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ज्योतिष अनुसार जाने कि क्या व्यक्ति अपना भाग्य बदल सकता है

कुछ लोग मेरी पिछली राजनैतिक भविष्यवाणियों पर कॉमेंट्स में पूछ रहे हैं कि अगर कुंडली के ग्रहों के आधार पर ही सब कुछ निर्भर है, तो हम मेहनत क्यों करें। तो इस बारे में मैं कुछ बातें स्पष्ट करना चाहता हूं। मैं जब ऑनलाइन सिर्फ बर्थ डाटा के आधार पर किसी की कुंडली देख कर उसका सब कुछ आगे पीछे का बता देता हूं जबकि मैं उनको कभी ना व्यक्तिगत रूप से जानता हूं ना उनसे मिला हूं, तो इसका क्या मतलब हुआ, यही की सिर्फ बर्थ डाटा ही किसी का भविष्य तय कर देता है। कुछ तो मतलब है जन्म नक्षत्र और ग्रह स्थिति का। 

अब रही बात की अगर सब कुछ पहले से तय है तो हम मेहनत क्यों करें। हमारे जन्म नक्षत्र और ग्रह स्थिति हमे एक टेंपरामेंट देती है, जिससे बाहर निकलना हर किसी के लिए संभव नहीं। हम सारे अपने कार्य उसी टेंपरामेंट में बंध कर करते हैं। 

दरअसल हमारे जन्म नक्षत्र और ग्रह स्थिति हमारे ब्रेन के सेल्फ एडिटिंग डीएनए को कंट्रोल करते हैं। जबकि बाकी बॉडी के नॉर्मल डीएनए जो की हमे हमारे पूर्वजों से प्राप्त होते है उससे हमारा बायलॉजिकल शरीर और उसका बायलॉजिकल व्यवहार तय होता है। 

मैने पिछले दो आर्टिकल में मंत्र शक्ति के बारे में बताया है कि इन मंत्र शक्ति से ब्रेन  कोशिकाओं के डीएनए में परिवर्तन किया जा सकता है। पर यह बहुत ही मुश्किल काम है। 

आज मैं आपको सबसे पहले मंत्र से परिचित करवाना चाहता हूं। यह मंत्र हमारे वैदिक युग में गुरुकुल में सिखाया जाता था। 

इस मंत्र का जाप करते हुए आप को अपने जानकर इलाके में, अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को छोड़ कर बाकी लोगों से एक माह सिर्फ भिक्षा मांग कर भोजन करना है और सिर्फ मांगे हुए वस्त्र पहनने हैं। एक भिखारी कि भांति जीवन व्यतीत करना है। कोई उसे कितना भी अपमानित करे उसे वह अपमान हंसते हुए सहन करना होगा।

मंत्र है 

“भव्तपुरव चरे द्वैक्ष मुपनितो द्विजो तम ।

भवन्मय तू राजनय वैश्य स्तु भव दुत रम ।।”

ऐसा करने से आप अपने अंहकार, अपनी ग्रह स्थिति 

द्वारा तय की हुए सीमा से एक कदम बाहर निकाल सकते है। भगवान श्री राम और श्री कृष्ण भी गुरुकुल में ऐसा ही जीवन जिए हैं। क्या आप ऐसा कर सकते हैं। 

 यह संस्कार हमारी शादी के समय भी एक सांकेतिक रूप में करवाया जाता है। जिसका मतलब होता था कि अगर कभी आपको गृहस्थ आश्रम में परिवार पालने के लिए भिक्षा भी मांगनी पड़े तो आपको शर्म महसूस ना हो। लेकिन होता क्या है अक्ल या नकल से कोई छोटी मोटी डिग्री करने के बाद लोग बेकार बैठे रहते हैं लेकिन भीख तो दूर कोई छोटा काम करने में भी शर्म महसूस करते हैं। बेकार बैठे रहने से तो मजदूरी करना बेहतर है।

इस के बाद भी कई और कदम हैं। जिनको में अपने अगले आर्टिकल में लिखूंगा।

By – Astrologer Ankush

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