हिंदू धर्म में भाद्रपद अमावस्या अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि इस दिन तर्पण, श्राद्ध और पितृदोष को दूर करने के लिए पूजा की जाती हैं। साथ ही इस माह को भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति का माह भी माना जाता है, क्योंकि अमावस्या के दिन भक्त भगवान श्रीकृष्ण, शनिदेव, मां दुर्गा की पूजा करते हैं। साथ ही भाद्रपद अमावस्या 2023 में 14 सितंबर यानि गुरुवार के दिन भक्ति-भाव के साथ मनाई जाएगी।
भाद्रपद अमावस्या 2023 का मुहूर्त इस प्रकार है:
यह अमावस्या तिथि 14 सितंबर, 2023 को 04 बजकर 51 से शुरू होगी और 15 सितंबर, 2023 को 07 बजकर 12 मिनट तक जारी रहेगी।
यह भी पढ़ें- जगन्नाथ रथ यात्रा 2023 की तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि
भाद्रपद अमावस्या को कालसर्प दोष निवारण पूजा करने के लिए विशेष दिन माना जाता है, क्योंकि कालसर्प एक अशुभ दोष है, जो किसी व्यक्ति की कुंडली में तब बनता है, जब राहु और केतु जातक की कुंडली में एक तरफ स्थित होते हैं और बाकी सभी ग्रह इनके बीच में मौजूद हो, तो कालसर्प दोष बनता है। इस दोष के कारण व्यक्ति को जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं।
इसके अलावा, भाद्रपद माह में आने वाली इस अमावस्या तिथि पर कालसर्प दोष को नष्ट करने के लिए पूजा करना उपयुक्त माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा और जप के द्वारा कालसर्प दोष को नष्ट किया जा सकता है। इतना ही नहीं इस पूजा में नाग देवता की पूजा भी की जाती हैं और उनसे कालसर्प दोष को दूर करने के लिए अनुरोध किया जाता हैं।
भाद्रपद अमावस्या के दिन कालसर्प दोष निवारण के लिए भगवान शिव की मंदिरों में विशेष पूजा आयोजित की जाती है। इस दिन मंदिरों में भगवान शिव के विभिन्न रूपों की मूर्तियां सजाई जाती हैं और उन्हें चांदी या सोने वस्तुएं अर्पित की जाती है। इसी के साथ मंदिरों में भगवान शिव के मंत्रों का जाप किया जाता है, जो कालसर्प दोष को नष्ट करने में मददगार हो सकते हैं।
इसके अलावा, अमावस्या तिथि पर कुछ लोग कालसर्प दोष निवारण के लिए शिवलिंग पर जल अभिषेक करते हैं, क्योंकि कहा जाता है कि शिवलिंग पर जल अभिषेक करने से कालसर्प दोष कम हो जाता है और शिवलिंग की शक्ति से व्यक्ति को सुख और समृद्धि प्राप्त होती हैं। साथ ही अमावस्या तिथि पर कुछ लोग पूजा और व्रत के दौरान खीर, पूरी, दही और मिठाई जैसे प्रसाद भगवान शिव को अर्पित करते हैं और उनसे इस दोष को नष्ट करने की प्रार्थना करते हैं।
यह भी पढ़ें: इस तरह रखें ज्येष्ठ अमावस्या 2023 पर व्रत, मिलेगा पुण्य
भाद्रपद अमावस्या पर कालसर्प निवारण पूजा करने से व्यक्ति को कई लाभ मिलते हैं। इस पूजा के महत्व को समझने के बाद इसे करने से व्यक्ति के जीवन में नीचे बताएं गए सकारात्मक बदलाव आते हैंः
यह भी पढ़ें: अक्षय तृतीय 2023 पर 6 योगों का संयोग, खरीदें सोना मिलेगा दोगुना लाभ
ज्योतिष में, भाद्रपद अमावस्या के दिन ग्रह शांति पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है, क्योंकि ग्रहों की शांति के बिना व्यक्ति के जीवन में अनेक बाधाएं आती हैं जैसे कि स्वास्थ्य समस्याएं, आर्थिक तंगी, नौकरी की परेशानियां, संबंधों में दुर्भावनाएं आदि। इसलिए ग्रहों की शांति पूजा के लिए भाद्रपद अमावस्या का दिन बेहद ही शुभ माना जाता है।
ग्रहों की शांति पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह पूजा व्यक्ति को संतुलन और शांति प्रदान करती है। इस पूजा के दौरान व्यक्ति का मन शांत रहता है और वह अपनी आत्मा की उन्नति के लिए प्रयास करता है।
इसके अलावा, पूजा के दौरान ब्राह्मणों को दान देना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि दान देकर व्यक्ति अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। इसके साथ ही दान देने से ग्रह भी शांत रहते है और जातक को प्रभावित नहीं करते।
ग्रह शांति पूजा के दौरान व्यक्ति को दूसरों की मदद करने की प्रेरणा मिलती है। यह पूजा स्वयं के लिए नहीं बल्कि अन्य लोगों के लिए भी की जाती है। इस पूजा में ग्रहों को शांत करने के साथ-साथ, समस्याओं को दूर करने के लिए प्रार्थना की जाती है। इस तरह इस पूजा से व्यक्ति को बाकी लोगों की सहायता करने की भावना प्राप्त होती है।
भाद्रपद अमावस्या पर ग्रह शांति पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में ग्रहों की दशा पर नियंत्रण बना रहता है। इस पूजा के द्वारा ग्रह शांत रहते है और जातक पर नकारात्मक प्रभाव नहीं डालते हैं। इस पूजा के द्वारा नकारात्मक ऊर्जा का संचार भी रोका जाता है, जो ग्रहों के अशांत होने के कारण व्यक्ति के जीवन में आती है।
यह भी पढ़ें: ऐसे रखें ज्येष्ठ पूर्णिमा 2023 पर व्रत और पाएं धन लाभ
यह भी पढ़ें: आषाढ़ अमावस्या 2023 व्रत, दिनांक, और अनुष्ठान
अधिक के लिए, हमसे Instagram पर जुड़ें। अपना साप्ताहिक राशिफल पढ़ें।
5,105