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Prem sambandh: जानें प्रेम संबंध के सफल-असफल होने के ज्योतिषी कारण

प्रेम संबंधः एक रिश्ते का भाग्य कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे आपसी सहयोग, प्रशंसा, विश्वास, पर्सनल स्पेस और मेंटल-फिजीकील कंपैटिबिलिटी। इन्हीं कारकों पर निर्भर करता है कि कोई रिश्ता अच्छा है या बुरा। वैसे ज्यादातर लोगों का मानना है कि अच्छे रिश्ते सिर्फ सपनों में होते हैं। यह बात काफी हद तक सही भी है, क्योंकि हाल के सालों में तलाक की बढ़ती संख्या और ब्रेकअप इस बात की पुष्टि करते नजर आते हैं।

रिश्ते (relationship) की निर्वाह की बात की जाए, तो न सिर्फ उपरोक्त जिक्र किए गए कारक ही महत्वपूर्ण नहीं होते हैं बल्कि ग्रहों की युति भी इसके लिए जिम्मेदार मानी जाती है। इसलिए अगर आप किसी रिश्ते में हैं और चाहते हैं कि वह स्थाई हो, रिश्ते में प्यार और अपनत्व भरा हो, तो ऐसे में अपने और अपने साथी के ग्रहों की दिशा के बारे में जान लेना आवश्यक हो जाता है। विशेष रूप से भारत में किसी भी वैवाहिक गठबंधन को अंतिम रूप देने से पहले कुंडली मिलान के लिए जाना एक व्यापक मानदंड है।

कुंडली (kundali) मिलान करते समय एक ज्योतिषी जो पहली चीज का पता लगाता है, वह है गुण। विवाह के लिए 36 गुण में से कम से कम 18 का मिलान होना चाहिए। प्रत्येक कुंडली में ग्रह तत्वों और संयोजनों का विस्तृत अध्ययन किया जाता है। किसी रिश्ते की सफलता या असफलता को मुख्य रूप से निर्धारित करने वाले ग्रह शुक्र और चंद्रमा हैं। किसी भी गठबंधन के फलदायी होने के लिए दो ग्रहों का मेल होना बेहद जरुरी है। शुक्र कपल्स के बीच रोमांस और कंपैटिबिलिटी को तय करता है, जबकि चंद्रमा यह निर्धारित करता है कि संबंध कितना गहन होगा। जब शुक्र और चंद्रमा के साथ बुध भी मजबूत होता है, तो कपल्स (couples) के रिश्ते मजबूत और खुशहाल बन सकते हैं।

रिश्तों में ग्रह का महत्व

शुक्र (venus) की शक्ति वांछित स्तर से अधिक नहीं होनी चाहिए, क्योंकि जब यह बहुत मजबूत होता है, तो व्यक्ति कई स्तरों पर असफल हो जाता है। अगर कुंडली में इसके साथ कुछ और ग्रह आ जाएं, तो हालात और बिगड़ सकते हैं। शुक्र और राहु, शुक्र और मंगल, शुक्र और शनि एक रिश्ते के लिए काफी हानिकारक ग्रह हैं। जब शुक्र के साथ राहु, मंगल या शनि दिखाई देते हैं, तो कपल्स के बीच ब्रेकअप की गुंजाइश बढ़ जाती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार शुक्र प्रेम का ग्रह है और पंचम भाव प्रेम भाव का प्रतिनिधित्व करता है। शनि, राहु और केतु विघ्न लाते हैं। तीसरा, सप्तम और एकादश भाव इच्छा का भाव और बारहवां भाव यौन सुख का भाव है।

साथ ही यदि कुंडली में छठे भाव में शुक्र, मंगल और राहु हों, तो व्यक्ति का ब्रेकअप होने की अधिक संभावना होती है। इसके अलावा, यदि अष्टम भाव में कोई ग्रह है, तो यह रिश्ते के लिए कुछ बड़ी परेशानी का कारण बनता है। इससे ब्रेकअप हो सकता है, स्वार्थ, गलतफहमी और गलत संचार हो सकता है। इसके अलावा, जब पंचम भाव में केतु हो, तो प्रेम संबंध (love relationship) के टूटने की संभावना कम ही होती है।

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प्रेम संबंध के लिए कुंडली में प्रेम योग

जातक की कुंडली (kundali) में प्रेम संबंध के योग के लिए शुक्र ग्रह काफी महत्वपूर्ण होता है। शुक्र की अच्छी स्थिति एक सफल प्रेम की ओर इशारा करती है। यदि आपकी कुंडली में शुक्र ग्रह सही स्थिति में स्थित है, तो आपको जीवन में प्रेम अवश्य ही प्राप्त होगा। इसके अलावा, चंद्रमा जातक की कल्पनाशक्ति को बढ़ाता है और व्यक्ति के जीवन में एक साथी की जरूरत को महसूस कराता है। यह आपके मन को नियंत्रित करता है, जो प्रेम के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए शुक्र के साथ चंद्रमा की अच्छी स्थिति भी प्रेम संबंधों (love relationship) के लिए आवश्यक है जिससे व्यक्ति अपने प्रेम जीवन को दिशा देने में सफल हो सकता है।

मंगल (mars) ग्रह ऊर्जा प्रदान करने वाला ग्रह है। जातक के जीवन में किसी भी कार्य को करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। जब आप किसी को पसंद करते हैं, तो आपके लिए जरूरी है कि आप उससे अपने दिल की बात कहें। मंगल आपको ऐसा करने का साहस प्रदान करता है। वरना आप सोच सकते हैं कि प्यार का इजहार किए बिना या इकरार किए बिना, जीवन में प्यार का कोई महत्व नहीं रह जाता है। इसलिए मंगल ग्रह का भी बहुत बड़ा योगदान है।

प्रेम संबंध के लिए कुंडली में भाव

जन्म कुंडली का पंचम भाव दृष्टिकोण और प्रवृत्तियों को बताता है। यही जातक की बुद्धि और विवेक का भाव भी है, इसलिए यहां से हमें प्रेम संबंधों (love relationship) की जानकारी मिलती है। यदि आपका प्रेम भाव यानी पंचम भाव शुभ ग्रहों के प्रभाव में है, तो आपको प्रेम सफल जरूर होगा। लेकिन यदि पंचम भाव का स्वामी पंचम भाव में हो और कमजोर स्थिति या कष्ट, पाप ग्रहों का उन पर अधिक प्रभाव हो, तो व्यक्ति के जीवन में कई बार प्रेम नहीं आता और कई बार आकर चला भी जाता है। कहने का मतबल यह है कि उनका प्रेम निष्फल रह जाता है। यह सब ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है।

इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि यदि कुंडली में शुक्र, चंद्र, मंगल और पंचम भाव तथा पंचम भाव का स्वामी भी अच्छी और शुभ स्थिति का निर्माण कर रहा हो, तो इन ग्रहों की महादशा, अंतर्दशा, प्रत्यंतर दशा में प्रेम मुक्त हो जाता है। ग्रह की अच्छी स्थिति से जातक को उसके जीवन में जरूर मिलता है और उसका प्रेम सफल रहता है।

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रिश्तों के असफल होने के कारण

ज्योतिष शास्त्र (jyotish shastra) यह बताता है कि कुछ विशेष परिस्थितियां ऐसी होती हैं, जो व्यक्ति की कुंडली में उपस्थित होने पर जातक को प्रेम जीवन में भी धोखा या रिश्तों के टूटने का सामना करना पड़ता है। ऐसी ग्रहों की स्थिति के कारण प्रेम जीवन में समस्याएं उत्पन्न होती हैं और व्यक्ति परेशानी में इधर-उधर भटकता रहता है। कई बार सामने वाला धोखा देता है। लेकिन ग्रह बताते हैं कि आपका प्यार सफल होगा या नहीं, आपका दिल टूटेगा या नहीं। शुक्र और मंगल की स्थिति को जीवन में प्रेम और आकर्षण बढ़ाने वाला माना जाता है। लेकिन यदि उस पर शनि का प्रभाव पड़ता है या केतु ग्रह की स्थिति बनती है, तो व्यक्ति के प्रेम जीवन में समस्याएं उत्पन्न होती हैं। जिसके कारण आपके और आपके साथी के बीच झगड़े हो जाते हैं और रिश्ता भी टूट जाता है।

इसके अलावा, कुंडली में शुक्र और चंद्रमा की स्थिति भी प्रेम योग बनाती है। लेकिन यदि शनि देव शुक्र और चंद्रमा के साथ स्थित हों या उन पर शनि की दृष्टि हो, तो यह प्रेम योग को भी दूषित करता है, क्योंकि चंद्रमा का शनि से मिलन होता है और विष योग बनता है। शुक्र के साथ शनि की स्थिति साथी से अलगाव का संकेत देती है। ऐसी स्थिति होने पर जातक को अपने प्रिय साथी से मनमुटाव का सामना करना पड़ता है और छोटी-छोटी बातें धीरे-धीरे बड़ी हो जाती हैं, इसके कारण जातक अपने साथी को खो देते हैं और अपने जीवन से प्यार खो देते हैं।

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जातक की कुंडली में प्रेम विवाह की संभावनाएं

ज्योतिष के तहत यह ज्ञात होता है कि किसी व्यक्ति का विवाह, प्रेम विवाह होगा या पारंपरिक विवाह। ग्रहों की युति इस बात का स्पष्ट संकेत देती है। आपकी विवाह योग्य आयु में कौन सी ग्रह स्थिति चल रही है, वे यह भी संकेत देते हैं कि आपका प्रेम विवाह होगा या अरेंज मैरिज। जब भी हम किसी से प्यार करते हैं, तो हमारे मन में यह इच्छा होती है कि वह हमारा जीवन साथी बने और इस वजह से कई बार उनकी बातों को उनके घरवाले मान लेते हैं। लेकिन कई बार उन्हें काफी विरोध का भी सामना करना पड़ता है, जिससे वे कभी अपना आत्मविश्वास खो देते हैं, जिससे वे अपने साथी को जीवनसाथी नहीं बना पाते। हालांकि ऐसे लोग भी मौजूद हैं तो अपना प्यार पाने के लिए अथक प्रयास करते हैं और तमाम विरोध के बावजूद अपना प्यार पाने में सफल होते हैं।

  • अगर ज्योतिषीय दृष्टि से बात करें, तो कुंडली में ग्रहों की कुछ विशेष स्थितियां स्पष्ट रूप से प्रेम विवाह की ओर इशारा करती हैं। कुंडली के सप्तम भाव को लंबे समय तक चलने वाली पार्टनरशिप और विवाह का भाव भी माना जाता है। यदि कुंडली के पंचम भाव और सप्तम भाव में परस्पर संबंध (relationship) हो, तो व्यक्ति के लिए प्रेम विवाह करना आसान होता है।
  • कुंडली में विशेष रूप से पंचम, एकादश या सप्तम में राहु और शुक्र की एक साथ उपस्थिति प्रेम विवाह का स्पष्ट संकेत है। कुछ मान्यताओं के अनुसार लग्न या सप्तम में मंगल और शुक्र की स्थिति भी प्रेम विवाह की ओर इशारा करती है।
  • शुक्र और चंद्रमा का एक साथ होना या एक दूसरे पर दृष्टि होना या गोचर करना भी प्रेम विवाह का कारण बनता है।

भाव और प्रेम विवाह

  • अगर पंचमेश और सप्तमेश होकर शुक्र और चन्द्र ग्रह एक दूसरे के भाव में स्थित हों और लग्न से संबंध बनाएं, तो लग्न और त्रिभुज का संबंध होने पर भी जातक का विवाह (marriage) होता है।
  • यदि कुंडली का पंचम भाव, नवम भाव से संबंधित हो, तो प्रेम विवाह की संभावना बढ़ जाती है।
  • अगर कुंडली में सप्तमेश और पंचमेश एक दूसरे के नक्षत्रों में स्थित हों, तो प्रेम विवाह का योग भी बन सकता है।
  • यदि पंचम और सप्तम का स्वामी पंचम, एकादश, लग्न या सप्तम भाव में युति हो, तो यह प्रेम संबंधों (love relationship) को भी मजबूत करता है और प्रेम विवाह की स्थिति पैदा करता है। ऐसी स्थिति में जातक का प्रेम विवाह लंबे समय तक चलता है।
  • अगर राहु का संबंध पंचम या सप्तम भाव से हो या शुक्र की युति हो, तो यह प्रेम विवाह की स्थिति बनाता है। ऐसा विवाह अंतर्जातीय विवाह हो सकता है।
  • यदि मंगल, पंचम या सप्तम भाव में शुक्र के साथ स्थित हो, तो यह प्रेम को विवाह में बदलने में मदद करता है। लेकिन विवाह के बाद जीवनसाथी एक-दूसरे के साथ लंबे समय तक साथ नहीं निभा पाते हैं।
  • अगर कुंडली के लग्न भाव का स्वामी यानी लग्न पंचम भाव से संबंधित हो और पंचम भाव का स्वामी सप्तम भाव से संबंधित हो, तो प्रेम विवाह की अच्छी संभावना होती है।

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कुंडली में प्रेम योग की विफलता के कारण

  • यदि कुंडली (kundali) में प्रेम विवाह (love marriage) का योग हो। लेकिन शुक्र ग्रह अशुभ ग्रहों के प्रभाव में हो या पापकर्तरी योग में स्थित हो, तो प्रेम विवाह होने में परेशानी होती है या विवाह होने के बाद भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
  • सप्तम भाव पापकर्तरी योग में हो या अशुभ ग्रहों की दृष्टि या संबंध से हो, तो प्रेम विवाह में बहुत समस्या आती है और विवाह बहुत देर से होता है। विवाह होने के बाद भी जातक को उस विवाह को चलाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है।
  • यदि जातक की कुण्डली में पंचम भाव का स्वामी अष्टम भाव में जाकर नीच राशि में जाता है, तो जातक को अपने पूर्व जन्म के कर्मों के कारण धोखा मिलता है या प्रेम संबंधों में समस्या आती है और प्रेम विवाह संभव नहीं है। कुंडली में अन्य योगों के कारण भी प्रेम विवाह संभव हो जाता है, तो जातक को जीवन साथी से सुख नहीं मिलता है।
  • किसी व्यक्ति की कुंडली में प्रेम का कारक ग्रह शुक्र ग्रह छठे भाव में, अष्टम भाव में या लग्न भाव से बारहवें भाव में हो, तो प्रेम की संभावनाएं बनती हैं। लेकिन प्रेम विवाह संभव नहीं है। अगर किसी से प्यार हो जाए और उससे विवाह भी हो जाए, तो लव मैरिज के बाद भी दिक्कतें बनी रहती हैं।

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प्रेम जीवन को मजबूत करने के लिए अपनाएं ये उपाय

  • लड़कियों को मनचाहा जीवनसाथी (life partner) पाने के लिए मंगला गौरी का व्रत करना चाहिए।
  • रोजाना राधा कृष्ण की पूजा करने से प्रेम संबंध मजबूत बनते हैं।
  • आप किसी विद्वान ज्योतिषी को अपना राशिफल दिखाकर भी उनके बताए गए उपायों को अपनाकर अपने प्रेम जीवन को मजबूत बना सकते हैं।
  • यदि आपकी कुंडली में प्रेम योग कमजोर है या आपको प्रेम विवाह करने में समस्या आ रही है, तो आपको कुछ विशेष उपाय करने चाहिए, जिससे प्रेम विवाह की संभावना बढ़ती है।
  • जीवन में प्यार बढ़ाने के लिए आप क्वार्ट्ज स्टोन की अंगूठी, ब्रेसलेट या पेंडेंट भी पहन सकते हैं। इसे नियमित धारण करके रखें। क्वार्ट्ज स्टोन जातक के प्रेम जीवन को खुशमुना बनाता है और रिश्तें में उत्पन्न सारी परेशानियों को कम करता है।
  • आपकी कुंडली के पंचम भाव के स्वामी को जानने और उसे मजबूत करने से भी आपको प्रेम संबंधों (love relationship) में सफलता मिल सकती है।
  • पंचम भाव के साथ-साथ सप्तम भाव के स्वामी को भी मजबूत करने से आपका प्रेम विवाह संभव हो सकता है।
  • सोमवार के दिन माता पार्वती और भगवान शिव जी की मूर्ति पर कलावा बांधकर पूजा करें, इससे आपके वैवाहित जीवन में खुशियां आएंगी।

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