हिंदुत्व में सिर्फ भगवान से जुड़ी हुई ही नहीं, ऐसी भी पौराणिक कहानियों को विद्यमान होते देखा गया है, जिनके विषय में सुनकर लोग बहुचक्का रह जाते हैं। ऐसे ही एक हैरतअंगेज प्रश्न यह है, कि आखिर रावण के पुत्र मेघनाथ जिसे इंद्रजीत भी कहा जाता है, उनकी मौत अपने ही श्वसुर द्वारा क्यों हुई?
सब इसी बात से अवगत हैं, की रावण के जेष्ठ पुत्र मेघनाथ का प्रभु श्री राम के अनुज लक्ष्मण ने अपने तीरों से सर्वनाश कर दिया था। फिर यह श्वसुर वाला प्रश्न कैसे उत्पन्न होता है? आखिर, लक्ष्मण और मेघनाथ के श्वसुर में ऐसा क्या संबंध था?
माना जाता है कि शेषनाग, जिन पर भगवान हरि विष्णु विराजमान रहते हैं, वे हरि के अवतार प्रभु राम के छोटे भाई के रूप में धरती पर अवतरित हुए थे। शेषनाग पाताल लोक के स्वामी और नागों के देवता माने जाते हैं। उनकी एक पुत्री थी, जिसका नाम था सुलोचना। कुछ मान्यताओं के अनुसार, शेषनाग ने अपनी पुत्री को शापित किया था क्योंकि उसने देवराज इंद्र से विवाह के लिए मना कर दिया था। उन्होंने उसे पृथ्वीलोक भेज दिया और यह बताया की उसके पति का वध उन्हीं के हाथों द्वारा होगा।
बाद में, सुलोचना का विवाह दशानन पुत्र मेघनाथ के साथ होता है। मेघनाथ को ब्रह्मा से यह वरदान मिला था की उन्हें वही इंसान मार सकेगा, जिसने 14 वर्ष तक ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया हो और निंद्रा से विमुख रहा हो। जब मेघनाथ, अमृत्व की खोज में ब्रह्मा जी से मिले, तो ब्रह्मा जी ने उन्हें अमृत का वरदान तो नहीं दिया पर यह जरूर कहा कि जब भी वे पाताल लोक की देवी की कठिन अराधना में लीन होंगे, तो उनके सामने एक ऐसा रथ आयेगा जिसमे विराजमान होकर उनकी मृत्यु संभव नहीं होगी। परंतु इसके साथ अगर किसी ने भी उनको आराधना के समय हस्तक्षेप करने का प्रयास किया और उसे खंडित कर दिया, तो उनकी मृत्यु उस इंसान द्वारा निश्चित है।
इन वरदानों की प्राप्ति के बाद मेघनाथ को लगने लगा कि उसे कोई नहीं मार सकता। हालांकि, 14 वर्ष के वनवास में निंद्रा देवी से प्रार्थना कर, लक्ष्मण ने अपनी नींद अपनी पत्नी उर्मिला को प्रदान कर दी थी और वे ब्रह्मचर्य व्रत का भी पालन कर रहे थे। इसी कारण जब रावण-राम महायुद्ध आरंभ हुआ, तब मेघनाथ पाताल लोक की देवी से आराधना करने लगें और उस आराधना को खंडित कर, लक्ष्मण उनकी मृत्यु का निमित बने।
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मेघनाथ थे सुलोचना का पति और उनकी मृत्यु का कारण एक शेषनाग अवतार बने। सुलोचना भी थी शेषनाग की पुत्री, इसी कारण वर्ष लोगों की यह भी मान्यता है की लक्ष्मण ने अपने ही जमाई को मार डाला। हालांकि, यह कार्य उन्होंने अवतरित रूप में पूर्ण किया।
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