लग्न चंद्र व लग्नेश तीनों की राशि में हो तथा उन्हें पापी ग्रह देख रहा हो, तो महिला विवाह से पहले कई पुरुषों से संबंध रखती है, जो विवाह के बाद भी जारी रहते हैं।
  • साथ ही नीच राशि या दुश्मन की राशि में सातवें भाव में स्वामी बैठे होते है, तो व्यभिचारी योग बनता है।
  • इसी के साथ शुक्र व मंगल एक दूसरे की राशि में होते है, तो स्त्री दुराचार अपनाती है।
  • आपको बता दें कि किसी केंद्र भाव में पापी ग्रह के साथ मंगल हो, तो वह महिला दूसरे पुरुषों से संबंध बनाती है।

व्यभिचारी योग का फल

आपको बता दें कि जब किसी स्त्री की कुंडली में व्यभिचारिणी योग बनता है, तो स्त्री को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस तरह की स्त्रियां अपने जीवन में अनेक पुरुषों के साथ संबंध स्थापित करती हैं। साथ ही वह अपने विवाह के बाद भी कई अवैध संबंध बनाती हैं। जिससे उनके परिवार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इतना ही नहीं इस योग के कारण स्त्रियां अपने साथी को धोखा देने तक के लिए भी तैयार होती हैं। और उन्हें समाज में अपनी छवि खराब होने का भी डर नहीं होता है।

यह योग परिवारों को पूरी तरह से बर्बाद कर देता है। इस योग के कारण स्त्रियां धोखा देना तथा कामवासना के अभिभूत हो जाती हैं। साथ ही इस योग के कारण कई परिवार भी उजड़ जाते हैं, इसीलिए यह योग काफी घातक माना जाता है। जब यह योग किसी स्त्री की कुंडली में बनता है, तो उस स्त्री के अवैध संबंध होते हैं जो उसके परिवार के लिए हानिकारक साबित होते हैं।

उपाय

  • व्यभिचारी योग से बचने के लिए स्त्रियों को प्रतिदिन शिव-पार्वती की पूजा करनी चाहिए।
  • साथ ही मां पार्वती की मांग में सिंदूर भरना चाहिए।
  • आपको पूरे विधि विधान से हरितालिका तीज का व्रत भी रखना चाहिए।
  • इसी के साथ स्त्रियां भगवान शिव को सोमवार को जल भी चढ़ा सकती है।
  • साथ ही महिलाएं सोमवार का व्रत भी रख सकती है। इससे महिलाओं को शुभ परिणाम प्राप्त होंगे।
  • साथ ही आप किसी अनुभवी ज्योतिषी की सलाह से ही रत्न की अंगूठी धारण करनी चाहिए।
  • वहीं इस योग से छुटकारा पाने के लिए महिलाओं को बुजुर्गों और अपने माता-पिता का दिल नहीं दुखाना चाहिए।
  • साथ ही बड़ों का आदर नहीं करना चाहिए। और उनकी सेवा भी करनी चाहिए।
  • वही भोजन दान करने से स्त्रियों को शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।
  • साथ ही दान करने से महिला इस योग के अशुभ परिणामों से बच सकती हैं।
  • इतना ही नहीं रोजाना हनुमान चालीसा या बजरंग बाण का पाठ करने से व्यभिचारिणी योग से छुटकारा मिलता है।
  • वहीं रोजाना पीपल के वृक्ष पर हल्दी डालकर चढ़ाना चाहिए।
  • साथ ही पीपल के वृक्ष की सात बार परिक्रमा करने से महिलाओं को शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।

यह भी पढ़े – परीक्षा में सफलता पाने के लिए करें ये अचूक ज्योतिषीय उपाय

अधिक जानकारी के लिए आप AstroTalk के अनुभवी ज्योतिषियों से बात करें।

अधिक के लिए, हमसे Instagram पर जुड़ें। अपना साप्ताहिक राशिफल पढ़ें।

 37,845 

Share

Recent Posts

  • English
  • Vedic
  • Zodiac Signs

6 Zodiac Signs With Unmatched Adventurous Spirits

1 week ago
  • English
  • Vedic
  • Zodiac Signs

4 Zodiac Signs That Are Masters of Communication

1 week ago
  • English
  • Zodiac Signs

3 Zodiac Signs That Are Unusually Independent

1 week ago
  • English
  • Vedic
  • Zodiac Signs

5 Zodiac Signs Who Are Fiercely Loyal Friends

1 week ago
  • English
  • Vedic
  • Zodiac Signs

7 Zodiac Signs Known for Their Magnetic Charisma

1 week ago