जातक की कुंडली में ग्रह और भावों की स्थिति के कारण कई योग बनते है, जो जातक को शुभ व अशुभ फल दे सकते हैं। अगर जातक की कुंडली में कोई शुभ योग बनता है, तो व्यक्ति को धन, स्वास्थ्य, शिक्षा, करियर, प्रेम सभी क्षेत्रों में लाभ होता है। लेकिन अगर जातक की कुंडली में अशुभ योग बनता है, तो व्यक्ति को दुख, तनाव, वित्त हानि, स्वास्थ्य परेशानी, विवाह में देरी, संबंधों का टूटना आदि परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। इसी के साथ जातक की कुंडली में कुछ ऐसे योग भी है, जो व्यक्ति को धनवान बनने में मदद करते है, वह रूचक योग, शश योग, हंस योग, भद्र योग, मालव्य योग है, जो जातक की कुंडली में धन लाभ देते हैं।
कुंडली में शुभ योग व्यक्ति की जन्म कुंडली में उपस्थित ग्रहों के स्थानों और भावों पर निर्भर करते हैं। इसलिए शुभ योग कभी-कभी जन्म के समय ही बनते हैं। जब किसी जातक की जन्मकुंडली में पहले, पांचवें और नौवें भाव के स्वामी, दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी के साथ युति में होते हैं, तो धन योग बनता है। इसके अलावा, अगर ग्यारहवें भाव के स्वामी दूसरे भाव में आ जाते है या दूसरे भाव के स्वामी ग्यारहवें भाव में स्थित हो जाएं, तो शुभ योग का निर्माण होता है।
शुभ योगों की विशेषता यह है कि वे व्यक्ति को जीवन में धन, स्वास्थ्य, संतुलित बुद्धि, सफलता और खुशहाली देते हैं। इसलिए यह योग व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं, क्योंकि यह योग रंक को राजा बना सकते है। यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा से तीसरे स्थान पर मंगल हो और सातवें भाव पर शनि बैठा हो, तो व्यक्ति की कुंडली में इंद्र योग का निर्माण होता है, जो जातक के जीवन में खुशियां लेकर आता है। इसी के साथ गुरु, मंगल, बुध, शुक्र और शनि ग्रह मिलकर पंच महापुरुष योग का निर्माण करते है, यह योग बेहद ही शुभ माना जाता है, क्योंकि इस योग के कुंडली में बनने से जातक को नौकरी में उच्च पद प्राप्त हो सकता है।
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जातक की कुंडली में दो तरह के योग बनते है एक शुभ और दूसरा अशुभ। शुभ योग जातक के जीवन में खुशियां लेकर आते हैं। लेकिन अशुभ योग जातक को तनाव, चिंता, दुख आदि परेशानियां देते हैं। चलिए जानते है जातक की कुंडली में बनने वाले 5 शुभ योगों के बारे में, जो व्यक्ति की कुंडली में बनने से जातक का भाग्य बदल सकता हैः
वैदिक ज्योतिष के अनुसार रूचक योग पंच महापुरुष योग मंगल ग्रह के कारण जातक की जन्मकुंडली में बनता है। यदि जातक की जन्मकुंडली के केंद्र स्थान पर मंगल अपनी उच्च राशि यानि मकर अथवा अपनी मूल त्रिकोण राशि मेष या फिर अपनी स्वराशि यानि वृश्चिक में विराजमान होते हैं, तो व्यक्ति की कुंडली में रूचक योग बनता है।
जब रूचक योग जातक की कुंडली में बनता है, तो उसे धन प्राप्ति के लिए बहुत लाभदायक माना जाता है। यह योग जातक को विभिन्न तरीकों से धन कमाने में मदद करता है। रूचक योग जातक को अपनी देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित करता है और उन्हें धन प्राप्ति के लिए अधिक संज्ञानशील बनाता है। इसके अलावा, जिस भी जातक की कुंडली में यह शुभ योग बनता है, तो उसे नौकरी में उच्च पद की प्राप्ति होती है। साथ ही यह योग जातक को शारीरिक और मानसिक लाभ भी देता है। इतना ही नहीं जब यह योग किसी की कुंडली में बनता है, तो उसका कारोबार काफी तेजी से आगे बढ़ता है और व्यक्ति को धन लाभ होता है।
रूचक योग जातक को अपने स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए प्रेरित करता है। यह उन्हें स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक आहार, व्यायाम और अन्य स्वस्थ जीवन शैली के फायदे समझने में भी मदद करता है। रूचक योग जातक को अपनी विद्या और ज्ञान को विस्तारित करने के लिए प्रेरित करता है। यह उन्हें उच्च शिक्षा और बुद्धि प्राप्ति के लिए मदद करता है।
अगर जातक की जन्मकुंडली के पहले, चौथे, सातवें और दसवें भाव में बुध ग्रह अपनी खुद की राशि यानि मिथुन या कन्या में स्थित होता है, तो भद्र योग बनता है। ज्योतिष में, भद्र योग एक शुभ योग माना जाता है जो कि जातक के जीवन में समृद्धि और धन से संबंध रखता है। यह योग जब बनता है, तो जातक के स्वभाव में उतार-चढ़ाव आता है जिससे उन्हें समृद्धि और सफलता मिलती है।
भद्र योग जब कुंडली में बनता है, तो इस योग के नाम पर भद्र नामक देवता की पूजा की जाती है जो कि भगवान विष्णु के ही अवतार थे। इस योग में चंद्रमा और बृहस्पति ग्रह का संयोग भी बनता है। इसके अलावा, यह योग जातक के जीवन में आर्थिक समृद्धि का संकेत माना जाता है। जब यह योग जातक की कुंडली में बनता है, तो जातक के व्यवसाय में सफलता, आर्थिक स्थिरता और धन का प्रवाह होता है।
इस शुभ योग के बनने से जातक की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और वह अपने व्यवसाय में अधिक सफलता प्राप्त करता है। इसके अलावा, यह योग जातक को शांति, समझदारी और धैर्य प्रदान करता है, जो व्यक्ति को आर्थिक सफलता की ओर ले जाता है।
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अगर जातक की कुंडली में बृहस्पति लग्न या चंद्रमा से पहले, चौथे, सातवें और दसवें भाव में कर्क, धनु या मीन राशि के साथ होता है, तो हंस योग का निर्माण होता है।
हंस योग एक शुभ योग है, जो जातक के लिए धन के साथ-साथ स्थायित्व, संतुलित बुद्धि और सफलता का संचार करता है। यह योग जब बनता है, तब शुभ ग्रह जैसे कि बृहस्पति, शुक्र और सूर्य अपनी शक्ति के साथ जातक की कुंडली में स्थित होते हैं।
इसके अलावा, हंस योग बनते ही जातक की मनोदशा बेहतर होती है और उन्हें सफलता की दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिलती है। यह योग जातक को उनके कर्मों के फल के रूप में धन की प्राप्ति का संचार करता है और उन्हें आर्थिक रूप से स्थिरता और सुख-समृद्धि का अनुभव करने में मदद करता है।
इस योग को अधिकतर जातकों की कुंडली में नहीं देखा जाता है। लेकिन अगर यह योग किसी जातक की कुंडली में बनता है, तो उन्हें धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है और वे अपने जीवन में काफी सफल होते है।
अगर जातक की कुंडली में शुक्र अपनी ही राशि यानि वृषभ और तुला या उच्च राशि मीन में पहले, चौथे, सातवें या दसवें भाग में स्थित होता है, तो मालव्य योग बनता है। ज्योतिष शास्त्र में मालव्य योग एक धनवान योग माना जाता है। इस योग में जातक को धन, समृद्धि और आर्थिक सफलता प्राप्त होती है।
यह योग जातक को आर्थिक तौर पर स्थिरता और समृद्धि प्रदान करता है। इस योग के लिए शुक्र ग्रह को धन का कारक माना जाता है, जो धनवान बनने, सुख, समृद्धि और विलासिता के साथ जुड़ा होता है। चंद्रमा ग्रह भी इस योग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो जातक को चंद्रमा ग्रह के गुणों जैसे भावनात्मकता, संवेदनशीलता, सहनशीलता आदि से लाभ प्रदान करता है।
मालव्य योग वाले जातक धन, समृद्धि, आर्थिक सफलता, सुख और संपत्ति का अनुभव करते हैं। यह योग जातक को धन के साथ-साथ सुख, विलासिता और मान-सम्मान का भी लाभ प्रदान करता है। मालव्य योग वाले जातक को नई सम्पत्तियों का अधिकार मिलता है और वह धन को संचय करने में सक्षम होते है।
अगर किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में लग्न या चंद्रमा से पहले, चौथे, सातवें और दसवें भाव में शनि अपने स्वयं की राशि (मकर, कुंभ) में या उच्च राशि तुला में स्थित होता है, तो शश योग बनता है। शश योग एक शुभ योग है, जो जातक को धन संबंधी लाभ प्रदान करता है। इस योग के नाम से ही स्पष्ट होता है कि यह योग शनि ग्रह से संबंधित है, जो जातक को धन संबंधी मुश्किलों से निकाल कर समृद्धि की ओर ले जाता है।
इसके अलावा, शश योग बनते ही जातक की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और वह धन संबंधी मुश्किलों से मुक्त हो जाता है। जातक के पास धन का आगमन होता है और उसकी सम्पत्ति में वृद्धि होती है।
शश योग वाले जातक वित्तीय रूप से स्थिर रहते हैं और संपत्ति की बढ़ती हुई मात्रा का आनंद उठाते हैं। यह योग जातक की आर्थिक स्थिति में सुधार करता है। इस योग के कारण जातक को उत्साहित, आत्मविश्वास, विवेक और स्वावलंबी बनने में मदद मिलती हैं।
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