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Anant Chaturdashi 2023: अनंत चतुर्दशी 2023 पर करें भगवान विष्णु की पूजा और पाएं सभी पापों से मुक्ति

अनंत चतुर्दशी एक हिंदू त्यौहार है, जो भाद्रपद के महीने में मनाया जाता है। यह गणेश चतुर्थी के दस दिवसीय त्यौहार के अंत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन, भक्त भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा करते हैं और समृद्धि, दीर्घायु और खुशी के लिए उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। यह त्यौहार भारत के कई हिस्सों में, विशेष रूप से महाराष्ट्र और गुजरात में मनाया जाता हैं। जानिए अनंत चतुर्दशी 2023 में कब मनाई जाएगी।

अनंत चतुर्दशी 2023: तिथि और पूजा मुहूर्त

इस बार अनंत चतुर्दशी 2023 में 28 सितंबर, गुरुवार को मनाई जाएगी। इसके अलावा, अनंत चतुर्दशी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06:12 बजे शुरू होगा और शाम 06:49 बजे समाप्त होगा। इसकी अवधि 12 घंटे 37 मिनट की होगी। साथ ही चतुर्दशी तिथि 27 सितंबर, 2023 को रात 10:18 बजे शुरू होगी और 28 सितंबर को शाम 06:49 बजे समाप्त होगी।

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अनंत चतुर्दशी का जैन धर्म में महत्व

जैन धर्म में अनंत चतुर्दशी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह दिन जैन धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण होता है। इस दिन जैन धर्म के अनुयायी अपनी भक्ति और ध्यान को संचालित करते हैं और भगवान की उपासना करते हैं।

अनंत चतुर्दशी जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो हिंदू कैलेंडर के भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष के 14वें दिन पड़ता है। यह त्यौहार जैनियों के लिए आत्मनिरीक्षण और आध्यात्मिक नवीनीकरण का समय माना जाता हैं। अनंत चतुर्दशी का महत्व इसके नाम में निहित है, “अनंत” का अर्थ जिसका अंत न हो और “चतुर्दशी” चंद्र चक्र के 14 वें दिन को संदर्भित करता है। इस दिन जैन समुदाय के लोग भगवान विष्णु की पूजा करते है। 

इस दिन, जैन अनंत चतुर्दशी व्रत करते हैं, जिसमें भगवान विष्णु का आशीर्वाद लेने के लिए उपवास और अनुष्ठान किया जाता है। यह व्रत भक्तों को समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य और खुशी प्रदान करता है।

अनंत चतुर्दशी पर किए जाने वाले महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक अनंत सूत्र, जो एक पवित्र धागा है उसे कलाई के चारों ओर बांधा जाता है। यह धागा 14 गांठों का होता है, जो जैन ब्रह्मांड विज्ञान में अस्तित्व के 14 क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करता है। इसे बांधना जैन धर्म के सिद्धांतों के प्रति भक्त की प्रतिबद्धता और आध्यात्मिक प्रगति के लिए उनकी आकांक्षा का प्रतीक माना जाता है।

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अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु की पूजा क्यों होती हैं?

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, बाली नाम का एक राक्षस राजा था, जिसने तीनों लोकों पर विजय प्राप्त कर ली थी। उसकी बढ़ती शक्ति से देवता चिंतित हो गए और उन्होंने भगवान विष्णु से मदद मांगी। तब भगवान विष्णु ने वामन नाम के एक बौने ब्राह्मण का रूप धारण किया और भिक्षा मांगने के लिए बाली के राज्य में गए।

बहुत से लोग बाली को उसकी उदारता के लिए जानते हैं और उसने भगवान वामन की तीन पग भूमि की इच्छा पूरी की। लेकिन जैसे ही भगवान वामन ने अपना दूसरा कदम शुरू किया, तो उनके पैर ने पूरी पृथ्वी को ढक लिया। आगे, अपने तीसरे कदम के साथ, उन्होंने स्वर्ग को नाप लिया। बाली के पास खड़े होने की जगह नहीं थी। इस प्रकार, भगवान विष्णु के वामन अवतार ने बाली के शासन से तीनों लोकों को मुक्त करके बाली को पाताल लोक पहुंचा दिया था।

बाली भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था और उसे भगवान के द्वारा वरदान दिया गया था कि वह हर साल एक बार पृथ्वी का भ्रमण कर सकता है और जब बाली पृथ्वी का भ्रमण करता है, तो उसकी इस यात्रा के दिन को बाली प्रतिपदा या कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष का पहला दिन माना जाता है। अनंत चतुर्दशी का त्यौहार इस अवधि के दौरान पड़ता है और भगवान विष्णु अपने अनंत रूप में, अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए इस दिन पृथ्वी पर आते हैं।

अनंत चतुर्दशी पर, भक्त अपनी कलाई पर एक पवित्र धागा या “अनंत सूत्र” बांधते हैं, जो भगवान विष्णु की अनंत और शाश्वत प्रकृति का प्रतीक है। वे भगवान अनंत की विशेष पूजा भी करते हैं और भक्त दीर्घायु और खुशी का आशीर्वाद मांगते हैं।

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चतुर्दशी तिथि पर ऐसे करें भगवान विष्ण की पूजा

अनंत चतुर्दशी भाद्रपद में महीने में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है। यह त्यौहार भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप को समर्पित है। इस दिन, भक्त भक्ति और उत्साह के साथ भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद पाने की प्रार्थना करते हैं। यहां अनंत चतुर्दशी 2023 पर की जाने वाली पूजा विधि है:

  • एक चौकी सजाएं, जिसपर भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति रखें।
  • इसके बाद एक दीपक और अगरबत्ती जलाएं और भगवान को फूल, फल अर्पित करें।
  • अनंत चतुर्दशी मंत्र का जाप करते हुए भगवान विष्णु को जल, दूध, शहद और घी अर्पित करें।
  • इसके बाद इस पर्व की कथा का पाठ करें।
  • भगवान विष्णु को दूर्वा घास की 14 पत्तियाँ अर्पित करें, जो ब्रह्मांड के 14 लोकों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
  • इसके बाद अनंत चतुर्दशी मंत्र का जाप करते हुए अपनी कलाई पर एक पवित्र धागा बांधें, जिसे अनंत सूत्र कहा जाता है। यह धागा भक्त और भगवान विष्णु के बीच शाश्वत बंधन का प्रतीक माना जाता है।
  • भगवान विष्णु को नारियल, केले और पान के पत्ते चढ़ाकर अनंत चतुर्दशी की पूजा करें।
  • अनंत चतुर्दशी स्तोत्र का पाठ करें, जो भगवान विष्णु और उनके अनंत गुणों के बारे में बताता है।
  • अंत में, भगवान विष्णु को प्रसाद का भोग लगाएं और सभी भक्तों में यह प्रसाद जरूर बांटें।

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चतुर्दशी तिथि पर इन चीजों से रहें सावधान

हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है, जो भाद्रपद के महीने में चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है। यह त्यौहार भारत के सभी हिस्सों में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु से सुख, लाभ और सफलता के लिए आशीर्वाद की कामना करते हैं। अनंत चतुर्दशी के दिन कुछ चीजों का विशेष रखना चाहिएः

  • चतुर्दशी के दिन सुपारी का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  • इस दिन खेतों या घरों में नए पौधे लगाने से बचना चाहिए।
  • अनंत चतुर्दशी के दिन नये कपड़ों का उपयोग न करें। इसके साथ ही इस दिन नये सामान को भी नहीं खरीदना चाहिए।
  • इस दिन दान-दक्षिणा जरूर करनी चाहिए।
  • आपको इस दिन घर के बाहर खाना नहीं खाना चाहिए।
  • इस दिन किसी प्रकार के अनैतिक कार्य में शामिल न हो।
  • यदि आपने अनंत सूत्र अपनी कलाई पर बांधा है, तो आपको नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • अगर आपने अनंत सूत्र अपनी कलाई पर बांधा है, तो इसे खुद न तोड़े या खोलें।
  • इस दिन आपको पशु-पक्षियों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।
  • यदि आपने अंनत सूत्र अपनी कलाई पर बांधा है, तो उसे किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करने के बाद ही दूसरा सूत्र अपनी कलाई पर धारण करें।
  • इस दिन आपको भगवान विष्णु के साथ शेषनाग और माता यमुना की पूजा करना नहीं भूलना चाहिए।
  • आपको इस दिन किसी की भी निंदा और झूठ नहीं बोलना चाहिए।

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