पद्मासन को कमलासन भी कहते हैं| क्यों कि इसे करते समय हमारे पैर कमल के तरह ही बन जाते है| कमल की स्थिति या पद्मासन पूर्णता और स्थिरता की मुद्रा, पैर पर पैर रखने वाली योग मुद्रा है। इसी आसन के द्वारा अनेक योगी,संत,महापुरूष महान हो गये है|कैसे करें पद्मासन और क्या हैं इसके लाभ, चलिए जानते हैं|
सूर्योदय से पहले उठकर, नित्यकर्म करके गरम कंबल बिछाकर पद्मासन में बैठें| एक समतल जमीन पर मेट बिछा लें और उस पर पद्मासन या सिद्धासन की मुद्रा में बैठ जाए। यह आसन करते समय इस बात का ध्यान रखें की आपकी पीठ और रीढ़ की हड्डी सीधी रहे| इसके बाद अपने दोनों हांथो को घुटनो पर रखे। साथ ही हाथ की हथेलियों की दिशा ऊपर की तरफ होनी चाहिए।
अपने हाथ की तर्जनी अंगुली को मोड़कर अंगूठे की जड़ में लगाकर, तथा मध्यमा व अनामिका अंगुली के प्रथम पोर को अंगूठे के प्रथम पोर से स्पर्श कर हल्का दबाने और कनिष्ठिका अंगुली को सीधी रखने पर जो मुद्रा बनती है| उसे योग की भाषा में अपान वायु मुद्रा कहते है|पद्मासन या कमल आसन बैठ कर की जाने वाली योग मुद्रा है| जिसमे घुटने विपरीत दिशा में रहते हैं। इस मुद्रा को करने से मन शांत व गहरा ध्यान होता हैं| ई शारीरिक विकारों से भी आराम मिलता है|
हम प्रार्थना करते हैं की,
जयति जय माँ जय सरस्वती जयति वीणा धारिणी माँ |
जयति जय पद्मासन माता जयति शुभ वरदायिनी माँ ||
मतलब इससे हमे यह समझता है की साक्षात् विद्यावर्धिनी, बुध्दी की देवता माता सरस्वती भी इसी आसन में स्थित रहती है| इसलिये बौद्धिक मानसिक कार्य करने वालों के लिए, चिंतन मनन करने वालों के लिए एवं विद्यार्थियों के लिए पद्मासन खूब लाभदायक है| चंचल मन को स्थिर रखने के लिए एवं वीर्य रक्षा के लिए भी पद्मासन अद्वितीय है|
इतना ही नहीं बद्रीनाथ धाम मे नारद शिला जो दिव्य स्थान है| जहाँ नारद जी ने कठोर तप करके श्रीहरि के दर्शन प्राप्त किये थे| इसी शिला के पास से हज़ारो वर्ष पूर्व भगवान बद्रीनाथ की मूर्ति स्वयं प्रगट हुई| बद्रीनारायण की प्रतिमा सांवले रंग की और वह भी पद्मासन की ही मुद्रा मे प्रस्थापित है| जिनके दर्शन अति दुर्लभ माने जाते है|
पद्मासन पीठ को मजबूत बनाता है और साथ ही घुटनों, टखनों और जांघों की भी लवचिकता बढाता है। अपनी रीढ़ के साथ सीधा बैठने से मन शांत होता है और तनाव कम होता है|
यूरिक एसिड की बढ़ी हुयी मात्रा कम करने के लिए भी यह आसन महत्त्वपूर्ण है|जब हम पद्मासन बेहतर तरीके से करते है, तब भोजन का भी अच्छा पाचन होता है|
किसी व्यक्ती को यदि कोई भी प्रकार की बीमारी हो, भले ही असाध्य हो, वो व्यक्ति अगर पद्मासन में बैठकर,जीभ की नोक दांतों के मूल में रोज़ थोडे समय के लिये ऊपर नीचे घुमाये| मन में ओंकार का जाप करे, तो किसी भी बीमारी को दूर करने हेतू सकारात्मकता बनी रहती है|पद्मासन में बैठने से शरीर की ऐसी स्थिति बनती है जिससे श्वसन तंत्र,ज्ञानतंत्र,रक्ताभिसरणतंत्र सुव्यवस्थित कार्य करते हैं| फलतः जीवनशक्ति का विकास होता है। इसका अभ्यास करने वाले के जीवन में एक विशेष प्रकार की आभा प्रकट होती है|
पद्मासन में बैठकर अश्विनी मुद्रा करने अर्थात गुदाद्वार का बार-बार संकोच प्रसार करने से अपानवायु सुषुम्ना में प्रविष्ट होता है। इससे काम विकार पर जय प्राप्त होने लगती है|
पद्मासन में बैठकर ॐ कार मंत्रोच्चार के द्वारा सुदृढ स्वास्थ्य का लाभ होता है| रोगों का नाश होता है| पद्मासन या सिद्धासन में बैठकर श्वासोच्छवास की गिनती करें। श्वास न गहरा लिजीये और न ही रोकिए।केवल जो श्वास चल रहा है,उस पर ध्यान लगाए रहिये| इस प्रकार से सभी विचारों को समाप्त करके एकाग्रता, शांति और आरोग्य का लाभ होता है|
पद्मासन करने से जीवनी शक्ति का भी विकास होता है। स्वभाव में प्रसन्नता बढ़ती है| मुख तेजस्वी बनता है। पद्मासन करने से बुद्धि का अलौकिक विकास होता है,नाड़ीतंत्र शुद्ध होता है|अशांत चित्त शांत होने में भी सहायता होती है|
अफीम,मदिरा, तम्बाकू, भाँग, गाँजा, चरस आदि व्यसनों में लगे हुए व्यक्ति यदि इन व्यसनों से मुक्त होने की भावना और दृढ़ निश्चय के साथ पद्मासन का अभ्यास करें| तो उनके दुर्व्यसन सरलता से और सदा के लिए छूट सकते हैं | नशे की लत में पड़ा व्यक्ति भी यदि एक घंटा इस आसन का अभ्यास करे तो सदा के लिए नशे से मुक्त होने में भी मदद होती है|सत्वगुण में अत्यंत वृद्धि होती है और चंचल मन स्थिर होता है|
अभ्यास के साथ हम किसी भी मुद्रा को प्राप्त कर सकते हैं पद्मासन की स्थिति में (कमल मुद्रा) इस मुद्रा में अधिक समय रहने की कोशिश करते रहें। आपको स्वस्थ और सदृढ बनाए रखने के लिए पद्मासन एक बहुत अच्छा व्यायाम है|
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