सावन के महीने का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व है क्योंकि इस महीने में भगवान शिव की पूजा की जाती है और उन्हें जल चढ़ाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार सावन का महीना भोलेनाथ को सबसे अधिक प्रिय है और इसीलिए इस माह में जो कोई भी व्यक्ति सोमवार का व्रत रखता है उसकी सभी मनोकामनाएं शिवजी पूरा करते हैं। सावन मास को इसीलिए साल का सर्वाधिक पवित्र महीना माना गया है। लोगों की ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में एक नया सवेरा लोगों के जीवन में आता है जिसके कारण उनके जीवन में खुशहाली आती है और उनकी हर इच्छा पूर्ण होती है। यह महीना शिव जी के साथ जोड़ा जाता है और इसीलिए इस महीने में शिव आराधना का बहुत अधिक महत्व है। इस महीने में भक्तों की भक्ति और उनकी इच्छाओं की पूर्ति का अनूठा संगम देखने को मिलता है।
इस बार सावन का महीना 6 जुलाई को शुरू हो रहा है और इस बार इस महीने की शुरुआत का पहला दिन सोमवार ही है जो एक बहुत ही अद्भुत संयोग है। श्रावण मास की समाप्ति 3 अगस्त को हो जाएगी और 3 अगस्त का दिन भी सोमवार का ही है। इस महीने की शुरुआत होते ही पूरे देश में एक उत्साह का माहौल बन जाता है। प्रत्येक व्यक्ति भोलेनाथ को प्रसन्न करने और उनकी कृपा दृष्टि पाने के लिए पूरे प्रयास करता है।
श्रावण मास में पड़ने वाले सोमवार को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने जो भी भक्त व्रत रखता है उसकी जितनी भी मनोकामनाएं होती है वह भोलेनाथ पूरी अवश्य करते हैं। यदि किसी व्यक्ति के जीवन में विवाह संबंधित कोई परेशानी है तो इस महीने में भगवान शिव की कृपा से वह समस्या भी दूर हो जाती है। सावन के महीने में भगवान शिव को बेलपत्र से जल चढ़ाना और उनकी पूजा करना बहुत फलदायी माना गया है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि यह महीना भगवान विष्णु और शिव का आशीर्वाद लेकर आता है इसके अलावा यह भी माना जाता है कि देवी पार्वती ने शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए सावन के पूरे महीने में कठोर तप किया था।
सावन के महीने में कुंवारी लड़कियां मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए सावन में हर सोमवार का व्रत रखती हैं जिसके कारण उनकी मनोकामना पूरी होती है। ऐसी मान्यता है कि सावन के सोमवार पर शिवलिंग की पूजा करने से विशेष इच्छाओं की पूर्ति होती है इसीलिए सोमवार का दिन भोलेनाथ की पूजा के लिए बहुत खास माना जाता है।
भोलेनाथ को यह महीना इसलिए प्रिय है क्योंकि दक्ष पुत्री माता सती ने अपने जीवन को आग के कुंड में त्याग दिया था और सालों तक उन्होंने श्रापित जीवन जिया। बाद में उन्होंने पार्वती के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए सारा सावन बहुत कठोर तप किया था जिसकी वजह से शिवजी उनसे प्रसन्न हो गए थे और उन्होंने उनकी मनोकामना पूरी की। अपनी प्रियतम से दोबारा मिलाप के कारण भगवान भोलेनाथ को सावन का महीना सबसे अधिक प्रिय है।
सावन मास में समुद्र मंथन हुआ था जिस से निकले हुए विष को भगवान शिव ने ग्रहण किया था जिसकी वजह से उन्हें नीलकंठ का नाम मिला था। विष ग्रहण करने से उन्होंने समस्त सृष्टि को विष के प्रकोप से बचाया था। फिर उसके बाद देवताओं ने उन पर गंगाजल डाला था। इसीलिए शिव अभिषेक में जल को एक बहुत ही विशेष स्थान दिया गया है। धार्मिक मान्यता अनुसार वर्षा ऋतु आने पर भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा में चले जाते हैं और फिर उस समय संपूर्ण सृष्टि शिवजी के अधीन हो जाती है। इसीलिए सभी लोग चौमासा में भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार के धार्मिक कार्य करते हैं जैसे दान, उपवास इत्यादि।
भोलेनाथ को श्रावण मास का महीना अत्यधिक प्रिय होने की एक वजह यह भी है कि इस महीने भगवान शिव अपने ससुराल भी आते हैं। इसलिए पृथ्वी पर रहने वाले लोगों के लिए भोलेनाथ की कृपा दृष्टि पाने का यह समय सबसे अधिक उत्तम माना गया है।
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