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सूर्य और शनि युति का कुंडली के सभी भावों पर प्रभाव और इसके उपाय

सूर्य और शनि का रिश्ता पिता और पुत्र का है। लेकिन एक-साथ होने पर यह जातक को नकारात्मक प्रभाव प्रदान करते है। जब यह दोनों ग्रह किसी एक भाव में एक साथ होते है, तो जातक के जीवन पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष में, शनि ग्रह को कर्म का कारक माना जाता है, क्योंकि यह जातक को उसके कर्मों के अनुसार फल देता है। वहीं दूसरी तरफ, सूर्य ग्रह आत्म का कारक माना जाता है। सूर्य न केवल समस्त ग्रहों का आधार है बल्कि उसे समस्त जीवों का आधार भी माना जाता है। सूर्य शक्ति, प्रकाश, समृद्धि, स्वास्थ्य, जीवन का उत्साह और उन्नति का प्रतीक है। सूर्य की उपासना से व्यक्ति को स्वस्थ, समृद्ध और सफल जीवन प्राप्त होता है। चलिए जानते है कि सूर्य और शनि युति का कुंडली के सभी भावों पर क्या प्रभाव होता है।

कुंडली के सभी भावों पर सूर्य और शनि युति का प्रभाव

पहला भाव

जब सूर्य और शनि कुंडली के एक ही भाव में होते है, तो लोगों को सूर्य से आत्मविश्वास मिलता है और शनि उस विश्वास को खत्म कर देता है। जब जन्म कुंडली के पहले भाव में सूर्य और शनि युति करते हैं, तो व्यक्ति सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करता है। लेकिन सकारात्मक परिणामों का अनुभव नहीं करता है। इस युति में यदि सूर्य बली हो, तो व्यक्ति बड़ी से बड़ी बीमारी से उबरने में सफल हो सकता है।

जब शनि और सूर्य का प्रथम भाव में संयोग होता है, तो इसका व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह संयोग व्यक्ति के अधिकांश कार्यों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है, जैसे कि उनकी स्वास्थ्य स्थिति, वित्तीय स्थिति, करियर आदि। इस युति के दौरान व्यक्ति को सावधान रहना चाहिए, क्योंकि इस समय व्यक्ति को विपरीत प्रभावों का अनुभव हो सकता है।

दूसरा भाव

जब सूर्य और शनि दूसरे भाव में होते हैं, तो रिश्तों में खटास आ जाती है। यह संयोग व्यक्ति के जीवन के लिए अशुभ माना जाता है। जब सूर्य और शनि एक साथ दूसरे भाव में होते है, तो जातक को धन और संपत्ति मिल सकती हैं। लेकिन इस संयोग के दौरान जातक को गले से जुड़ी किसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य और शनि की युति व्यक्ति के धन और सम्पत्ति क्षेत्र पर प्रभाव डाल सकती है। यदि सूर्य और शनि की युति दूसरे भाव में होती है, तो व्यक्ति की वित्तीय स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि शनि विनाशकारी ग्रह है, जो धन का अस्तित्व कम कर सकता है और नए संपत्ति के संचय में दिक्कत पैदा कर सकता है। यदि इस युति में सूर्य अधिक शक्तिशाली होता है, तो वह व्यक्ति के धन और संपत्ति को बढ़ा सकता हैं।

तीसरा भाव

तीसरे भाव में सूर्य और शनि युति को अनुकूल माना है। इस युति के दौरान व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो उन्हें जीवन में आगे बढ़ने में मदद करती है। इस युति के दौरान व्यक्ति राजनीति में एक अच्छा पद प्राप्त कर सकता हैं। साथ ही इस संयोग के कारण भाई-बहन के संबंधों में तनाव आ सकता है।

अगर सूर्य और शनि की युति तीसरे भाव में होती है, तो इसका प्रभाव व्यक्ति के आर्थिक स्थिति पड़ता है। इसके कारण व्यक्ति को धन, सम्पत्ति और आर्थिक स्थिरता की प्राप्ति होती है। इस युति का प्रभाव व्यक्ति की निवेश योजनाओं, संपत्ति प्राप्ति और आय के स्रोतों पर भी होता है। साथ ही इस युति के कारण जातक के संबंधों में तनाव भी उत्पन्न हो सकता है।

चौथा भाव

सूर्य और शनि युति का चतुर्थ भाव में अशुभ प्रभाव पड़ता है। इस दौरान आपके माता-पिता के साथ किसी बात को लेकर विवाद हो सकता है, जिससे आप अलग-थलग महसूस कर सकते है। आपको जीवन साथी से सहयोग प्राप्त हो सकता है। हालांकि, आपके जीवनसाथी को स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों से निपटना पड़ सकता है। इस दौरान व्यक्ति अपने जीवन में घटित होने वाली दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से चिंतित रह सकता है।

जब सूर्य और शनि की युति चौथे भाव में होती है, तो इसका प्रभाव जातक के पारिवारिक जीवन पर पड़ता है। चौथे भाव में सूर्य और शनि की युति बुद्धि, विद्या, यात्रा, अध्ययन, धर्म, गुरु, पिता, आदि पर प्रभाव डालती है। इस युति से जातक को अधिक बुद्धिमानी से फैसले लेने की शक्ति मिलती है। इस युति से जातक को धार्मिक कर्तव्यों को समझने और उन्हें पूरा करने की शक्ति मिलती है। 

पांचवा भाव

पंचम भाव को ज्ञान भाव के रूप में भी जाना जाता है। पंचम भाव में शनि और सूर्य की युति से व्यक्ति अपने लक्ष्यों को लेकर कोई बड़ा फैसले ले सकते है। इस संयोजन के दौरान, एक व्यक्ति वित्तीय और शैक्षिक चुनौतियों का अनुभव कर सकता है। शेयर बाजार में रुचि के कारण व्यक्तियों को वित्तीय कठिनाइयों का अनुभव हो सकता है।

पंचम स्थान धर्म, संस्कार, पुण्य, धन, संतान और विवाह के संबंध में महत्वपूर्ण होता है। यदि सूर्य और शनि की युति पंचम स्थान में होती है, तो इसके कारण आपकी संतान या विवाह से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। इस समय शनि के कारण जातक को संतान से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता हैं।

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छठा भाव

छठे भाव में शनि- सूर्य की युति होने पर जातक सकारात्मक परिणामों का अनुभव करता है। इसके कारण जातक को अच्छी नौकरी मिल सकती है। इस युति के दौरान जीवन की सभी कठिनाइयां समाप्त हो जाती हैं। इस दौरान प्रेम जीवन भी सफल बना रहता है और जातक अपनी पसंद से विवाह करता है। अगर इस भाव में यह दोनोंं ग्रह युति करते है, तो जातक को लाभ होता है। नकारात्मक पक्ष पर, यह संयोजन जातक को एक गर्म स्वभाव और दबंग होने की प्रवृत्ति और असंतोष की भावना उत्पन्न कर सकता है। यह संयोजन चिंता, अवसाद और अनिद्रा जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इसके अतिरिक्त, यह युति वित्तीय कठिनाइयों को भी जन्म दे सकती है।

सातवां भाव

सप्तम भाव में सूर्य- शनि युति जातक को अच्छे परिणाम नहीं देती है। इस अवधि के दौरान जातक को वैवाहिक जीवन में कुछ परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस युति के दौरान जातक को व्यापार में भी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। इस युति के कारण जातक के परिवार में अशांति का माहौल बना रहता है। 

यदि व्यक्ति कठिनाइयों को दूर करने में सक्षम है, तो यह संयोजन व्यक्तिगत विकास के लिए अच्छा समय हो सकता है। सप्तम भाव में सूर्य-शनि की युति व्यक्ति के जीवन में वित्तीय स्थिरता और प्रचुरता ला सकती है। सप्तम भाव में सूर्य और शनि की युति विवाह में देरी पैदा कर सकती है। व्यक्ति को एक उपयुक्त साथी खोजने में कठिनाई हो सकती है या एक स्वस्थ संबंध बनाए रखने में समस्याओं का अनुभव करना पड़ सकता है।

आठवां भाव

आठवें भाव में यह युति एक अनूठी ज्योतिषीय घटना है, जो सकारात्मक और नकारात्मक दोनोंं प्रभाव ला सकती है। आठवां भाव आध्यात्मिक परिवर्तन, व्यक्तिगत वृद्धि और जीवन से जुड़ा है। इस प्रकार, इस संयोग का किसी व्यक्ति के जीवन पर गहन और जीवन-परिवर्तनकारी प्रभाव हो सकता है।

सूर्य पहचान, रचनात्मकता और आत्म-अभिव्यक्ति से जुड़ा है, जबकि शनि नियंत्रण, कड़ी मेहनत और अनुशासन से जुड़ा है। अष्टम भाव में सूर्य और शनि की युति करियर में ढेर सारी चुनौतियां ला सकती है। यह युति नौकरी खोजने में कठिनाई, पदोन्नति में देरी और पेशेवर जीवन में ठहराव की समस्या पैदा कर सकती है।

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नौवां भाव

सूर्य-शनि की युति सफलता या असफलता को काफी प्रभावित करती है। यह जोड़ी अपने अंतर्निहित विचार के लिए प्रसिद्ध है। इस युति के कारण यात्रा करने और सीखने का अवसर मिल सकता है। व्यक्ति प्रभावशाली बनता है। व्यक्ति को समाज के संदर्भ में सोच-विचार करके प्रयास करने चाहिए, क्योंकि इस समय सफलता और असफलता की समान संभावना होती है।

दसवां भाव

दशम भाव में शनि-सूर्य युति जातक के करियर को प्रभावित कर सकती है। इस युति के दौरान व्यक्ति के करियर को लेकर अनिश्चितता बनी रहती है। लेकिन समय के साथ यह दूर हो जाती है। हालांकि, दशम भाव में सूर्य और शनि की युति सकारात्मक भी परिणाम देती है। लेकिन यह युति करियर में भ्रम भी पैदा करती है। इसलिए अगर आप कोई नया काम या जॉब शुरू करना चाहते है, तो इस युति के दौरान ऐसा न करें, क्योंकि यह आपके करियर पर अशुभ प्रभाव डाल सकती है। 

ग्यारहवां भाव

11वें भाव में सूर्य और शनि की युति से जीवन में अच्छे परिणाम मिलते हैं। लेकिन इस दौरान जातक लोगों से अधिक मिलना-जुलना पसंद नहीं करता है। साथ ही इस युति के कारण व्यक्ति सामाजिक कार्यों से दूर रहता है और व्यक्ति अपनी माता के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित रह सकता है। इस युति के कारण जातक को आर्थिक हानि और अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही इस युति के कारण जातक को अवसाद भी हो सकता है, इसलिए इस समय जातक को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए।

बारहवां भाव

इस भाव में सूर्य- शनि की युति आध्यात्मिकता के लिए अत्यधिक प्रतिकूल होती है। इस समय के दौरान जातक जीवन से निराश महसूस कर सकता है। कई बार उन्हें मानसिक अशांति का भी अनुभव हो सकता है। इस युति के कारण व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

सूर्य और शनि युति के अशुभ प्रभावों के लिए उपाय

  • सूर्य- शनि की युति के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए शनिवार के दिन तेल, तिल, उड़द दाल आदि का दान करना चाहिए।
  • शनिवार के दिन शनिदेव की मूर्ति पर सरसों का तेल अर्पित करें।
  • सोमवार के दिन घी, चावल, गुड़ आदि दान करना चाहिए।
  • इस युति में सूर्य के मंत्र का जाप करना चाहिए, इससे सूर्य देव का आशीर्वाद मिलता है।
  • इस युति के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए सूर्य देव को जल अर्पित करें।

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