हम सभी के जीवन में रंगों का अत्यधिक महत्व है। रंगो की महत्ता के बारे में ज्योतिष शास्त्र और वास्तु शास्त्र में भी बताया गया है। यदि रंगों की बात की जाए तो सभी रंग सुंदर और आकर्षक होते हैं लेकिन हिंदू धर्म में कुछ रंगों को सर्वाधिक ख़ास माना गया है। पूजा पाठ करते समय कुछ ही रंगों का प्रयोग किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि रंगों के द्वारा हर कठिनाई का हल किया जा सकता है और जीवन में खुशहाली तथा शांति लाई जा सकती है। पूजा-पाठ के लिए जिन चार रंगों को सबसे अधिक आवश्यक और महत्वपूर्ण बताया गया है वह है- लाल, हरा, पीला और सफ़ेद। इन सभी रंगों का अपना अलग-अलग महत्व है और प्रयोग करने का तरीका भी अलग है जिसके कारण यह रंग दूसरे रंगों से काफ़ी अलग हैं।
लाल रंग को आमतौर पर विवाहित और सुहागन स्त्रियों का रंग माना जाता है। शादी के समय दुल्हन लाल रंग के वस्त्र पहनती है और दूल्हा भी लाल रंग की पगड़ी बांधता है। इनको धारण करने से दोनों के विवाहित जीवन में खुशहाली आती है। वही ज्योतिषशास्त्र के अनुसार लाल रंग को बहुत ही शुभ बताया गया है। यह रंग सौभाग्य, साहस, उमंग आदि के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। लक्ष्मी मां को भी लाल रंग बहुत पसंद है इसीलिए वह लाल वस्त्र पहनती है तथा लाल रंग के कमल के फूल पर ही विराजमान रहती है। इसी प्रकार हनुमान जी को भी लाल रंग और सिंदूरी रंग सबसे अधिक प्रिय है।
दुर्गा मां की बात करें तो उनको भी लाल रंग सर्वाधिक भाता है और इसी वजह से उनके भक्त तथा श्रद्धालु उनको लाल रंग की चुनरी भेंट करते हैं। लाल रंग के द्वारा आप मां लक्ष्मी और देवी भगवती को भी प्रसन्न करके उनकी कृपा हासिल कर सकते हैं। परंतु यह बात हमेशा याद रखें कि लाल रंग का उपयोग बहुत सोचने समझने के बाद ही करें क्योंकि यह रंग उत्साह को उग्रता में बदलने की शक्ति रखता है।
पीले रंग के महत्व की बात करें तो इस रंग को सनातन धर्म में बहुत अधिक महत्व दिया गया है। यह रंग भगवान विष्णु का प्रतीक है और बृहस्पति देव का प्रिय भी है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस रंग के कपड़े पहनने से गुरु ग्रह का भाव बढ़ जाता है। गुरु ग्रह किसी भी इंसान के भाग्य को जगाने के लिए जाना जाता है। इसी कारण से लोग अपने मांगलिक कार्यों में पीले रंग का ही इस्तेमाल करते हैं। पूजा पाठ में यदि इस रंग का इस्तेमाल किया जाए तो बृहस्पति की कृपा होती है जिसके कारण आपके जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
अगर वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो पीला रंग खून में श्वेत और लाल कोशिकाओं का विकास करता है जिससे रक्त संचार बढ़ता है और शरीर की थकावट भी दूर होती है। इसके संपर्क में रहने से मियादी बुखार, उल्टी, बवासीर, अपच, अनिद्रा, सूजन आदि बीमारियों पर कंट्रोल होता है। परंतु पीले रंग को कभी भी अपने बेडरूम में प्रयोग नहीं करना चाहिए।
हरा रंग भगवान शिव और माता पार्वती को बहुत पसंद है। इसके अलावा माता दुर्गा, माता लक्ष्मी और गणेश जी को भी यह रंग बहुत प्रिय है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार यह रंग काफी शुभ माना गया है। इसीलिए माता दुर्गा को हरे रंग की चूड़ियां और हरी मेहंदी भेंट में चढ़ाई जाती हैं। बुध ग्रह इस रंग का प्रतीक है और इसीलिए पूजा के समय इस रंग का इस्तेमाल किया जाता है। हरे रंग का आयुर्वेद में भी काफ़ी महत्व बताया गया है। इसके द्वारा अनेकों प्रकार की बीमारियां दूर होती हैं। यदि आप इस रंग की सब्जियों का हर दिन सेवन करेंगे तो उससे आपको लीवर, नाड़ी और आंत संबंधित बीमारियों से छुटकारा मिलेगा। जिन लोगों को मानसिक तनाव की परेशानी रहती है इस रंग के प्रयोग से उसको भी कम किया जा सकता है।
सफेद रंग एक ऐसा रंग है जिसका प्रयोग करना पुरातन काल में पूजा-पाठ और यज्ञ करते समय काफी अधिक महत्वपूर्ण था। बता दें कि सफेद रंग माता सरस्वती का है। अगर आप मां सरस्वती के उपवास के दिन सफेद रंग के वस्त्र पहनते हैं तो आपको माता का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होगा। यह रंग शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है और यह राहु को भी शांत रखने में मदद करता है। यह आपकी सेहत पर भी बहुत अच्छा और गहरा असर डालता है।
अगर आप इस रंग को हर रोज़ सब्जियों और फलों के माध्यम से अपने भोजन में शामिल करते हैं तो यह ट्यूमर तथा कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों के ख़तरे को भी कम कर सकता है। यह आपके शरीर में वसा को नियंत्रित रखने के साथ-साथ हृदय को भी हेल्थी बनाए रखता है। इसीलिए इस रंग को भोजन के रूप में ग्रहण करने के लिए मूली लहसुन, मशरूम, नारियल, आलू, गोभी आदि का सेवन करें।
इस लेख को पढ़कर आप समझ गए होंगे कि ऊपर दिए गए चार रंग पूजा पाठ के लिए कितने आवश्यक हैं। आप अगली बार जब भी कोई पूजा-पाठ करें तो इन रंगों का इस्तेमाल अवश्य करें।
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