Festival

Bhadrapada Purnima 2023: भाद्रपद पूर्णिमा 2023 पर रखें उमा-महेश्वर व्रत, मिलेगा प्रेम संबंधों में लाभ

हिंदू धर्म में भाद्रपद पूर्णिमा, जिसे पूर्णिमा या पूरे चन्द्रमा के दिन के रूप में भी जाना जाता है। हिंदू कैलेंडर में भाद्रपद महीने की पूर्णिमा के दिन लोगों द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। शास्त्रों में, यह दिन बेहद ही शुभ माना जाता है और इस दिन भगवान विष्णु की भक्ति और उत्साह के साथ प्रार्थना की जाती है। इसलिए इस दिन उपवास करने और कुछ अनुष्ठान करने से भक्तों को समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उत्थान मिल सकता है। जानिए भाद्रपद पूर्णिमा 2023 पर उमा-महेश्वर व्रत रखने का क्या महत्व है।

भाद्रपद पूर्णिमा 2023 का शुभ मुहूर्त

इस बार भाद्रपद पूर्णिमा 2023 में 29 सितंबर 2023 को होगी। पूर्णिमा तिथि 28 सितंबर, 2023 को शाम 06:49 बजे शुरू होगी और यह 29 सितंबर, 2023 को दोपहर 03:26 बजे समाप्त होगी।

यह भी पढ़ें- बार-बार दिखे ऐसे संकेत तो हो सकता है आपकी कुंडली में कमजोर राहु

उमा-महेश्वर व्रत की पौराणिक कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार महर्षि दुर्वासा भगवान शंकर के दर्शन करके वापस आ रहे थे। तभी रास्ते में उनकी भेंट भगवान विष्णु से हो गई थी। इसके बाद महर्षि ने भगवान शंकर द्वारा दी गई विल्व पत्र की माला भगवान विष्णु को अर्पित कर दी। लेकिन भगवान विष्णु ने वह माला स्वयं न पहनकर अपने वाहन गरुड़ के गले में डाल दी। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा बड़े ही क्रोधित हुए और उन्होंने भगवान विष्णु से कहा कि ‘तुमने भगवान शंकर का अनादर किया है। इसके कारण तुम्हारी लक्ष्मी चली जाएगी और क्षीर सागर से भी तुम्हें हाथ धोना पड़ेगा। तुम्हारा शेषनाग भी तुम्हारी सहायता नहीं कर सकेगा।’ ये सुनने के बाद भगवान विष्णु ने महर्षि दुर्वासा को प्रणाम करके इस श्राप से मुक्त होने का उपाय पूछा।

महर्षि दुर्वासा ने भगवान को बताया कि उमा-महेश्वर का व्रत करो, इसी के बाद तुम्हें ये सभी वस्तुएँ वापस मिलेंगी। इसके बाद भगवान विष्णु ने विधि-विधान से यह व्रत किया और इसके प्रभाव से माता लक्ष्मी समेत समस्त शक्तियाँ भगवान विष्णु को पुनः प्राप्त हो गईं।

इसके अलावा, उमा-महेश्वर व्रत रखने से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह व्रत जातक को संतुलन और शांति बनाए रखने में मदद करता है। इस व्रत को रखने से शरीर और मन की समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इससे शक्ति बढ़ती है और शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने में मदद मिलती है। साथ ही उमा-महेश्वर व्रत रखने से प्रेम और सम्मान में सुधार होता है। यह व्रत अपने साथी के प्रति अनुकूलता, प्रेम और सम्मान के प्रति संवेदनशीलता विकसित करता हैं।

यह भी पढ़ें- जानिए ऋषि पंचमी 2023 की तिथि, पूजा विधि और व्रत कथा

पूर्णिमा तिथि पर उमा-महेश्वर व्रत रखने के लाभ

भाद्रपद पूर्णिमा 2023 के दिन उमा-महेश्वर व्रत रखने से जातक को कई लाभ प्राप्त होते हैं। इस व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है, जो सुख, समृद्धि, शक्ति, स्वास्थ्य, धन, संतुलन और समानता जैसे गुणों के प्रतीक माने जाते हैं। भाद्रपद पूर्णिमा पर उमा-महेश्वर व्रत रखने से ये लाभ मिलते हैं:

  • उमा-महेश्वर व्रत रखने से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  • यह व्रत मानसिक संतुलन के लिए उपयोगी माना जाता है।
  • उमा-महेश्वर व्रत रखने से जातक के जीवन में संतुलन और शांति बनी रहती है।
  • यह व्रत रखने से दीर्घायु प्राप्त होती है।
  • यह व्रत रखने से जातक का स्वास्थ्य अच्छा होता है और शारीरिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
  • उमा-महेश्वर व्रत रखने से व्यक्ति का दिमाग संतुलित बना रहता है।
  • इस व्रत को रखने से धन की प्राप्ति होती है।
  • यह व्रत परिवार के सदस्यों के बीच शांति और एकजुटता को बढ़ाता है।
  • उमा-महेश्वर व्रत रखने से संतान का कल्याण होता है और उन्हें शिक्षा क्षेत्र में लाभ मिलता हैं।
  • इस व्रत को रखने से जातक को सफलता मिलती है और जीवन में सभी लक्ष्यों की प्राप्ति होती है।
  • उमा-महेश्वर व्रत रखने से दोषों से मुक्ति मिल सकती हैं।
  • यह व्रत रखने से मंगल संचार सुधरता है और जातक को अधिक लाभ मिलता है।
  • इस व्रत को रखने से पुरुषों को जीवन में सफलता हासिल करने की क्षमता मिलती है।
  • उमा-महेश्वर व्रत करने से जातक के प्रेम संबंध में सुधार होता है और वैवाहिक जीवन खुशहाल बना रहता है।

यह भी पढ़ें- अनंत चतुर्दशी 2023 पर करें भगवान विष्णु की पूजा और पाएं सभी पापों से मुक्ति

भाद्रपद पूर्णिमा पर किए जाने वाले हवन

हवन या यज्ञ एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो लोग परमात्मा का आशीर्वाद लेने और पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए करते हैं। यहां कुछ प्रकार के हवन हैं जिन्हें आप भाद्रपद पूर्णिमा 2023 पर आयोजित कर सकते हैं:

  • सत्यनारायण हवन भगवान विष्णु का आशीर्वाद लेने के लिए किया जाता है। भाद्रपद पूर्णिमा पर इस हवन को करने से आध्यात्मिक उत्थान, समृद्धि और सफलता मिल सकती हैं।
  • रुद्र हवन भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए किया जाता है। माना जाता है कि यह हवन जातक के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है और व्यक्ति की बाधाओं, चुनौतियों को दूर रहने में मदद कर सकता है।
  • गायत्री हवन देवी गायत्री का आशीर्वाद लेने के लिए किया जाता है, जो ज्ञान का अवतार मानी जाती है। यह हवन जातक की बुद्धि को बढ़ाता है और आध्यात्मिक विकास में मदद करता है।
  • नवग्रह हवन नौ ग्रहों की कृपा पाने के लिए किया जाता है। इस हवन को करने से ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं।
  • सरस्वती हवन ज्ञान, बुद्धि और कला की अवतार देवी सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह हवन जातक की रचनात्मकता को बढ़ाता है और यह जातक की शैक्षणिक औऱ व्यावसायिक सफलता में मदद कर सकता है।

यह भी पढ़ें- राहु महादशा में ग्रहों की अंतर्दशा का जीवन पर प्रभाव और इससे बचने के ज्योतिष उपाय

भाद्रपद पूर्णिमा तिथि का नक्षत्रों से संबंध

कहा जाता है कि प्रत्येक महीने की पूर्णिमा तिथि के आधार पर ही चंद्र वर्ष के महीनों के नामों को रखा जाता हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार सूर्य और चंद्रमा के आधार पर ही महीनों के नाम रखे जाते हैं, जिन्हें सौर मास और चंद्र मास के नाम से पहचाना जाता है। कुछ व्रत व त्यौहार सौर मास के आधार पर मनाए जाते है, तो कुछ चंद्र मास के आधार पर धूम-धाम से मनाएं जाते हैं।

यही कारण है कि जब पूर्णिमा तिथि की बात आती हैं, तो उसे चंद्र वर्ष से जोड़ा जाता है। चंद्रमा के साथ नक्षत्रों का संबंध होता है। माना जाता है कि पूर्णिमा के दिन चंद्रमा जिस भी नक्षत्र में होता है उसी नक्षत्र के नाम अनुसार उस माह का नाम रखा जाता है। यही कारण है कि बारह महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित होते हैं। इसी के साथ भाद्रपद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा उत्तराभाद्रपद या पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में गोचर कर रहा होता है।

जिन जातकों का जन्म उत्तराभाद्रपद या पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में होता है, उन लोगों के लिए इस पूर्णिमा का दिन विशेष माना जाता है। साथ ही इन लोगों को पूर्णिमा के दिन अपने नक्षत्र की पूजा करनी चाहिए। इस दिन भगवान शिव, मां पार्वती, भगवान गणेश तथा अहिर्बुधन्य की पूजा करना जातक के लिए विशेष फलदायी माना जाता चाहिए। साथ ही दूध, दही, घी, शहद, फूल और मिठाई इत्यादि को भगवान की पूजा में जरूर शामिल करना चाहिए। इस तिथि पर पूजा के अलावा नवग्रहों से संबंधित वस्तुओं का दान करना जातक के लिए लाभदायक होता है। आप गुड़, काले तिल, चावल, चीनी, नमक, जौं तथा कंबल इत्यादि को दान में दे सकते हैं।

अधिक के लिए, हमसे Instagram पर जुड़ें। अपना साप्ताहिक राशिफल पढ़ें।

 7,886 

Share

Recent Posts

  • English
  • Vedic
  • Zodiac Signs

6 Zodiac Signs With Unmatched Adventurous Spirits

1 week ago
  • English
  • Vedic
  • Zodiac Signs

4 Zodiac Signs That Are Masters of Communication

1 week ago
  • English
  • Zodiac Signs

3 Zodiac Signs That Are Unusually Independent

1 week ago
  • English
  • Vedic
  • Zodiac Signs

5 Zodiac Signs Who Are Fiercely Loyal Friends

1 week ago
  • English
  • Vedic
  • Zodiac Signs

7 Zodiac Signs Known for Their Magnetic Charisma

1 week ago