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बिजनेस में सफलता मिलेगी या नहीं, कुंडली में इस ग्रह से चलता है पता

हर व्यक्ति जीवन में कभी-न-कभी सोचता है कि वो अपना खुद का काम शुरु करे। बहुत से लोग इसके लिए मेहनत भी करते हैं लेकिन चुनिंदा लोग ही सफलता पाते हैं। किसी बिजनेस को शुरु करना बहुत ज्यादा मुश्किल नहीं होता लेकिन उसे लंबे समय तक चला पाना और उससे मुनाफा कमा पाना आसान नहीं होता। आज हम आपको ज्यातिष शास्त्र की मदद से बताएंगे कि किन लोगों को व्यापार या अपने बिजनेस में मुनाफा मिलने की ज्यादा संभावना रहती है। 

बृहस्पति ग्रह दिलाता है बिजनेस में सफलता

कोई भी बिजनेस शुरु करने से पहले व्यक्ति को किसी अच्छे ज्यातिष से परामर्श अवश्य करना चाहिए। कुंडली में बृहस्पति की क्या स्थिति है इसके बारे में गंभीर विचार करना चाहिए। बृहस्पति एक ऐसा ग्रह है जो हर चीज में बढौतरी करता है। यदि यह शुभ है तो शुभता में वृद्धि करेगा और यदि अशुभ है तो अशुभता में वृद्धि करेगा। इसलिए कुंडली में इस ग्रह की स्थिति पर विचार करना अति आवश्यक हो जाता है। 

बृहस्पति ग्रह से जुड़े बिजनेस

इस ग्रह को देवताओं का गुरु कहा जाता है इसलिए इसकी मजबूती से व्यक्ति ज्योतिष, धर्म, लेखन, संपादन, आध्यात्म, सलाहकार, अध्यापक, प्रकाशक आदि जैसे व्यवसायों में उन्नति पा सकता है।

गुरु की दृष्टियां

अपनी पंचम, सप्तम और नवम दृष्टि से गुरु कुंडली के चार भावों को प्रभावित करते हैं। जिस भाव में गुरु हों उससे संबंधी उच्च फल भले ही न दें लेकिन इनकी दृष्टियों का लाभ जातकों को अवश्य मिलता है। 

ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह

देव गुरु की संज्ञा प्राप्त बृहस्पति ग्रह धनु और मीन राशियों का स्वामी है। इसके साथ ही पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्रों का स्वामित्व भी इसे ही प्राप्त है। यह सभी ग्रहों की तरह सप्तम दृष्टि से तो देखता ही है लेकिन इसकी पंचम और नवम दृष्टि भी होती है। जिस भी स्थान पर बृहस्पति ग्रह विराजमान होता है भले ही उसे उतना लाभ न पहुंचाए लेकिन इसकी दृष्टियों को शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में इस देवताओं के गुरु की संज्ञा दी गई है। 

बृहस्पति ग्रह के कारकत्व

बिजनेस के लिए बृहस्पति का कुंडली में शुभ होना इसलिए भी आवश्यक होता है क्योंकि यह भाग्य का कारक माना जाता है। आप बिजनेस के लिए भले ही कितनी ही मेहनत क्यों न करें लेकिन कहीं न कहीं आपको भाग्य की भी साथ चाहिए होता है। इसके साथ ही यह ग्रह दर्शन, आध्यात्म, धन, नियम, नाम, संतान, मान-सम्मान आदि का भी कारक ग्रह है। जिन जातकों की कुंडली में बृहस्पति शुभ होता है वह सत्यनिष्ठ और धर्मपरायण होते हैं।

बृहस्पति की स्थिति और व्यवसाय

प्रथम भाव में

ऐसे लोग गुणवान होते हैं और अच्छे सलाहकार, रणनीतिज्ञ, राजनेता बन सकते हैं।

द्वितीय भाव में

इस भाव में बैठा गुरु व्यक्ति को लेखन के क्षेत्र में प्रगति दिला सकता है। ऐसे लोग अच्छे संचालक भी होते हैं। 

तृतीय भाव में

ऐसे लोग तार्किक हो सकते हैं इसलिए वाणी के दम पर कोई बड़ा काम कर सकते हैं। अच्छे वक्ता बन सकते हैं। 

चतुर्थ भाव में

ऐसे लोगों को पर्यटन, विदेशों से जुड़े व्यापार और आध्यात्मिक क्रिया कलापों से फायदा होता है। 

पंचम भाव में

इस भाव में गुरु के होने से व्यक्ति आलसी हो सकता है लेकिन शिक्षा संबंधी क्षेत्रों में उन्नति पा सकता है। 

षष्ठम भाव में

इस भाव में बैठा गुरु व्यक्ति को भले ही बीमार बनाता है लेकिन ऐसे लोग वकालत आदि में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं क्योंकि इस भाव में बैठा गुरु शत्रुओं को पराजित करता है। 

सप्तम भाव में

ऐसे लोगों का भाग्य पूरा साथ देता है और इनके स्वभाव में विनम्रता भी होती है इसलिए ऐसे लोगों को राजनीति और प्रशासनिक कार्यों में सफलता मिल सकती है। 

अष्टम भाव में

ऐसे लोग घर से ज्यादा बाहर रहना पसंद करते हैं, विज्ञान के क्षेत्र में ऐसे लोगों को सफलता मिलती है। 

नवम भाव में

इस भाव में गुरु व्यक्ति को निर्माण क्षेत्र में सफलता दिला सकता है। ऐसे लोग अच्छे सामाजिक कार्यकर्ता भी हो सकते हैं, इसके साथ ही पारिवारिक कारोबार को भी ऐसे लोग आगे बढ़ा सकते हैं।

दशम भाव में

ऐसे लोग कला के क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं भवन निर्माण आदि कार्यों में भी ऐसे लोगोंको सफलता मिलती है। 

एकादश भाव में

ऐसे लोग भाग्यशाली होते हैं, इनके पिता को इनसे लाभ होता है। अच्छे व्यापारी होते हैं इसलिए किसी भी तरह का व्यापार इनके लिए अनुकूल हो सकता है। 

द्वादश भाव में

ऐसे लोग लालची हो सकते हैं, इन लोगों के लिए विदेशों से जुड़ा व्यापार फलदायी साबित हो सकता है। 

यदि आप भी अपना व्यवसाय शुरु करना चाहते हैं तो अपनी कुंडली में बृहस्पति की स्थिति का आकलन कर सकते हैं। यदि आपको ज्यातोष का ज्यादा ज्ञान नहीं है तो किसी अच्छे ज्योतिष से परामर्श लेकर आप आगे बढ़ सकते हैं। 

यह भी पढ़ें- न्याय के देवता शनि को करना है प्रसन्न? आजमाएं यह पांच उपाय

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