भाई दूज एक ऐसा त्योहार है, जो भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत और खूबसूरत बनाता है। इस त्योहार की अलग-अलग मान्यताएं हैं और यह लोगों द्वारा काफी बेहतरीन तरीके से मनाया जाता है। हमारे देश में भाई दूज को कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे भाई बीज, भाऊ बीज, भाई फोंटा और भाई टीका। यह एक वार्षिक हिंदू त्योहार है, जो भाई-बहनों के बंधन का प्रतीक माना जाता है। यह 5 दिनों तक चलने वाले दिवाली उत्सव के अंतिम दिन में मनाया जाता है। त्योहार में रक्षा बंधन के उत्सव के समान उत्सव और अनुष्ठान होते हैं। इस दिन महिलाएं और लड़कियां अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं। बदले में, भाई उन्हें उपहार देते हैं और उन्हें हर तरह के नुकसान से बचाने और आजीवन उनकी सुरक्षा करने की प्रतिज्ञा करते हैं।
देश के उत्तरी भाग में लोग इस दिन को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं और देश का दक्षिणी भाग इस दिन को यम द्वितीया के रूप में मनाता है। भाई दूज का उत्सव कार्तिका शुक्ल, द्वितीया को होता है जो कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि है। सामान्य तौर पर, त्योहार ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार अक्टूबर या नवंबर के महीने में पड़ता है।
स्वादिष्ट मिठाइयां और भोजन इस त्योहार का एक अभिन्न अंग हैं। भाई दूज के मौके पर बहनें अपने भाइयों के लिए स्वादिष्ट पकवान बनाती हैं। आइए भाई दूज पर्व के संबंध में विस्तार से जानते हैं।
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भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनका सम्मान करने के लिए भक्ति गीत गाती हैं।
बहनें इस दिन जो गीत गाती हैं, उस गीत या प्रार्थना में भाई के लिए मंगलकामना होती है। भाई दूज के लिए गाए गए गीत के मायने हैं, “भाई तुम मुझे बहुत प्यारे हो। तुम मेरे लिए मां की तरह, पिता की तरह ही महत्वपूर्ण हों। तुम मेरे लिए अन्य सभी रिश्तेदारों से ज्यादा महत्वपूर्ण हो। असल में तुम मेरे लिए मेरे दोस्त की तरह हो, जो मेरी जिंदगी में आए उतार-चढ़ाव में मेरा साथ निभाता है, समय-समय पर मेरा मार्गदर्शन करते हो, मेरे ज्ञान में वद्धि करते हो। सच कहूं, तो आप वास्तव में मेरे लिए सब कुछ हैं, मेरे भगवान हैं।”
वहीं भाई बहन आपस में कितना भी लड़-झगड़ लें लेकिन अंत में दोनों ही एक दूसरे के बिना अधूरे होते हैं। भाई दूज के त्योहार का अर्थ इन दोनों के रिश्ते की गहराई को और स्पष्ट करता है।
वहीं भाई दूज का त्योहार देश भर के लोगों के जीवन में बहुत महत्व रखता है। यह एक बहन और भाई के खूबसूरत रिश्ते की गहराई को दर्शाता है। इस तरह देखा जाए तो यह दिन भाई-बहन के शाश्वत प्रेम का जश्न मनाने का दिन है। यह दिन भारत के लगभग हर राज्य में कई अलग-अलग नामों से और अनगिनत अनुष्ठानों में मनाया जाता है। यह एक शुभ दिन है जब महिलाएं देवताओं से प्रार्थना करती है कि वे उसके भाइयों को सुखी और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद दें। उन्हें सभी नुकसानों से बचाएं। अगर भाई-बहन एक-दूसरे से दूर रहते हैं, तो इस विशेष दिन दोनों एक-दूसरे से मिलने के लिए मीलों का सफर तय कर जाते हैं ताकि एक-दूसरे से मिल सकें। यह दिन भाई-बहनों के एक-दूसरे के प्रति लगाव को दर्शाता है।
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हर हिंदू त्योहार के पीछे एक कहानी है, जो हमें सकारात्मकता, स्नेह और अच्छाई का पाठ पढ़ाती है। भाई दूज के उत्सव के पीछे के इतिहास में एक ऐसी कहानी शामिल है जो हमें शाश्वत अच्छाई के मूल्य के बारे में बताती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार अमावस्या के दूसरे दिन भगवान यम अपनी बहन यमी से मिलने जाते हैं। यमी अपने भाई को अपने दरवाजे पर देखकर बहुत खुश हो जाती है और भगवान यम का तिलक और आरती से स्वागत करती है। जो भगवान यम को अभिभूत करता है और वो अपनी बहन के प्यार और खूशी को देखकर उसे मनमोहक उपहार भेंट करते हैं। साथ ही, वह वादा करते हैं कि वो, हमेशा कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष पर अपनी बहन से मिलने जाएंगे। साथ ही उन्हें अब व मृत्यु से डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि वो हमेशा यमी के साथ हैं। यह सुनकर यमी अत्यधिक खूश हुई थी।
इस उत्सव के पीछे एक और अन्य पौराणिक कथाओं है, भगवान कृष्ण नरकासुर का वध करने के बाद अपनी बहन सुभद्रा से मिलना चाहते थे। भगवान कृष्ण अपनी बहन से मिलने के लिए गए और जब वो उनके घर पहुंचे तो उनकी बहन ने उनका पारंपरिक तरीके से स्वागत किया। उनकी बहन ने अत्यंत प्यार और स्नेह के साथ कृष्ण के माथे पर तिलक लगाया और उन्हें बुराई पर उल्लेखनीय जीत पर बधाई दी। तभी यह भाई-बहन का यह पर्व प्रचलित हो गया।
इसी प्रकार यह त्योहार अलग अलग कथाओं के अनुसार मनाया जाता है |
भारत में, विभिन्न क्षेत्रों के लोग भाई दूज के त्योहार को कई अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। आमतौर पर इस दिन भाई अपनी बहनों से मिलने जाते हैं। अनुष्ठान में बहनें अपने भाइयों के लिए चावल के आटे से आसन बनाती हैं और भाई के माथे पर टीका लगाने के लिए सिंदूर, दही और चावल का लेप बनाती हैं। यह पूरे समारोह का एक अनिवार्य हिस्सा होता है।
इसके बाद बहनें अपने भाइयों की हथेलियों में कद्दू, सुपारी पर सिक्के चढ़ाती हैं। साथ ही बहनें धीरे-धीरे पवित्र मंत्रों का जाप करती हैं और हथेलियों पर जल डालती हैं। भगवान यम की पूजा करने के लिए पवित्र मंत्रों का जाप किया जाता है। पूरे अनुष्ठान में बहनें भगवान यम से प्रार्थना करती हैं और अपने भाइयों के स्वस्थ जीवन की कामना करती हैं।
कलावा हिंदू भक्तों के दिल में एक महत्वपूर्ण मूल्य रखता है। माथे पर तिलक लगाने के बाद बहनें भाई की आरती उतारती हैं। इसके बाद भाइयों के हाथ पर कलावा बांधती हैं।
मान्यता है कि भाई की खुशहली और समृद्ध जीवन के लिए एक दीया जलाकर दक्षिण दिशा की ओर रखती हैं और सभी इच्छाओं को पूरा करने के लिए आकाश की ओर देखती हैं। अनुष्ठान के अंत में, भाइयों को अपनी बहनों से मिठाई मिलती है और वे बहनों को भाई दूज उपहार देते हैं। त्योहार की प्रथा का समापन परिवार के बुजुर्गों के पैर छूकर और स्वस्थ और हार्दिक जीवन के लिए आशीर्वाद लेने से होता है।
हिंदू कैलेंडर के मुताबिक अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया के दिन यानी 26 अक्टूबर 2022 को यह पर्व मनाया जाएगा। मुहूर्त की बात करें दिन 26 अक्टूबर के दिन दोपहर 02 बजकर 42 मिनट से तिलक मुहूर्त आरंभ होगा, जो कि अगले दिन 27 अक्टूबर 2022 को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक चलेगा।
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इस दिन स्वादिष्ट भोजन और मिठाइयों की विशेष मान्यता है। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं जिन्हें आप इस विशष पर्व में घर में बना सकते हैं फिर बाजार से खरीद सकते हैं-
भाई दूज के त्योहार वाले दिन बहनें अपने भाइयों के लिए स्वादिष्ट खीर और उनके पसंद के तरह-तरह के पकवान बनाती हैं।
भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और झारखंड भाई दूज का त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। पश्चिम बंगाल राज्य में भाई दूज का उत्सव लोगों के लिए प्रमुख महत्व रखता है। यहां के त्योहार को भाई फोटा के नाम से जाना जाता है। महाराष्ट्र में लोग इस पर्व को भाऊ बीज के नाम से जानते हैं।
हमने यह तो जान लिया कि भाई दूज पर्व के पीछे की कहानी क्या है लेकिन अभी भी यह जानना जरूरी है कि देश चेक किन राज्यों में भाई दूज के पर्व को किस तरह से मनाया जाता है क्योंकि हर राज्य की अपनी-अपनी मान्यता और तौर तरीके होते हैं। यहां हम जानेंगे कि किस तरह अलग-अलग राज्यों में भाई दूज मनाया जाता है।
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हर राज्य की तरह पश्चिम बंगाल में भी भाई दूज का त्योहार धूम-धाम से मनाया जाता है। यहां भाई दूज को भाई फोंटा के नाम से जाना जाता है। भाई दूज वाले दिन बहनें भाई के लिए व्रत रखती हैं और भाई का तिलक करने के बाद ही अन्न का पलहा निवाला लेती हैं। बहन के तिलक करने के बाद भाई, बहन को उनकी पसंद का तोहफा देते हैं।
बता दें कि महाराष्ट्र और गोवा में भाई दूज को एक अलग और अनोखे नाम से जाना जाता है, वहां भाई दूज को भाऊ बीज के नाम से मनाया जाता है। दरअसल, मराठी में भाऊ का अर्थ भाई होता है। इस पर्व पर बहनें तिलक लगाकर भाई के स्वथ और बेहतर जीवन की कामना करती हैं।
भारत के हर राज्य की तरह यूपी में भी भाई दूज के पावन पर्व पर बहनें अपने भाई का तिलक करके उन्हें कुछ मीठा खिलाती हैं। वैसे उत्तर प्रदेश में तिलक की थाली में कुछ विशेष मिठाई रखी जाती हैं, बताशा और सूखा नारियल मुख्य रूप से शामिल होता है। आब देने की परंपरा हर घर में सालों से प्रचलित है।
भाई बहन का यह अनोखा पर्व भाई दूज बिहार में एक अनोखी परंपरा के साथ मनाया जाता है। दरअसल, इस दिन बहनें अपने भाइयों को जी भरकर डांटती हैं और उन्हें भला बुरा सुनाती हैं। ऐसा करने के बाद बहनें अपने भाई से माफी भी मांगती हैं। अनोखी परंपरा इसलिए है ताकि भाई जो जाने-अनजाने अपनी बहनों को सताते हैं, उन्हें अपनी उस गलती का एहसास हो और भविष्य में वह गलती ना दोहराएं। उसके बाद बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं और उनको कुछ मीठा खिला कर भाई दूज की रस्म को पूरा करती हैं। अंत में भाई अपनी बहन को एक खूबसूरत तोहफा देता है, जो बहनों के चेहरे पर मुस्कान ला देता है।
भारत की ही तरह नेपाल में भी यह पर्व बहुत धूम धाम से मनाया जाता है। नेपाल में भाई दूज पर्व को भाई तिहार के नाम से भी जाना जाता है। तिहार का मतलब तिलक या टीका है। इस पर्व को नेपाल में बहनें अपने भाई के माथे पर साथ रंग का तिलक लगाकर करती हैं और अपने भाई की खुशियों के लिए कामना करती हैं।
भाई-बहन एक-दूसरे के साथ अनेक चीजें साझा करते हैं। सबसे अच्छे दोस्त होने से लेकर खाने की चीज के एक बड़े टुकड़े के लिए लड़ने तक, उनके बीच स्नेह का एक शाश्वत बंधन रहता है।
ये हमेशा एक दुसरे के साथ अपने सीक्रेट शेयर करते और अक्सर मस्ती करने के लिए माता-पिता को साथ मिलकर सताते हैं। हालांकि, भाई-बहन होने का अर्थ है एक परम रक्षक और प्रशंसक का होना।
अभी तक कोई भी भाई बहन के अनूठे रिश्ते सीमित शब्दों में परिभाषित नहीं कर पाया है। भाई- बहन के अनोखे रिश्ते काे हर कोई अपने-अपने तरीके से समझता-जनता है। बहरहाल, भाई बहन कभी भी एक-दूसरे के लिए अपने प्यार पर सवाल नहीं उठाते और ना ही शक करते हैं। वे एक-दूसरे को शक्ति प्रदान करते हैं और कठिन परिस्थितियों में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होते हैं। यह कोई ऐसा दिन नहीं है, जब भाई-बहन एक-दूसरे को कम या ज्यादा प्यार करते हो। हालांकि, भाई दूज के दिन वे एक साथ अपने बंधन का जश्न मनाते हैं। दोनों के लिए यह खास मौका होता है। इस दिन बहनें अपने भाई के लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं और बदले में भाइयों को जब भी जरूरत होती है, उनके लिए उपलब्ध होने का संकल्प लेते हैं।
भाई दूज का पर्व 26 अक्टूबर, बुधवार को पड़ रहा है।
(ज्ञात रहे यहां दी गई तारीखें पंचांग अनुसार बदल भी सकती हैं)
भाई दूज का त्योहार एक ऐसा पर्व है, जो भाई-बहन के रिश्ते को और भी गहरा करता है। पारंपरिक कहानियों के अनुसार इस त्योहार का विशेष महत्व है। यह त्योहार भाई और बहन के रिश्ते को और भी ज्यादा मजबूत करता है, जिससे दोनों एक-दूसरे से भौतिक रूप से कितने भी दूर क्यों न रहें, लेकिन इस दिन भाई और बहन दोनों को एक दूसरे से मिलने आते हैं और ये भावनात्मक रूप से हमेशा एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। यह पर्व दर्शाता है कि भाई बहन का रिश्ता अन्य रिश्तों से सबसे अलग है। इस दिन भाई अपनी बहन की रक्षा करने की प्रतिज्ञा करता है और बहने अपने भाई की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं।
इस दिन बहनें अपने भाइयों को साफ़ जगह पर बैठाकर उनके माथे पर तिलक करती हैं, और उनकी आरती उतारती हैं। उसके बाद भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और दोनों एक दूसरे के मंगल जीवन और सुरक्षा की मंगल कामना करते हैं।
वर्ष 2022 में यह पर्व 26 अक्टूबर को है और 2023 में भाई दूज का त्योहार 14 नवंबर के दिन मनाया जायेगा।
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