ज्योतिष में, ग्रहों का जातक के जीवन पर खास प्रभाव होता है। ऐसे में यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में ये ग्रह अशुभ परिणाम देने लगे, तो जातक के जीवन में भारी उथल-पुथल मच जाती है। ज्योतिष में राहु एक पापी ग्रह माना जाता है और कुंडली में राहु महादशा होने पर व्यक्ति गैर कानूनी गतिविधियों में लिप्त हो जाता है। लेकिन इस महादशा के दौरान व्यक्ति कुछ ज्योतिष उपाय करके इससे छुटकारा या इसके प्रभावों को कम कर सकता है।
ज्योतिष अनुसार, राहु की महादशा 18 वर्षों की होती है। इसी के साथ राहु की महादशा में 3, 6 या 9 वर्षों में शुभ या अशुभ क्रम जारी रहता हैं। लेकिन छठे व आठवें वर्ष में यह दशा जातक को कष्टकारी परिणाम देती है। जब किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में राहु महादशा शुरू होती है, तो वह अधिकतर उतार-चढ़ावों के साथ नये सामाजिक और आर्थिक अनुभवों से गुजरता है। यह महादशा व्यक्ति के जीवन में घटनाओं के लिए एक महत्वपूर्ण अवधि होती है, क्योंकि इस दौरान व्यक्ति को शारीरिक व मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस दशा के कारण जातक को चिंता, अवसाद, चिड़चिड़ा स्वभाव आदि परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं।
इसके अलावा, इस महादशा के कारण व्यक्ति गैर कानूनी गतिविधियों में लिप्त हो जाता है, जिसके कारण उसे जीवन में कठिन दौर से गुजरना पड़ सकता है। साथ ही इस दशा से पीड़ित व्यक्ति भय और संदेह से घिरा रहता है, जो उसके जीवन को कष्टकारी बना देता है।
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इस महादशा में ग्रहों की अंतर्दशा का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में अहम होता है, क्योंकि ग्रहों की अंतर्दशा के दौरान, व्यक्ति को विभिन्न प्रकार के अनुभव होते हैं। सूर्य और चंद्रमा की अंतर्दशा में, व्यक्ति अपनी प्रतिभा और भावनात्मक जीवन को समझता है। इसी तरह, अन्य ग्रहों की अंतर्दशा में, व्यक्ति अपने जीवन में कई बदलावों का अनुभव करता हैं। चलिए सभी ग्रहों की अंतर्दशा का जातक के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसके बारे में जानेंः
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राहु महादशा में बुध की अंतर्दशा का जातक के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। बुध बुद्धि से सम्बंधित विषयों का प्रतिनिधि है। राहु और बुध के एक साथ होने से व्यक्ति को बुद्धि व विवेकपूर्ण निर्णय लेने में मदद मिलती है। बुध की अंतर्दशा में, व्यक्ति के मस्तिष्क में नए विचार उत्पन्न होते है। वे लोग जो उच्च शिक्षा में रुचि रखते हैं, इस अवधि के दौरान उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। इस समय जातक अपनी बुद्धि और विवेक का उपयोग करके जीवन की समस्याओं का समाधान ढूँढ़ सकता हैं। राहु के साथ बुध ग्रह की उपस्थिति जातक के लिए शुभ परिणाम लाती है, क्योंकि इस समय जातक अपने करियर में लाभ प्राप्त कर सकता है।
इस अवधि में, व्यक्ति के लिए बोलने और लिखने का अभ्यास करना उत्तम है। यदि आप लेखन, भाषा, अनुवाद या कंप्यूटर संबंधित कार्य करते हैं, तो इस समय आपकी दक्षता और कौशल में वृद्धि हो सकती है।
केतु अंधकार, अज्ञानता, माया और मोह का प्रतिनिधि है। राहु और केतु दोनों उग्र ग्रह हैं, इसलिए राहु महादशा में केतु की अंतर्दशा व्यक्ति के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। केतु की अंतर्दशा में व्यक्ति अंधविश्वासों और भ्रमों से घिर जाता है। इस समय व्यक्ति अपने जीवन के महत्वपूर्ण फैसलों पर गलत निर्णय ले सकता है। जो लोग ध्यान और मेहनत से काम करते हैं, इस अवधि के दौरान उन्हें अपने उद्देश्यों तक पहुंचने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं।
इस अवधि में ध्यान और संवेदनशीलता की आवश्यकता होती है। इस अवधि के दौरान जातक को परिवार, दोस्त, रिश्तेदारों के साथ समस्या का सामना करना पड़ता हैं, क्योंकि इस दशा का जीवन पर अशुभ प्रभाव पड़ता है और इस दौरान व्यक्ति को अग्नि से सावधान रहना चाहिए।
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ज्योतिष में शनि एक उग्र ग्रह है, जो कर्मों का प्रतिनिधित्व करता है। इस अवधि के दौरान शनि व्यक्ति के जीवन में समस्याएं और परेशानियां उत्पन्न कर सकता है। शनि व्यक्ति को धैर्य और संयम सिखाता है। लेकिन इस अवधि में व्यक्ति को अपने कर्मों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और उन्हें संभवतः समस्याओं से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए। इस अवधि में शनि की अंतर्दशा का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में नकारात्मकता ला सकता हैं।
शनि की अंतर्दशा में व्यक्ति को अपने जीवन के महत्वपूर्ण फैसलों को सोच-समझकर लेना चाहिए। साथ ही व्यक्ति को इस दौरान करियर, परिवार, धन, प्रेम संबंधों में कठिन समय का सामना करना पड़ता हैं। यह दशा जातक के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, इसके कारण जातक को पेट से जुड़ी कोई समस्या हो सकता है।
राहु महादशा में बृहस्पति की अंतर्दशा व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। बृहस्पति ज्ञान, शिक्षा, संस्कृति और धर्म के देवता हैं और इस अवधि के दौरान व्यक्ति को अपने ज्ञान को विस्तारित करने और अपनी अभिरुचियों को विकसित करने का अवसर मिलता है। बृहस्पति की अंतर्दशा में व्यक्ति नए और सकारात्मक विचारों के साथ दुनिया को देखने और अनुभव करने की क्षमता हासिल करता है। इस अवधि के दौरान व्यक्ति को संस्कृति, धर्म, विज्ञान, तकनीक, सामाजिक क्षेत्र, व्यवसाय और विभिन्न क्षेत्रों में विशेष रूप से रुचि और ज्ञान हासिल करने का अवसर मिलता है।
इस अवधि में बृहस्पति की अंतर्दशा व्यक्ति के लिए बहुत ही सकारात्मक साबित होती है, क्योंकि व्यक्ति को इस अवधि के दौरान अपनी अभिरुचियों के अनुसार अपना जीवन आगे बढ़ाने का मौका मिलता है। साथ ही जातक अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए नई गतिविधियों में भी शामिल हो सकते हैं।
राहु महादशा में शुक्र की अंतर्दशा व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। वैदिक ज्योतिष में, शुक्र सौंदर्य, कला, संगीत और सुख-समृद्धि के देवता के रूप में जाना जाता हैं। इस अवधि के दौरान शुक्र की अंतर्दशा व्यक्ति को अपने जीवन में सुख, समृद्धि, सौंदर्य और शांति का अनुभव करने का मौका देती है। शुक्र की अंतर्दशा में व्यक्ति अपनी कला और संस्कृति के क्षेत्र में उन्नति कर सकता है। वह अपनी कला और संस्कृति को विकसित करने के लिए अपने समय का उपयोग कर सकता है। इस अवधि के दौरान व्यक्ति अपनी सामाजिक व्यवस्था को भी मजबूत बना सकता है।
शुक्र की अंतर्दशा में व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है। वह अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार कर सकता है और अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए नए कार्यों का आरंभ कर सकता है। अगर शुक्र और राहु शुभ स्थिति में नहीं है, तो जातक को स्वास्थ्य संबंधी कोई रोग हो सकता है।
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राहु की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा का प्रभाव जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर असर डाल सकता है। यह प्रभाव व्यक्ति की जन्मकुंडली, वर्तमान स्थिति और अन्य ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है। सूर्य की अंतर्दशा में, व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है। संभवतः यह अवधि अस्थिर और अचल हो सकती है। इस समय व्यक्ति को संतुलित आहार लेना, नियमित व्यायाम करना चाहिए।
सूर्य की अंतर्दशा में, व्यक्ति के करियर में कई बदलाव हो सकते है। इस समय व्यक्ति को अपने कौशल को निखारने के लिए समय देना चाहिए। अगर आप कोई नया व्यवसाय शुरू करने का सोच रहे हैं, तो यह अवधि उसके लिए उत्तम है।
राहु की महादशा में चंद्रमा की अंतर्दशा का जीवन पर अशुभ प्रभाव होता हैं। ज्योतिष में चंद्रमा अधिक महत्वपूर्ण है। यदि चंद्रमा अशुभ भावों में स्थित है, तो राहु की महादशा में चंद्रमा की अंतर्दशा नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इस समय व्यक्ति स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं का सामना कर सकता है और जातक को धन संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं। यदि चंद्रमा शुभ भावों में स्थित है, तो राहु की महादशा में चंद्रमा की अंतर्दशा सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इस समय व्यक्ति के जीवन में समृद्धि आ सकती है। जातक अपनी कार्य योग्यता के अनुसार मनचाही नौकरी प्राप्त कर सकता है।
चंद्रमा ग्रह का अधिकतम प्रभाव व्यक्ति के मन पर पड़ता है। राहु की महादशा में चंद्रमा की अंतर्दशा के कारण व्यक्ति के मन पर नकारात्मक प्रभाव होता है। इस दशा के कारण जातक के प्रेम संबंध भी टूट सकते है।
राहु की महादशा में मंगल की अंतर्दशा का जीवन पर नकारात्मक प्रभाव होता हैं। मंगल राहु के साथ अविरल शक्ति और अधिक उत्तेजना का प्रतिनिधित्व करता है। राहु की महादशा में मंगल की अंतर्दशा अधिक उत्तेजना, जोश और आक्रामकता उत्पन्न कर सकती है। यह अवधि जातक के करियर, स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं होती है।
इस अवधि में लोग स्वाभाविक रूप से ज्यादा उत्साही और संवेदनशील हो जाते हैं। हालांकि, यह अवधि अधिक आक्रामकता या उत्तेजना के कारण दुखदायी भी हो सकती है। इस समय आपको धैर्य और संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है, जिससे आप अपने लक्ष्यों तक पहुंच सकें।
जब राहु की महादशा में राहु की अंतर्दशा होती है, तो इसका प्रभाव जातक के जीवन पर अशुभ होता है। राहु एक अशुभ ग्रह है, इसलिए राहु की अंतर्दशा थोड़ी मुश्किल और चुनौतीपूर्ण हो सकती है। जब राहु की महादशा में राहु की अंतर्दशा होती है, तो व्यक्ति विभिन्न समस्याओं का सामना कर सकता है, जैसे कि धन संबंधी समस्याएं, स्वास्थ्य समस्याएं और बिगड़ते पारिवारिक रिश्ते आदि। इस अवधि में आपको धैर्य और सहनशीलता से काम करना चाहिए।
हालांकि, राहु की अंतर्दशा आपको अपने दुश्मनों से निपटने की क्षमता दे सकती है। लेकिन यह अवधि आपके लिए अनुकूल नहीं है, क्योंकि इस दशा के दौरान आप किसी दुर्घटना के शिकार भी हो सकते है। राहु की महादशा में राहु की अंतर्दशा व्यक्ति के जीवन में कई चुनौतियां ला सकती है। इसलिए आपको इस समय में धैर्य और सहनशीलता से निर्णय लेने चाहिए ताकि आप इस कठिन समय का सामना कर सकें।
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राहु की महादशा में जातक के जीवन पर कई अशुभ प्रभाव पड़ते है। लेकिन आप कुछ अचूक ज्योतिष उपाय की सहायता से इस दशा के कठिन दौर का सामना कर सकते हैः
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