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क्या होता है कुलदीपक योग? जानें कैसे बनता है जातक की कुंडली में यह योग

ज्योतिष शास्त्र का जातक के जीवन में बहुत बड़ा महत्व होता है। क्योंकि इसी के आधार पर व्यक्ति के जीवन में होने वाली घटनाओं की भविष्यवाणी की जाती है। आपको बता दें कि ज्योतिष शास्त्र में कुंडली के अनुसार ही जातक के भविष्य, वर्तमान और अतीत के बारे में अध्ययन किया जाता है। इसी के साथ जातक की कुंडली में ऐसे कई योग बनते हैं, जो जातक के लिए काफी लाभदायक होते हैं। साथ ही किसी व्यक्ति की कुंडली में दो प्रकार के योग बनते हैं शुभ और अशुभ। शुभ योग जातक को शुभ फल प्रदान करते हैं जिससे जातक के जीवन में खुशियां, समृद्धि और बहुत कुछ आता है। लेकिन अशुभ योग जातक को विपरीत परिणाम देते हैं जिसके कारण जातक के जीवन में नकारात्मकता आती है। वहीं जातक की कुंडली में एक योग ऐसा भी होता है जो संतान से जुड़ा होता है जिसे कुलदीपक योग कहते है।

साथ ही यह योग जातक के जीवन में काफी महत्वपूर्ण होता है। आपको बता दें कि  कुलदीपक योग में पैदा लोग अपने परिवार के काफी चहिते होते हैं। साथ ही इस तरह के व्यक्ति अपने जीवन में बहुत ज्यादा सफलता प्राप्त करते हैं। इन लोगों को अपने परिवार में काफी पसंद किया जाता है और परिवार द्वारा काफी प्यार भी किया जाता है। किसी भी व्यक्ति की कुंडली में कुलदीपक योग काफी लाभदायक होता है। चलिए जानते हैं कि जातक की कुंडली में कुलदीपक योग कैसे बनता है और इसके क्या प्रभाव होते हैं- 

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क्या होता है कुलदीपक योग?

जिस भी जातक की कुंड़ली में यह योग बनता है वह जातक अपने पूरे परिवार का नाम रोशन करता है। साथ ही इस तरह का व्यक्ति अपने पूरे परिवार के लिए बहुत प्रिय होता है। इसी के साथ जिन जातकों की कुंडली में कुलदीपक योग होता है, वह जातक अपने परिवार की सारी जिम्मेदारियों का भार उठाते हैं। आपको बता दें कि किसी भी जातक की कुंडली में कुलदीपक योग मंगल ग्रह के कारण बनता है। इस योग को बनाने में मंगल ग्रह काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बता दें कि यदि किसी जातक की कुंडली में लग्‍न में बुध ग्रह हो और केंद्र में गुरु हो तथा 10वें स्थान पर मंगल विराजमान होता है, तो कुलदीपक योग बनता है। 

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साथ ही अगर लग्न में बुध ग्रह हो और केंद्र में गुरु हो तथा दसवें स्थान पर मंगल हो, तो  ऐसा बालक कुलदीपक कहलाता है। वहीं अगर लग्न में या सातवें स्थान में मंगल हो और पांचवें स्थान में सूर्य हो तथा बारहवें स्थान में राहु हो, तो तब भी बालक कुलदीपक माना जाता है। इस योग में पैदा लोग काफी सफलता और समृद्ध‍ि प्राप्‍त करते है।

कैसे बनता है कुलदीपक योग?

  • बता दें कि यदि किसी जातक की कुंडली में लग्‍न में बुध ग्रह हो और केंद्र में गुरु हो तथा 10वें स्थान पर मंगल विराजमान होता है, तो कुलदीपक योग बनता है।
  • इस योग में पैदा लोग काफी भाग्यशाली होते है। साथ ही यह लोग अपने जीवन में बहुत सफलता प्राप्त करते है। और यह जातक अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में काफी अच्छा प्रदर्शन करते है।
  • बता दें कि अगर लग्न में या सातवें स्थान में मंगल हो और पांचवें स्थान में सूर्य हो तथा बारहवें स्थान में राहु हो, तो तब भी जातक कुलदीपक माना जाता है।
  • साथ ही अगर लग्न में बुध ग्रह हो और केंद्र में गुरु हो तथा दसवें स्थान पर मंगल हो, तो  ऐसा जातक कुलदीपक कहलाता है।
  • इस योग के बनने में मंगल ग्रह काफी अहम भूमिका निभाता है।
  • साथ ही जब जन्मकुंडली के दशम भाव में मंगल उच्च होता है, तो जातक की कुंड़ली में कुलदीपक योग बनाता है।
  • यह  योग जातक के लिए काफी शुभ होता है। इसके बनने से जातक अपने जीवन में बहुत आगे जाता है। और काफी लाभ कमाता है।
  • साथ ही जब केन्द्र का उच्वस्थ मंगल कुण्डली के दसवें घर में बलि हो जाता है, तो कुलदीपक योग बन जाता है।
  • आपको बता दें कि ऐसे जातक अपनी खास उपलब्धियों से अपने परिवार और पूरे कुल का नाम रोशन करते हैं।
  • साथ ही ऐसे जातक राजकीय,प्रशासकीय सेवा में जाकर अपनी ख्याति बढ़ाते हैं। पुलिस,सेना या प्रशासकीय सेवाओं में ऐसे व्यक्ति काफी उच्च स्थान प्राप्त करते हैं। और काफी आगे जाते है।
  • अगर लग्‍न में या सातवें स्थान पर मंगल हो, पांचवें स्थान में सूर्य और 12वें स्थान में राहु है, तो कुलदीपक योग बनता है।
  • अगर किसी जातक की कुंड़ली में यह योग सही दशा में हो, तो जातक को सामाज में काफी समान्न मिलता है।

कुलदीपक योग का फल

जब किसी जातक की कुंडली में कुलदीपक योग बनता है, तो उस जातक को सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। बता दें कि इस योग में पैदा लोग अपने जीवन में काफी सफलता पाते हैं। साथ ही यह जातक अपने पूरे परिवार का भी नाम रोशन करते हैं। इतना ही नहीं यह लोग अपने पूरे परिवार के काफी प्रिय होते हैं इन्हें कुल का दीपक भी कहा जाता है। इसी के साथ जिस भी जातक की कुंडली में यह योग बनता है वह जातक अपने पूरे परिवार की सभी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाता है। साथ ही यह लोग अपने परिवार और समाज के लिए भी काफी कुछ करते हैं। समाज में इन लोगों का काफी मान-सम्मान किया जाता है। और इस योग के जातक की कुंडली में बनने से जातक को सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं, जो जातक के जीवन के लिए बहुत ही अच्छे साबित होते हैं।

उपाय

  • इस योग में मंगल ग्रह काफी अहम भूमिका निभाता है यही कारण जातक का मंगल मजबूत होना चाहिए।
  • अपने मंगल को मजबूत करने के लिए मंगलवार को हनुमान जी की उपासना जरूर करनी चाहिए।
  • हनुमान जी की उपासना करने से मंगल ग्रह जातक को अनुकूल प्रभाव देता है।
  • इसी के साथ स्तोत्र के यथा संख्या पाठ से जातक का मंगल अनुकूल होता है। और शुभ परिणाम देता है।
  • आपको बता दें कि बंदरों को चने या फल खिलाने से मंगल मजबूत बनता है।
  • आपको मंगलवार को व्रत रखना चाहिए। इससे जातक का मंगल मजबूत होता है और उसे सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं।
  • आप किसी अनुभवी ज्योतिषी के परामर्श से मंगल ग्रह रत्न धारण करें।
  • रत्न उपाय को करने से आपका मंगल मजबूत होता है।

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