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ज्योतिष में मारकेश ग्रह दशा और उनके उपाय

ज्योतिष शास्त्र जातक के जीवन में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। क्योंकि ज्योतिष विज्ञान की सहायता से जातक के आने वाले जीवन की भविष्यवाणी की जाती है। साथ ही जातक की कुंडली में कुछ ऐसे ग्रह भी होते हैं जिनकी दशा, महादशा बेहद अशुभ माना जाती है। और यह जातक के जीवन में कई परेशानी लाते है। वहीं कभी- कभी इन दशाओं के कारण जातक को मृत्यु तुल्य कष्ट का भी सामना करना पड़ता है। आपको बता दें कि ज्योतिष में इन ग्रहों को मारक ग्रह या मारकेश ग्रह कहा जाता है। 

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साथ ही अगर मारकेश शानि दशा जातक की कुंडली में एक से अधिक बार बनती है, तो जातक को जीवन में काफी कष्टों का सामना करना पड़ता है। साथ ही यह दशा जातक के लिए बिल्कुल भी ठीक नही होती है। मारकेश ग्रह की दशा के कारण जातक को अपने जीवन के सभी क्षेत्रों नकारात्मकता का सामना करना पड़ता है। चलिए जानते है जातक की कुंडली में कैसे बनता मारकेश योग इसका प्रभाव और उपाय –

क्या होता है मारकेश योग?

आपको बता दें कि ज्योतिष में मारक ग्रह का अर्थ उन ग्रहों से होता है, जो किसी जातक की कुंडली में अशुभ फल प्रदान करते है। जब यह योग किसी जातक की कुंडली मे बनता है, तो जातक को कई परेशानियों का सामना करना होता है। साथ ही वह अपने जीवन के हर क्षेत्र में असफलता प्राप्त करने लगता है। इस योग के कारण जातक को स्वास्थ्य, पैसो, पारिवारिक जीवन आदि में कई समस्यों का सामना करना पड़ता है।

आपको बता दें कि कुंडली में लग्न को शरीर माना जाता है। और लग्न से हमारा व्यक्तित्व जुड़ा होता है। वहीं लग्न से अष्टम भाव आयु का भाव माना जाता है। साथ ही अष्टम से अष्टम भाव यानि कुंडली का तृतीय भाव आयु के बारे में जानकारी प्रदान करता है। इसी के साथ अष्टम भाव का व्यय भाव अर्थात सप्तम भाव एक मारक भाव कहा जाता है और वहीं सप्तम भाव का स्वामी कुंडली का मारक ग्रह होता है।

इसी तरह तृतीय भाव का व्यय भाव अर्थात कुंडली का दूसरा भाव भी मारक भाव की श्रेणी में आता है और दूसरे भाव का स्वामी मारक ग्रह कहा जाता है। साथ ही ज्योतिष में मुख्य रूप से सप्तम भाव और द्वितीय भाव के स्वामी मारक ग्रह कहे जाते हैं और जब इनकी दशा, महादशा, अंतर्दशा, प्रत्यन्तर्दशा आती है, तब जातक को अपने जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

कुंडली में कैसे बनता है मारकेश योग

  • आपको बता दें कि मारकेश के लिए कुंडली में दूसरा, छठा, सातवां,अष्टम और बारहवें भाव का विश्लेषण करना आवश्यक होता है।
  • साथ ही जन्म कुंडली के आठवें भाव से जातक की आयु के बारें में अध्ययन किया जाता है।
  • इसी के साथ कुंडली के छठे भाव से जातक को कौन सा रोग हो सकता है, इस बात का अनुमान लगाया जाता है।
  • साथ ही दूसरे और कुंडली के सप्तम भाव को मृत्यु या मारक स्थान माना गया है। इसमें दूसरें स्थान को प्रबल मारक माना गया है।
  • बता दें कि यह धन और वाणी का भाव भी माना जाता है। इसी के साथ अगर बारहवें भाव की बात करें, तो इसे व्यय (खर्चे) का स्थान माना जाता है।
  • जब जातक के शरीर में कोई रोग होता है, तो उसके शरीर की काफी ऊर्जा खर्च होती है। और रोग के सुधार के लिए इसपर धन भी खर्च होता है। इसी कारण बारहवें भाव पर विचार करना बहुत जरूरी होता है।
  • साथ ही अगर जन्म कुंडली में द्वितीयेश शुक्र, सप्तमाधिपति गृह तथा एकादश भाव का स्वामी होता है, तो मारकेश योग बनता है।
  • इसी के साथ तुला लग्न में शुक्र और गुरू अगर पीड़ित होते है, तो मारक योग बनता है।
  • आपको बता दें कि जब धनु लग्न में शुक्र निर्बल और क्रूर ग्रहों के साथ विराजमान होता है, तो मारकेश बनता है।

ग्रह सूर्य और चंद्रमा को नहीं लगता मारकेश दोष

  • आपको बता दें कि ज्योतिष में अलग- अलग लग्नों में भिन्न- भिन्न ग्रह मारकेश बताए जाते हैं। वहीं सूर्य और चंद्रमा ग्रहों को मारकेश दोष नहीं लगता है।
  • साथ ही मेष लग्न के लिए शुक्र मारकेश होकर भी मारकेश का कार्य नहीं करता है। अगर जातक की कुंडली में राहु- केतु छठे, आठवें और बारहवें भाव में स्थित होते है, तो वह मारक ग्रह का फल देते हैं।

जातक की कुंडली में मारक ग्रह का प्रभाव

  • आपको बता दें कि मारकेश की दशा में जातक को बेहद सावधान रहना चाहिए। क्योंकि इस दौरान जातक को कई तरह की मानसिक, शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
  • इसी के साथ जातक का रोगों पर अधिक धन खर्च हो होता है।
  • बता दें कि मारक ग्रह जातक के जीवन में समस्या और संघर्ष पैदा करते ही हैं। वही मारक की दशा में जातक को कोई गंभीर बीमारी, वाहन दुर्घटना, व्यापार में हानि, मित्रों और संबंधियों से धोखा भी मिल सकता है।
  • जब यह योग किसी जातक की कुंडली में बनता है, तो उस जातक के जीवन के लिए बिल्कुल भी सही नही होता है। क्योकि इस योग में जातक की मुत्यु तक हो सकती है।
  • मारक योग जातक के जीवन में परेशानियों का पहाड लेकर आता है। इसके कारण जातक को काफी तनाव भी हो जाता है।
  • साथ ही इस योग में किसी प्रकार की कोई दुर्घटना होने या जातक को चोट लगने की संभावना अधिक होती है।
  • मारक दशा के कारण जातक किसी प्रकार की लम्बी बीमारी या परेशानी का सामना करता है।

राशि के अनुसार जानें मारक ग्रह की दशा

मेष राशि

  • मेष राशि के जातकों के लिए शुक्र दूसरे और सातवें भाव का स्वामी होता है।
  • वहीं यह गंभीर बीमारियों को भी जन्म देते है। इसी के साथ मेष लग्न में शनि 10वें और 11वें भाव का स्वामी होकर अपनी दशा जातक को मृत्यु तुल्य कष्ट देता है।

वृषभ राशि

  • आपको बता दें कि वृषभ लग्न के स्वामी ग्रह शुक्र होता हैं।
  • वृषभ राशि इस लग्न के लिए मंगल सातवें और बारहवें भाव का मालिक होता है। वहीं बुध दूसरे एवं पांचवें भाव का अधिपति होता है।
  • बता दें कि इस राशि वालों के लिए गुरू, शुक्र और चंद्र मारक ग्रह माने जाते हैं।

मिथुन राशि

  • मिथुन लग्न में चंद्र और गुरू दूसरे व सातवें भाव के अधिपति माने जाते हैं।
  • साथ ही चंद्रमा प्रतिकूल स्थिति में होने पर भी जातक को परेशानी नही देता है।
  • वहीं मिथुन लग्न में गुरू और सूर्य मारक ग्रह बनते हैं।

कर्क राशि

  • आपको बता दें कि कर्क लग्न वालों के लिए शुक्र ग्रह को मारकेश माना जाता है।

सिंह राशि

  • बता दें कि सिंह राशि वालों के लिए शनि अधिपति होने पर भी जीवन में कष्टकारी परिणाम नहीं देता है।
  • इसी के साथ बुध दूसरे और 11 वें भाव का अधिपति होकर काफी कष्ट देने की क्षमता रखता है।

कन्या राशि

  • आपको बता दें कि कन्या लग्न के लिए सूर्य 12वें भाव का स्वामी होकर भी मृत्यु नहीं देता है।
  • ज्योतिष अनुसार अगर जन्म कुंडली में द्वितीयेश शुक्र, सप्तमाधिपति गृह तथा एकादश भाव का स्वामी होता है, तो मारकेश बनता है।

तुला राशि

  • साथ ही तुला लग्न के दूसरे और सातवें भाव का स्वामी मंगल मारकेश नहीं होता है। लेकिन जातक को कष्ट जरूर देता है।
  • इसी के सात लग्न में शुक्र और गुरू अगर पीड़ित होंता है, तो मारकेश बनता है।

वृश्चिक राशि

  • आपको बता दें कि वृश्चिक लग्न के दूसरे भाव का स्वामी गुरू मारकेश नहीं होता है।
  • वहीं अगर बुध कमजोर, अष्टम, द्वादश या तीसरे भाव में पाप ग्रहों से युक्त होता है, तो मारकेश बनता है।

धनु राशि

  • आपको बता दें कि धनु लग्न में शुक्र निर्बल और क्रूर ग्रहों के साथ विराजमान होता है, तो मारकेश दशा बनती है।

मकर राशि

  • आपको बता दें किआपकी कुंडली में सप्तम भाव के स्वामी चंद्रमा होता है। लेकिन एकादश भाव के स्वामी होने के कारण और लग्नेश शनि से शत्रुता के कारण मंगल प्रबल मारक ग्रह बन जाते हैं।
  • वहीं चंद्रमा की दशा भी काफी अशुभ परिणाम देती है। इसी के साथ बृहस्पति भी तीसरे और द्वादश भाव के स्वामी होने के कारण अशुभ कारक बन जाते हैं।

कुंभ राशि

  • आपको बता दें कि कुंभ लग्न में दूसरे भाव का स्वामी मारकेश बनता है। लेकिन शनि 12वें भाव का होकर भी मारकेश नहीं है। वहीं मंगल और चंद्र अगर पीड़ित होते हैं, तो यह जातक को मृत्यु तुल्य कष्ट देते हैं।

मीन राशि

  • आपको बता दें कि मीन लग्न के लिए शनि और बुध मारकेश बनते हैं।

ये उपाय है मददगार

  • आपको बता दें कि मारकेश की दशा में जातक को भगवान शंकर की आराधना करनी चाहिए।
  • साथ ही सोमवार को भगवान शिव जी का रुद्राभिषेक भी करना चाहिए।
  • इसी के साथ जातक को महामृत्युंजय मंत्र का करीबन सवा लाख बार जाप जरुर करना चाहिए।
  • वही व्यक्ति को मारक ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान भी करना चाहिए। यह काफी शुभ फल प्रदान करता है।
  • साथ ही जातक को प्रत्येक मंगलवार हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ जरुर करना चाहिए।
  • वही जातक को रोज एक माला रोग नाशक मंत्र का जप करना चाहिए।
  • अपनी मारक दशा के लिए जातक को “ॐ नमः शिवाय मृत्युंजय महादेवाय नमोस्तुते” मंत्र का रोजाना जाप करना चाहिए।
  • अगर आपकी कुंडली में मारकेश के कारण शारीरिक रूप से अत्यधिक कष्ट हो रहा है, तो आपको शिव जी के महामृत्युंजय मंत्र “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम। उर्वारुकमिव बन्धनामृत्येर्मुक्षीय मामृतात्||” का जाप करना चाहिए।
  • इसके साथ आप लघु मृत्‍युंजय मंत्र “ॐ जूं स: माम् पालय पालय स: जूं ॐ।” का जाप करके मारकेश के अशुभ फलों से बच सकते है।
  • साथ ही मारक ग्रह के लिए पूजन, अनुष्ठान आदि भी करवा सकते है।
  • मारकेश दशा को कम करने के लिए आपको अपने लग्न के स्वामी ग्रह और राशि के स्वामी ग्रह के मंत्रों का अनुष्ठान जरुर कराना चाहिए।
  • अगर आप मारक ग्रह की दशा के प्रभाव से गुजर रहे है, तो आपको श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ जरुर करना चाहिए।
  • वही मारकेश दशा के लिए जातक को गायत्री मंत्र का पुरश्चरण करना चाहिए।

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