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Buddha Purnima 2023: बुद्ध पूर्णिमा 2023 की तिथि, इतिहास, और पूजन विधि

बुद्ध पूर्णिमा को बुद्ध जयंती के नाम से भी जाना जाता है, बौद्ध धर्म में इस त्यौहार का विशेष महत्व होता है, क्योंकि ये उत्सव भगवान बौद्ध से जुड़ा हैं। यह उत्सव बुद्धदेव के जन्म की खुशी में मनाया जाता है, जिन्होंने बौद्ध धर्म की शुरुआत की थी। बुद्ध पूर्णिमा का महत्व भी बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत अधिक होता है। इस उत्सव के दौरान वे अपने गुरु बुद्ध को स्मरण करते हैं और उनके शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करते हैं। इसके अलावा, बुद्ध पूर्णिमा 2023 (Buddha Purnima 2023) पर दुनिया भर में बौद्ध धर्म के अनुयायी इस त्यौहार को बड़े ही उत्साह के साथ मनाएंगे।

यह उनके लिए यह एक महत्वपूर्ण उत्सव होता है, जो भगवान बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं को आज भी जीवित रखते हैं। बौद्ध धर्म के अनुयायी इस दिन के दौरान मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं और दानादि का कार्य भी करते हैं।

आपको बता दें कि बुद्ध पूर्णिमा शब्द “बुद्ध” और “पूर्णिमा” से मिलकर बना है, जिसमें “बुद्ध” शब्द का अर्थ बौद्ध धर्म में महात्मा बुद्ध को संदर्भित करता है, जो बौद्ध धर्म के संस्थापक थे और “पूर्णिमा” शब्द चंद्रमा के पूर्ण आकर्षण को दर्शाता है कि इस त्यौहार का आयोजन पूर्णिमा के दिन किया जाता है। इस तरह, बुद्ध पूर्णिमा का अर्थ होता है महात्मा बुद्ध की जन्म तिथि के अवसर पर मनाया जाने वाला पूर्णिमा का पावन त्यौहार। यह त्यौहार भारत में और अन्य देशों में भी बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

बुद्ध पूर्णिमा 2023ः शुभ तिथि व मुहूर्त

बुद्ध पूर्णिमा 202305 मई 2023, शुक्रवार
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 04 मई 2023 को 23:44 से
पूर्णिमा तिथि समाप्त 05 मई 2023 को 23:03 तक

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बुद्ध पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

धार्मिक दृष्टिकोण से बुद्ध पूर्णिमा बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार है। इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, जो बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। यह दिन भगवान बुद्ध के जीवन के महत्वपूर्ण घटनाओं की याद दिलाता है, जो बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन बौद्ध धर्म के अनुयायी अपने धर्म संबंधी कार्यों को करते हैं जैसे कि मंदिर में पूजा और ध्यान करना, भगवान बुद्ध के जीवन की कथाओं को सुनना और धर्म की शिक्षा लेना आदि।

इस दिन भगवान बुद्ध के सिद्धांतों के बारे में जानना और उन्हें अपने जीवन में अमल में लाना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस पूर्णिमा के दिन लोग अपनी बुराई को छोड़कर अच्छाई के रास्ते पर चलने का निर्णय लेते हैं। साथ ही किसी भी दुखी व्यक्ति की मदद करना इस दिन बहुत शुभ माना जाता है। लोग अपने अनुभवों और विवेक के आधार पर अपने जीवन को संशोधित करने के लिए प्रेरित होते हैं।

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पूर्णिमा पर इस विधि से करें भगवान बुद्ध की पूजा

बुद्धबुद्ध पूर्णिमा 2023 पर इस पूजन विधि को अपनाकर आप पा सकते हैं अपने व्रत का फल:

  • पूजा सामग्री: बुद्ध पूर्णिमा के लिए आपको पूजा सामग्री की तैयारी करनी होगी, जिसमें धूप, दीपक, फूल, फल, पान, चावल, नवदान और प्रसाद शामिल होते हैं।
  • पूजा स्थल की तैयारी: पूर्णिमा के लिए पूजा स्थल को सजाया जाता है। एक चौकी, जिसमें पूजा सामग्री रखी जाती है और एक आसन जहां बैठकर पूजा की जाती है।
  • शुद्धता का ध्यान रखें: पूजा से पहले, शुद्धता का खास ध्यान रखें। आप अपने हाथ जरूर धोएं और पूजा से पहले शुद्धि मंत्र जप करें।
  • धूप-दीपक जलाएं: पूजा से पहले धूप-दीपक जलाएं, क्योंकि यह खुद को भगवान को समर्पित करने का संकेत देता है।
  • पूजा करें: इसके बाद बुद्ध पूर्णिमा की पूजा करें। एक आसन पर बैठें और फूल, फल और नवदान देकर भगवान बुद्ध की मूर्ति की विधि-विधान से पूजा करें।
  • प्रसाद बांटें: अंत में, पूजा सपंन्न होने के बाद सभी भक्तों को प्रसाद जरूर दें।

बुद्ध पूर्णिमा 2023 पर होना वाला है साल का पहला चंद्र ग्रहण

ज्योतिष के अनुसार इस साल बुद्ध पूर्णिमा 2023 पर साल का पहला चंद्र ग्रहण होने वाला हैं। बता दें कि समय-समय पर चंद्र और सर्य ग्रहण पड़ते हैं। इन ग्रहणों का सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव जातक के जीवन और पृथ्वी पर देखने को मिलता है। साथ ही साल का पहला चंद्र ग्रहण 5 मई 2023, शुक्रवार के दिन होगा और इस दिन बुद्ध जयंती भी मनाई जाएगी। 

आपको बता दें कि यह चंद्र ग्रहण 05 मई को रात 20:44 से शुरु होकर, 06 मई 2023 की मध्य रात्रि 01ः01 मिनट तक रहेगा। वहीं यह एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। यह चंद्र ग्रहण भारत के अलावा दक्षिण-पश्चिमी यूरोप, एशिया महाद्वीप के अधिकांश भागों ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और हिन्द महासागर में देखा जा जाएगा। साथ ही चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 04 घंटा 8 मिनट की होगी और यह एक उपच्छाया ग्रहण होगा। इसलिए इस ग्रहण का सूतक मान्य नहीं होगा।

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कैसे मनाएं बुद्ध जयंती 2023?

यहां बताए गए कुछ आसान तरीके हैं, जिनसे आप बुद्ध जयंती 2023 को मना सकते हैं:

  • भगवान बुद्ध के दर्शन करें: बुद्ध जयंती के दिन आप भगवान बुद्ध के मंदिर और स्थानों पर जाकर उनका दर्शन कर सकते हैं। इससे आपके मन में शांति आएगी और आप भगवान बुद्ध के जीवन के बारे में और ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।
  • ध्यान करें: बुद्ध पूर्णिमा 2023 के दिन आप ध्यान कर सकते हैं। इससे आप अपने मन को शांत कर सकते हैं और आपको भगवान बुद्ध के सिद्धांतों का ज्ञान हो सकता है।
  • पूजा करें: बुद्ध जयंती के दिन आप भगवान बुद्ध की पूजा कर सकते हैं। आप उनकी मूर्ति को फूल, फल और दीपक से सजा सकते हैं।
  • धर्म शिक्षा सुनें: बुद्ध पूर्णिमा 2023 के दिन आप धर्म शिक्षा के लिए अपने स्थानीय मंदिरों या अन्य संगठनों में जा सकते हैं। वहां आप भगवान बुद्ध के सिद्धांतों के बारे में सुन सकते हैं।
  • दान करें: बुद्ध पूर्णिमा के दिन आप दान कर सकते हैं। आप जरूरतमंदो को भोजन, फल आदि का दान कर सकते हैं।

भगवान गौतम बुद्ध की ज्ञानवर्धक कथा

पहली कथाः

एक समय की बात है जब भगवान बुद्ध अपने अनुयायियों के साथ किसी गांव में उपदेश देने जा रहे थे। उस गांव से पूर्व ही मार्ग में उन लोगों को जगह-जगह बहुत सारे गड्ढे़ खुदे हुए दिखे। भगवान बुद्ध के एक शिष्य ने उन गड्ढों को देखकर अपनी जिज्ञासा प्रकट की, आखिर इस तरह गड्ढों को खोदने का क्या अर्थ है?

तब भगवान बुद्ध बोले कि, पानी की तलाश में किसी व्यक्ति ने इतनें सारे गड्ढे़ खोदे है। अगर वह धैर्यपूर्वक एक ही स्थान पर गड्ढे़ खोदता रहता, तो उसे पानी जरूर मिल जाता। लेकिन उसने थोडी देर गड्ढ़ा खोदा और पानी न मिलने पर दूसरा गड्ढ़ा खोदना शुरू कर दिया। इसलिए व्यक्ति को कठिन परिश्रम करने के साथ धैर्य भी रखना चाहिए। और यही भगवान बुद्ध अपने सभी अनुयायियों को समझना चाहते थे।

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दूसरी कथाः

एक समय की बात है जब भगवान बुद्ध भिक्षा के लिए एक किसान के यहां जा पहुंचे थे। तथागत को भिक्षा के लिए आया देखकर किसान बड़ी ही उपेक्षा से बोला, श्रमण मैं हल जोतता हूं और तब जातक कही खाना खाता हूं। तुम्हें भी हल जोतना और बीज बोना चाहिए और तब ही भोजन करना चाहिए।

उसकी बात सुनकर भगवान बुद्ध ने कहा- महाराज! मैं भी खेती का काम करता हूं…। इस बात पर किसान को जिज्ञासा हुई और वह बोला- मैने न तो तुम्हारे पास कोई हल देखा ना बैल और ना ही खेती का स्थल। तो आप कैसे कह सकते हैं कि आप भी खेती का काम करते हो। आप कृपया अपनी खेती के संबंध में मुझे बताएं।

भगवान बुद्ध ने कहा- हे महाराज! मेरे पास तो श्रद्धा का बीज, तपस्या रूपी वर्षा और प्रजा रूपी जोत और हल है… और पापभीरूता का दंड है, विचार रूपी रस्सी है, स्मृति और जागरूकता रूपी हल की फाल और पेनी है।

मैं अपने वचन और कर्म में संयत रहता हूं। मैं अपनी इस खेती को बेकार की घास से मुक्त रखता हूं और आनंद की फसल काट लेने तक प्रयत्नशील रहता हूं। अप्रमाद मेरा बैल है, जो बाधाएं देखकर भी कभी पीछे मुंह नहीं मोडता और वह मुझे सीधा शांति धाम तक ले जाता है। इस प्रकार, मैं अपनी अमृत की खेती करता हूं।

पूर्णिमा पर किए जाने वाले धार्मिक कार्यक्रम

बुद्ध पूर्णिमा एक पर्व है, जो बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा विशेष रूप से मनाया जाता है। इस अवसर पर कुछ लोग धर्मानुयायियों के द्वारा निम्नलिखित कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं:

  • मंदिरों में पूजा-अर्चना: बौद्ध मंदिरों में भक्त, धर्म एवं मार्गदर्शन के लिए पूजा-अर्चना करते हैं। इसमें धर्मगुरुओं द्वारा पूजा अर्चना के विधान एवं बौद्ध सुत्रों से जुड़ी कथाएं सुनाई जाती हैं।
  • धम्मचक्र प्रवर्तन: बुद्ध भगवान ने सार्वजनिक रूप से धम्मचक्र प्रवर्तन किया था, जिसमें उन्होंने आठ महासत्यों को धर्म का ज्ञान दिया था। इस पर्व के दिन धर्मगुरुओं द्वारा कथा का पाठ किया जाता है।
  • मेले और उत्सव: कुछ लोग बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर मेले और उत्सव का आयोजन करते हैं। इसमें बौद्ध मंदिरों के आसपास में विभिन्न वाणिज्यिक गतिविधियां और खाद्य-वस्तुएं भी उपलब्ध होती हैं।
  • दान देना: बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर, लोग दान देने का कार्य करते हैं। वे अपनी संपत्ति, भोजन, वस्त्र और अन्य वस्तुएं जरूरतमंद लोगों या मंदिरों में दान करते हैं। यह उनके अधिकारों का उपयोग करता है और उन्हें अन्य लोगों की सेवा करने के लिए प्रेरित करता है।
  • धर्म सुन्दरी बनाना: कुछ लोग बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर धर्म सुन्दरी बनाने का काम करते हैं। यह एक धर्मीक गतिविधि है जिसमें संगीत, कविता, कला और उत्साह के साथ भक्तों को धर्म से जोड़ा जाता है।
  • मेधावी बातचीत: बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर, धर्मगुरुओं के बीच मेधावी बातचीत होती है। वे बौद्ध शास्त्रों, परंपराओं और अनुभवों को साझा करते हैं, जो भक्तों के लिए उपयोगी होते हैं।

पूर्णिमा के दिन इन नियमों का अवश्य करें पालन

बुद्ध पूर्णिमा पर कुछ ऐसी गतिविधियां होती हैं, जो आप कर सकते हैं और कुछ जिन्हें आपको नहीं करना चाहिए, निम्नलिखित हैं:

  • बौद्ध मंदिर में जाकर धर्मशास्त्र सुनना और पूजन करना चाहिए।
  • पूर्णिमा के दिन बौद्ध मंदिरों में जाकर दान करना और जरूरतमंदों की मदद करना चाहिए।
  • बौद्ध मंदिर में जाकर सत्संग करना और बौद्ध धर्म की बातें सुनना चाहिए।
  • पूर्णिमा के दिन बौद्ध मंदिर में जाकर पूजन और ध्यान करें।
  • बौद्ध शास्त्रों को अध्ययन और उनका ज्ञान हासिल करें।
  • किसी तरह के अनुचित कार्यों या व्यवहार का प्रदर्शन न करें।
  • भ्रष्टाचार, अपराध या दुराचार करने से बचें।
  • दूसरों को नुकसान पहुंचाने वाले शब्दों का उपयोग न करें।
  • किसी तरह की अनियमित या असामान्य गतिविधियों में शामिल न हों।

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बुद्ध पूर्णिमा के दिन होने वाले चंद्र ग्रहण के प्रभावों से बचने के ज्योतिषी उपाय

पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण से बचने के लिए कुछ उपाय हैं, जो निम्नलिखित हैं:

  • बुद्ध पूर्णिमा के दिन ग्रहण काल में बाहर न जाएं।
  • चंद्र ग्रहण के समय अधिक से अधिक पानी पीएं।
  • घर के अंदर कम से कम बातें करें।
  • चंद्र ग्रहण के समय ध्यान करने योग्य कोई भी कार्य करें, जैसे मंत्र जप, पूजा, ध्यान आदि।
  • ग्रहण के दौरान भोजन करने से बचें।
  • चंद्र ग्रहण के दौरान शुभ कार्यों न करें।
  • ग्रहण के समय स्नान न करें।
  • चंद्र ग्रहण के समय कुछ समय के लिए अपने घर के मंदिर में जाकर बैठें और ध्यान करें।
  • ग्रहण के दौरान नए काम शुरू न करें।
  • चंद्र ग्रहण के दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
  • चंद्र ग्रहण के समय बैठकर अपनी नाभि के ऊपर अपने हाथ रखें और चंद्रमा की दिशा में ध्यान करें।
  • ग्रहण के समय भगवान विष्णु का नाम जप करें।
  • ग्रहण के समय तुलसी के पत्ते, देवदार के पत्ते और गुग्गुल के धूप का उपयोग करें।
  • चंद्र ग्रहण के समय तांत्रिक उपाय करने से बचें।

बुद्ध पूर्णिमा का ज्योतिष महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वैशाख माह में आने वाली पूर्णिमा काफी महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इस दिन सूर्य अपनी उच्च राशि यानी मेष राशि में होता है और चंद्रमा तुला राशि में स्थित होता है।

इस दिन पवित्र नदी के जल में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और बुद्ध पूर्णिमा को धर्मराज की पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। कई पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महात्मा बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवा अवतार माना जाता है।

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