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ज्योतिष में मंगल ग्रह का महत्व और कुंडली में इसकी स्थिति का आप पर प्रभाव

सभी नवग्रहों में मंगल ग्रह को सेना नायक का दर्जा प्राप्त है। इस ग्रह को नेतृत्व का कारक ग्रह माना जाता है। जिस भी जातक की कुंडली में मंगल प्रबल हो उसमें अच्छे लीडर के गुण पाये जाते हैं। यह ग्रह व्यक्ति को साहस, शक्ति और पराक्रम देता है। आज अपने इस लेख में हम आपको मंगल ग्रह से जुड़ी कुछ खास बातों की जानकारी देंगे। 

मंगल ग्रह का ज्योतिषीय पक्ष

मंगल ग्रह को ज्योतिष में बहुत अहम माना जाता है। यह कालपुरुष की कुंडली में मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है, इसके साथ ही इसे मृगशिरा, चित्रा और धनिष्ठा नक्षत्रों का भी स्वामित्व प्राप्त है। मंगल ग्रह लाल रंग को दर्शाता है और इसी रंग का यह प्रतिनिधि भी माना जाता है। 

कुंडली में लाल ग्रह की स्थिति का जातक पर प्रभाव

किसी भी जातक की कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति को देखकर उसके स्वभाव, विरता, पराक्रम आदि के बारे में विचार किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि मंगल की शुभ स्थिति व्यक्ति को अच्छा खिलाड़ी बनाती है और ऐसे जातक सेना में भी जगह पा लेते हैं। कुंडली में यदि मंगल बली है तो ऐसा व्यक्ति निडरता के साथ अपना जीवन जीता है और बड़े से बड़े रिस्क लेने से भी नहीं कतराता। ऐसे लोगों के जीवन में जो भी परेशानियां आती हैं वह उनका विरता से सामना करते हैं। 

यदि कुंडली में मंगल की स्थिति अच्छी न हो तो ऐसे जातक को जीवन में कई परेशानियों से दो चार होना पड़ता है। ऐसे लोग खुद पर यकीन नहीं करते और दूसरों पर आश्रित हो सकते हैं। ऐसे लोग अपने विरोधियों से भी परास्त हो जाते हैं। यात्राएं करना भी ऐसे लोगों के लिए शुभ नहीं माना जाता। ऐसे लोग ज्यादातर दूसरों के सहारे चलते हैं। परिवार के बीच भी ऐसे लोगों की स्थिति अच्छी नहीं होती। मंगल की स्थिति को सही करने के लिए ऐसे लोगों को उपाय करने चाहिए। 

मंगल ग्रह कुंडली में बनाता है मांगलिक दोष

मंगल की स्थिति कुंडली में मांगलिक दोष भी बनाती है। किसी भी व्यक्ति की कुंडली में मंगल यदि पहले, चौथे, सातवें और आठवें भाव में विराजमान हो तो मांगलिक दोष बनता है। मांगलिक दोष के कारण व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है इसलिए इससे बचने के लिए व्यक्ति को इस दोष से बचने के उपाय करने चाहिए। 

महत्वपूर्ण मंत्र

मंगल ग्रह को शांत करने के लिए और इस ग्रह के शुभ परिणाम प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित मंत्रों का जाप किया जाना चाहिए। 

बीज मंत्र- ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः

वैदिक मंत्र- ॐ अं अंङ्गारकाय नम:

मंगल ग्रह का तांत्रिक मंत्र- अग्निमूर्धा दिव: ककुत्पति: पृथिव्या अयम्। अपां रेतां सि जिन्वति।।

इसके अलावा भगवान हनुमान की पूजा करना और हनुमान चालीसा का पाठ करना भी मंगल ग्रह को शांत करने का और इसके शुभ फल पाने का अच्छा उपाय है। आपको बता दें कि मंगल की शांति के लिए आप किसी अच्छे ज्योतिष का परामर्श लेकर मंगल यंत्र भई घर या दफ्तर में स्थापित कर सकते हैं। इसके साथ ही मूंगा रत्न भी मंगल की शांति के लिए धारण किया जा सकता है। 

यह भी पढ़ें- मेष राशि की विशेषताएं और भाग्यशाली अंक, रत्न, रंग आदि की महत्वपूर्ण जानकारी

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