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कुंडली में नवम भाव- जानें इस भाव से आपके जीवन के किन पक्षों का चलता है पता

वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली के नवम भाव को भाग्य, धर्म और यश का भाव कहा जाता है। नवम भाव व्यक्ति के जीवन में उसके भाग्य के उतार चढ़ाव को दर्शाता है। नवम भाव ही यह स्पष्ट करता है कि वह व्यक्ति अपने जीवनकाल में कितना धार्मिक है और धर्म के प्रति कैसा नज़रिया रखता है। नवम भाव का शुभ होना ही व्यक्ति के जीवन में सफलता को सुनिश्चित करता है, जिससे कि वह संसार में कीर्ति प्राप्त करता है।

भाग्य, धर्म और यश के अतिरिक्त यह भाव ही पूर्व भाग्य, पितृ, गुरु, पूजा, जप, उपासना को भी दर्शाता है। इस प्रकार यह भाव एक धार्मिक प्रवृत्ति, धर्म, ईमानदारी, अच्छे कर्म, नैतिकता, उच्च शिक्षा और मूल्यों और आध्यात्मिक झुकाव का प्रतिनिधित्व करता है।

नौंवा भाव और भाग्य की भूमिका

यह भाव जैसा कि भाग्य का भाव है तो यह निर्धारित करता है कि भाग्य आपके पक्ष में होगा या नहीं। कई बार होता है कि कोई व्यक्ति बहुत कठिन मेहनत करता है लेकिन उसे सफलता हाथ नहीं लगती है। जबकि वहीं दूसरा व्यक्ति बहुत ज्यादा प्रयास के बिना मुसीबतों का सामना करने में सक्षम हो जाता है। यह सब व्यक्ति के नवम भाव पर ही निर्भर करता है कि कुंडली में इसका प्रभाव कैसा है। आप कितने भाग्यवान हो या कितने भाग्यहीन, यह यह भाव ही तय करता है।

धर्म की भूमिका

यह भाव धर्म से भी संबंधित हैं, इसलिए यह देवालय व मंदिरों से भी जुड़ा हुआ है। गुरु मंदिर का कारक ग्रह है। यदि नवमेश लग्न व लग्नेश से संबंधित हो और गुरु ग्रह भी इस योग से संबंध बनाए तो व्यक्ति देवालयों व मंदिरों का निर्माण करवाता है। व्यक्ति का प्रभु के प्रति एक विशेष आस्था और पूजा-पाठ जीवन का अभिन्न अंग होना भी नवम भाव ही करवाता हैं।

नवम भाव में यश की भूमिका

नौंवा भाव यश का भी भाव हैं, इसलिए व्यक्ति द्वारा जीवन में प्राप्त किये जाने वाले यश को भी यह भाव बताता हैं। व्यक्ति के जीवन में आने वाली समृद्धि और खुशहाली को भी इसी भाव द्वारा देखा जाता है। इसके अलावा यह भाव व्यक्ति के परिवार के बड़े अर्थात पिता अथवा दादा से मिले पैतृक धन और विरासत का भी प्रतिनिधित्व करता है।

नवम भाव में रिश्तों की भूमिका

यह भाव पिता के लिए भी है, यह दर्शाता है कि आप उनके साथ किस तरह का रिश्ता रखते हैं, आप उनके लिए कितने भाग्यशाली हैं या वह आपके लिए कितने भाग्यशाली है। मनुष्य का पिता ही उसके आरंभिक जीवन में उसका मार्गदर्शन करता है। इसलिए पिता ही व्यक्ति के जीवन का वास्तविक एवं प्रथम गुरु है।

यही कारण है कि नवम भाव पिता से संबंधित है हालाँकि माता-पिता ही बच्चे के पहले गुरू होते हैं लेकिन यह भाव इनके साथ-साथ आपके सांसारिक गुरु या शिक्षक को भी दर्शाता है। पिता के अलावा नवम भाव माता का आध्यात्मिक दृष्टिकोण और भाई- बहिन का संचार कौशल भी दर्शाता हैं।

नवम भाव और यात्रा फल

यह भाव विदेश यात्रा का भी एक मजबूत संकेतक है। आपके व्यापार के लिए कि गयी विदेश यात्रा या लंबी दूरी की यात्राएं जो आप करते हैं, वे फलदायी होंगी या नहीं यह भी इस भाव के दायरे में ही आता है। इसका आकलन यह भी निर्धारित करता है कि आप तीर्थ यात्रा कब और कैसे कर सकते हैं।

अंत में यही कहा जा सकता हैं कि यह भाव सभी भावों में से सर्वाधिक प्रमुख और महत्वपूर्ण भाव हैं। यह भाव ही आपके जीवन के भाग्योदय, प्रसिद्धि, धार्मिक, धन और रिश्तों की प्रगाढ़ता को दर्शाता हैं। यह सब आपको जीवन में कितना लाभ प्रदान करेंगे, यह भी यह भाव ही तय करता हैं। हालाँकि मन में इस बात को भी हमेशा विचार करें कि कि कोई भी व्यक्ति अपनी किस्मत से ज्यादा और समय से पहले कुछ भी प्राप्त नहीं करता है।

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