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ज्योतिष शास्त्र अनुसार कैसे पता करें कोई आपको याद कर रहा है?

ज्योतिष में जातक की जन्मकुंडली काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि इसके माध्यम से व्यक्ति की प्रेम भविष्यवाणी कर सकते हैं। साथ ही कुंडली व्यक्ति के जन्म समय के आधार पर बनाई जाती है, जो जातक के भविष्य में होने वाली घटनाओं का अनुमान लगाने में मदद करती है। इसमें विभिन्न ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति का विवरण शामिल होता है।

इसके अलावा, कुंडली में शुक्र ग्रह और सप्तम भाव वह स्थान होते हैं, जो याददाश्त और संबंधों के लिए जिम्मेदार होते हैं। अगर आपकी कुंडली में ये दोनों स्थान उच्च हैं, तो आपकी याददाश्त मजबूत होती है और आपके संबंध भी स्थायी बने रहते हैं। कुंडली में दूसरे ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति से भी यह पता लगाया जा सकता है कि जिस व्यक्ति को आप पसंद करते है वह आपको याद कर रहा है या नहीं। 

कुंडली से कैसे करें प्रेम साथी की भविष्यवाणी?

कुंडली एक ज्योतिषीय चार्ट है, जो व्यक्ति के जन्म के समय ग्रहों की स्थिति के आधार पर बनाई जाती है। कुंडली में प्रेम साथी की भविष्यवाणी के लिए ज्योतिष में कुछ विशेष योग और दृष्टियों को देखा जाता हैं।

प्रेम साथी की भविष्यवाणी के लिए ज्योतिष कुंडली में निम्नलिखित योगों और दृष्टियों को देखते हैं:

  • सप्तम भाव: कुंडली में सप्तम भाव प्रेम जीवन के लिए महत्वपूर्ण होता है। सप्तम भाव में ग्रहों की स्थिति से ज्योतिषी यह भी देखते हैं कि व्यक्ति का प्रेम जीवन कितना सुखद होगा या नहीं।
  • शुक्र और मंगल का संयोग: जब शुक्र और मंगल का संयोग होता है, तो व्यक्ति के प्रेम से संबंधित मुद्दे सामने आ सकते हैं। इससे यह भी पता लगाया जाता है कि क्या व्यक्ति अपने प्रेमी के साथ सुखी रहेगा या नहीं।
  • लग्न और सप्तम भाव के स्वामी का संयोग: लग्न और सप्तम भाव के स्वामी के संयोग से व्यक्ति अपने प्रेमी के साथ संबंधित मुद्दों से परेशान हो सकता है। यह संयोग व्यक्ति के वैवाहिक जीवन पर भी असर डाल सकता है।
  • भावाधिपति ग्रहों का संयोग: भावाधिपति ग्रहों का संयोग व्यक्ति के प्रेम से संबंधित मुद्दों पर असर डालता है। जैसे कि, आपकी कुंडली में सप्तम भाव में मंगल हो और उसके साथ संयोग में शुक्र हो, तो आपके वैवाहिक जीवन में प्रेम से संबंधित मुद्दों का समाधान हो सकता है।
  • शुक्र और चंद्रमा का संयोग: शुक्र और चंद्रमा का संयोग भी व्यक्ति के प्रेम से संबंधित मुद्दों पर असर डालता है। यदि आपकी कुंडली में शुक्र और चंद्रमा का संयोग होता है, तो आपका प्रेम संबंध खूबसूरत होगा और आपको अपने प्रेम साथी के साथ बहुत समय बिताने का मौका मिलेगा।

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प्रेम भविष्यवाणी के लिए महत्वपूर्ण ग्रह

  • शुक्र ग्रह: शुक्र प्रेम का सिद्धांती ग्रह है और इसकी स्थिति कुंडली में प्रेम संबंध के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। शुक्र जिस भाव में स्थित होता है, उस भाव से संबंधित प्रेम संबंधों को प्रभावित करता है। इसके साथ ही शुक्र और सूर्य का संयोग भी प्रेम संबंधों के लिए शुभ होता है।
  • मंगल ग्रह: मंगल एक शक्तिशाली ग्रह है, इसकी स्थिति कुंडली में प्रेम संबंध के लिए अहम होती है। जब मंगल शुभ स्थिति में होता है, तब प्रेम संबंध मजबूत होते हैं और जब मंगल अशुभ स्थिति में होता है, तब प्रेम संबंधों में आपसी विवाद होते हैं।
  • चंद्रमा ग्रह: चंद्रमा भावनात्मक और संवेदनशील ग्रह होता है, जो प्रेम संबंधों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। चंद्रमा की स्थिति कुंडली में प्रेम संबंध के लिए अहम होती है। जब चंद्रमा शुभ स्थिति में होता है, तो प्रेम संबंध सुखद और आनंदमय होते हैं और जब चंद्रमा अशुभ स्थिति में होता है, तो प्रेम संबंधों में आपसी विवाद होते हैं और भावनात्मक रूप से व्यक्ति तनावमय हो जाता है।
  • राहु और केतु: राहु और केतु कुंडली में अशुभ ग्रह होते हैं और ये भी प्रेम संबंधों के लिए जोखिम बन सकते हैं। जब राहु या केतु की स्थिति अशुभ होती है, तब प्रेम संबंधों में आपसी विवाद होते हैं और भावनात्मक रूप से व्यक्ति तनावमय हो सकता है। इसलिए जब प्रेम भविष्यवाणी की जाती है, तो राहु और केतु के स्थान का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण होता हैं।

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प्रेम भविष्यवाणी के लिए महत्वपूर्ण भाव

कुंडली में प्रेम संबंध को देखने के लिए महत्वपूर्ण भाव निम्नलिखित हैं:

  • पंचम भाव: पंचम भाव प्रेम और संबंधों से संबंधित होता है। इस भाव में स्थित ग्रहों की स्थिति प्रेम संबंधों के बारे में जानकारी देती है।
  • सप्तम भाव: सप्तम भाव विवाह, साथी और प्रेम संबंधों से संबंधित होता है। इस भाव में स्थित ग्रहों की स्थिति विवाह और प्रेम संबंधों को समझने में मदद करती है।
  • द्वादश भाव: द्वादश भाव में स्थित ग्रह व्यक्ति के चरित्र, मनोवृत्ति और अन्य विशेषताओं से संबंधित होते हैं। इस भाव में स्थित ग्रह व्यक्ति के प्रेम संबंधों को भी प्रभावित करते हैं।
  • दूसरा भाव: दूसरा भाव व्यक्ति के भावनात्मक स्थिति से संबंधित होता है। इस भाव में स्थित ग्रहों की स्थिति व्यक्ति के प्रेम संबंधों को भी प्रभावित करती है।
  • लग्न: लग्न भाव व्यक्ति के व्यक्तित्व और स्वभाव से संबंधित होता है। इस भाव में स्थित ग्रहों की स्थिति प्रेम संबंधों के लिए अहम होती है। यदि लग्न भाव में स्थित ग्रह स्थिर है, तो प्रेम संबंध भी स्थिर और दृढ़ होते हैं। इसके अलावा, लग्न भाव में स्थित ग्रहों की स्थिति व्यक्ति के पार्टनर से संबंधित भावनाओं और उनकी प्रतिक्रियाओं को भी प्रभावित करती है।

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कुंडली से जानें जीवन में किसी के आने के संकेत

कुंडली के अनुसार किसी के आने के संकेत जानने के लिए विभिन्न भावों की स्थिति को देखा जा सकता है।

  • प्रथम भाव: प्रथम भाव व्यक्ति के व्यक्तित्व और व्यक्तिगत विकास से संबंधित होता है। यदि इस भाव में कोई शुभ ग्रह या उनका योग हो, तो इससे आपके जीवन में एक विशेष व्यक्ति के आने का संकेत मिलता है।
  • षष्ठ भाव: षष्ठ भाव आरोग्य, सेवा और कर्तव्य के साथ संबंधित होता है। इस भाव में कोई शुभ ग्रह हो, तो इससे एक नए संबंध के आने का संकेत मिलता है।
  • पंचम भाव: पंचम भाव संतान से संबंधित होता है। यदि इस भाव में कोई शुभ ग्रह होता है, तो यह एक नए संबंध के आने का संकेत देता है, जो बच्चों से जुड़ा हो सकता हैं।
  • सप्तम भाव: सप्तम भाव विवाह, साथी के चयन और संबंधों से संबंधित होता है। यदि इस भाव में कोई शुभ ग्रह होता है, तो यह आपके विवाह या संबंधों के लिए एक शुभ संकेत हो सकता है। सप्तम भाव में विवाह से संबंधित ग्रहों की स्थिति आपके वैवाहिक जीवन को प्रभावित करती है। इस भाव में स्थित ग्रहों की स्थिति विवाह संबंधी मुद्दों को समझने में मदद कर सकती है, जैसे कि विवाह योग्यता, साथी के चयन, संबंधों में मधुरता आदि।

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किस दशा में बिगड़ते हैं प्रेम संबंध?

प्रेम संबंधों के बिगड़ने या संकट के समय ज्योतिष शास्त्र में विभिन्न दशाओं का महत्व होता है। कुछ दशाएं निम्नलिखित हैं:

  • शनि की साढ़ेसाती: जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि साढ़ेसाती में होता है, तो इसके प्रेम संबंधों पर भी असर पड़ता है। यह दशा कुल मिलाकर 7.5 वर्ष तक चलती है।
  • राहु-केतु की महादशा: राहु और केतु अशुभ ग्रह हैं, जो प्रेम संबंधों पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं। इनकी महादशा कुल मिलाकर 18 वर्ष तक चलती है।
  • गुरु की महादशा: यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु की महादशा होती है, तो वह अपने प्रेम संबंधों में संवेदनशील होता है। यह दशा कुल मिलाकर 16 वर्ष तक चलती है।

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प्रेम संबंधों से जुड़े ज्योतिष उपाय

प्रेम संबंधों से जुड़े ज्योतिषीय उपाय निम्नलिखित हैं:

  • गुरु मंत्र: गुरु ग्रह को संबोधित करने के लिए गुरु मंत्र का जाप करना उपयोगी होता है। इससे आपके प्रेम संबंधों में सुधार हो सकता है।
  • राम बीज मंत्र: राम बीज मंत्र का जाप करना प्रेम संबंधों के लिए मददगार हो सकता है। यह मंत्र प्रेम संबंधों को स्थायी बनाने में मदद कर सकता है।
  • रत्न धारण: अपनी कुंडली में स्थित अनुकूल ग्रह के आधार पर रत्नों को धारण करना प्रेम संबंधों में सुधार करने में मदद कर सकता है।
  • मंगल मंत्र: मंगल ग्रह को संबोधित करने के लिए मंगल मंत्र का जाप करना उपयोगी होता है। यह मंत्र प्रेम संबंधों में समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है।
  • शुक्र मंत्र: शुक्र ग्रह को संबोधित करने के लिए शुक्र मंत्र का जाप करना प्रेम संबंधों में सुधार करने में मदद कर सकता है।

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