आपको बता दें कि ज्योतिष शास्त्र में ऐसे कई योग होते हैं जो जातक को शुभ और अशुभ परिणाम देते हैं। वहीं कुछ शुभ योग जातक को हर क्षेत्र में सफलता दिलाते है। साथ ही शुभ योगों के कारण जातक को हर तरफ से खुशियां प्राप्त होती हैं। लेकिन अशुभ योग बनने से जातक को विपरीत परिणाम प्राप्त होते हैं। वहीं ज्योतिष में 27 योग होते हैं। उनमें से कुछ योग शुभ और कुछ अशुभ होते हैं। चलिए जानते है सिद्धि योग के बारें में और यह जातक की कुंड़ली में कैसे बनता है और प्रभाव-
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आपको बता दें कि ज्योतिष शास्त्र में योगों को काफी महत्वपूर्ण स्थान होता है। क्योंकि जब यह योग किसी जातक की कुंडली में बनते हैं, तो उसे अशुभ और शुभ दोनों परिणाम प्राप्त होते हैं। आपको बता दें कि ज्योतिष शास्त्र में 27 योग होते हैं, जिसमें से कुछ योग शुभ होते हैं और कुछ अशुभ योग होते हैं। अशुभ योग जातक की कुंडली में अशुभ प्रभाव डालते हैं। वही शुभ योग जातक की कुंडली में शुभ प्रभाव डालते हैं। साथ ही शुभ योगों से जातक को अपने जीवन में सफलता प्राप्त होती हैं।
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आपको बता दें कि ज्योतिष शास्त्र में योगों को महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि यही योग जातक की कुंडली में बनकर जातक के जीवन को प्रभावित करते हैं। इन्हीं योगों के कारण जातक को जीवन में परेशानी का सामना करना पड़ता है और इन्हीं कारण जातक अपने जीवन में सफलता पाता है। इसीलिए यह योग जातक की कुंडली में महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
आपको बता दें कि वार, नक्षत्र और तिथि के बीच संबंध होने पर सिद्धि योग का निर्माण होता है। जैसे अगर सोमवार के दिन नवमी अथवा दशमी तिथि हो और रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, श्रवण और शतभिषा में से कोई नक्षत्र होता है, तो सिद्धि योग बनता है। साथ ही सिद्धि योग काफी शुभ माना जाता है। बता दें कि इस योग में प्रभु का नाम जपने से जातक को उत्तम परिणाम प्राप्त होते हैं। वहीं इस योग में जो भी कार्य किया जाता है उसमें सफलता जरूर मिलती है। इसीलिए किसी भी तरह का शुभ कार्य करने के लिए सिद्धि योग को प्राथमिकता दी जाती है।
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सिद्धि योग काफी शुभ योग होता है, जो निश्चित वार और नक्षत्र के संयोग से बनता है। वहीं इस योग का समय काफी शुभ माना जाता है। साथ ही यह योग सभी इच्छाओं तथा मनोकामनाओं को पूरा करने वाला है। इस योग में किया गया कार्य काफी शुभ परिणाम होता है।
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इसी के साथ मकान खरीदना हो या दुकान का उद्घाटन करना हो, ऑफिस उद्घाटन, वाहन खरीदना हो, क्रय-विक्रय करना हो, मकान की रजिस्ट्री करनी हो, सगाई करनी हो, रोका करना हो इन सभी कार्यों को बिना संकोच इस मुहूर्त में किया जा सकता हैंं। और इससे जातक को काफी शुभ परिणाम भी मिलते है। साथ ही इस मुहूर्त में किये गये कार्य सफल होते है।
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जब वार, नक्षत्र और तिथि का आपस में संबंध होता है ,तो सिद्धि योग का निर्माण होता है। उदाहरण के लिए अगर सोमवार के दिन नवमी या दशमी तिथि हो और रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, श्रवण और शतभिषा में से कोई नक्षत्र होता है, तो सिद्धि योग बनता है।
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साथ ही आपको अधिक जानकारी के लिए किसी अनुभवी ज्योतिष से सलाह लेनी चाहिए।
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