जिन लोगों ने राजनीति शास्त्र का अध्ययन किया है उन्हें यह ज्ञात है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों में से एक है। जहाँ हर क्षेत्र की अपनी अलग-अलग राजनीतिक पार्टी है, राज्य की अलग पार्टि है और देश की अलग मुख्य राजनीतिक पार्टी है। इसी के साथ देश में जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ नई राजनीतिक पार्टियों की संख्या में भी उछाल आया है। ऐसे में इस चुनौती पूर्ण प्रतियोगिता में एक नई पार्टी या व्यक्ति राजनीति में सफलता कैसे प्राप्त कर सकते हैं, वर्तमान समय का यह बड़ा सवाल है। राजनीति में सफलता पाने के लिए जनता का साथ और नेतृत्व का भाग्य दोनों महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
यदि एक पार्टी गठित होती है तो वह राजनीति में सफलता पाने के लक्ष्य से ही चुनावी मैदान में उतरती है और एक व्यक्ति किसी पार्टी या संघठन से इसलिए जुड़ता है क्योंकि वह राजनीति में सफलता पाने आया है। अब प्रश्न यह खड़ा होता है कि राजनीति में सफलता किसके भाग्य में लिखा हुआ है और उस भाग्य को हम अपनी ओर कैसे आकर्षित कर सकते हैं? जानने के लिए पूरा आलेख पढ़ें!
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राजनीति, या सत्ता पक्ष से जुड़ेने के लिए सूर्य, चंद्र, मंगल, राहू एवं शनि को मुख्य कारक माना जाता है, इन सभी के साथ बृहस्पति ग्रह को भी कुछ मामलों में कारक माना जाता है। यह सभी ग्रह मंत्री बनने में अहम योगदान देते हैं। किन्तु वर्तमान में चल रहे राजनीतिक स्थिति को देखते हुए राहू पर अन्य सभी ग्रहों से अधिक ध्यान दी जानी चाहिए।
ज्योतिष विद्वानों के द्वारा यह देखा गया है कि सफल राजनेताओं के कुंडली में छठे, सातवें, दसवें और ग्यारहवें भाव में राहू का प्रभाव अधिक है। यदि दसवें भाव में सूर्य उच्च हो और साथ में राहू छठे, सांतवें, दसवें और ग्यारहवें भाव से संबंधित हो तो इससे जातक को राजनीति में सफलता मिलती है। इसके साथ आपको यह भी जानना चाहिए कि सूर्य को राजा की और चन्द्रमा को राजमाता की उपाधि दी गई है इसलिए इन ग्रहों का सम्बन्ध महत्वपूर्ण है। इसलिए चंद्रमा कि लग्न या राशि में जन्मा व्यक्ति राजनीति से बिना किसी रुकावट से जुड़ जाता है।
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी व्यक्ति के कुंडली में दसवां भाव राजनीति से सम्बन्धित होता है। इसलिए यदि उस व्यक्ति की कुंडली में दसवां भाव उच्च हो तो वह राजनीति में सफलता प्राप्त करता है। जैसा आपको पहले भी बताया गया था कि राहू यदि छठे, सातवें, दशवें और ग्यारहवें भाव से संबंधित है तो भी आपको राजनीति में अच्छी सफलता मिलती है। सूर्य, शनि, मंगल और राहू यह सभी ग्रह राजनीति के आवश्यक कारक ग्रह हैं। जहाँ एक तरफ सूर्य साम्राज्य, वर्चस्व, प्रभाव और उपाधि को इंगित करता है तो दूसरी ओर राहू नीति को प्रदर्शित करता है। वहीं शनि का साथ होने लोकहित में कार्य करने के लिए समर्पण का भाव जागृत होता है और मंगल के मेल से आप में नेतृत्व की क्षमता अधिक जागृत होती है।
ज्योतिष विज्ञान में राहू को सभी ग्रहों में नीति-कारक ग्रह की उपाधि प्राप्त है। जिसका अर्थ है कि राहू के सकारात्मक प्रभाव से नीति-निर्माण में अधिक सक्रियता बढ़ती है और उन नीतियों को लागू करने की क्षमता भी बढ़ती है। साथ ही राजनीति में वाचन व भाषण का भी महत्व होता है और यदि आपकी कुंडली में दसवें भाव का संबंध राहू से है तो व्यक्ति या राजनेता में स्थिति अनुसार बोलने की योग्यता उत्पन्न होती है। आपको बता दें कि छठे भाव को सेवा भाव के रूप में जाना जाता है इसलिए इस भाव में दशम या दशमेश का संबंध होना आवश्यक है।
यदि आपकी कुंडली में सूर्य प्रभावशाली स्थिति में है तो यह आपके राजनीतिक और व्यक्तिगत भविष्य के लिए लाभदायक है। वह इसलिए क्योंकि नव-ग्रहों में सूर्य को श्रेष्ठ या राजा माना जाता है।
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नौवें और दसवें भाव वाले ग्रहों की स्थितियों को सही कर राजनीति में नकारात्मक परिणाम को सकारात्मक परिणाम में परिवर्तित किया जा सकता है। यह करने की आवश्यकता इसलिए भी है क्योंकि राजनीति में सफलता के लिए ज्योतषीय गणना को अपने पक्ष में करना ही सकारात्मक परिणाम ला सकता है। इन सभी के साथ भगवान का पूजन भी अनिवार्य है। उसके लिए आप माता बगलामुखी का अनुष्ठान कराएं, राहू का अनुष्ठान कराएं और ऐसे कई अन्य अनुष्ठान भी हैं जिन्हें आप अनुभवी ज्योतिषियों से पूछ सकते हैं और यह अनुष्ठान आपको जल्द परिणाम भी देंगे।
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि में परम सुखं,
धनं देहि, रूपम देहि यशो देहि द्विषो जहि।।
इस मंत्र का जाप 21 दिनों तक प्रतिदिन 108 बार प्रातः ईष्टदेव की पूजा के बाद करने से आंतरिक सकारात्मक ऊर्जा का एहसास होगा। यह मंत्र सुख और ऐश्वर्य बढ़ाने वाला है।
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