सूर्य देवता को सभी देवताओं में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। जो व्यक्ति नियमित रूप से सूर्य देव को जल चढ़ाता है तो इससे उसको बहुत लाभ मिलते हैं। हर दिन सुबह के समय सूर्य को अर्घ्य देने से सभी शारीरिक रोगों का नाश होता है तथा व्यक्ति की आयु में भी बढ़ोतरी होती है। परंतु सूर्य देव को जल चढ़ाने के समय कुछ नियम और बातों का पालन करना चाहिए ताकि इसके पर्याप्त लाभ मिल सके।
एक तांबे का लोटा लेकर उसमें लाल रंग की रोली डालकर सूर्य को जल चढ़ाने से सूर्यदोष में काफी कमी आती है। सूर्य देव को अर्ध्य देने से आपके शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार आता है और ब्लड सरकुलेशन को बढ़ाने में लाल रंग का काफी महत्व होता है।
चावल को अत्यधिक शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में चावल को बहुत अधिक महत्व दिया गया है इसीलिए जब भी कोई शुभ कार्य किया जाता है तो उसमें चावल का प्रयोग किया जाना आवश्यक होता है। सूर्य देवता को जल चढ़ाते समय पानी में दो-तीन दाने चावल के डालने से जीवन में सभी तरह की सुविधाएं मिलती हैं।
सूर्य को जल चढ़ाते समय अपने पानी के लोटे में थोड़ी सी मिश्री भी डाल लीजिए। आपके पास मिश्री नहीं हो तो आप मिश्री की जगह चीनी का प्रयोग भी कर सकते हैं। इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि आप पानी के लिए तांबे का लोटा ही लें और उसने फिर मिश्री डालें।
इस बात का विशेष ध्यान रखें कि सूर्य को जिस लोटे से आग जल चढ़ाएं वह केवल तांबे का ही होना चाहिए। तांबे को सूर्य से जोड़ा जाता है इसलिए यदि तांबे के बर्तन में जल लेकर सूर्य देव को चढ़ाया जाएगा तो इसके अनेकों लाभ आपको मिलेंगे। इसके अलावा इस बात का भी ध्यान रखें कि जब आप सूर्य को अर्घ्य दे तो आप पर जल जमीन पर नहीं देना चाहिए बल्कि तुलसी के पौधे पर गिरे। यह जल क्योंकि पवित्र माना जाता है इसलिए इसका जमीन पर गिरना ठीक नहीं होता।
जिस समय आप सूर्य देव को जल अर्पित करें तो उस समय आपको सूर्य मंत्र का उच्चारण भी करना बहुत आवश्यक होता है। इसके लिए आप कोई भी मंत्र पढ़ सकते हैं। यदि आपको सूर्य मंत्र नहीं आता तो आप गायत्री मंत्र का उच्चारण भी कर सकते हैं। गायत्री मंत्र भी सूर्य देव को जल अर्पित करते समय पढ़ना श्रेष्ठ होता है।
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