हमने देखा है कि प्राय जो लोग अपना खुद का व्यापार करते हैं उनमें से कुछ व्यापार ऐसे होते हैं, जहां ग्राहक रोजाना आते हैं, तो किसी की दुकान पर या किसी किसी के अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान पर तो ग्राहकों की भीड़ लगी होती है और वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके कभी कभार कस्टमर आता है कभी नहीं आता है यानी बहुत कम आना जाना होता है और कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जिनके यहां जब आते हैं तो खूब सारे ग्राहक आते हैं और नहीं आते तो बिल्कुल नहीं आते अब सब लोग क्या समझते कि सब भाग्य की बात है पर ऐसा नहीं है इसको हम ज्योतिष के माध्यम से बड़ी आसानी से समझ सकते हैं।
ज्योतिष में कस्टमर यानी ग्राहक जो है वह आपके सप्तम भाव से देखा जाता है और ग्राहक का खर्चा आपकी आय हैं, तो छठा भाव हुआ सप्तम से बारहवा यानी कस्टमर का खर्चा और आपकी आय अब आइए हम इसी पर फोकस करते हैं कुंडली को देखिए यदि आपके सप्तम भाव का कष्पल सब लॉर्ड मूल कुंडली में यानी लग्न कुंडली में यदि चर राशि में विराजमान है तो आप देखिए कि ग्राहकों की कमी नहीं रहेगी खूब ग्राहक आएंगे लेकिन जब यही षष्टम भाव का कष्पल सब लॉर्ड स्थिर राशि में होता है तो ग्राहकों के दर्शन कभी-कभार होते और जब यह दिवस्भाव राशि में बैठा हो तो आप देखेगे कि कभी खूब ग्राहक आएंगे कभी बिल्कुल नहीं आएंगे। आप यदि ऐसा काम कर रहे हैं तो अपनी-अपनी कुंडलियों में इस स्थिति को देख सकते और पता लगा सकते हैं कि ग्राहकों की आवक कैसी रहेगी इस संबंध में आपका कोई प्रश्न हो तो मुझे कॉल करें।
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