कुंडली में सूर्य व्यवसाय तथा नौकरी के लिए सूर्य सबसे महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है। राजनीति के लिए भी सूर्य देव की अच्छी स्थिति होनी चाहिए।
सूर्य देव प्रत्यक्ष देवता हैं।
जिस व्यक्ति का लग्न व सूर्य कमजोर होते हैं उन पर नकारात्मक ऊर्जा का बहुत जल्दी प्रभाव पड़ता है।
यदि कुंडली में ग्रहण योग है या राहु बहुत अनिष्टकारी स्थिति में है या मंगल-शनि का संयोग है या चंद्र-शनि का संयोग हो तो भी जातक ऋणात्मक शक्तियों के प्रभाव में आता है। मतलब ऐसे लोग कर्ज में डूबे हुए रहते हैं।एक कर्जा खत्म हुआ तो दूसरा शूरु हो जाता है।
हर समय मान सम्मान में कमी आएगी जो काम नहीं भी किया गया हो उसमें भी नाम आ जाना और झूठे आरोप लांछन लग जाते हैं।
सूर्य शक्ति निर्माण करने वाला ग्रह है। अत: शरीर में निर्मित होने वाली विद्युत शक्ति पर भी सूरज का प्रभाव होता है।
सूरज यदि कमजोर हो तो दिल की बीमारियां, आत्मशक्ति में कमी, चेतना की कमी, गर्मी से जुड़ी बीमारियां, बुखार, सिर के अंदरूनी हिस्से में चोट-चपेट व रीढ़ की हड्डी की तकलीफ सूर्य से संबंधित है।
सूर्य अग्नि का कारक ग्रह है, अत: हाजमे मे तकलीफ, श्वेत मांसपेशियों में दर्द और दृष्टि में दोष सूर्य से जुड़ा है।
जब भी सूर्य की महादशा चल रही हो उसके साथ राहु की अन्तर या प्रत्यंतर दशा आती है तो बहुत परेशानी आती है। आप कुछ उपाय कर सकते हैं।
शिव मंदिर में भोलेनाथ की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
ग्यारह या इक्कीस रविवार तक गणेश जी पर लाल फूलों चढ़ाएं |
सूरज को मजबूत करने के लिए तांबे के लोटे से जल, गंगाजल, चावल, लाल फूल, लाल चन्दन मिला कर अर्घ्य दें | जल देते समय ‘ऊं अदित्याये नमः’ अथवा ‘ॐ घ्रिणी सूर्याय नमः’ का जाप करे ।
इसके अलावा अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाना भी जरूरी है। क्यों कि पोस्ट सर्वजनिक होती है और उपाय जो आप अपनी कुंडली के विश्लेषण के बाद करेंगे तो उसका बहुत जल्दी प्रभाव भी पड़ता है।
और वह उपाय आपकी गोचर कुंडली ,लग्न कुंडली ,वर्ष कुंडली , नवमांश कुंडली , समुदाय अष्टवर्ग के अनुसार आप करते हैं।
जो लोग अपने कुंडली के अनुसार उपाय करते हैं उनको बहुत अच्छा प्रभाव पड़ा है।
By – आचार्य हिमांशु शर्मा
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