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जानें कुंडली में कौन सा ग्रह बनता है विवाह में देरी का कारण?

ज्योतिष में, शनि और शुक्र दोनों ग्रह विवाह में देरी का कारण बन सकते हैं। शनि ग्रह को कठिनाई और दुख का कारक माना जाता है और इसकी साढ़े साती भी विवाह में विलंब का कारण बन सकती है। शुक्र ग्रह धन, सुख और प्रेम का कारक माना जाता है। लेकिन अगर यह ग्रह अशुभ स्थिति में होता है, तो जातक की शादी में देरी हो सकती है। इसके अलावा, बृहस्पति, सूर्य और चंद्रमा जैसे अन्य ग्रहों की स्थिति भी विवाह में विलंब का कारण बन सकती है। बता दें कि ग्रह अनुकूल या अनुशासन के अभाव में, विवाह में विलंब हो सकता है। इसके लिए आप ज्योतिषशास्त्र के विशेषज्ञ की सलाह और अपनी कुंडली के अनुसार उपाय करके इन ग्रहों की अशुभ स्थिति से बच सकते है और आपका विवाह समय पर हो सकता हैं।

कुंडली अनुसार होती है विवाह भविष्यवाणी

ज्योतिष में कुंडली विवाह के बारे में बहुत कुछ बताती है। कुंडली विवाह के सम्भावित समय, विवाह का प्रकार, विवाह से संबंधित बाधाओं और परिणामों के बारे में जानकारी प्रदान करती है।

कुंडली विशेषज्ञ विवाह के सटीक समय के लिए कुंडली में स्थित ग्रहों के आधार पर सलाह देते हैं। जब भी विवाह का समय तय किया जाता है, तो ग्रहों की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण होती है। शुभ ग्रहों की विशेष स्थिति विवाह के लिए उचित मानी जाती है।

कुंडली में विवाह के प्रकार भी बताए जाते हैं। इनमें अंतर्जातीय विवाह, अंतरकुलीन विवाह, समाजसेवी विवाह, प्रेम विवाह और व्यापारिक विवाह शामिल होते हैं। कुंडली में विवाह से संबंधित बाधाएं भी बताई जाती हैं। इनमें ग्रहों की दुर्बल स्थिति, मंगल की महत्वपूर्ण स्थानों में स्थिति आदि शामिल होती हैं। साथ ही आप विवाह से पहले कुंडली मिलान करके शादी में आने वाले परेशानियों से बच सकते है, जिसके लिए आपको किसी ज्योतिष से सलाह लेनी चाहिए।

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विवाह में देरी के लिए कौन से ग्रह जिम्मेदार हैं?

वैदिक ज्योतिष में, विवाह में विलंब के लिए कई ग्रह जिम्मेदार होते हैं। इनमें से कुछ मुख्य ग्रहों की सूची निम्नलिखित है:

  • शनि ग्रह: शनि एक उग्र ग्रह है, जो विवाह में विलंब के लिए जिम्मेदार माना जाता है। अगर शनि कुंडली में कमजोर हो, तो जातक की शादी देरी हो सकती है।
  • मंगल ग्रह: मंगल ग्रह विवाह में देरी के लिए जिम्मेदार माना जाता है। विवाह के समय में मंगल की स्थिति के बारे में सावधान रहना चाहिए। इसके लिए जन्मकुंडली में मंगल की स्थिति का ध्यान देना चाहिए।
  • शुक्र ग्रह: शुक्र शादी की भविष्यवाणी के लिए जिम्मेदार होता है। शुक्र ग्रह विवाह में उलझन पैदा कर सकता है।
  • बृहस्पति ग्रह: बृहस्पति एक शुभ ग्रह है और विवाह में देरी के लिए भी जिम्मेदार होता है। बृहस्पति के स्थिति के बारे में सावधान रहना चाहिए।
  • राहु-केतु: राहु और केतु शादी में देरी के लिए जिम्मेदार होते हैं। इन ग्रहों की स्थिति के बारे में सावधानी रखना आवश्यक होता है। अगर इन ग्रहों की स्थिति अनुकूल नहीं होती है, तो शादी में देरी हो सकती है।
  • चंद्रमा ग्रह: चंद्रमा विवाह के मामलों में बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस ग्रह की स्थिति, संयोग विवाह के लिए अधिक उपयुक्त माने जाते हैं। अगर चंद्रमा की स्थिति जातक की कुंडली में अनुकूल होती है, तो जातक की शादी में देरी नहीं होती है।

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विवाह में देरी के लिए जिम्मेदार होते है यह भाव

ज्योतिष में, विवाह में देरी के लिए कुछ भाव भी जिम्मेदार होते हैं:

  • सप्तम भाव: सप्तम भाव विवाह से संबंधित होता है और शादी में देरी के लिए जिम्मेदार माना जाता है। जब सप्तम भाव में कोई शुभ ग्रह नहीं होता है या शुभ ग्रह की दशा अशुभ होती है, तो विवाह में विलंब हो सकता है।
  • द्वादश भाव: द्वादश भाव भाग्य और कर्म से संबंधित होता है। जब द्वादश भाव में कोई शुभ ग्रह नहीं होता है या शुभ ग्रह की दशा अशुभ होती है, तो विवाह में देरी हो सकती है।
  • षष्ठ भाव: षष्ठ भाव व्यवसाय, सेवा और स्वास्थ्य से संबंधित होता है। इस भाव में अशुभ ग्रह का प्रभाव शादी में देरी का कारण बन सकता है।
  • लग्न: लग्न विवाह में देरी के लिए जिम्मेदार होता है। लग्न की स्थिति भी विवाह के मामलों में महत्वपूर्ण होती है।

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इन योगों के कारण होता है जातक के विवाह में विलंब

  • शनि-राहु या शनि-केतु दोष: यदि कुंडली में शनि राहु या शनि केतु के साथ योग बनता है, तो इससे जातक की शादी में देरी हो सकती है।
  • मांगलिक दोष: यदि कुंडली में मांगलिक दोष होता है, तो यह भी विवाह में देरी का कारण बन सकता है।
  • शुक्र-गुरु योग: शुक्र और गुरु के बीच अशुभ योग होने पर भी शादी में देरी हो सकती है।
  • कम गुण मिलना: विवाह के लिए कुंडली मिलान में कम गुण मिलने की स्थिति में भी शादी में देरी हो सकती है।
  • शनि दोष: शनि दोष वह स्थिति होती है, जब शनि ग्रह कुंडली के किसी भी भाव में होता है और उसके साथ कुंडली में अन्य दोष भी होते हैं, तो इसे शनि दोष कहा जाता है, जिसके कारण जातक के विवाह में विलंब होता है।
  • राहु-केतु दोष: राहु और केतु दोष विवाह में देरी का कारण बन सकते हैं। ये दो ग्रह कुंडली में अवस्थित होने पर विवाह के बाद जीवन में उतार-चढ़ाव हो सकता है।
  • दृष्टि दोष: अगर कुंडली में कोई दो ग्रह एक दूसरे पर दृष्टि डाल रहे होते हैं, तो विवाह में विलंब हो सकता है।
  • नक्षत्र दोष: कुंडली में अगर जन्मनक्षत्र के साथ विवाह के लिए उच्च नक्षत्र मिलता है, तो विवाह में विलंब हो सकता है। इसलिए नक्षत्र मेल दोष की जांच भी कुंडली मिलान में महत्वपूर्ण होती है।
  • गण दोष: गण दोष विवाह में विलंब का कारण बन सकता है। जब कुंडली मिलान के दौरान, दो जातकों के गण में अंतर होता है, तो गण दोष होता है और शादी में देरी हो सकती है।
  • भकूट दोष: भकूट दोष विवाह में देरी का कारण बन सकता है। जब कुंडली मिलान के दौरान, दो जातकों की जन्म कुंडली में एक समान ग्रह की स्थिति होती है, तो भकूट दोष होता है।

जल्दी विवाह करने के ज्योतिषीय उपाय

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जल्दी विवाह के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • मंगल मंत्र: अगर कुंडली में मंगल दोष है, तो इसे दूर करने के लिए रोजाना मंगल मंत्र का जाप करें।
  • शुक्र मंत्र: शुक्र ग्रह को स्थानांतरित करने के लिए शुक्र मंत्र का जाप करें। इससे आपके विवाह के लिए सही साथी का चयन होगा।
  • गणपति पूजा: गणपति पूजा करने से आपको शुभ फल मिलते हैं और विवाह में अधिक संभावनाएं होती हैं।
  • सूर्य नमस्कार: सूर्य ग्रह की दशा में होने वाले विलम्ब को दूर करने के लिए सूर्य नमस्कार करें।
  • दुर्गा पूजा: दुर्गा पूजा विवाह के लिए शुभ होती है। इस पूजा के दौरान दुर्गा माता का ध्यान करें और उनसे अपनी विवाह संबंधित मनोकामनाएं मांगें।
  • शिव पूजा: भगवान शिव की पूजा करने से आपके जीवन में शांति और समृद्धि होती है। इससे विवाह की संभावनाएं बढ़ती हैं।
  • माला धारण: गुरु मंत्र का जाप करने के लिए माला धारण करें।
  • गुरु मंत्र: बृहस्पति ग्रह को स्थानांतरित करने के लिए गुरु मंत्र का जाप किया जा सकता है। इस मंत्र का जाप करने से गुरु ग्रह में संतुलन आता है, जिससे विवाह में देरी नहीं होती है।
  • कार्तिक माह का व्रत: कार्तिक माह में व्रत करने से विवाह के लिए अनुकूल योग बनता है। इस माह में सोमवार को भगवान शिव की पूजा करते हुए व्रत रखना चाहिए।
  • शुक्रवार का व्रत: शुक्रवार को सुख, समृद्धि और वैभव का दिन माना जाता है। इस दिन विवाह के लिए व्रत रखने से जातक को अधिक लाभ होता है।

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